कोविड इंसानों द्वारा बनाया गया वायरस - वुहान लैब में काम करने वाले वैज्ञानिक का दावा (फोटो साभार: द सन)

आपदा प्रबन्धन

आपदा के खतरे जोखिम एवं शीघ्र चपेट में आनेवाली स्थितियों के मेल से उत्पन्न होते हैं। यह कारक समय और भौगोलिक – दोनों पहलुओं से बदलते रहते हैं। जोखिम प्रबंधन के तीन घटक होते हैं। इसमें खतरे की पहचान, खतरा कम करना (ह्रास) और उत्तरवर्ती आपदा प्रबंधन शामिल है। आपदा प्रबंधन का पहला चरण है खतरों की पहचान। इस अवस्था पर प्रकृति की जानकारी तथा किसी विशिष्ट अवस्थल की विशेषताओं से संबंधित खतरे की सीमा को जानना शामिल है। साथ ही इसमें जोखिम के आंकलन से प्राप्त विशिष्ट भौतिक खतरों की प्रकृति की सूचना भी समाविष्ट है।

इसके अतिरिक्त बढ़ती आबादी के जोखिम प्रबंधन क्या है? प्रभाव क्षेत्र एवं ऐसे खतरों से जुड़े माहौल से संबंधित सूचना और डाटा भी आपदा प्रबंधन का अंग है। इसमें ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं कि निरंतर चलनेवाली परियोजनाएं कैसे तैयार की जानी हैं और कहां पर धन का निवेश किया जाना उचित होगा, जिससे दुर्दम्य आपदाओं का सामना किया जा सके। इस प्रकार जोखिम प्रबंधन तथा आपदा के लिए नियुक्त व्यावसायिक मिलकर जोखिम भरे क्षेत्रों के अनुमान से संबंधित कार्य करते हैं। ये व्यवसायी आपदा के पूर्वानुमान के आंकलन का प्रयास करते हैं और आवश्यक एहतियात बरतते हैं।

जोखिम प्रबंधन क्या है?

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ताप विद्युत

देश की जलविद्युत क्षमता का दोहन करने में प्राप्त अनुभव के बाद, एसजेवीएन ने थर्मल पावर के उत्पादन में कदम रखा। निष्पादन के लिए शुरू की गई पहली परियोजना जिले में 1320 मेगावाट क्षमता का बक्सर थर्मल पावर प्लांट है। एसजेवीएन ने 04.07.2013 को बक्सर बिजली कंपनी का अधिग्रहण किया और 17.10.2013 को इसका नाम बदलकर एसजेवीएन थर्मल प्राइवेट लिमिटेड कर दिया (एसजेवीएन लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी).

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हाइड्रो पावर

एसजेवीएन ने एकल जलविद्युत परियोजना कंपनी से प्रारंभ करके आज हिमाचल प्रदेश उत्‍तराखण्‍ड तथा पड़ोसी देशों नेपाल और भूटान में जलविद्युत परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में प्रवेश किया है।एसजेवीएन देश के सबसे बड़े 1500 मेगावाट के नाथपा झाकड़ी ज‍लविद्युत स्‍टेशन का सफलतापूर्वक प्रचालन कर रहा है तथा भूमिगत टरबाईनों के हिस्‍सों में सिल्‍ट क्षरण की समस्‍या से निपटने के जोखिम प्रबंधन क्या है? पश्‍चात वर्ष-दर-वर्ष विद्युत उत्‍पादन और रखरखाव में नए बेंचमार्क स्‍थापित कर रहा है।

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पवन विद्युत

एसजेवीएन ने महाराष्‍ट्र में इसकी पहली परियोजना की कमीशनिंग के साथ पवन विद्युत उत्‍पादन में विविधीकरण किया है। महाराष्‍ट्र के अहमदनगर जिले में खिरवीरे तथा कोंभालने गांव में 47.6 मेगावाट की खिरवीरे पवन विद्युत परियोजना स्‍थापित की गई है। सभी 56 पवन विद्युत टरबाईनों से 85.65 मिलियन यूनिट वार्षिक अक्षय ऊर्जा उत्‍पादित होगी। प्रत्‍येक पवन विद्युत टरबाईन की 850 केवी ऊर्जा उत्‍पादित करने की क्षमता है। इन पवन ऊर्जा फार्म से उत्‍पादित विद्युत को 132 केवी पारेषण लाईन

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सौर ऊर्जा

एसजेवीएन ने दिनांक 31.03.2017 को गुजरात के चारंका सौर पार्क में अपनी पहली परियोजना की कमीशनिंग के साथ सौर ऊर्जा उत्‍पादन में विविधीकरण किया है I आज की तारीख में, कुल 81.3 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली 3 सौर परियोजनाएं प्रचालन में हैं

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विद्युत पारेषण

एक विद्युत उत्‍पादन कंपनी से एसजेवीएन ने अन्‍य कंपनियों के साथ भागीदारी में क्रॉस बार्डर इंडो-नेपाल पारेषण लाईन डालने के साथ विद्युत पारेषण के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है। ट्रांसमिशन लाईन के भारतीय किनारे की ओर मुजफ्फरपुर से टीएलपी नेपाल कनेक्‍शन बिन्‍दु तक 128 कि.मी. लंबी टि्वन मूस 400 केवी की डी/सी लाईन की स्‍थापना के लिए इस उद्देश्‍य हेतु गठित क्रॉस बार्डर ट्रांसमिशन लाईन के भारतीय भाग (89 कि.मी. लंबी) के निष्‍पादन के लिए एसजेवीएन एक भागीदार तथा परामर्शक है। यह म

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परामर्श कार्य

एसजेवीएन एक सुस्थापित आईएसओः9001 एवं आईएसओः14001 सत्यापित कंपनी है I यह एक बहुविधा संगठन है और इसने जलविद्युत परियोजनाओं की प्लानिंग और निष्पादनार्थ पर्याप्त अनुभव अर्जित कर लिया है I समय बीतने के साथ जैसे-जैसे एसजेवीएन द्वारा अपनी विद्युत परियोजनाओं के निष्पादन में हासिल की गई सफलताओं की खबर फैलती गई इसे उनकी टेक्नीकल विशेषज्ञता ओर गहन अनुभव के लिए भारत और विदेशों की कई कंपनियों से अनुरोध मिलना शुरू हो गए I

वाह- SJVN जोखिम प्रबंधन प्रणाली के लिए ISO-31000-2018 को कार्यान्वित करने वाला पहला सीपीएसई बना

एप्पल न्यूज़, शिमला
नन्‍द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसजेवीएन ने बताया कि एसजेवीएन अब जोखिम प्रबंधन प्रणाली के सफल कार्यान्वयन के साथ आईएसओ-31000-2018 कंपनी है। आईएसओ 31000-2018 संगठन में किसी भी प्रकार के जोखिम प्रबंधन के लिए मार्ग-निर्देश, रुपरेखा तथा प्रक्रिया प्रदान करता है।

इस उपलब्धि को साझा करते हुए, नन्‍द लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन आईएसओ मानकों के अनुसार व्यापक ऑडिट के बाद राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद से यह विशिष्‍टता प्राप्‍त करने वाला पहला सीपीएसई जोखिम प्रबंधन क्या है? है। कंपनी की जोखिम प्रबंधन प्रणाली कारपोरेट कार्यालय के साथ-साथ परियोजनाओं में अपनी व्यावसायिक प्रक्रियाओं के साथ समुचित रूप से एकीकृत है।

नन्‍द लाल शर्मा ने अवगत कराया कि एसजेवीएन ने साइबर जोखिमों के लिए साइबर जोखिम प्रबंधन योजनाएं, वित्तीय प्रबंधन के लिए प्रतिरक्षा नीति, बाढ़, भूकंप आदि के लिए जोखिम एवं आपदा प्रबंधन योजनाएं तथा कारपोरेट कार्यालय भवन के लिए आपातकालीन तत्‍परता योजनाएं बनाई और कार्यान्वित की हैं।

इसके अलावा, सभी परियोजनाओं में जोखिम संचालन समितियां गठित की गई हैं, जो जोखिम प्रोफाइल की तिमाही समीक्षा करती हैं और उसके पश्‍चात कारपोरेट स्तर पर जोखिम प्रबंधन समिति द्वारा उनकी समीक्षा की जाती है।

एसजेवीएन में जोखिम प्रबंधन प्रणाली में सभी पहलुओं यथा रणनीतिक, परिचालन, वित्तीय, तकनीकी, व्यावसायिक वातावरण, सांविधिक, डिजाइन, विकास, परियोजनाओं का निष्पादन, संविदात्मक, अनुबंध प्रबंधन आदि सभी पहलुओं में जोखिम की पहचान, मूल्यांकन और प्राथमिकता का अभ्यास, इसके पश्‍चात अप्रत्याशित घटनाओं की संभावना और जोखिम प्रबंधन क्या है? प्रभाव को नियंत्रित करने और कम करने के लिए समय-समय पर निगरानी करना शामिल है।

एसजेवीएन, गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 9001, पर्यावरण प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 14001, व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 45001 और सूचना प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 27001 जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन प्रणालियों को कार्यान्वित करने में सदैव अग्रणी रहा है।

मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आईएसओ) राष्ट्रीय मानक निकायों का एक स्वतंत्र विश्वव्यापी फेडरेशन है जो तकनीकी और गैर-तकनीकी क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को विकसित और प्रकाशित करता है।

कोरोना वायरस को वुहान लैब में काम कर चुके वैज्ञानिक ने बताया मानव निर्मित

कोरोना वायरस को वुहान लैब में काम कर चुके वैज्ञानिक ने बताया मानव निर्मित

कोरोना वायरस की उत्पत्ति जोखिम प्रबंधन क्या है? को लेकर एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने बड़ा दावा किया है। चीन की विवादित वुहान लैब में काम कर चुके इस वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना एक 'कृत्रिम वायरस' है, जो लैब से लीक हुआ था। महामारी की शुरुआत से ही कोरोना जोखिम प्रबंधन क्या है? वायरस के लैब से लीक होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हर बार चीन ने इन दावों का खंडन किया है। आइये जानते हैं कि इस संबंध में क्या ताजा जानकारी है।

हफ ने किताब में किया कोरोना वायरस की उत्पत्ति का जिक्र

अमेरिकी वैज्ञानिक एंड्रयू हफ ने ब्रिटिश समाचार पत्र द सन को बताया कि कोरोना वायरस चीन के सरकारी रिसर्च संस्थान वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक हुआ था। 'द ट्रुथ अबाउट वुहान' नामक अपनी किताब में महामारी विशेषज्ञ हफ जोखिम प्रबंधन क्या है? ने दावा किया है कि कोरोना वायरस पर चीन को मिलने वाली अमेरिकी फंडिंग से यह महामारी फैली थी। हफ न्यूयॉर्क में संक्रामक बीमारियों पर काम करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन के पूर्व उपाध्यक्ष हैं।

अपर्याप्त जैव सुरक्षा के चलते लीक हुआ जोखिम प्रबंधन क्या है? कोरोना वायरस- हफ

हफ ने दावा किया कि चीन अपर्याप्त सुरक्षा के साथ प्रयोग कर रहा था, जिसके चलते वुहान लैब से कोरोना वायरस लीक हो गया। उन्होंने लिखा है, 'विदेशी लैब्स के पास पर्याप्त बायोसफ्टी और जोखिम प्रबंधन के लिए उचित नियंत्रण उपाय नहीं होते, जिसके चलते वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से वायरस लीक हो गया।' उन्होंने कहा कि चीन को पहले जोखिम प्रबंधन क्या है? दिन से ही पता था कि यह जेनेटिकली इंजीनियर किया गया वायरस है।

हफ ने अमेरिकी सरकार को ठहराया जिम्मेदार

अमेरिका कई सालो से चमगादड़ों में पाये जाने वाले कोरोना वायरस पर शोध के लिए चीन के साथ काम कर रहा है। इसे लेकर हफ ने कहा कि अमेरिका ने चीन को खतरनाक बायोटेक्नोलॉजी ट्रासंफर की है, जिसके लिए अमेरिकी सरकार जिम्मेदार है।

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर बना है संशय

करोड़ों लोगों को संक्रमित कर चुके और लाखों की जान ले चुके कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है। कई अमेरिकी रिपोर्ट में इसके वुहान लैब से लीक होने की आशंकाएं जताई गई हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति रहते हुए कहा था कि उन्होंने ऐसे सबूत देखे हैं, जो बताते हैं कि कोरोना वायरस चीन की लैब से लीक हुआ था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसकी जांच के लिए टीम बनाई है।

सच हो सकती है लैब लीक की आशंका- अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी सरकार की एक राष्ट्रीय लैब ने मई, 2020 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोविड-19 बीमारी करने वाले SARS-CoV-2 कोरोना वायरस के वुहान की लैब से लीक होने की बात सच हो सकती है और इस दिशा में और जांच करने की जरूरत है। इस स्टडी में SARS-CoV-2 के जेनेटिक विश्लेषण के आधार पर इसके चीन की वुहान लैब से लीक होने की आंशकाओं को मुमकिन बताया गया था।

चीन करता आया है इनकार

चीन शुरुआत से ही ऐसे आरोपों का खंडन करता आया है। हालांकि, उसके दावों पर इसलिए भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने जांच के लिए गई WHO की टीम को पर्याप्त आंकड़े मुहैया नहीं करवाए थे।

दुनियाभर में क्या है महामारी की स्थिति?

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनियाभर में अब तक कोरोना वायरस के 64.53 करोड़ मामले दर्ज हो चुके हैं और 66.41 करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। 9.90 करोड़ मामले और 10.81 लाख मौतों के साथ अमेरिका दुनिया का सर्वाधिक प्रभावित देश बना हुआ है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। भारत में 4.46 करोड़ मामले सामने आए हैं और 5.31 लाख लोगों की इसके चलते मौत हुई है।

अमेरिका का पैसा और सिक्योरिटी, चीन का लैब… ऐसे लीक हुआ कोरोना वायरस: वुहान में काम कर चुके वैज्ञानिक की किताब में खुलासा – मानव निर्मित है कोविड

चीन कोरोना वायरस उत्त्पत्ति

कोविड इंसानों द्वारा बनाया गया वायरस - वुहान लैब में काम करने वाले वैज्ञानिक का दावा (फोटो साभार: द सन)

कोरोना की उत्पत्ति को लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते रहे हैं। कई इसे जीव-जनित बताते हैं तो कई लोगों का मानना है कि यह चीन स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) से लीक हुआ था। अब इस दावे को और बल मिल रहा है। यहाँ काम कर चुके एक वैज्ञानिक ने इस संबंध में एक अहम खुलासा किया है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन स्थित ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ में काम करने वाले वैज्ञानिक एंड्रयू हफ का दावा है कि कोविड-19 एक मानव निर्मित वायरस है, जो WIV से लीक हो गया था।

Scientist who worked at Wuhan lab makes startling revelation; says COVID was man-made virus

एंड्रयू हफ ने वायरस का अध्ययन करने वाले न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था के लिए भी काम किया है। उन्होंने कहा कि कोविड को ढाई साल से पहले चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक किया गया। हफ ने इसे 9/11 के बाद की सबसे बड़ी अमेरिकी खुफिया विफलता बताया और इसके लिए अधिकारियों को दोषी ठहराया।

यह प्रयोगशाला कोविड की उत्पत्ति के बारे में बहस के केंद्र रहा है। हालाँकि, चीन के सरकारी अधिकारियों और प्रयोगशाला कर्मियों ने हमेशा इससे इनकार किया है कि वायरस लैब से लीक हुआ था। महामारी वैज्ञानिक हफ ने अपनी नई पुस्तक ‘द ट्रूथ अबाउट वुहान’ में कहा कि चीन में कोरोना वायरस अमेरिकी सरकार के वित्त पोषण का परिणाम था। उन्होंने कहा कि चीन में एक्सपेरिमेंट को LAX सुरक्षा के साथ किया गया, जिसके कारण वुहान लैब में लीक हुआ। ‘लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट सिक्योरिटी (LAX सुरक्षा)’ लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट पुलिस का एक प्रभाग है।

उन्होंने अपनी पुस्तक में कहा, “विदेशी प्रयोगशालाओं में बायो-सेफ्टी (खतरनाक रोगाणुओं से निपटने के उपाय), बायो-सिक्योरिटी (वायरस के प्रसार को रोकना) और को सुनिश्चित करने और जोखिम प्रबंधन के लिए जरूरी तैयारियाँ नहीं की गई थीं। अंततः यही चीजें WIV से वायरस लीक होने का कारण बनीं। पिछले दो वर्षों में लगातार ऐसे सबूत सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि वायरस लैब से लीक हो गया था।

हफ ‘इकोहेल्थ एलायंस’ के एक पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी समूह है। ये अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH)’ के साथ एक दशक से अधिक समय से चमगादड़ों में अलग-अलग कोरोना वायरस का अध्ययन कर रहा है और इस संस्था ने वुहान लैब से भी घनिष्ठ संबंध बनाए थे।

वैज्ञानिक हफ ने लिखा, “चीन पहले दिन से यह जानता था कि कोरोना वायरस को जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से बनाया गया था। इसका जिम्मेदार अमेरिका को ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि बायोटेक्नोलॉजी की ये तकनीक उसी ने चीन को दी थी।” बता जोखिम प्रबंधन क्या है? दें कि ‘जेनेटिक इंजिनयरिंग’ के माध्यम से किसी जीव के जीन्स में छेड़छाड़ कर के उसके स्वभाव को बदला जा सकता है।

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