भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई उल्लेखनीय वृद्धि, बाहरी ऋण से भी निकला आगे
भारतीय अर्थव्यवस्था बहुआयामी विकास की ओर बढ़ रही है। सरकार का अनुमान है कि इस वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8 फीसदी या 8.5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर से आगे बढ़ेगी। इन सब के बीच एक विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 634 बिलियन डॉलर हो गया है। ध्यान देने वाली बात है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 13.2 महीने के कुल भारतीय निर्यात से अधिक है और देश पर वर्तमान समय में जितना बाहरी कर्ज है, वह भी विदेशी मुद्रा भंडार के सापेक्ष में कम हो गया है। भारत के उच्च विदेशी मुद्रा भंडार में और भी वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि भारत की ओर विदेशी निवेशक लगातार आकर्षित हो रहे हैं और साथ ही भारतीय निर्यात बढ़ रहा है, जिस कारण लाभ भी तेजी से देखने को मिल रहा है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का भुगतान संतुलन सकारात्मक रहा, जिस कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए विदेशी मुद्रा का संचय करना आसान था। वही विदेशी निवेश की बात करें, तो भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने ही 36 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया है। इस वर्ष निर्यात की बात करें, तो भारत का निर्यात 400 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी के लक्ष्य को प्राप्त करने वाला है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना स्वाभाविक है। इस समय केवल तीन देश, चीन, जापान और स्विट्जरलैंड ही विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत से आगे हैं।
मौजूदा समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था मुद्रा स्फीति से जूझ रही है। कोरोना के दौरान सभी देशों ने आर्थिक पैकेज जारी किए, लोगों को बड़ी मात्रा में धन सीधे उनके बैैंक खातों में भेजा। इसके अतिरिक्त कई अन्य योजनाओं के माध्यम से बाजार में मुद्रा की तरलता बढ़ाई गई, जबकि इस काल में उत्पादन बंद रहा। अब वैश्विक स्तर पर एक ऐसी स्थिति है कि लोगों के पास मुद्रा संचय है, लेकिन उत्पादन अभी भी उस स्तर तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में मुद्रा स्फीति की स्थिति है, जिसे नियंत्रित करने के लिए अब मौद्रिक नीति में बदलाव होंगे।
सरकार की PLI योजना कर रही है कमाल
विदेशी मुद्रा के संचय का यह लाभ है कि जब दूसरे देश मुद्रा की तरलता कम करेंगे, भारत तब भी अपने संचयित मुद्रा कोष का प्रयोग कर सकेगा। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की वृद्धि में निवेश और निजी उद्यमों की सबसे बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में सरकार की योजना निजी उद्यमियों को बढ़ावा देने की होनी चाहिए और सरकार यह कर भी रही है। PLI योजना भारत के औद्योगिकीकरण को सर्वांगीण विकास का अवसर दे रही है। PLI के कारण भारत कई नए सेक्टर, जैसे- सेमी कंडक्टर, ड्रोन, फूड प्रोसेसिंग आदि में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है। PLI के जरिये बड़े औद्योगिक इकाइयों का विस्तार होगा। वहीं, स्टार्टअप की बात करें तो इस समय भारत में स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण है और यह बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का कारण बन रहा है। IT सेक्टर में लगातार नौकरियों का विस्तार इसी का परिणाम है।
इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में लगी है मोदी सरकार
Michael Page India and Thailand के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक और आर्थिक मामलों के जानकार निकोलस डमोलिन ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान बताया कि “वर्ष 2021 में कमर्चारियों की हायरिंग वर्ष 2020 की तुलना में काफी अलग रही है। बाजार में CXO स्तर की हायरिंग में 80-100% और मध्य-स्तर पर 40-50% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।” उन्होंने यह भी बताया कि हेल्थकेयर, कंज्यूमर टेक, एडटेक, फिनटेक, आईटीईएस, मैन्युफैक्चरिंग, इंडस्ट्रियल आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में भी हायरिंग में बड़ी बढ़ोत्तरी देखी गई है।
भारत में जिस हिसाब से निवेश हुए है, विशेषकर छोटी कंपनियों में, उसे देखकर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इन क्षेत्रों में विस्तार इस वर्ष भी जारी रहेगा। सरकार स्वयं सीड फंड जैसी योजना के जरिए स्टार्टअप को फंड कर रही है। ध्यान देने वाली बात है कि केंद्र सरकार ने बड़ी कंपनियों को भी भारतीय स्टार्टअप में निवेश करने का सुझाव दिया है। सरकार गति शक्ति योजना के जरिए देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने पर जोर शोर से काम कर रही है। बजट 2022-23 में सरकार ने इस ओर अपनी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित की है।
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी
Hit enter to search or ESC to close
Repo Rate में लगातार 5वीं बढ़ोतरी, आरबीआई ने बढाकर किया 6.25 प्रतिशत , आम जनता पर ये पड़ेगा असर !
बिजनेस न्यूज डेस्क् . भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 35 आधार अंकों (बीपीएस) से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह घोषणा की। इस वित्तीय वर्ष में केंद्रीय बैंक द्वारा यह पांचवीं सीधी वृद्धि है। इससे पहले, आरबीआई ने मई में ऑफ-साइकिल मीटिंग में रेपो रेट में 40 बीपीएस और जून, अगस्त और सितंबर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी की थी।एमपीसी विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी ने अक्टूबर-दिसंबर 2022 की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया।
जनवरी-मार्च 2023 की अवधि के लिए खुदरा विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी मुद्रास्फीति का अनुमान 5.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया गया।एमपीसी ने 2023-24 की पहली तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के पूवार्नुमान को 5 प्रतिशत पर बरकरार रखा और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के लिए इसे 5.4 प्रतिशत पर रखा है।रुपये पर टिप्पणी करते हुए, दास ने अपने भाषण में कहा कि अप्रैल-अक्टूबर के दौरान मुद्रा में वास्तविक रूप से 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यहां तक कि प्रमुख मुद्राओं में मूल्यह्रास हुआ है।उन्होंने कहा, रुपये को अपना स्तर खोजने देना चाहिए।अप्रैल से अक्टूबर 2022 तक एफडीआई प्रवाह बढ़कर 22.7 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 21.3 अरब डॉलर था।उन्होंने आगे कहा कि बाहरी मांग में कमी का भारत के व्यापारिक निर्यात पर असर पड़ रहा है। दास ने बताया, हमारे विदेशी मुद्रा भंडार का आकार ठीक ठाक है और बढ़ा है। 2 दिसंबर को यह 561.2 अरब डॉलर था।
आरबीआई की एमपीसी बैठक सोमवार से, रेपो दर में 0.35 फीसदी इजाफा संभव
नई दिल्ली (New Delhi), 04 दिसंबर . खुदरा महंगाई दर में नरमी के संकेत और ग्रोथ बढ़ाने की जरूरत के बीच रिजर्व बैंक (Bank) ऑफ इंडिया (आरबीआई (Reserve Bank of India) ) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक सोमवार (Monday) से शुरू होगी. आरबीआई (Reserve Bank of India) गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में होने वाली इस द्विमासिक समीक्षा बैठक में नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में 0.35 फीसदी इजाफा होने की संभावना है.
बैंकिंग क्षेत्र के एक्सपर्ट्स ने रविवार (Sunday) को कहा कि रिजर्व बैंक (Bank) नीतिगत ब्याज दर में लगातार तीन बार 0.50 फीसदी की वृद्धि के बाद अब रेपो रेट में 0.25 से 0.35 फीसदी का इजाफा कर सकता है. एमपीसी की तीन दिवसीय द्विमासिक समीक्षा बैठक से शुरू हो रही है, जिसके नतीजों का ऐलान 7 दिसंबर को किया जायेगा.
रिजर्व बैंक (Bank) ने पिछली बैठक (30 सितंबर) में खुदरा महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए रेपो दर में 0.50 फीसदी का इजाफा किया था. आरबीआई (Reserve Bank of India) इससे पहले मई में रेपो रेट में 0.40 फीसदी, जून में 0.50 फीसदी और अगस्त में 0.50 फीसदी और सितंबर में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है. इस तरह वित्त वर्ष 2022-23 में रिजर्व बैंक (Bank) ने रेपो रेट में अब तक 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है, जो बढ़कर 5.90 फीसदी के स्तर पर है.
जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: महंगाई से अर्थव्यवस्था की बढ़ती मुश्किलें
आपको बता दें कि बजट को तैयार करते समय कच्चे तेल की कीमत 70-75 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया गया था।
जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: महंगाई से अर्थव्यवस्था की बढ़ती मुश्किलें
Highlights रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से कच्चे तेल के दाम आसमान पर हैं। ऐसे में तेल के साथ कई और चीजों के भी दाम बढ़ रहे हैं। इस हालात में सरकार को बारीकी से आवश्यक चीजों के बढ़ते दाम पर नजर रखनी होगी।
इन दिनों रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने से वैश्विक जिंस बाजार के अस्त-व्यस्त होने से दुनिया के सभी देशों की तरह भारत में भी महंगाई बढ़ती हुई दिखाई दे रही है.
यद्यपि महंगाई की ऊंचाई अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, पाकिस्तान आदि अधिकांश देशों में भारत की तुलना में कई गुना अधिक है, फिर भी भारत में महंगाई से आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था की मुश्किलें कम करने हेतु नए रणनीतिक प्रयासों की आवश्यकता अनुभव की जा रही है.
गौरतलब है कि अब देश की विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी सरकारी तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में धीरे-धीरे वृद्धि करने की डगर पर आगे बढ़ी हैं. हाल ही में 22 मार्च को सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने जहां पेट्रोल और डीजल के दाम में 80 पैसे प्रति लीटर और घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम में 50 रु पए का इजाफा किया, वहीं 23 और 25 मार्च को पेट्रोल के दाम में फिर 80-80 पैसे की वृद्धि की गई है.
इसके पहले 21 मार्च को तेल कंपनियों ने थोक खरीदारी के लिए डीजल के दाम में एकबारगी 25 रुपए प्रति लीटर का इजाफा किया था.
ज्ञातव्य है कि विधानसभा चुनावों के कारण रिकॉर्ड 137 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बदली गई थीं. इस बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का क्रूड बास्केट 4 नवंबर 2021 के 73.47 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 24 मार्च को 121.4 डॉलर प्रति बैरल हो गया है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम भी इस बीच तेजी से बढ़ते रहे और 7 मार्च को 139 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़ गए थे. ऐसे में अगले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में बड़ी बढ़ोत्तरी से इंकार नहीं किया जा सकता है. अब तेल विपणन कंपनियां कच्चे तेल के तेज उछाल के बोझ को अधिक दिनों तक सहन नहीं कर सकती हैं.विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी
पिछले कुछ समय से देश में खाने के तेल के दाम आसमान पर पहुंचे हुए हैं. उर्वरक के दाम पहले से ही बढ़े हुए हैं. 14 मार्च को सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 6.07 फीसदी रही, जो विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी इससे पिछले महीने 6.01 फीसदी थी.
इसमें बढ़ोत्तरी मुख्य रूप से खाद्य एवं पेय, परिधान एवं फुटवियर और ईंधन एवं बिजली समूहों में तेजी की वजह से हुई है. देश में खुदरा महंगाई फरवरी में बढ़कर 8 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर रही है. यह लगातार दूसरे महीने केंद्रीय बैंक के 6 फीसदी के सहजता स्तर की ऊपरी सीमा से अधिक रही है.
इसी तरह थोक महंगाई की दर लगातार 11वें महीने दो अंकों में रही है. उद्योग विभाग द्वारा जारी नए आंकड़ों से पता चलता है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर फरवरी में 13.11 फीसदी रही, जो जनवरी में 12.96 फीसदी थी. अब पेट्रोल-डीजल और गैस की मूल्य वृद्धि से महंगाई का ग्राफ और बढ़ता हुआ दिखाई देगा और महंगाई से विभिन्न मुश्किलें निर्मित होंगी.
निस्संदेह कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से गरीब व मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढ़ेंगी तथा आर्थिक पुनरुद्धार को झटका लग सकता है. महंगाई एक छिपे हुए प्रतिगामी कर की तरह है. जब तेल और जिंस की कीमतें बढ़ती हैं तो गरीब व मध्यम वर्ग के साथ आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है.
उद्योग-कारोबार का मुनाफा कम होता है, जिसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि पर पड़ता है. चूंकि उद्योग-कारोबार कीमतों का बोझ अंतिम उपभोक्ता पर डालते हैं, अतएव इससे उपभोक्ताओं की खर्च करने वाली आय कम होती है और इसका उपभोक्ता मांग पर असर पड़ता है.
महंगाई बढ़ने के साथ ब्याज दरें बढ़ने व कर्ज महंगा विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी होने की आशंका बढ़ती है. यह बात भी महत्वपूर्ण है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से बजट घाटे में वृद्धि होगी. बजट लक्ष्य भी गड़बड़ाएंगे. वर्ष 2022-23 का केंद्रीय बजट यूक्रेन संकट के पहले तैयार हुआ है. इसमें कच्चे तेल की कीमतों का झटका शामिल नहीं है.
बजट तैयार करते समय कच्चे तेल की कीमत 70-75 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया गया था.
इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि इस समय दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में महंगाई को तेजी से बढ़ने से रोकने में कुछ अनुकूलताएं स्पष्ट दिखाई दे रही हैं. देश में अच्छी कृषि पैदावार खाद्य पदार्थो की कीमतों के नियंत्नण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. भारत के पास मार्च 2022 में करीब 622 अरब डॉलर का विशाल विदेशी मुद्रा भंडार चमकते हुए दिखाई दे रहा है.
मौजूदा संकट के बीच भारत के चालू खाते का घाटा काफी कम है.
ऐसे में बढ़ती महंगाई से आम आदमी और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक के द्वारा नई रणनीति के साथ कदम आगे बढ़ाए जाने होंगे. चूंकि कोविड-19 का महंगाई से सीधा संबंध है, अतएव पूर्ण टीकाकरण व बूस्टर खुराक पर पूरा ध्यान जरूरी है.
सरकार को बारीकी से आवश्यक चीजों के बढ़ते दाम पर नजर रखनी होगी. कालाबाजारी पर नियंत्नण करना होगा. देश को प्रतिदिन करीब 50 लाख बैरल पेट्रोलियम पदार्थो की जरूरत होती है.
चूंकि भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी आयात करता है, इस आयात का करीब साठ फीसदी हिस्सा खाड़ी देशों मुख्यत: इराक, सऊदी अरब, यूएई आदि से आता है. ऐसे में अब कच्चे तेल के देश में अधिक उत्पादन व कच्चे तेल के विकल्पों पर ध्यान देना होगा.
कच्चे तेल के वैश्विक दाम में तेजी के बीच तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में दिलचस्पी और बढ़ानी होगी. जिस तरह पिछले वर्ष 2021 में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक होने पर केंद्र सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर सीमा व उत्पाद शुल्क में और कई राज्यों ने वैट में कमी की थी, वैसे ही कदम अब फिर जरूरी दिखाई दे रहे हैं.
फिर बढ़ेगी आपकी EMI, RBI ने फिर रेपो रेट बढ़ाया
देश के आम आदमी को एक बार फिर जोर का झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रमुख ब्याज दर अर्थात रेपो रेट में 35 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर दी है। इसके साथ ही अब रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी की घोषणा की है
केंद्रीय बैंक ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। रेपो रेट बढ़ जाने की वजह से इसका असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई पर भी पड़ेगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा मौद्रिक नीति समिति की बैठक खत्म होने के बाद की है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ”स्टैंडिग डिपोजिट फैसिलिटी (SDF रेट) को 6 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF रेट) और बैंक रेट को 6.5 फीसदी एडजस्ट किया गया है। अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति दर 4 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद है
उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2023 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 6.7 प्रतिशत पर बरकरार है आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ”एफडीआई प्रवाह अप्रैल से अक्टूबर 2022 में बढ़कर 22.7 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 21.3 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि जारी था उन्होंने कहा, ”अप्रैल- अक्टूबर के दौरान भारतीय रुपए में वास्तविक रूप से 3.2% की बढ़ोतरी हुई थी। जबकि अन्य प्रमुख मुद्राओं में गिरावट आई है
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, 2 दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 561.2 बिलियन डॉलर था। हमारे विदेशी मुद्रा भंडार का आकार पहले से अधिक बढ़ा है।गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, देश में फिलहाल महंगाई चिंता का विषय है। लेकिन हम महंगाई पर अर्जुन की तरह अपनी नजर रखेंगे और इसके लिए जरूरी कार्रवाई करते रहेंगे। हमारे कदम फुर्तीले होंगे
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ”भारतीय रिजर्व बैंक के सर्वे से पता चलता है कि उपभोक्ता का विश्वास पहले से अधिक बढ़ा और सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म आउटलुक को लेकर लोग आशावादी हैं। नवंबर में भारत के लिए विनिर्माण, सेवा पीएमआई दुनिया में सबसे ज्यादा रही है।
उन्होंने कहा, मैन्युफैक्चरिंगमौद्रिक नीति समिति की बैठक 5, 6 और 7 दिसंबर को हुई थी। व्यापक आर्थिक स्थिति और इसके दृष्टिकोण के आकलन के आधार पर, MPC ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से नीति को तत्काल प्रभाव से 35 बीपीएस से 6.25% करने का फैसला किया है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 659