पेटीएम और LIC में हुआ करार, ऐसे करें घर बैठे मिनटों में प्रीमियम का भुगतान

यूटिलिटी डेस्क. भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के पॉलिसी धारक और डिजिटल पेमेंट सेवा प्रदान करने वाली कंपनी Paytm (पेटीएम) का इस्तेमाल करके प्रीमियम का भुगतान कर सकेंगे। इसके लिए पेटीएम ने एलआईसी के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के बाद अब पेटीएम यूजर्स कहीं से भी किसी भी समय एक मिनट से भी कम समय में प्रीमियम जमा कर सकेंगे और उन्हें लेट फीस या इंटेरेस्ट नहीं देना होगा।

IRCTC eWallet : आईआरसीटीसी ई-वॉलेट से कैसे करें ट्रेन टिकट की बुकिंग? यहां जानिए स्टेप बाय स्टेप

रामानुज सिंह

आईआरसीटीसी ई-वॉलेट (IRCTC eWallet) भी एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है जिसके जरिये आप ट्रेन टिकटों की बुकिंग आसानी से कर सकते हैं।

How to book train ticket with IRCTC eWallet? Know step by step here

IRCTC ने टिकट भुगतान के लिए कई विकल्प दिए है। इन विकल्पों में से आईआरसीटीसी ई-वॉलेट (IRCTC eWallet) भी एक सिस्टम है जिसमें एडवांस में पैसे जमा कर सकते हैं और टिकट बुकिंग के समय आसानी से भुगतान कर सकते हैं। ई-वॉलेट के रूप में भी जाना जाने वाला एक डिजिटल वॉलेट है। जो व्यक्तियों और कंपनियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन को संभव बनाता है। यह विभिन्न वेबसाइटों में विभिन्न भुगतान मोड के बारे में यूजर्स से जानकारी रखता है। आईआरसीटीसी ई-वॉलेट को ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा को आसान और परेशानी मुक्त करने के लिए लॉन्च किया गया है। बैंक में पेमेंट गेटवे का उपयोग करके, यूजर्स अब अपने बहुमूल्य समय को बचा सकते हैं और आईआरसीटीसी ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

IRCTC eWallet स्कीम: ट्रांजेक्शन फ्री और सुरक्षित, जानिए इसके लाभ

  1. अप्रूवल साइकिल को हटाकर आपका बहुमूल्य समय को बचाएगा।
  2. पेमेंट गेटवे से टिकट फी बचाने में फायदा होगा।
  3. ऑनलाइन अकाउंट को मैनेज करें और ऑनलाइन अपग्रेड करें।
  4. किसी बैंक पर निर्भरता कम होगी।
  5. क्योंकि अब आप अपने आईआरसीटीसी ई-वॉलेट से टिकट बुक कर सकते हैं।

IRCTC eWallet की विशेषताएं

  1. यूजर्स प्रमाणीकरण: इंटरनेट वैरिफिकेशन प्रोसेस में आईआरसीटीसी ई-वॉलेट यूजर्स अपने पैन या आधार के माध्यम से सत्यापित और प्रमाणित होते हैं।
  2. सुरक्षित एक्सेस: IRCTC सभी आईआरसीटीसी ई-वॉलेट बुकिंग के लिए आवश्यक ट्रांजेक्शन पासवर्ड/पिन नंबर की आपूर्ति करके आईआरसीटीसी ई-वॉलेट सुरक्षित बुकिंग प्रदान करता है।
  3. कंप्लीट हिस्ट्री : आईआरसीटीसी ई-वॉलेट लिंक जो आईआरसीटीसी ई-वॉलेट लेन-देन हिस्ट्री, आईआरसीटीसी ई-वॉलेट भुगतान इतिहास प्रदान करता है और एक अलग यूजर्स द्वारा लेन-देन पासवर्ड विकल्प प्रदान करता है।
  4. ईजी रिटर्न: टिकट रद्द होने की स्थिति में अगले दिन देय धनवापसी आपके आईआरसीटीसी ई-वॉलेट खाते में जमा हो जाती है।

IRCTC eWallet में पैसे कैसे जमा करें?

आईआरसीटीसी ई-वॉलेट में रजिस्ट्रेशन करने के बाद आप अपने वर्चुअल वॉलेट में पैसे जमा कर सकते हैं। अपने ई-वॉलेट में पैसा जमा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:-

  1. स्टेप 1: अपने आईआरसीटीसी ई-वॉलेट अकाउंट में लॉग इन करें।
  2. स्टेप 2: ई-वॉलेट खाते के अंतर्गत, 'IRCTC eWallet Deposit' पर क्लिक करें।
  3. स्टेप 3: राशि इंटर करें।
  4. स्टेप 4: कोई एक भुगतान विधि चुनें।
  5. स्टेप 5: फंड आपके आईआरसीटीसी ई-वॉलेट में जमा किए जाएंगे।

IRCTC eWallet के जरिये टिकट कैसे करें बुक?

  1. स्टेप 1: आईआरसीटीसी यूजर्स आईडी और पासवर्ड के साथ आईआरसीटीसी वेबसाइट पर लॉग इन करें।
  2. स्टेप 2: आईआरसीटीसी ई-वॉलेट के तहत 'Plan my travel' पेज पर जाएं।
  3. स्टेप 3: आईआरसीटीसी ई-वॉलेट रजिस्ट्रेशन लिंक पर क्लिक करें।
  4. स्टेप 4: पैन या आधार और अन्य डिटेल इंटर करें।
  5. स्टेप 5: उपलब्ध भुगतान विकल्पों में से किसी एक के 50 रुपए का वन टाइम रजिस्ट्रेशन फी - (सर्विस टैक्स को छोड़कर) ऑनलाइन जमा करें।
  6. स्टेप 6: आईआरसीटीसी ई-वॉलेट में न्यूनतम 100 रुपए जमा करें।

आईआरसीटीसी ई-वॉलेट टिकट बुकिंग राशि के भुगतान के लिए विकल्प दिखाता है। आईआरसीटीसी ई-वॉलेट खाते की जमा राशि की स्थिति के लिए बाईं नेविगेशन पट्टी पर 'DEPOSIT HISTORY' लिंक पर क्लिक करें। पासवर्ड प्रोफाइल इंटर करें और 'गो' पर क्लिक करें।

IRCTC eWallet की अन्य महत्वपूर्ण बातें

50 रुपए का रजिस्ट्रेशन फी + सर्विस टैक्स (नन रिफंडेबल) लेनदेन शुल्क: 10 रुपए + लेनदेन सर्विस चार्ज।
कैश बैक/रिइंबर्समेंट नहीं है।
केवल रेलवे टिकट बुक करने के लिए आईआरसीटीसी ई-वॉलेट बैलेंस का यूज किया जा सकता है।
भारतीय राष्ट्रीयता और भारतीय मोबाइल नंबर के साथ रजिस्टर्ड यूजर केवल आईआरसीटीसी ई-वॉलेट सर्विस का उपयोग कर सकते हैं।
यूजर्स के खाते में अधिकतम 10000 रुपए रख सकते हैं।

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डिजिटल वॉलेट/E-Wallet क्या है काम कैसे करता है (Digital Wallet In Hindi)

Digital Wallet Kya Hai In Hindi: डिजिटलीकरण के मामले में भारत में पिछले कुछ सालों में एक नयी क्रांति आई है, हर चीजें डिजिटल होती जा रही हैं. डिजिटल वॉलेट या ई वॉलेट भी इसी का एक उदाहरण है. पहले पेमेंट करने के लिए फिजिकल कैश की जरूरत होती है और कैश निकालने के लिए बैंक और ATM की लंबी लाइनों में खड़ा रहना पड़ता था.

लेकिन डिजिटल वॉलेट के आने से आप बिना कैश लिए खरीददारी करने निकल सकते हैं, घर बैठे अपना मोबाइल रिचार्ज कर सकते हैं, ऑनलाइन बैंकिंग की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, विभिन्न प्रकार के बिलों का भुगतान कर सकते हैं लगभग पैसों से सम्बंधित तमाम प्रकार के कार्य ऑनलाइन डिजिटल वॉलेट से कर सकते हैं. डिजिटल वॉलेट ने लोगों की कई समस्याओं का समाधान किया है.

पर क्या आप जानते हैं डिजिटल वॉलेट या E-Wallet क्या है, वॉलेट काम कैसे करता है, वॉलेट कितने प्रकार के होते हैं, वॉलेट के फायदे और नुकसान क्या हैं और आप कैसे ई वॉलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. यदि नहीं तो इस ब्लॉग को पूरा अंत तक जरुर पढ़िए. इस लेख में हमने आपको ई वॉलेट से जुडी हर एक जानकारी को बताया है.

तो चलिए बिना समय गंवाए शुरू करते हैं आज का यह लेख और जानते हैं वॉलेट क्या होता है हिंदी में.

दूसरे के अकाउंट से अपने अकाउंट में पैसा कैसे ट्रांसफर करें?

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लखनऊ. राजेश सिन्हा उम्र करीब 60 साल। बेटे का अचानक फोन आया कि, पापा पैसे की जरुरत है, तुरंत पैसे बैंक अकाउंट में डलवा दें। शाम के छह बज रहे थे, राजेश सिन्हा परेशान हो गए कि बंगलुरू में पढ़ रहे इंजीनियरिंग के छात्र संदीप को पैेसे कैसे पहुंचाएं। बैंक बंद हो गए होंगे। तब राजाजीपुरम में उनके पड़ोसी आर के अग्रवाल का बेटा अजय बाहर खड़ा था, उसने राजश सिंन्हा को परेशान देख पूछा लिया, अंकल क्या बात है। राजेश ने सारी परेशानी बता दी। इस पर वह चौंका गया और अरे अंकल आप एक बैंक से दूसरे बैंक में फंड ट्रांसफर करना नहीं जानते हैं। यह तो बड़ा आसान है। मैं आपको बताता हूं कि क्या-क्या माध्यम हैं, जिनसे एक बैंक से दूसरे बैंक में फंड ट्रांसफर मिनटों में ट्रांसफर किया जाता है।

पेमेंट के लिए ऑटो डेबिट के बदल गए हैं नियम, आज ही समझ लें, कल से नहीं होगी परेशानी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश के मुताबिक शुक्रवार यानी 1 अक्टूबर से अब लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि पर ऑटो डेबिट पेमेंट के नियम (Auto debit payment rule) में बदलाव होने जा रहा है.

पेमेंट के बारे में बदल रहे नियम (फाइल फोटो: Getty Images)

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली ,
  • 30 सितंबर 2021,
  • (अपडेटेड 30 सितंबर 2021, 5:52 PM IST)
  • 1 अक्टूबर से ऑटो डेबिट का नया नियम
  • आम जन की सुविधा के लिए पहल

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देश के मुताबिक शुक्रवार यानी 1 अक्टूबर से अब लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि पर ई-मैंडेट के तहत होने वाले ऑटो डेबिट पेमेंट के नियम (Auto debit payment rule) में बदलाव होने जा रहा है. इसके तहत ग्राहकों को पहले से मैसेज आदि भेजकर जानकारी दी जाएगी. इस बारे में नियमों को लेकर तरह-तरह के कंफ्यूजन हैं. आइए समझते हैं कि यह नियम किन पेमेंट के लिए हैं और किस तरह से लागू होंगे?

रिजर्व बैंक ग्राहकों के भुगतान की सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए तरह-तरह की व्यवस्था करता रहा है. रिजर्व वॉलेट के माध्यम से जमा कैसे करें? बैंक ने इसके लिए ही एडिशनल फैक्टर ऑफ आथेंटिकेशन (AFA) सुविधा शुरू की है. इसका मतलब है ग्राहक से किसी पेमेंट से पहले एक बार और पुख्ता कर लेना यानी पुष्ट‍ि कर लेना. यह पुख्ता जानकारी ओटीपी या किसी और माध्यम से हो सकती है. तो ई-मैंडेट के तहत अब पांच हजार से कम रकम पूर्व सूचना देकर काटी जाएगी और इससे ऊपर की रकम पर AFA सिस्टम यानी ओटीपी के द्वारा पेमेंट लागू होगा.

क्याें हुए बदलाव

रिजर्व बैंक को कई पक्षों से यह अनुरोध मिला था कि क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड के रिकरिंग ट्रांजैक्शन मर्चेंट पेमेंट पर ई-मैंडेट (e-mandate) की सुविधा दी जाए, इसके लिए एडिशनल फैक्टर ऑफ आथेंटिकेशन (AFA) हो और बाद में हर बार ऑटोमेटेड ट्रांजैक्शन से पहले एक मैसेज के द्वारा ग्राहकों से पूर्व इजाजत ली जाए. इसे रिजर्व बैंक ने स्वीकर कर लिया. हालांकि बैंकों द्वारा समुचित तैयारी न होने की वजह से यह कई बार टलता रहा. लेकिन अब रिजर्व बैंक ने और मोहलत वॉलेट के माध्यम से जमा कैसे करें? देने से इंकार किया और 1 अक्टूबर, 2021 से इसे लागू किया जाना है.

किस पर लागू होगा

रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि यह नियम सभी तरह के कार्ड पेमेंट, यानी डेबिट क्रेडिट कार्ड, वॉलेट जैसे प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रुमेंट (जैसे कि पेटीएम आदि), यूपीआई पेमेंट पर लागू होगा. तो अगर आपने क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड, वॉलेट से किसी यूटिलिटी बिल, फोन रिचार्ज, डीटीएच बिल, ओटीटी फीस आदि के लिए मैंडेट दे रखा है तो उस पर यह नियम लागू होगा.

इसके तहत नियम के मुताबिक अब किसी क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड, वॉलेट आदि से हर महीने अपने आप डेबिट होने वाली रकम के मामले में अब पैसा कटने से कम से कम 24 घंटे पहले मैसेज, ई-मेल आदि के द्वारा इसकी सूचना देनी होगी. इसके लिए बैंक या वित्तीय संस्थाएं किसी तरह का चार्ज नहीं लेंगी. इसमें कार्ड होल्डर को स्पष्ट भाषा में हां या ना चुनने का विकल्प दिया जाएगा. e-mandate के समय ही ग्राहक यह बताएगा कि उसे किस मोड में यानी एसएमएस, ई-मेल आदि से जानकारी हासिल करनी है.

यह रिकरिंग ट्रांजेक्शन के लिए है यानी हर महीने कार्ड से जाने वाली पेमेंट पर, किसी एकमुश्त होने वाले पेमेंट के लिए नहीं. यानी मान लीजिए आपने नेटफ्लिक्स के लिए सब्सक्रिप्शन दे रखा है और उसके हर महीने पेमेंट के लिए अपने क्रेडिट कार्ड की डिटेल दे रखी है. इससे आपका हर महीने का चार्ज कट जाता है. तो यह चार्ज उसी तरह से कटेगा, बस होगा यह कि आपको पहले ही एक मैसेज आ जाएगा, कि अगले महीने की फीस चुकानी है या नहीं.

इससे उन लोगों को फायदा होगा जो किसी सर्विस में अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी देकर भूल जाते हैं और बिना जरूरत के उनका पैसा कटता रहता है. वे जब यानी जिस महीने चाहेंगे इस तरह का पेमेंट रोक देंगे.

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में ही सख्ती

गौरतलब है कि इस तरह के ई-मैंडेट की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में कार्ड होल्डर को यह जानकारी दी जाती है कि हर महीने उसकी कितनी किश्त कटेगी, यह फिक्स भी हो सकती है और वैरिएबल भी. वैरिएबल ईएमआई है तो कार्ड होल्डर को यह साफ बताना होगा कि वह अध‍िकतम कितनी राशि‍ किसी महीने कटाने यानी जमा करने के लिए तैयार है. यह रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमा 5,000 रुपये के ही भीतर रहेगी. इससे ऊपर के ट्रांजैक्शन पहले की तरह एडिशनल फैक्टर ऑफ आथेंटिकेशन (AFA) के द्वारा होंगे, जिसके तहत ग्राहकों को ओटीपी आदि भेजकर पुख्ता किया जाता है.

AFA वैलिडेशन के बाद ही ई-मैंडेट रजिस्टर्ड माना जाएगा. e-mandate में किसी तरह का बदलाव फिर से AFA वैलिडेशन वॉलेट के माध्यम से जमा कैसे करें? के द्वारा ही होगी. इस मैसेज में यह कार्ड होल्डर को यह साफ जानकारी देनी होगी कि पैसा काटने वाले मर्चेंट का नाम क्या है, किस डेट को और किस समय कटेगा, किसलिए यह रकम काटी जा रही है और ई-मैंडेट का रेफरेंस नंबर क्या है? पैसा कटने के बाद फिर ग्राहक को इसका अलर्ट भेजा जाएगा, जिसमें फिर से उक्त सारी जानकारी भेजनी होगी.

ऐसे समझें पूरा मामला

इसके बार हर महीने की किस्त पर

होम लोन आदि इसके तहत नहीं आते

गौरतलब है कि इसके तहत होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन आदि के ईएमआई, म्यूचुअल फंंड के एसआईपी, बीमा प्रीमियम आदि नहीं आते. बैंकिंग एक्सपट्र्स का कहना है कि ऐसे लोन में रकम काफी ज्यादा होती है. अगर इनमें यह सुविधा दी गई तो बैंकों को ईएमआई मिलना मुश्किल हो जाएगा और लोन डिफाल्ट के केसेज बढ़ेंगे. इसलिए बैंक इनमें ईसीएस आदि का मैंडेट पहले ही ले लेते हैं और जब तक लोन पूरा वापस नहीं मिल जाता पैसा कटता रहता है.

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