कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल
403. Forbidden.
You don't have permission to view this page.
Please visit our contact page, and select "I need help with my account" if you believe this is an error. Please include your IP address in the description.
कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल
403. Forbidden.
You don't have permission to view this page.कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल
Please visit our contact page, and select "I need help with my account" if you believe this is an error. Please include your IP address in the description.
Sri Lanka: चीन से मुक्त व्यापार समझौता करने की ओर क्यों बढ़ाए श्रीलंका ने कदम?
Sri Lanka: विश्लेषकों के मुताबिक 2005 के बाद से श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर उत्साहित नहीं था। उसी वर्ष महिंद राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। महिंद राजपक्षे सरकार ने 1970 के दशक की नीति को वापस लाते हुए देसी कारोबारियों को आयात से संरक्षण देने की नीति अपना ली.
श्रीलंका और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर फिर शुरू हुई बातचीत पर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भी नजर है। अब तक श्रीलंका सरकार ने देसी कारोबारियों को संरक्षण देने की नीति अपनाई थी। इस कारण मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत ठहरी हुई थी।
अब दोबारा बातचीत शुरू होने पर चीन ने खुशी जताई है। कोलंबो स्थित चीन के आर्थिक और वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने कहा है- ‘मुझे खुशी है कि पांच साल तक ठहराव के बाद श्रीलंका सरकार ने मुख्त व्यापार समझौते पर द्विपक्षीय कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। मुझे आशा है कि दोनों पक्ष यथाशीघ्र समझौते को अंतिम रूप देने में सफल रहेंगे।’
विश्लेषकों के मुताबिक 2005 के बाद से श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर उत्साहित नहीं था। उसी वर्ष महिंद राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। महिंद राजपक्षे सरकार ने 1970 के दशक की नीति को वापस लाते हुए देसी कारोबारियों को आयात से संरक्षण देने की नीति अपना ली। इसके तहत निर्यात पर कस्टम बढ़ाए गए, ताकि देसी उत्पाद लोगों को सस्ती दरों पर मिलें। आरोप है कि इस नीति के जरिए राजपक्षे ने उन व्यापारियों को लाभ पहुंचाया, जिन्हें उनका करीबी समझा जाता था।
मुक्त बाजार समर्थक विशेषज्ञों का आरोप कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल है कि इस नीति के जरिए डेढ़ दशक तक श्रीलंका सरकार ने उपभोक्ताओं के बेहतर सामग्री के चयन के अधिकार का हनन किया। इधर देश के अंदर व्यापारी भवन निर्माण सामग्रियों, जूतों और खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर अपने एकाधिकार का बेजा फायदा उठाते रहे। 2019 में सत्ता में आए राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने भी इस नीति को जारी रखा था।
मौजूदा नीति के तहत सरकार ने आयातित चीजों पर अतिरिक्त कर, एयरोपोर्ट और पोर्ट (बंदरगाह) लेवी, उप कर आदि लगा रखे हैं। इन वजहों से विदेशों से आने वाली सामग्री महंगी हो जाती है। आरोप है कि इस नीति का फायदा उठा रहे कारोबारी मुक्त व्यापार समझौते की वार्ताओं के खिलाफ तगड़ी लॉबिंग करते हैं। इसमें वे कामयाब रहते थे। लेकिन जिस समय देश गंभीर आर्थिक संकट में है, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने नीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने का फैसला किया है।
अब आशंका जताई गई है कि अगर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता हुआ, तो श्रीलंका सस्ते चीनी उत्पादों से पट जाएगा। इसका नुकसान घरेलू उद्योग को उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा श्रीलंका के लिए भुगतान संतुलन की समस्या भी खड़ी हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक श्रीलंका को मुक्त व्यापार समझौते पर राजी करने के लिए चीन दोनों देशों की अपनी मुद्राओं में कारोबार करने की पेशकश कर सकता है।
बीते सप्ताहांत कोलंबो में श्रीलंका-चाइना बिजनेस काउंसिल की बैठक हुई। ये बैठक श्रीलंकाई कारोबारियों की संस्था सिलोन चैंबर ऑफ ने आयोजित की। इसे चीन के आर्थिक एवं वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने संबोधित किया। ली ने कहा कि दशकों से दोनों देशों के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं। अब आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को आगे बढ़ाते हुए कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल इन रिश्तों को और प्रगाढ़ किया जा सकता है। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि 2021 में चीन श्रीलंका का दूसरा सबसे कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था। साथ ही वह श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा स्रोत था।
विस्तार
श्रीलंका और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर फिर शुरू हुई बातचीत पर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भी नजर है। अब तक श्रीलंका सरकार ने देसी कारोबारियों को संरक्षण देने की नीति अपनाई थी। इस कारण मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत ठहरी हुई थी।
अब दोबारा बातचीत शुरू होने पर चीन ने खुशी जताई है। कोलंबो स्थित चीन के आर्थिक और वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने कहा है- ‘मुझे खुशी है कि पांच साल तक ठहराव कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल के बाद श्रीलंका सरकार ने मुख्त व्यापार समझौते पर द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। मुझे आशा है कि दोनों पक्ष यथाशीघ्र समझौते को अंतिम रूप देने में सफल रहेंगे।’
विश्लेषकों के मुताबिक 2005 के बाद से श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर उत्साहित नहीं था। उसी वर्ष महिंद राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। महिंद राजपक्षे सरकार ने 1970 के दशक की नीति को वापस लाते हुए देसी कारोबारियों को आयात से संरक्षण देने की नीति अपना ली। इसके तहत निर्यात पर कस्टम बढ़ाए गए, ताकि देसी उत्पाद लोगों को सस्ती दरों पर मिलें। आरोप है कि इस नीति के जरिए राजपक्षे ने उन व्यापारियों को लाभ पहुंचाया, जिन्हें उनका करीबी समझा जाता था।
मुक्त बाजार समर्थक विशेषज्ञों का आरोप है कि इस नीति के जरिए डेढ़ दशक तक श्रीलंका सरकार ने उपभोक्ताओं के बेहतर सामग्री के चयन के अधिकार का हनन किया। इधर देश के अंदर व्यापारी भवन निर्माण सामग्रियों, जूतों और खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर अपने एकाधिकार का बेजा फायदा उठाते रहे। 2019 में सत्ता में आए राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने भी इस नीति को जारी रखा था।
मौजूदा नीति के तहत सरकार ने आयातित चीजों पर अतिरिक्त कर, एयरोपोर्ट और पोर्ट (बंदरगाह) लेवी, उप कर आदि लगा रखे हैं। इन वजहों से विदेशों से आने वाली सामग्री महंगी हो जाती है। आरोप है कि इस नीति का फायदा उठा रहे कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल कारोबारी मुक्त व्यापार समझौते की वार्ताओं के खिलाफ तगड़ी लॉबिंग करते हैं। इसमें वे कामयाब रहते थे। लेकिन जिस समय देश गंभीर आर्थिक संकट में है, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने नीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने का फैसला किया है।
अब आशंका जताई गई है कि अगर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता हुआ, तो श्रीलंका सस्ते चीनी उत्पादों से पट जाएगा। इसका नुकसान घरेलू उद्योग को उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा श्रीलंका के लिए भुगतान संतुलन की समस्या भी खड़ी हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक श्रीलंका को मुक्त व्यापार समझौते पर राजी करने के लिए चीन दोनों देशों की अपनी मुद्राओं में कारोबार करने की पेशकश कर सकता है।
बीते सप्ताहांत कोलंबो में श्रीलंका-चाइना बिजनेस काउंसिल की बैठक हुई। ये बैठक श्रीलंकाई कारोबारियों की संस्था सिलोन चैंबर ऑफ ने आयोजित की। इसे चीन के आर्थिक एवं वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने संबोधित किया। ली ने कहा कि दशकों से दोनों देशों के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं। अब आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को आगे बढ़ाते हुए इन रिश्तों को और प्रगाढ़ किया जा सकता है। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि 2021 में चीन श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था। साथ ही वह श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल सबसे बड़ा स्रोत था।
Sri Lanka: चीन से मुक्त व्यापार समझौता करने की ओर क्यों बढ़ाए श्रीलंका ने कदम?
Sri Lanka: विश्लेषकों के मुताबिक 2005 के बाद से श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर उत्साहित नहीं था। उसी वर्ष महिंद राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। महिंद राजपक्षे सरकार ने 1970 के दशक की नीति को वापस लाते हुए देसी कारोबारियों को आयात से संरक्षण देने की नीति अपना ली.
श्रीलंका और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर फिर शुरू हुई बातचीत पर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भी नजर है। अब तक श्रीलंका सरकार ने देसी कारोबारियों को संरक्षण देने की नीति अपनाई थी। इस कारण मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत ठहरी हुई थी।
अब दोबारा बातचीत शुरू होने पर चीन ने खुशी जताई है। कोलंबो स्थित चीन के आर्थिक और वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने कहा है- ‘मुझे खुशी है कि पांच साल तक ठहराव के बाद श्रीलंका सरकार ने मुख्त व्यापार समझौते पर द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। मुझे आशा है कि दोनों पक्ष यथाशीघ्र समझौते को अंतिम रूप देने में सफल रहेंगे।’
विश्लेषकों के मुताबिक 2005 के बाद से श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर उत्साहित नहीं था। उसी वर्ष महिंद राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। महिंद राजपक्षे सरकार ने 1970 के दशक की नीति को वापस लाते हुए देसी कारोबारियों को आयात से संरक्षण देने की नीति अपना ली। इसके तहत निर्यात पर कस्टम बढ़ाए गए, ताकि देसी उत्पाद लोगों को सस्ती दरों पर मिलें। आरोप है कि इस नीति के जरिए राजपक्षे ने उन व्यापारियों को लाभ पहुंचाया, जिन्हें उनका करीबी समझा जाता था।
मुक्त बाजार समर्थक विशेषज्ञों का आरोप है कि इस कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल नीति के जरिए डेढ़ दशक तक श्रीलंका सरकार ने उपभोक्ताओं के बेहतर सामग्री के चयन के अधिकार का हनन किया। इधर देश के अंदर व्यापारी भवन निर्माण सामग्रियों, जूतों और खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर अपने एकाधिकार का बेजा फायदा उठाते रहे। 2019 में सत्ता में आए राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने भी इस नीति को जारी रखा था।
मौजूदा नीति के तहत सरकार ने आयातित चीजों पर अतिरिक्त कर, एयरोपोर्ट और पोर्ट (बंदरगाह) लेवी, उप कर आदि लगा रखे हैं। इन वजहों से विदेशों से आने वाली सामग्री महंगी हो जाती है। आरोप है कि इस नीति का फायदा उठा रहे कारोबारी मुक्त व्यापार समझौते की वार्ताओं के खिलाफ तगड़ी लॉबिंग करते हैं। इसमें वे कामयाब रहते थे। लेकिन जिस समय देश गंभीर आर्थिक संकट में है, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने नीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने का फैसला किया है।
अब आशंका जताई गई है कि अगर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता हुआ, तो श्रीलंका सस्ते चीनी उत्पादों से पट जाएगा। इसका नुकसान घरेलू उद्योग को उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा श्रीलंका के लिए भुगतान संतुलन की समस्या भी खड़ी हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक श्रीलंका को मुक्त व्यापार समझौते पर राजी करने के लिए चीन दोनों देशों की अपनी मुद्राओं में कारोबार करने की पेशकश कर सकता है।
बीते सप्ताहांत कोलंबो में श्रीलंका-चाइना बिजनेस काउंसिल की बैठक हुई। ये बैठक श्रीलंकाई कारोबारियों की संस्था सिलोन चैंबर ऑफ ने आयोजित की। इसे चीन के आर्थिक एवं वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने संबोधित किया। ली ने कहा कि दशकों से दोनों देशों के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं। अब आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को आगे बढ़ाते हुए इन रिश्तों को और प्रगाढ़ किया जा सकता है। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि 2021 में चीन श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था। साथ ही वह श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा स्रोत था।
विस्तार
श्रीलंका और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर फिर शुरू हुई बातचीत पर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की भी नजर है। अब तक श्रीलंका सरकार ने देसी कारोबारियों को संरक्षण देने की नीति अपनाई थी। इस कारण मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत ठहरी हुई थी।
अब दोबारा बातचीत शुरू होने पर चीन ने खुशी जताई है। कोलंबो स्थित चीन के आर्थिक और वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने कहा है- ‘मुझे खुशी है कि पांच साल तक ठहराव के बाद श्रीलंका सरकार ने मुख्त व्यापार समझौते पर द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने का फैसला किया है। मुझे आशा है कि दोनों पक्ष यथाशीघ्र समझौते को अंतिम रूप देने में सफल रहेंगे।’
विश्लेषकों के मुताबिक 2005 के बाद से श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर उत्साहित नहीं था। उसी वर्ष महिंद राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। महिंद राजपक्षे सरकार ने 1970 के दशक की नीति को वापस लाते हुए देसी कारोबारियों को आयात से संरक्षण देने की नीति अपना ली। इसके तहत निर्यात पर कस्टम बढ़ाए गए, ताकि देसी उत्पाद लोगों को सस्ती दरों पर मिलें। आरोप है कि इस नीति के जरिए राजपक्षे ने उन व्यापारियों को लाभ पहुंचाया, जिन्हें उनका करीबी समझा जाता था।
मुक्त बाजार समर्थक विशेषज्ञों का आरोप है कि इस नीति के जरिए डेढ़ दशक तक श्रीलंका सरकार ने उपभोक्ताओं के बेहतर सामग्री के चयन के अधिकार का हनन किया। इधर देश के अंदर व्यापारी भवन निर्माण सामग्रियों, जूतों और खाद्य पदार्थों के उत्पादन पर अपने एकाधिकार का बेजा फायदा उठाते रहे। 2019 में सत्ता में आए राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे ने भी इस नीति को जारी रखा था।
मौजूदा नीति के तहत सरकार ने आयातित चीजों पर अतिरिक्त कर, एयरोपोर्ट और पोर्ट (बंदरगाह) लेवी, उप कर आदि लगा रखे हैं। इन वजहों से विदेशों से आने वाली सामग्री महंगी हो जाती है। आरोप है कि इस नीति का फायदा उठा रहे कारोबारी मुक्त व्यापार समझौते की वार्ताओं के खिलाफ तगड़ी लॉबिंग करते हैं। इसमें वे कामयाब रहते थे। लेकिन जिस समय देश गंभीर आर्थिक संकट में कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल है, राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सरकार ने नीति में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने का फैसला किया है।
अब आशंका जताई गई है कि अगर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता हुआ, तो श्रीलंका सस्ते चीनी उत्पादों से पट जाएगा। इसका नुकसान घरेलू उद्योग को उठाना पड़ सकता है। इसके अलावा श्रीलंका के लिए भुगतान संतुलन की समस्या भी खड़ी हो सकती है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक श्रीलंका को मुक्त व्यापार समझौते पर राजी करने के लिए चीन दोनों देशों की अपनी मुद्राओं में कारोबार करने की पेशकश कर सकता है।
बीते सप्ताहांत कोलंबो में श्रीलंका-चाइना बिजनेस काउंसिल की बैठक हुई। ये बैठक श्रीलंकाई कारोबारियों की संस्था सिलोन चैंबर ऑफ ने आयोजित की। इसे चीन के आर्थिक एवं कारण क्यों सबसे नई विदेशी मुद्रा Traders असफल वाणिज्यिक दूत ली गुआनजुम ने संबोधित किया। ली ने कहा कि दशकों से दोनों देशों के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं। अब आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को आगे बढ़ाते हुए इन रिश्तों को और प्रगाढ़ किया जा सकता है। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि 2021 में चीन श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था। साथ ही वह श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा स्रोत था।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 830