लेनदेन में निश्चित निवेश

Please Enter a Question First

किस प्रकार का विदेशी प्रत्यक्ष .

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ.डी.आई.) पोर्टफोलियो निवेश एन. आर. आई. जमा बाहरी वाणिज्यिक उधार

Solution : संविभाग (पोर्टफोलियो) निवेश को असुरक्षित माना जाता है। इसमें परिसंपनियों के समूह (पोर्टफोलियो) के रूप में निवेश किया जाता है, जिसमें इक्विटी सिक्युरिटीज, जैसे सामान्य शेयर और ऋण प्रतिभूतियों, जैसे बैंक नोट, बॉन्ड और डिबेंचर में ट्रांजेक्शंस (लेन-देन) को शामिल किया जाता है। संविभाग (पोर्टफोलियो) निवेश निष्क्रिय (passive) निवेश है, क्योंकि इसमें सक्रिय प्रबंधन या.बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी का नियंत्रण अपरिहार्य नहीं है। इसके बजाय, निवेश का एकमात्र उद्देश्य वित्तीय लाभ प्राप्त करना है। इसके विपरीत, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) निवेशक को एक निश्चित सीमा तक कंपनी को प्रबंधकीय रूप से नियंत्रित करने की अनुमति प्रदान करता है।

शेयरों में निवेश करना समझदारी

Makes-sense-to-invest-in-stocks

आपके मित्र ने आपको सही सलाह दी है। लेकिन इसके पहले आपको भी शेयर बाजार से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों काे ध्यान में रखना होगा। बेहतर होगा आप शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए कुछ पैसा निश्चित करके उसे प्रतिमाह लांग टर्म (3-5 वर्ष) के लिए निवेश करें। केवल उन्हीं शेयरों में निवेश करें, जो पिछले 5 वर्षों से डिविडेंड दे रहे हैं और जिनकी मार्केट वैल्यू और बुक वैल्यू आसपास है।

शेयर मार्केट में निवेश के लिए आपको किसी अधिकृत बैंक शाख्ाा अथवा सिक्युरिटी कंपनी के पास डिमैट अकाउंट खुलवाना होगा। यदि मार्केट में एक ट्रेडर की तरह लेन-देन करते हैं तो ख्ारीदने-बेचने पर होने वाला लाभ आपके लिए व्यापार का लाभ/हानि माना जाएगा। इस पर आपको लागू कर दरों से टैक्स देना होगा।

यदि टर्नओवर 10 लाख रुपये से अधिक होने की उम्मीद है तो आपको धारा 44एए के तहत सभी लेनदेन के लिए खाते रखने होंगे। यदि मार्केट में निवेश एक निवेशक की तरह करते हैं तो आपको होने वाला लाभ लांगटर्म या शार्ट टर्म का होगा, जिसकी गणना होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करती है। यदि खरीदने के 12 माह से पहले बेच दिया तो आपको शार्ट टर्म पूंजीगत लाभ होगा, अन्यथा लांग टर्म पूंजीगत लाभ होगा।

हर खरीद बिक्री पर देना होता है एसटीटी
अमित को यह ध्यान रखना होगा कि शेयर मार्केट में प्रत्येक खरीद-बेच पर सिक्युरिटी ट्रांजेक्टश्ान टैक्स (एसटीटी) लगता है। यदि एसटीटी निवेशक द्वारा दिया जाता है वह इसके बदले कोई कटौती नहीं ले सकता, लेकिन इसके बदले उसे कर में रियायत मिलती है। एसटीटी पेड शार्ट टर्म पंूजीगत लाभ पर 15 फीसदी कर लगता है और लांग टर्म पूंजीगत लाभ करमुक्त है। लांग टर्म लाभ की गणना विक्रय लागत से बेचने पर हुए खर्चों और इंडेक्स लागत को घटाकर की जाती है। इंडेक्स लागत की गण्ाना बेचने के वर्ष के इंडेक्स (जो वित्तवर्ष 2011-12 के लिए 785 है) से गुणा कर खरीदने के वर्ष के इंडेक्स से भाग की जाती है।

लांगटर्म लाभ पर एसटीटी नहीं लगता, लेकिन 20 फीसदी की दर से कर देना होता है। डीमैट खाते की सिक्युरिटी पर लाभ/हानि धारा 45(2ए) के अनुसार कैलकुलेट की जाती है।

आपके मित्र ने आपको सही सलाह दी है। लेकिन इसके पहले आपको भी शेयर बाजार से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों काे ध्यान में रखना होगा। बेहतर होगा आप शेयर मार्केट में निवेश करने लेनदेन में निश्चित निवेश के लिए कुछ पैसा निश्चित करके उसे प्रतिमाह लांग टर्म (3-5 वर्ष) के लिए निवेश करें। केवल उन्हीं शेयरों में निवेश करें, जो पिछले 5 वर्षों से डिविडेंड दे रहे हैं और जिनकी मार्केट वैल्यू और बुक वैल्यू आसपास है।

शेयर मार्केट में निवेश के लिए आपको किसी अधिकृत बैंक शाख्ाा अथवा सिक्युरिटी कंपनी के पास डिमैट अकाउंट खुलवाना होगा। यदि मार्केट में एक ट्रेडर की तरह लेन-देन करते हैं तो ख्ारीदने-बेचने पर होने वाला लाभ आपके लिए व्यापार का लाभ/हानि माना जाएगा। इस पर आपको लागू कर दरों से टैक्स देना होगा।

यदि लेनदेन में निश्चित निवेश टर्नओवर 10 लाख रुपये से अधिक होने की उम्मीद है तो आपको धारा 44एए के तहत सभी लेनदेन के लिए खाते रखने होंगे। यदि मार्केट में निवेश एक निवेशक की तरह करते हैं तो आपको होने वाला लाभ लांगटर्म या शार्ट टर्म का होगा, जिसकी गणना होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करती है। यदि खरीदने के 12 माह से पहले बेच दिया तो आपको शार्ट टर्म पूंजीगत लाभ होगा, अन्यथा लांग टर्म पूंजीगत लाभ होगा।

हर खरीद बिक्री पर देना होता है एसटीटी
अमित को यह ध्यान रखना होगा कि शेयर मार्केट में प्रत्येक खरीद-बेच पर सिक्युरिटी ट्रांजेक्टश्ान टैक्स (एसटीटी) लगता है। यदि एसटीटी निवेशक द्वारा दिया जाता है वह इसके बदले कोई कटौती नहीं ले सकता, लेकिन इसके बदले उसे कर में रियायत मिलती है। एसटीटी पेड शार्ट टर्म पंूजीगत लाभ पर 15 फीसदी कर लगता है और लांग टर्म पूंजीगत लाभ करमुक्त है। लांग टर्म लाभ की गणना विक्रय लागत से बेचने पर हुए खर्चों और इंडेक्स लागत को घटाकर की जाती है। इंडेक्स लागत की गण्ाना बेचने के वर्ष के इंडेक्स (जो वित्तवर्ष 2011-12 के लिए 785 है) से गुणा कर खरीदने के वर्ष के इंडेक्स से भाग की जाती है।


लांगटर्म लाभ पर एसटीटी नहीं लगता, लेकिन 20 फीसदी की दर से कर देना होता है। डीमैट खाते की सिक्युरिटी पर लाभ/हानि धारा 45(2ए) के अनुसार कैलकुलेट की जाती है।

दुनियाभर के देशों को निवेश के लिए आकर्ष‍ित करता भारत

आर्थ‍िक मोर्चे पर केंद्र सरकार ने पिछले सात सालों के दौरान जिस तेजी के साथ अर्थ से जुड़े प्रत्‍येक क्षेत्र में विकास किया है, वह इससे पहले कभी किसी भी सरकार में देखने को नहीं मिला है। सरकार के सामने एक तरफ जनसंख्‍या बढ़ने के साथ बेरोजगार युवाओं की संख्‍या को रोजगार देने का दबाव था तो दूसरी ओर उन तमाम योजनाओं पर भरोसा था जो भारत के वर्तमान और भविष्‍य को दुनिया की नजर में शक्‍ति सम्‍पन्‍न बनाने जा रही थीं।

वस्‍तुत: यह उन आर्थ‍िक क्षेत्र के लिए गए सही निर्णयों का ही परिणाम है कि वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड महामारी के बावजूद भारत में 81.72 अरब डालर का विदेशी निवेश (एफडीआइ) आया। अंतरराष्ट्रीय सलाहकार कंपनी डेलाय की रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश के लिए पहले से ज्यादा तैयार हैं। इसे केंद्रीय नेतृत्‍व का चमात्‍कार ही कहिए जो अमेरिका व ब्रिटिश कंपनियां सिंगापुर एवं जापान की तुलना में भारत को अपने लिए सबसे मुफीद और आकर्षक बाजार के तौर पर देख रही हैं।

देखा जाए तो केंद्र सरकार आर्थ‍िक क्षेत्र में अनेक बिन्‍दुओं पर गहराई से एक साथ कार्य करती हुई नजर आ रही है, उसे जहां गरीब की पूरी चिंता है तो वहीं उन सभी के लिए भी उसके पास कुछ ना कुछ है जो लेनदेन में निश्चित निवेश नवाचारों के माध्‍यम से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को तेज गति देने का सामर्थ्‍य रखते हैं। आज जेएएम (जनधन-आधार-मोबाइल) ट्रिनिटी भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित हुई है, जो उन्हें भविष्य में वित्तीय समावेशन प्रारूप को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाती है। यही कारण है कि वित्तीय रूप से बहिष्कृत लोगों को आगे लाकर, बचत करके और वास्तविक लाभार्थियों को सरकारी लाभ वितरित करके, नागरिकों को उनके बैंक लेनदेन पर एसएमएस अपडेट प्रदान करके जेएमएम ट्रिनिटी ने हमारी बैंकिंग प्रणाली को पूरी तरह से पारदर्शी बना दिया है।

सरकार का कोविड-19 महामारी के बीच में जनधन द्वारा लाया गया वित्तीय समावेश महत्वपूर्ण रहा, इसके कारण ही कई लोगों और छोटे व्यवसायों को जमानत-मुक्त ऋण मिल सका और जिसने कि उनके पूरे जीवन को ही बदलकर रख दिया । इसी तरह से आधार लिंकेज ने देश को बहुत अधिक चोरी से बचाया है। इस माध्यम से सरकार वास्तविक लाभार्थियों तक पैसा पहुंचाने में सक्षम हुई है। बैंक खातों की आधार सीडिंग ने हमें तत्काल केवाईसी लाभ दिया। इस समय भारत में पीएमजेडीवाई के तहत 43.23 करोड़ लाभार्थियों के खाते हैं। ये खाताधारी स्‍वयं तो सक्षम बन ही लेनदेन में निश्चित निवेश रहे हैं अन्‍यों को भी सक्षम करने के लिए प्रयासरत हैं।

यह केंद्र सरकार की सही नीतियों का ही परिणाम है जो आज दुनिया लेनदेन में निश्चित निवेश की कंपनियां 60 फीसद निवेश नवीकरणीय ऊर्जा, हेल्थ सेक्टर, वित्तीय सेवा और फाइनेंशियल टेक्नोलाजी जैसे क्षेत्रों करने आगे आ रही हैं । देश में डिफेंस, टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र भी विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) का आंकलन भी यही है, वह कह रहा है कि इस पूरे वित्‍त वर्ष में सबसे तेजी से उभरने वाली इकोनामी भारत की रहेगी। यह एक तथ्‍य है कि देश के जीडीपी में कुल 10 गुना बढ़ोतरी हुई है और महंगाई दर छह फीसदी के आसपास स्थिर हो गई है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 76 गुना की बढ़ोतरी हुई है।

वस्‍तुत: हाल ही में आई लगभग सभी अंतरराष्‍ट्रीय रिपोर्ट इस बात पर एकमत हैं कि भारत पांच लाख करोड़ डालर की इकोनामी बनने में सक्षम है और इसमें एफडीआइ की अहम भूमिका होगी। भारत की इकोनामी को लेकर अमेरिका के उद्योगपतियों में चीन, ब्राजील, वियतनाम, मेक्सिको जैसे दूसरी समकक्ष इकोनामी के मुकाबले ज्यादा प्रतिष्ठा है। अमेरिका एवं ब्रिटेन के कारोबारी भारत के संस्थानों की मजबूती व बेहद प्रशिक्षित श्रम शक्ति को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। अधिकांश कारोबारियों का कहना यही है कि वे भारत में नया निवेश करेंगे और यहां पूर्व से चल रही अपनी कंपनियों में निवेश बढ़ाएंगे।

आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 2020-21 (54.18 अरब डॉलर) के पहले 10 महीने में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 28 प्रतिशत बढ़ गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 10 महीने में एफडीआई इक्विटी के जरिए निवेश करने वाले देशों में 30.28 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ सिंगापुर सबसे अव्वल रहा। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (24.28) और यूएई (7.31%) का स्थान है। इसके साथ ही जनवरी 2021 के दौरान कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 29.09 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ जापान सबसे आगे रहा। इसके बाद सिंगापुर (25.46%) और उसके बाद यू.एस.ए. (12.06%) का स्थान है ।

आज दुनिया की कई कंपनियां भारत को वैश्‍विक मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर देख रही हैं। जापान की कंपनियां भारतीय बाजार को ध्यान में रखते हुए निवेश कर रही हैं। इनकी भावी योजना भारत को एक निर्यात हब के तौर पर इस्तेमाल करने की है। यही वह कारण भी है जोकि सरकार के कदमों से देश में एफडीआई का प्रवाह निरंतर बढ़ा है। अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के बीच भारत में 72.12 अरब डॉलर का एफडीआई आया। यह वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना (62.72 अरब डॉलर) में 15 फीसदी ज्यादा एफडीआई था। यह किसी भी वित्तीय वर्ष के पहले 10 महीने में आया सबसे अधिक एफडीआई रहा है ।

कोविड महामारी के बाद भारतीय इकोनामी के प्रदर्शन एवं इसकी मजबूती को देख कर वैश्विक समुदाय प्रभावित है। अमेरिकी कंपनियों के सीईओ में भारत के भविष्य को लेकर बहुत भरोसा दिखा रहे हैं । इसी तरह का भरोसा दुनिया के कई देशों का इन दिनों भारत को लेकर बना है, जिसके बाद कहना होगा कि जो भारत को पांच लाख करोड़ डालर की इकोनामी बनने में आठ लाख करोड़ डालर के सकल पूंजी निर्माण की जरूरत है और अगले छह से आठ वर्षों में 400 अरब डालर के एफडीआइ की आवश्यकता है, वह इस भरोसे के आधार पर भारत प्राप्‍त करने में सफल हो जाएगा।

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में आर्थि‍क नीतियों के माध्‍यम से स्‍पष्‍ट कर दिया है कि उनकी सरकार निवेश का महौल बनाने के लिए काफी कुछ कर रही है। पीएलआइ देना, बीमा समेत लेनदेन में निश्चित निवेश कई सेक्टर में एफडीआइ सीमा बढ़ाना, रेट्रो टैक्स व्यवस्था को खत्म करने जैसे फैसले इसी दिशा में है। इस वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में इन्फ्रास्ट्रक्चर में 1.4 लाख करोड़ डालर के निवेश की बात कही थी, जोकि दुनिया भर में बहुत सकारात्‍मक तरीके से ली गई है। इन्‍वेस्‍टर या निवेशक चाहते भी यही है कि भारत का जितना बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर होगा उतना ही अधिक उनके लाभ में भी बढ़ोत्‍तरी होगी, साथ ही भारतीयों के जीवनस्‍तर में भी और अधिक सुधार आएगा।

कहना होगा कि केंद्र सरकार की तरफ से उठाए जा रहे आर्थ‍िक क्षेत्र के कदम लम्‍बे समय तक भारतीय इकोनामी की विकास दर को तेज बनाए रखने में मददगार साबित होंगे। भविष्‍य का भारत निश्‍चित ही एक मजबूत भारत बनकर हम सभी के सामने आनेवाला है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की आर्थ‍िक नीतियों को श्रेय दिया जाए तो कुछ गलत नहीं होगा।

Sebi की चेतावनी, फर्जी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्कीम में किया निवेश तो डूब जाएगा पैसा

Sebi Alert: कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक बयान में कहा कि ये इकाइयां परचे छपवाकर और सोशल मीडिया के के माध्यम से हाई रिटर्न के वादे के साथ जनता को लुभा रही हैं.

सेबी ने ‘पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस देने का दावा करने वाली इकाइयों को लेकर निवेशकों को आगाह किया. (File Photo)

Sebi Alert: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस उपलब्ध कराने का दावा करने वाली इकाइयों के गलत तरीके से पैसा जुटाने को लेकर निवेशकों को सतर्क रहने को कहा है. सेबी ने एक बयान में कहा कि ये इकाइयां परचे छपवाकर और सोशल मीडिया के के माध्यम से हाई रिटर्न के वादे के साथ जनता को लुभा रही हैं. यह देखा गया है कि ऐसी योजनाओं में, इकाइयां निश्चित रिटर्न का वादा कर छोटी-छोटी राशि जुटा रही हैं.

सेबी को जानकारी मिली थी कि कुछ इकाइयां ‘पोर्टफोलियो’ मैनेजमेंट सर्विस देने का का दावा कर लोगों से पैसा जुटा रही हैं. उसके बाद यह परामर्श जारी किया गया है.

केवल रजिस्टर्ड संस्था से लें लेनदेन का सुझाव

इनमें से कुछ इकाइयों के नाम सेबी-पंजीकृत मध्यस्थों के जैसे हैं. वे उस नाम के माध्यम से जनता को गुमराह करती हैं कि उन्होंने रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन करा रखा है. इसको देखते हुए सेबी ने निवेशकों को इस तरह की इकाइयों से सावधान रहने को कहा है. साथ ही उन्हें केवल रेगुलेटर के पास रजिस्टर्ड इकाइयों के साथ ही लेन-देन का सुझाव दिया है.

फिक्स्ड रिटर्न के चक्कर में न फंसे

Sebi ने यह भी कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट समेत सेबी रजिस्टर्ड इंटरमीडियरिज निवेश पर फिक्स्ड रिटर्न का वादा नहीं कर सकते. फिक्स्ड रिटर्न का दावा करने वाली योजनाएं पोंजी योजनाएं की तरह चलती हैं. इस प्रकार की योजनाओं में पैसा सिक्योरिटीज मार्केट में नहीं लगाया जाता. सेबी ने निवेशकों से निवेश करने से पहले संबंधित इकाई की पूरी जांच-पड़ताल करने लेनदेन में निश्चित निवेश की सलाह दी है.

इसके अलावा, एक पोर्टफोलियो मैनेजर ग्राहक से 50 लाख रुपये से कम के फंड या प्रतिभूतियों को स्वीकार नहीं कर सकता है और मानदंडों के अनुसार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी गारंटीकृत या सुनिश्चित रिटर्न का वादा नहीं कर सकता है.

रेटिंग: 4.50
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 322