बड़ौदा ई-ट्रेड 3 इन 1 खाता

बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ बाधारहित और सुरक्षित ट्रेडिंग अनुभव के लिए सिंक्रोनाइज्ड बैंक, डीमैट एवं ट्रेडिंग खाता खोले. डिजीटल खाता खोलने की प्रक्रिया 100% पेपर रहित. प्रतिस्पर्द्धी ब्रोकरेज दरें, ट्रेडिंग खाते के लिए कोई वार्षिक अनुरक्षण शुल्क (एएमसी) नहीं, पहले वर्ष डीमैट खाते हेतु एएमसी में छूट.
प्रमाणित और अनुभवी रिलेशनशिप मैनेजर विशेष तौर पर आपके लिए बनाई गई विशेषीकृत ट्रेडिंग और निवेश नीति बनाने में सहायता करेंगे.

बड़ौदा ई-ट्रेड 3 इन 1 खाता : विशेषताएं

बड़ौदा ई-ट्रेड 3 इन 1 खाता : ट्रेड का माध्यम

बड़ौदा ई-ट्रेड मोबाइल एप्लिकेशन

ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर में 4+ रेटिंग

बड़ौदा ई-ट्रेड वेबसाइट

आसान और स्मार्ट ट्रेडिंग हेतु

बड़ौदा ई-ट्रेड – प्रो डेस्कटॉप ट्रेडिंग ऐप्लीकेशन

प्रोफेशनल ट्रेडर्स हेतु त्वरित प्लेटफॉर्म

बड़ौदा ई-ट्रेड 3 इन 1 खाता : डिस्क्लेमर

प्रतिभूति बाजार में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, निवेश से पहले सभी संबंधित दस्तावेजों को ध्यानपूर्वक पढ़ें.

बॉब कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड, बैंक ऑफ़ बड़ौदा की पूर्ण स्वामित्त्व वाली अनुषंगी

सदस्य: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया एवं बीएसई लिमिटेड.

एनएसई सदस्य कोड:13045 / बीएसई क्लीयरिंग संख्या : 3258

पंजीकृत कार्यालय:

बॉब कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड,
1704, बी विंग, 17 वां तल, पारिनी क्रीसेंजो,
जी ब्लॉक, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व),
मुंबई – 400051. टेली: 022-6138 9300
Tel: 022-6138 9300

सेबी सिंगल रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र - INZ000159332 दिनांक 20 नवंबर 2017.

सेबी (रिसर्च एनालिस्ट्स) विनियमन, 2014, पंजीकरण सं.: INH000000040 03 फरवरी 2020 तक वैध

भौतिक पावर ऑफ़ अटर्नी के प्रस्तुतीकरण पर खाता खोलने की प्रक्रिया पूरी होगी. प्रमाणीकरण के लिए ओटीपी आधारित आधार ई-साइन के उपयोग पर प्रतिबंध होने के कारण, ऑनलाइन आवेदन पत्र के सभी पृष्ठों को मुद्रित कराना होगा और ग्राहक को इस पर भौतिक रूप से हस्ताक्षर करके बॉब कैप्स में जमा करना होगा. बैंक ऑफ़ बड़ौदा डीमैट खाते हेतु प्रत्यक्ष सत्यापन (आईपीवी) ट्रेडिंग खाते के लिए भी मान्य होगा. प्रथम वर्ष डीमैट खाते पर कोई वार्षिक रखरखाव प्रभार नहीं लिए जाएंगे.

बाजार अवधि सोमवार से शुक्रवार प्रातः 9:15 बजे से अपराह्न 3:30 बजे तक है.

बाजार अवधि के पश्चात (एएमओ) अगले दिन रात्रि 8 बजे से प्रात: 8 बजे तक आदेश दिए जा सकते हैं. एएमओ आदेश सुबह 9.15 बजे मार्केट में हिट होगा.

डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है. जैसे एक सेविंग अकाउंट (बचत खाता) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है, वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है.

डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है?

शेयर मार्केट में निवेश ( इन्वेस्टमेंट ) शुरू करने के लिए आपको तीन अकाउंट ( खातों ) की जरूरत होती है . ये तीन अकाउंट हैं डीमैट अकाउंट , ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक अकाउंट . हर अकाउंट का अपना एक अलग काम होता है , लेकिन ट्रांजैक्शन ( लेन – देन ) को पूरा करने के लिए तीनों एक – दूसरे पर निर्भर होते हैं . शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए ये तीन अकाउंट होने चाहिए .

डीमैट अकाउंट क्या है ?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है . जैसे एक सेविंग अकाउंट ( बचत खाता ) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है , वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है . डीमैट अकाउंट या डीमैटरियलाइज्ड अकाउंट इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में शेयरों और सिक्योरिटीज को रखने की सुविधा देता है . ये अकाउंट फिजिकल शेयरों को डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में स्टोर ( संग्रहित ) करते हैं . फिजिकल शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म ( रूप ) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया ( प्रोसेस ) को डिमैटेरियलाइजेशन कहा जाता है . जब भी ट्रेडिंग की जाती है तो इन शेयरों को डीमैट अकाउंट में क्रेडिट या डेबिट किया जाता है . डीमैट अकाउंट के प्रकार ( टाइप ) डीमैट अकाउंट खोलते समय निवेशकों को अपने प्रोफाइल के मुताबिक डीमैट अकाउंट का चुनाव सावधानी से करना चाहिए . कोई भी भारतीय मिनटों में ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकता है . निवेशक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के साथ डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . 5 पैसा https://bit.ly/3RreGqO एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है जहां आप आसानी से अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं . डीमैट अकाउंट चार तरह के होते हैं .

1)- रेगुलर डीमैट अकाउंट एक रेगुलर डीमैट अकाउंट भारतीय निवासी निवेशकों के लिए होता है जो केवल शेयर खरीदना और बेचना चाहते हैं और सिक्योरिटीज को जमा ( डिपॉजिट ) करना चाहते हैं . जब आप शेयर बेचते हैं तो शेयर अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं . इसी तरह जब आप शेयर खरीदेंगे तो वह आपके अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे . यदि आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर रहे हैं तो डीमैट अकाउंट की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस तरह की डील के लिए स्टोरेज की कोई जरूरत नहीं होती है .

2)- बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट यह एक नए तरह का डीमैट अकाउंट है , जिसे बाजार नियामक ( मार्केट रेगुलेटर ) सेबी (SEBI) ने पेश किया है . छोटे निवेशकों को ध्यान में रखते हुए यह अकाउंट शुरू किया गया है . 50,000 रुपये से कम के स्टॉक और बॉन्ड रखने के लिए कोई मेंटेनेंस चार्ज ( रखरखाव शुल्क ) नहीं देना होगा . 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक की सिक्योरिटी रखने पर सिर्फ 100 रुपये का चार्ज लगेगा .

3)- प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat Account) प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट NRI ( अनिवासी भारतीयों ) के लिए है . इसके जरिए वे भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और विदेश में भी पैसा भेज सकते हैं . हालांकि फंड ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट को NRI (Non-Resident External) अकाउंट से जोड़ना होगा .

4)- गैर प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Non-repatriable Demat Account) अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए एक गैर – प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट भी मौजूद है . हालांकि इस अकाउंट के जरिए विदेश में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता .

डीमैट अकाउंट के फायदे

डीमैट अकाउंट बिना किसी परेशानी के शेयरों को तेजी से ट्रांसफर करने की सुविधा देता है . शेयर या सिक्योरिटीज सर्टिफिकेट एक डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म से रखे जाते हैं . ऐसे में उनकी चोरी , जालसाजी और नुकसान होने की संभावना बहुत कम होती है . ट्रेडिंग एक्टिविटीज को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है . डीमैट अकाउंट को कभी भी और कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है . बोनस स्टॉक , राइट्स इश्यू , स्प्लिट शेयर अपने आप अकाउंट में जमा हो जाते हैं .

डीमैट अकाउंट कैसे खोलें

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खोलना अनिवार्य है . आप किसी वित्तीय संस्थान या ब्रोकर के जरिए डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . सबसे पहले आपको इसके लिए एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) को चुनना होगा . यह एक वित्तीय संस्थान , अधिकृत बैंक या ब्रोकर हो सकता है . आप उनके साथ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . DP को ब्रोकरेज चार्ज , सालाना चार्ज और लीवरेज के आधार पर चुना जाना चाहिए . DP का चयन करने के बाद आपको अकाउंट खोलने का फॉर्म , KYC फॉर्म भरना होगा और उसे जमा करना होगा . इसके साथ आपको कुछ दस्तावेज भी देने होंगे . इनमें पैन कार्ड , रेजिडेंस प्रूफ , आईडी प्रूफ और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं .

डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है. जैसे एक सेविंग अकाउंट (बचत खाता) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है, वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है.

डीमैट अकाउंट क्या होता है? शेयरों को खरीदा और बेचा कैसे जाता है?

शेयर मार्केट में निवेश ( इन्वेस्टमेंट ) शुरू करने के लिए आपको तीन अकाउंट ( खातों ) की जरूरत होती है . ये तीन अकाउंट हैं डीमैट अकाउंट , ट्रेडिंग अकाउंट और बैंक अकाउंट . हर अकाउंट का अपना एक अलग काम छोटे ट्रेडिंग खाते के क्या हैं होता है , लेकिन ट्रांजैक्शन ( लेन – देन ) को पूरा करने के लिए तीनों एक – दूसरे पर निर्भर होते हैं . शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए ये तीन अकाउंट होने चाहिए .

डीमैट अकाउंट क्या है ?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट के समान है . जैसे एक सेविंग अकाउंट ( बचत खाता ) पैसे को चोरी होने और किसी भी गड़बड़ी से बचाता है , वैसे ही एक डीमैट अकाउंट निवेशकों के लिए भी यही काम करता है . डीमैट अकाउंट या डीमैटरियलाइज्ड अकाउंट इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में शेयरों और सिक्योरिटीज को रखने की सुविधा देता है . ये अकाउंट फिजिकल शेयरों को डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म में स्टोर ( संग्रहित ) करते हैं . फिजिकल शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म ( रूप ) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया ( प्रोसेस ) को डिमैटेरियलाइजेशन कहा जाता है . जब भी ट्रेडिंग की जाती है तो इन शेयरों को डीमैट अकाउंट में क्रेडिट या डेबिट किया जाता है . डीमैट अकाउंट के प्रकार ( टाइप ) डीमैट अकाउंट खोलते समय निवेशकों को अपने प्रोफाइल के मुताबिक डीमैट अकाउंट का चुनाव सावधानी से करना चाहिए . कोई भी भारतीय मिनटों में ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोल सकता है . निवेशक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) के साथ डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . 5 पैसा https://bit.ly/3RreGqO एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है जहां आप आसानी से अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं . डीमैट अकाउंट चार तरह छोटे ट्रेडिंग खाते के क्या हैं के होते हैं .

1)- रेगुलर डीमैट अकाउंट एक रेगुलर डीमैट अकाउंट भारतीय निवासी निवेशकों के लिए होता है जो केवल शेयर खरीदना और बेचना चाहते हैं और सिक्योरिटीज को जमा ( डिपॉजिट ) करना चाहते हैं . जब आप शेयर बेचते हैं तो शेयर अकाउंट से डेबिट हो जाते हैं . इसी तरह जब आप शेयर खरीदेंगे तो वह आपके अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे . यदि आप फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर रहे हैं तो डीमैट अकाउंट की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इस तरह की डील के लिए स्टोरेज की कोई जरूरत नहीं होती है .

2)- बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट यह एक नए तरह का डीमैट अकाउंट है , जिसे बाजार नियामक ( मार्केट रेगुलेटर ) सेबी (SEBI) ने पेश किया है . छोटे निवेशकों को ध्यान में रखते हुए यह अकाउंट शुरू किया गया है . 50,000 रुपये से कम के स्टॉक और बॉन्ड रखने के लिए कोई मेंटेनेंस चार्ज ( रखरखाव शुल्क ) नहीं देना होगा . 50,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक की सिक्योरिटी रखने पर सिर्फ 100 रुपये का चार्ज लगेगा .

3)- प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat Account) प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट NRI ( अनिवासी भारतीयों ) के लिए है . इसके जरिए वे भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और विदेश में भी पैसा भेज सकते हैं . हालांकि फंड ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट को NRI (Non-Resident External) अकाउंट से जोड़ना होगा .

4)- गैर प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट (Non-repatriable Demat Account) अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए एक गैर – प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट भी मौजूद है . हालांकि इस अकाउंट के जरिए विदेश में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता .

डीमैट अकाउंट के फायदे

डीमैट अकाउंट बिना किसी परेशानी के शेयरों को तेजी से ट्रांसफर करने की सुविधा देता है . शेयर या सिक्योरिटीज सर्टिफिकेट एक डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म से रखे जाते हैं . ऐसे में उनकी चोरी , जालसाजी और नुकसान होने की संभावना बहुत कम होती है . ट्रेडिंग एक्टिविटीज को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है . डीमैट अकाउंट को कभी भी और कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है . बोनस स्टॉक , राइट्स इश्यू , स्प्लिट शेयर अपने आप अकाउंट में जमा हो जाते हैं .

डीमैट अकाउंट कैसे खोलें

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खोलना अनिवार्य है . आप किसी वित्तीय संस्थान या ब्रोकर के जरिए डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . सबसे पहले आपको इसके लिए एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) को चुनना होगा . यह एक वित्तीय संस्थान , अधिकृत बैंक या ब्रोकर हो सकता है . आप छोटे ट्रेडिंग खाते के क्या हैं उनके साथ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं . DP को ब्रोकरेज चार्ज , सालाना चार्ज और लीवरेज के आधार पर चुना जाना चाहिए . DP का चयन करने के बाद आपको अकाउंट खोलने का फॉर्म , KYC फॉर्म भरना होगा और उसे जमा करना होगा . इसके साथ आपको कुछ दस्तावेज भी देने होंगे . इनमें पैन कार्ड , रेजिडेंस प्रूफ , आईडी प्रूफ और पासपोर्ट साइज फोटो शामिल हैं .

वित्त वर्ष 2020 में रिकॉर्ड 14 करोड़ नए डीमैट खाते खुले

देश में कोरोना की दूसरी लहर से आर्थिक संकट गहराने की आशंका है लेकिन इसका असर शेयर बाजार के निवेशकों पर होता नहीं दिख रहा है। वित्त वर्ष 2021 (अप्रैल, 2020 से लेकर मार्च, 2021) में शेयर बाजार से.

वित्त वर्ष 2020 में रिकॉर्ड 14 करोड़ नए डीमैट खाते खुले

देश में कोरोना की दूसरी लहर से आर्थिक संकट गहराने की आशंका है लेकिन इसका असर शेयर बाजार के निवेशकों पर होता नहीं दिख रहा है। वित्त वर्ष 2021 (अप्रैल, 2020 से लेकर मार्च, 2021) में शेयर बाजार से जुड़ने वाले नए निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज की साझा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में 14.2 करोड़ नए डीमैट खाते खोले गए। नए डीमैट खातों की संख्या इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले करीब तीन गुना है।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संकट के चलते बैंक जमा से लेकर बॉन्ड और रियल एस्टेट में निवेश पर निवेशकों को कम रिटर्न कम मिला रहा है। वहीं, शेयर बाजार ने जोरदार रिटर्न दिया है। मार्च, 2020 से बीएसई सेंसेक्स ने निवेशकों को 68 फीसदी का रिटर्न दिया है। इसके चलते निवेशक शेयर बाजार की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। वहीं, वर्क फ्रॉम होम और छोटे शहरों में बाजार के प्रति आकर्षण बढ़ने से भी निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

नियम सरल करने का भी फायदा मिला

विशेषज्ञों का कहना है कि नियामक द्वारा डीमैट से जुड़े नियमों को सरल बनाने का भी फायदा मिला है। केवाईसी प्रक्रिया को सरल करने, मोबाइल एप के जरिये ट्रेडिंग की सुविधा और इंटरनेट का विस्तार ने नए निवेशकों को बाजार से जोड़ने का काम किया है। इससे नए डीमैट खाते खोलने वाले तेजी से बढ़े हैं।

घर में रहने का भी असर

बड़े पैमाने पर डीमैट खाता खुलने की वजह यह रही कि तमाम लोग कोरोना की वजह से घरों में बैठने को मजबूर हैं, जिससे उनको शेयर बाजार से संबंधित पढ़ाई- लिखाई करने और अपना पोर्टफोलियो मैनेज करने का समय मिला है। बाजार के जानकारों का कहना है कि मार्च में बड़ी गिरावट के बाद मई से बाजार में जो तेजी आई है, उससे रिटेल निवेशकों का पैसा बना है। इससे उनका हौसला बुलंद है।

महिला निवेशकों की भी हिस्सेदारी बढ़ी

शेयर बाजार में जुड़ने वाले नए निवेशकों में ज्यादातर मिलेनियल्स और महिलाएं हैं। शेयर ट्रेडिंग कंपनी शेयरखान के मुताबिक, 2020 के मुकाबले 2021 में 77 फीसदी अधिक महिलाएं ने डीमैट खाता खोला। वहीं, 2019 के मुकाबले 2020 में महिलाओं द्वारा ट्रेडिंग खाते खोलने में 66 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी।

10 मिनट में जानिए कमोडिटी ट्रेडिंग कर कैसे कमा सकते हैं मुनाफा

कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ेगा. इस अकाउंट के जरिये ही आप किसी सौदे की ख़रीद या बिक्री कर सकते हैं.

10 मिनट में जानिए कमोडिटी ट्रेडिंग कर कैसे कमा सकते हैं मुनाफा

ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए ये हैं जरूरी कागजात
ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए आपके पास पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना जरूरी छोटे ट्रेडिंग खाते के क्या हैं है. जब आप किसी ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कराते हैं तो यह ब्रोकर आपको एक अकाउंट की आईडी मुहैया कराता . इस आईडी के जरिये आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं . इसके लिए आपके मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा होनी जरूरी है. इस अकाउंट के जरिये ब्रोकर को निश्चित शुल्क चुकाना होता है. अगर आप खुद से सौदे नहीं करना चाहते तो आप अपने ब्रोकर को फोन के जरिये सौदे की खरीद या बिक्री कर सकते हैं.

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक कमोडिटी ट्रेडिंग में खुद सौदे करने से पहले ब्रोकर के माध्यम से सौदे करने से जोखिम घटता है. अगर खुद सौदे करना चाहते हैं तो पहले कुछ दिन मॉक ट्रेडिंग कर सकते हैं. एमसीएक्स में ज्यादातर नॉन एग्री और एनसीडीईएक्स पर एग्री कमोडिटी में कारोबार होता है. कमोडिटी मार्केट में निवेश करने से पहले ये भी जानना जरूरी है किस एक्सचेंज किन-किन कमोडिटीज का कारोबार होता है. मसलन देश के सबसे बड़े नॉन एग्री कमोडिटी एक्सचेंज में बुलियन, क्रूड, बेस मेटल्स का कारोबार होता है.

इसके अलावा कुछ एग्री कमोडिटीज जैसे मेंथा तेल, क्रूड पाम तेल (सीपीओ) की ट्रेडिंग होती है. इसी तरह एनसीडीईएक्स पर ज्यादाातर एग्री कमोडिटीज का वायदा कारोबार होता है. एनसीडीईएक्स पर ग्वार, चना, जौ, गेहूं, सोयाबीन, धनिया, कैस्टर, जीरा, हल्दी समेत अन्य कमोडिटीज का वायदा कारोबार होता है.

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कमोडिटी वायदा बाजार में जानें क्या है मार्जिन ?

हाजिर बाज़ार में किसी जिंस को खरीदते हैं तो एक साथ पूरा भुगतान करना पड़ता है लेकिन कमोडिटी वायदा बाजार में कुछ रकम देकर भी ट्रेडिंग संभव है और इस रकम को मार्जिन कहा जाता है. हर कमोडिटी को खरीदने या बेचने के लिए एक निश्चित मार्जिन पहले से तय होता है . सामान्यतया यह मार्जिन मनी 3-5 फीसदी के बीच होती है. लेकिन कभी भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति में एक्सचेंज अतिरिक्त या स्पेशल मार्जिन भी लगाते हैं.

कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग से पहले ये हैं 10 जरूरी बातें
1-कमोडिटी ट्रेडिंग करते समय आप स्टापलॉस का ध्यान जरूर रखें, इससे आपका जोखिम कम होता है. स्टॉपलॉस लगाने से उस निश्चित भाव पर सौदा खुद ही कट जाता है इससे नुकसान होने की संभावना कम रहती है.

2- वायदा बाजार में ट्रेडिंग करने में कम मार्जिन मनी देकर सौदे का विकल्प मिलता है, इसलिए ज्यादा सौदे करने से मुनाफा ज्यादा होगा इस लालच में न फंसे . मतलब यह आप कई लॉट्स में सौदे न करके अपनी आय के अनुसार की ट्रेडिंग करें

3-कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है.

4-शुरूआत में छोटे सौदे (मिनी लॉट) में कारोबार करने से मुनाफा कमाने की संभावना ज्यादा रहती है. जब आप कमोडिटी मार्केट से पूरी तरह से वाकिफ हो जाये तभी बड़े लॉट्स में कारोबार कर सकते छोटे ट्रेडिंग खाते के क्या हैं हैं.

5-बाजार के ट्रेंड (रुख) के हिसाब से चलें यानी अगर किसी खास कमोडिटी में लगातार गिरावट का रुख है तो उसी तरह के सौदे डालें.

6- कमोडिटी मार्केट्स में शेयर बाज़ार की तरह ही ग्लोबल स्तर पर जारी होने वाले आंकड़ों का बड़ा असर होता है खासतौर से अमेरिका और चीन के बाज़ारों की खबरें बाज़ार में काफी हलचल लाती हैं इसलिए इन देशों में जारी होने वाले इवेंट्स और आर्थिक आंकड़ों का ध्यान रखें.

7-लिक्विड सौदे में कारोबार करने से फायदेमंद होता है . उदाहरण के तौर पर बुलियन, कच्चा तेल और बेस मेटल्स में कारोबार करने से जोखिम कम होता है और बाज़ार से हमेशा बाहर निकलने का मौका बना रहा है.

8- शेयर बाजार में कमोडिटी मार्केट की तरह डिवीडेंड, बोनस नहीं मिलता है. इसमें सौदा बिकने के बाद ही फायदा या नुकसान होता है.

9-दुनियाभर के केन्द्रीय बैंक की पॉलिसी का भी कमोडिटी मार्केट पर खासा असर होता है खासतौर से बुलियन कारोबार, कच्चा तेल और बेस मेटल्स की कीमतों में इन केन्द्रीय की पॉलिसी का असर दिखता है. इन बैंकों में फेडरल रिजर्व बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैड का असर दिखता है.

10- हाजिर बाजार में सप्लाई-डिमांड का भी ध्यान रखें . खासकर एग्री कमोडिटी में कारोबार करते समय मंडियों में किसी फसल की आवक कैसी है और आगे उत्पादन कैसा रहेगा.

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