महिलाओं को फाइनेंसियली इंडिपेंडेंट होना क्यों जरूरी है ? जानिए 4 कारण
महिलाओं को हमेशा से कहा जाता है कि वो घर के कामों के लिए बनी है। बाहर के काम सिर्फ पति कर सकते हैं। लेकिन सवाल ये है कि जब पुरुष कर सकते है तो महिलाएं क्यों नहीं? सिर्फ मर्द ही नहीं बल्कि औरत भी घर का खर्चा संभाल सकती हैं। आज हर जगह इक्वालिटी का झंडा गाड़ा जा रहा है। तो बाहर जाके काम करने में भी होना चाहिए। हालांकि लड़कियों को काम करने दिया जाता है लेकिन शादी से पहले तक। ज्यादातर लोग शादी के महिलाओं के लिए पैसे कमाना क्यूं जरुरी है? बाद औरतों से यही उम्मीद रखते हैं कि वो घर के काम करें। लेकिन महिलाओं को भी वही करना चाहिए जिसमें उन्हें खुशी मिले। अगर वो चाहती है कामना तो वो कमाएं और यह जरूरी भी है। फाइनेंसियली इंडिपेंडेंट जरूरी है
1. परिवार को सपोर्ट कर पाएंगी
जरूरी नहीं कि हर बार फाइनेंशियल रूप से परिवार को सपोर्ट सिर्फ पति या बेटा करें। पत्नी और बेटी का भी उतना ही फर्ज होता है कि वह अपने परिवार और पति की फाइनेंसियली रूप से मदद करें। लेकिन समाज की नजर में लड़की अपने परिवार को संभाल रही है तो लड़के को निकम्मा समझा जाता है। लेकिन घर के कामों के साथ कमाने में भी दोनों का इक्वल हाथ होना चाहिए।
2. आत्म महिलाओं के लिए पैसे कमाना क्यूं जरुरी है? विश्वास जगाती है
फाइनेंशियल इंडिपेंट होने से हमारे अंदर विश्वास जागता है कि हम खुद से अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। हमें किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। शादी के बाद औरतों को छोटी चीजों के लिए अपने पति से पैसे मांगने पड़ते हैं जबकि उन्हें खुद कमा कर अपनी जरूरतों को पूरा करना चाहिए। अपने पैरों पर खड़ा होकर अपनी खुद की पहचान बनानी चाहिए।
3. खुद के शर्तों पर जीना
फाइनेंशली इंडिपेंडेंट का मतलब सिर्फ महिलाओं के लिए पैसे कमाना क्यूं जरुरी है? पैसा कमाना नहीं है बल्कि अपनी हेल्दी मोरल को बिल्ड करना। अपनी पहचान बनाकर अपनी शर्तों पर जीना और खुद के लिए खुद से निर्णय लेना बल्कि किसी पर निर्भर नहीं रहना भी है। फाइनेंशली इंडिपेंडेंट हो ना इसलिए भी जरूरी कि आपको इमोशनल सपोर्ट मिलता है।
4. रोल-मॉडल बनने के लिए
एक महिला जो आर्थिक, सामाजिक, इमोशनली रूप से परिवार की जरूरतों का समर्थन कर सकती है। तो वह अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बन जाती हैं। आप महिलाओं के लिए पैसे कमाना क्यूं जरुरी है? दूसरों को दिखाती हैं कि जेंडर बियास समाज द्वारा बनाया गया है और इसका कोई मतलब नहीं है।
पुरुषों की अपेक्षा कम सैलरी सहित इन 4 कारणों से महिलाओं की फाइनेंशियल प्लानिंग होनी चाहिए अलग
पुरुषों और महिलाओं की आय या सैलरी में अभी भी बहुत अंतर बना हुआ है। एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार 2019 में अगर पुरुष को 100 महिलाओं के लिए पैसे कमाना क्यूं जरुरी है? रुपए सैलरी मिलती है, तो महिला को 79 रुपए ही मिलते हैं। यानी करीब 21 फीसदी कम। आमतौर पर ऐसा भी देखा गया है कि विभिन्न कारणों से महिलाएं उच्च और ज्यादा वेतन वाले पदों पर कम ही पहुंच पाती हैं। कार्यस्थलों पर अभी भी संरचनात्मक बाधाएं हैं, जो महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकती हैं। इसलिए कम आय को देखते हुए महिलाओं के लिए और भी जरूरी है कि वे अच्छा निवेश पोर्टफोलियो बनाकर पैसा कमाना और जोड़ना शुरू करें।
कई बार महिलाओं के करियर का ग्राफ हमेशा बढ़ता हुआ नहीं हो पाता। इसके पीछे हमारी सामाजिक संरचना भी हो सकती है या महिलाओं की निजी इच्छा भी। अलग-अलग कारणों से कई बार आपको करियर से ब्रेक लेना पड़ सकता है। कुछ शादी के बाद नौकरी छोड़ देती हैं, कुछ प्रेग्नेंसी के दौरान या उसके बाद। इससे कॅरियर ग्रोथ और आय, दोनों प्रभावित होती हैं। आपने रिटायरमेंट के लिए पैसे इकट्ठा करने का जो लक्ष्य रखा है, वह इससे प्रभावित हो सकता है। इस अंतर को कम या खत्म करने लिए निवेश की बेहतर प्लानिंग की आवश्यकता है।
ग्लोबल फाइनेंशियल लिटरेसी एक्सीलेंस सेंटर द्वारा किया गया 2017 का एक अध्ययन बताता है कि दुनियाभर में केवल 20 फीसदी महिलाओं को ही फाइनेंशियल कंसेप्ट की समझ है। यह पुरुषों से 8 फीसदी कम है। यह अतंर विकासशील देशों में और भी बढ़ जाता है। वित्तीय साक्षरता का अर्थ है किसी व्यक्ति को बजट बनाने, पैसा बचाने, खर्च पर नियंत्रण करने, कर्ज संभालने, फाइनेंशिल मार्केट में भाग लेने, रिटायरमेंट की प्लानिंग करने और संपत्ति जोड़ने की बेहतर समझ हो। हालांकि महिलाओं के फायनेंस के प्रति जागरूक न होने के कई कारण हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पढ़कर या सेमीनार इत्यादि में शामिल होकर जानकारी बढ़ाती रहें।
सेंसस ऑफिस के सेंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के तहत किए गए सर्वे के मुताबिक भारत में 60 की उम्र के बाद पुरुष के औसतन 17 वर्ष और जीने की संभावना होती है, जबकि महिलाओं की 19 वर्ष है। महिलाओं की औसत आयु 69.6 वर्ष है, जबकि पुरुषों की करीब 66 वर्ष। चूंकि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा जीतीं हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा पैसे जोड़ना जरूरी है, जिसका एक ही तरीका है- बेहतर वित्तीय योजना बनाना।
ये मैं हूं: लड़कियां नौकरी करना जानती हैं, पैसे से पैसा कमाना नहीं, मैंने ये सीक्रेट समझा और बिना नौकरी, पूरे किए अपने खर्च
‘मैं दो बातें बहुत अच्छे से समझ गई थी। पहली अगर गलत व्यक्ति से शादी हो जाए तो जिंदगी भर गलत रिश्ते में बंधे रहते हैं। दूसरी, अगर 12वीं के बाद गलत स्ट्रीम चुन ली जाए तो जीवन भर गलत कुर्सी पर बैठे रह जाते हैं। शादी वाले मामले के लिए अभी मेरी उम्र नहीं है, लेकिन 12वीं के बाद बीकॉम चुनना मेरी अपनी सोच की उपज थी और उसके बाद एमबीए करना ‘सोने पर सुहागा’ बना। कॉमर्स स्ट्रीम ने मुझे सोच से अमीर बनाया। फाइनेंस की अपनी समझ और ‘पैसे से पैसा’ कैसे कमाया जाए इसके बारे में मैं इंस्टाग्राम पर व्युअर्स को बताने लगी और इसी के साथ कहलाने लगी इंस्टा इन्फ्लुएंसर। ये शब्द हैं चुलबुली और आत्मविश्वास से भरी लड़की निधि नागर के।
23 साल की निधि भास्कर वुमन से बातचीत में कहती हैं, ‘हम लड़कियां गधे की तरह नौकरी करना जानती हैं, लेकिन उससे कमाए पैसे को कैसे और कहां इनवेस्ट किया जाए यह नहीं मालूम होता। इनवेस्टमेंट तो दूर की बात है हम लड़कियां यह तक नहीं समझ पातीं कि अपनी सैलरी को कैसे डबल किया जाए। डबल से मेरा मतलब डबल शिफ्ट में काम करे से नहीं है। डबल से मतलब है कि आप कैसे ‘रिच मॉम’ महिलाओं के लिए पैसे कमाना क्यूं जरुरी है? बन सकती हैं। जब रिच डैड पुअर डैड हो सकता है तो रिच मॉम क्यों नहीं
‘बचपन से देखा महिलाओं के पास नहीं है फाइनेंशियल फ्रीडम’
मैंने बचपन से अपने घर में देखा कि जो भी बड़े फैसले खासकर रुपए-पैसे से जुड़े होते हैं, उनमें मां को शामिल नहीं किया जाता था। उत्तर प्रदेश में तो वैसे ही महिलाओं को फाइनेंशियल फ्रीडम की एबीसीडी तक नहीं पढ़ाई जाती। घर-परिवार, पास-पड़ोस सब जगह महिलाओं की एक ही जैसी स्थिति दिखती थी। फिर जब गाजियाबाद आए तो यहां माहौल थोड़ा और मैंने पढ़ाई लिखाई करके खुद को और अपडेट किया।
‘स्कूल में सब लड़का बोलते थे’
मिडिल क्लास फैमिली में गुड़िया की तरह मिलने वाला ट्रीटमेंट मुझे बहुत जमता नहीं था। इसलिए सब मुझे टॉम ब्वॉय कहते थे। स्कूल का एक वाकया करते हुए तो मुझे आज भी गुस्सा आ जाता है, क्योंकि वहां मेरे छोटे बालों को देखकर बच्चे लड़का-लड़का बोल-बोल कर मेरा मजाक बनाते थे। बुलिंग से परेशान होकर कॉलेज में आते-आते मैंने बाल बड़े कर लिए।
‘ट्रेडिंग से पूरे किए अपने खर्चे’
परिवार में आर्थिक तंगी की वजह से छोटी-छोटी चीजों के लिए कई बार तरसना पड़ा फिर एक दिन रिच डैड पुअर डैड पढ़ी और बीकॉम की पढ़ाई को और सीरियस तरीके से करने लगी। इस तरह मुझे पर्सनल फाइनेंस समझ आया। आज मैं पिछले तीन सालों से ट्रेडिंग कर रही हूं और इसी से मैंने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। अब एमबीए और अपने खुद के खर्चे भी पूरे किए हैं। बीच में कुछ महीनों के लिए नौकरी की लेकिन फिर घर बैठना बड़ा।
‘छुपकर लिया डीयू में दाखिला’
मुझे स्पोर्ट्स में बहुत इंटरेस्ट था। दिल्ली विश्वविद्यालय में स्पोर्ट्स ही पढ़ना चाहती थी, लेकिन घर वाले गाजियाबाद से दिल्ली आने के लिए मना कर रहे थे, लेकिन मैं भी जिद्दी थी और एक साल घर बैठने के बाद एक दिन चुपके से डीयू में दाखिला ले लिया स्पोर्टेस कोटे में ही दाखिला लिया। वहां जाकर नेट बॉल, खो खो और शूटिंग बॉल जैसे गेम्स खेल खेलकर नेशनल स्तर पर सबका नाम रोशन किया। फिर एक इंजरी हो गई और स्पोर्ट्स छूट गया।
खेल छूटने के बाद बड़ी मुश्किल से ग्रेजुएशन का फाइनल पूरा किया। अभी पहले से ठीक हूं तो 2020 में एमबीए में एडमिशन लिया।
चोट लगने के बाद कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर इंस्टाग्राम पर कंटेंट डालना शुरू कर दिया। लोगों को स्टॉक मार्केट और पर्सनल फाइनेंस के बारे में बताने लगी। ये सबकुछ मई 2021 में किया। लोगों को मेरे विडियोज पसंद आने लगे और मैंने ज्यादा कंटेंट देना शुरू कर दिया।
‘फाइनेंस क्यों जरूरी है इसके बारे में देती हूं नॉलेज’
अब लड़कियों को बताती हूं कि उनके लिए फाइनेंस को समझना क्यों जरूरी है। साथ ही उन्हें यह समझाती हूं कि मुकेश अंबानी, गौतम अडानी या एलन मस्क जैसे लोग अमीर कैसे बनते हैं। तो वहीं, महिलाओं को बताने की कोशिश करती हूं कि जब आप दिवाली या शादी सीजन पर शॉपिंग मॉल में 30% ऑफ या 40% ऑफ का बैनर देखती हैं तो उसकी तरफ हड़बड़ी में न भागें। ये एक तरह की मार्केटिंग पॉलिसी होती है जिसमें हमारे दिमाग से खेला जाता है। इसमें कोई ऑफ नहीं होता रेगुलर अमाउंट ही होता है वो बस लोगों को इमोशनल फूल बनाने के लिए ऐसी स्ट्रैटजी रची जाती हैं।
‘सेविंग के नए तरीके बताती हूं’
लड़कियां अपने पैसे को कैसे सेव कर सकती हैं ये सारी नॉलेज उन्हें देती हूं। अभी तक का जो पारंपरिक तरीका था कि घर का एक सदस्य कमाता है और उस पैसे को बैंक में सेव कर दिया जाता है। और वो पैसा एक साल, दो साल जितने साल भी बैंक में रहे सेम अमाउंट ही रहेगा, उसमें कोई इजाफा नहीं होगा। लेकिन अगर उस पैसे को कहीं इंवेस्ट किया जाता है चाहें वो जमीन खरीदने में हो या ट्रेडिंग में तो पैसे की कीमत बढ़ती है। इसलिए सेविंग के नए नियम हमें समझने होंगे। क्योंकि धीरे-धीरे पैसे की कीमत गिर रही है। मेरा काम सभी को इतना पसंद आया कि आज इंस्टाग्राम पर मेरे 18 हजार फॉलोअर्स हैं।
‘ऐसे कर सकते हैं ट्रेडिंग’
मैं हर महिला को यही कहती हूं कि उन्हें सबसे पहले फाइनेंशियल स्ट्रांग होना पड़ेगा क्योंकि जब उनके हाथ में पैसा होगा तो वे अपने हिसाब से जिंदगी जी पाएंगी। अगर वे ट्रेडिंग में आना चाहती हैं तो उसके लिए भी बहुत सारे तरीके हैं। उनके बारे में पढ़ें, जानकारी लें। अपने घर में बर्तन मांझने के विम बार से लेकर जिस भी कंपनी का प्रोडक्ट देखती हैं उनके शेयर्स के बारे में जानकारी रखें ताकि जब वे ट्रेंडिंग शुरू करें तो उनके पास अच्छी नॉलेज हो और मुनाफा कमाएं।
‘सैलरी को इस तरह करें इन्वेस्ट’
वे लड़कियां जिन्होंने अभी नौकरी करनी शुरू की है उन्हें मैं यही कहना चाहूंगी कि अपने पैसे को इनवेस्ट करना सीखें। उसके लिए एक नियम जो मैं बता रही हूं उसे भी फॉलो कर सकते हैं बाकी अपनी परिस्थिति के हिसाब से फैसला लें। सबसे पहले खुद से ये सवाल करें कि पैसा बचाना क्यों जरूरी है। आपको पैसा कितने सालों में और कहां लगाना है, उस हिसाब से डिसिजन लें। जितनी इनकम आपकी है उसका 50 फीसद महीने के खर्च में निकालने के बाद 20 फीसद सेविंग अकाउंट में डालने के बाद बचे हुए 30 प्रतिशत अमाउंट को म्युचल फंड या स्टॉक मार्केट में लगाया जा सकता है। इसके अलावा कई सरकारी योजनाएं भी हैं जिनका फायदा महिलाएं उठा सकती हैं। ऐसी कई रिसर्च हो चुकी हैं जिनमें देखा गया है कि महिलाएं इमोशनल होती हैं इसलिए उनका दिमाग ट्रेंडिंग के लिए अच्छा है।
महिलाओं के हाथों में घर चलाने की जिम्मेदारी होती है, ऐसे में उन्हें फाइनेंस के बारे में सही नॉलेज होना बहुत जरूरी है। वे जितना जल्दी इनवेस्टमेंट करना शुरू करेंगी उन्हें उतनी जल्दी उस इनवेस्टमेंट से रिटायरमेंट मिलेगी। इसलिए देर न करें अभी अपनी फाइनेंशियल फ्रीडम के लिए कदम उठाएं।
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