ऊंचे विदेशी मुद्रा भंडार से विदेशों से कर्ज की लागत कम हुई, RBI के लेख में सामने आई बात
Foreign Currency Reserve: RBI के लेख के अनुसार हाल के वर्षों में भारत के मुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण शुद्ध पूंजी प्रवाह के मुकाबले चालू खाता घाटे (सीएडी) का मामूली स्तर पर होना है.
By: पीटीआई | Updated at : 19 Apr 2022 01:38 PM (IST)
Edited By: Meenakshi
Foreign Currency Reserve: देश में विदेशी मुद्रा भंडार के उच्च स्तर पर होने से विदेशों से कर्ज की लागत के साथ-साथ और कंपनियों के लिये जोखिम प्रबंधन की लागत भी कम हुई है. भारतीय रिजर्व Forex पर जोखिम प्रबंधन बैंक (आरबीआई) के एक लेख में यह कहा गया है. आरबीआई 2019 से विदेशी मुद्रा भंडार पर जोर दे रहा है और यह तीन सितंबर, 2021 को रिकॉर्ड 642.453 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह दिसंबर, 2018 के मुकाबले दोगुना से अधिक है.
मार्च में घटा विदेशी मुद्रा भंडार
हालांकि मार्च 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार 14.272 अरब डॉलर घट गया. इसका कारण विकसित देशों में ब्याज दर बढ़ने और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण घरेलू बाजार से पूंजी निकासी है.
आरबीआई Forex पर जोखिम प्रबंधन के अधिकारियों का लेख
‘उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी मुद्रा भंडार बफर: चालक, उद्देश्य और निहितार्थ’ शीर्षक से प्रकाशित लेख में कहा गया है, "भारत के लिये विदेशी मुद्रा भंडार के उच्च स्तर को विदेशी उधारी के साथ-साथ जोखिम प्रबंधन की कम लागत के रूप में देखा जाता है." इस लेख को आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग के डी केशो राउत और दीपिका रावत ने लिखा है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और कोई जरूरी नहीं है कि उसके दृष्टिकोण के अनुरूप हों.
लेख के अनुसार हाल के वर्षों में भारत के मुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण शुद्ध पूंजी प्रवाह के मुकाबले चालू खाता घाटे (सीएडी) का मामूली स्तर पर होना है. इसके अनुसार यह मोटे तौर पर कोविड के बाद की अवधि में कुछ उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में देखी गई प्रवृत्ति के अनुरूप है. यह आंशिक तौर पर विकसित अर्थव्यवस्थाओं Forex पर जोखिम प्रबंधन में काफी सस्ती मौद्रिक नीति का नतीजा है. इसके कारण अधिक रिटर्न की तलाश में वहां से पूंजी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में आई.
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देश का चालू खाते का घाटा 2019-20 में उल्लेखनीय रूप से कम हुआ और 2020-21 में सरप्लस में रहा. दूसरी तरफ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ पूंजी खाते में इन दोनों साल सरप्लस की स्थिति रही.
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Published at : 19 Apr 2022 01:38 PM (IST) Forex पर जोखिम प्रबंधन Tags: India Rupee dollar forex foreign exchange US dollar foreign currency reserve हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति - forex hedging strategy
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति - forex hedging strategy
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति चार भागों में विकसित होती है, जिसमें विदेशी मुद्रा व्यापारी के जोखिम जोखिम, जोखिम सहिष्णुता के विश्लेषण और रणनीति की वरीयता ये घटक विदेशी मुद्रा बचाव बनाते हैं: 1. जोखिम का विश्लेषण: व्यापारी को यह पता होना चाहिए कि मौजूदा या प्रस्तावित स्थिति में वह किस
प्रकार के जोखिम (जोखिम) ले रहा है। वहां से, व्यापारी को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि इस खतरे को अनफिट करने पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और यह निर्धारित करें कि मौजूदा विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार में जोखिम उच्च या निम्न है या नहीं।
2. जोखिम सहिष्णुता निर्धारित करें: इस कदम में, व्यापारी अपने जोखिम जोखिम स्तर का उपयोग करता है,
यह निर्धारित करने के लिए कि स्थिति के जोखिम को कितना ढीला होना चाहिए। कोई भी व्यापार कभी शून्य जोखिम नहीं होगा; यह जोखिम लेने वाले जोखिम के स्तर को निर्धारित करने के लिए व्यापारी पर निर्भर है, और अधिक जोखिम को हटाने के लिए वे कितना भुगतान करने के इच्छुक हैं।
3. विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति निर्धारित करें: यदि विदेशी मुद्रा विकल्पों का उपयोग मुद्रा व्यापार के जोखिम को सुरक्षित रखने के लिए करता है, तो व्यापारी को यह निर्धारित करना होगा कि Forex पर जोखिम प्रबंधन कौन सी रणनीति सबसे अधिक लागत प्रभावी है
4. रणनीति को लागू करें और निगरानी करें: यह सुनिश्चित करके कि रणनीति उस तरह से काम करती है जिस तरह से, जोखिम कम से कम रहेगा
विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार बाजार एक जोखिम भरा है, और हेजिंग केवल एक तरीका है कि एक व्यापारी जोखिम की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है। एक व्यापारी होने का इतना पैसा और जोखिम प्रबंधन है, जो शस्त्रागार में हेजिंग जैसे अन्य टूल को अविश्वसनीय रूप से उपयोगी है। सभी खुदरा विदेशी मुद्रा दलालों उनके प्लेटफार्मों में हेजिंग की अनुमति नहीं देते हैं। ब्रोकर को पूरी तरह से अनुसंधान करना सुनिश्चित करें जो आप व्यापार से पहले शुरू करते हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि Forex पर जोखिम प्रबंधन उन्हें डॉलर में भुगतान होता है। वहीं, आयातकों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट करने के लिए बाजार से महंगा डॉलर खरीदना होता है। इस नुकसान को मुद्रा बाजार का जोखिम कहते हैं। इसे हेजिंग के जरिये कम किया जाता है।
क्या होती है हेजिंग:
हेजिंग को हम एक तरह के बीमा की तरह समझ सकते हैं, जिसमें किसी भी नकारात्मक असर को कम करने की कोशिश की जाती है। हेजिंग से जोखिम होने का खतरा कम नहीं होता। लेकिन अगर सही तरीके से हेजिंग की जाए तो किसी भी नकारात्मक परिस्थिति का असर जरूर कम हो सकता है। साधारण तौर पर आप समझ लें कि हेजिंग में आप वायदा बाजार में वह पोजिशन लेते हैं, जो हाजिर बाजार से बिल्कुल विपरीत होती है। इस तरह से आप मुद्रा बाजार में किसी भी उतार-चढ़ाव के असर को कम कर सकते हैं।
क्या तरीके हैं हेजिंग के:
मुद्रा बाजार में तीन Forex पर जोखिम प्रबंधन तरीकों से हेजिंग की जाती है। पहला तरीका है फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का। इस तरीके में कारोबारी पहले से तय की गई विनिमय दर पर पूर्व निर्धारित समयसीमा में करार करते हैं। इस तरीके में आप अपने फायदे और नुकसान दोनों पर लगाम लगा कर पहले से ही चलते हैं। दूसरा तरीका करेंसी फ्यूचर्स का है। इस तरीके में किसी भी दो खास करेंसी का तय समय और तय दर पर आपस में आदान प्रदान होता है। करेंसी ऑप्शन तीसरा तरीका है। इसे Forex पर जोखिम प्रबंधन एक तरह का बीमा कह सकते हैं जो मुद्रा बाजार के आपके पक्ष में आने से फायदा देता है और आपके विपरीत जाने में आपकी सुरक्षा भी करता है।
निर्यातक करेंसी का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेचते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी निर्यातक को एक लाख डॉलर का सामान सप्लाई करना है। मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए वह वायदा बाजार में डॉलर बेचता है। इसके उलटे अगर किसी आयातक को माल के लिए एक लाख डॉलर चुकाना है तो वह वायदा बाजार में जाकर डॉलर खरीद जोखिम को कम कर सकता है। आयातक कॉल ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की खरीद की कीमत को पहले से ही तय कर अपने जोखिम को कम करता है। इसके उलट निर्यातक पुट ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की बिक्री की कीमत को पहले से तय करके जोखिम को कम करता है।
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