Peak Margin rule| what is Sebi Peak margin for options trader| how to increase margin

स्टॉक मार्केट में trade करने के लिए, खासतौर से निफ़्टी -ऑप्शन और बैंक निफ़्टी-ऑप्शन में सेबी के नए नियम के हिसाब से अब आपको ज्यादा मार्जिन देना होगा ट्रेड करने के लिए आप उतना ही मार्जिन देना होगा जितना कि आप पहले डिलीवरी में मार्जिन देते थे.

मतलब अब आपको कोई भी मार्जिन ब्रोकर की तरफ से नहीं दिया जाएगा

चलो सबसे पहले जानते हैं

Peak margin kya hota hai

Peak margin penalty who charges broker or sebi

पीक मार्जिन वह मार्जिन होता है मार्जिन का मतलब पैसा एडवांस में दिया जाने वाला आपकी तरफ से अपने रिक्स को बचाने के लिए

शायद आपको समझ में आ गया होगा कहने का मतलब क्या है

कहने का मतलब यह है कि जैसे आप कोई निफ़्टी ऑप्शन या बैंक निफ़्टी ऑप्शन या किसी स्टॉक ऑप्शन में अपनी पोजीशन बनाते हैं खासतौर से ऑप्शन को आप सेल करते हैं

तब ऑप्शन को sell करने पर बहुत ज्यादा रिस्क होता है आपके loss करने का जोखिम बहुत जायदा बढ़ जाता है

तब इस risk को पहले से ही कैलकुलेट करके इसका पैसा ब्रोकर के जरिए एक्सचेंज

Nse Exchange or Stock Exchange अपने पास advanced में जमा करवा लेता है

पहले कौन देता था मार्जिन का पैसा

आज से ठीक 1 साल पहले मतलब सितंबर 2020 तक आपको सेबी के नए मार्जिन नियम ब्रोकर अपनी तरफ से trade करने के लिए यह पैसा एक्सचेंज के पास रख देता था . लेकिन इसमें कंडीशन यह होती थी कि आपको अपनी पोजीशन मतलब ट्रेड 3:00 बजे तक काट देनी होती है. अगर आप अपनी पोजीशन को 3:00 बजे तक नहीं काटते हैं, तब ब्रोकर अपने आप आपकी पोजीशन को काट देता है

पोजीशन क्या loss में भी कट जाती है

जी हां ब्रोकर यह नहीं देखता है कि आप loss कर रहे हैं या profit उसको अपना पैसा वापस चाहिए मार्केट बंद होने से पहले

SEBI ने यह नियम क्यों बनाया

सितंबर 2020 के बाद से सेबी ने यह नियम बनाया, हालांकि इस पर विचार बहुत सालों से चल रहा था.

नियम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी।

ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि इसमें बहुत सारे छोटे ट्रेडर जो बहुत ही मुश्किल का 1000 या 10,000 तक रुपए लेकर आते हैं और ब्रोकर ट्रेडर को 10 गुना मार्जिन देकर ट्रेड करवाता है.

इससे होता क्या था ट्रेडर्स प्रॉफिट लगभग नहीं बना पा रहे थे. और लगातार लॉस कर रहे थे छोटे ट्रेडर

सेबी का यह नियम बनाने का सिर्फ एक मकसद है कि लोगों को इन्वेस्टिंग की तरफ आकर्षित करना और लॉस करने से बचाना फ्यूचर एंड ऑप्शन से

ब्रोकर का विरोध

इंडिया के लगभग सभी broker इस नियम का शुरू से ही विरोध कर रहे हैं ऐसा करने के पीछे उनका सिर्फ एक कारण है ट्रेडर , ट्रेड करना कम कर देंगे इस वजह से उनके ब्रोकरेज कमिशन brokerage commission से होने वाली इनकम कम हो जाएगी

How to calculate peak margin

Peak margin penalty calculation

इसका कैलकुलेशन बहुत सारे factors से पड़ता है जैसे निफ्टी का पीक मार्जिन, बैंक निफ्टी के peak margin से कम रहता है कारण बैंक निफ्टी बहुत ही ज्यादा वोलेटाइल रहता है और इसके कितनी भी ज्यादा दूरी तक भागने की संभावना रहती है इसलिए यह ज्यादा नुकसान दे सकता है

उसी तरह से अगर आप अलग-अलग Stock options को देखते हैं जो stocks nifty 50 की केटेगरी वाले होते हैं उनमें मार्जिन थोड़ा काम रहता है और दूसरे स्टॉक्स में थोड़ा ज्यादा

और भी बहुत सारे कारण होते हैं, यह ऊपर नीचे करता रहता है. peak margin

Peak Margin Penalty

यह penalty exchange के द्वारा लगाई जाती है, ट्रेडर के ऊपर इसका पैसा broker आप के अकाउंट से कट करके exchange को देता है.

कब लगता है पेनल्टी?

जब आप मार्जिन रखने के बाद ट्रेड करते हैं तब आपका मार्जिन अगर मार्केट वोलेटाइल होता है या आपकी ट्रेड लॉस में जाने लगती है तब आपका मार्जिन शार्ट करने लगता है,

इस केस में ब्रोकर आपको मैसेज और मेल के जरिए इनफॉर्म करता है कि आप इसमें फंड ऐड करें

अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तब आपको peak margin penalty देनी होगी जो कुछ कैलकुलेटेड होती है

इससे बचने के लिए आपको अपने अकाउंट में हमेशा कुछ एक्स्ट्रा पैसे डाल कर रखने चाहिए

और आपको अपनी trade position हमेशा check करती रहनी चाहिए अगर आप अपनी पोजीशन को सही तरीके से adjust करेंगे और मैनेज करेंगे तब आप इस मैं मुनाफा भी कमाएंगे और इस तरह की पेनल्टी से भी हमेशा दूर रहेंगे

How to inrease intraday margin

margin kaise bada sakte hai hum intraday trade karne ke liye

दोस्तों margin तो कम हो गया है, लेकिन कुछ Brokers बहुत ही अच्छी फैसिलिटी दे रहे हैं, आप ऐसा करके काफी हद तक इंट्राडे मार्जिन बढ़ा सकते हैं ये तरीका काफी बढ़िया और आसान भी है.

इसके लिए आपको बस यह करना होगा कि आप कुछ stocks खरीद ले और उन स्टॉक्स को खरीदने के बाद stocks pleadge कर दे

ऐसा करने से आपके स्टॉक आपके पास ही रहेंगे उनमें जो प्रॉफिट होगा वह आपका ही होगा और साथ ही साथ यहां पर आपको एक्स्ट्रा मार्जिन भी मिल जाएगा आप इस मार्जिन का इस्तेमाल करके इंट्राडे ट्रेड का सकते हैं या आप डिलीवरी भी ले सकते हैं

1 September Rules Change : आज से लागू हो रहे हैं ये नए नियम, आपकी जेब पर डालेंगे असर, तैयार रहें

देश में 1 सितंबर से कई अहम बदलाव (New Rules Changes from 1st September) हो रहे हैं, जो जानना बेहद जरूरी हैं. इस महीने बैंकिंग और स्टॉक मार्केट सहित कई दूसरे फ्रंट पर भी कुछ बदलाव हो रहे हैं, जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं.

1 September Rules Change : आज से लागू हो रहे हैं ये नए नियम, आपकी जेब पर डालेंगे असर, तैयार रहें

New Rules from September : इस महीने कई पहलुओं पर हो रहे हैं नए बदलाव.

नया महीना शुरू हो चुका है और नए महीने के साथ आते हैं कई नए बदलाव. ऐसे बदलाव भी जो सीधा आपकी जेब पर असर डालते हैं. देश में 1 सितंबर से कई अहम बदलाव (New Rules Changes from 1st September) हो रहे हैं, जो आम उपभोक्ताओं से लेकर वेतनभोगियों के लिए जानना बेहद जरूरी हैं. कारोबारियों के लिए भी जीएसटी रिटर्न (GST Return) समेत कई नियम बदल रहे हैं. इस महीने बैंकिंग और स्टॉक मार्केट सहित कई दूसरे फ्रंट पर भी कुछ बदलाव हो रहे हैं, जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव ये है कि आधार और पीएफ खाते को लिंक होना आज से अनिवार्य हो गया है. अगर आपने अब तक ईपीएफओ पोर्टल पर आधार और पीएफ अकाउंट की लिंकिंग नहीं कराई तो आप अपने पीएफ खाते से रकम नहीं निकाल पाएंगे. आपको कई अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ सकता है.

LPG सिलेंडर के बढ़ गए दाम
हर माह के अंत में तेल एवं गैस कंपनियां एलपीजी के दामों की समीक्षा करती हैं. जुलाई और अगस्त के महीनों में लगातार सेबी के नए मार्जिन नियम 25-25 रुपये की बढ़ोतरी एलपीजी सिलेंडर के दाम में हुई है. कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए उपभोक्ताओं को सितंबर में भी झटका लग चुका है. महीने के पहले दिन से एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 25 पैसे रुपये प्रति सिलिंडर का इजाफा हो चुका है.

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आधार-यूएएन लिंकिंग अनिवार्य

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कहा है कि 1 सितंबर से पीएफ की राशि उन्हीं कर्मचारियों के खाते में भेजी जाएगी, जिनका आधार नंबर और पीएफ का यूनीवर्सल अकाउंट नंबर (Universal Account Number) से लिंक हुआ होगा. ईपीएफओ ने कहा है कि यूएएन (UAN) को आधार को लिंक कराना अंशधारकों के लिए अनिवार्य है. अन्यथा पीएफ खाताधारकों को अकाउंट में पीएफ राशि हस्तांतरित होने के अलावा, एडवांस निकालने जैसी कई सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा. ऐसे में न तो कर्मचारियों और ना ही कंपनियों का पीएफ योगदान खाते में जाएगा.

PNB के ग्राहकों को कम मिलेगा ब्याज

पंजाब नेशनल बैंक ने अपने सेविंग्स अकाउंट की ब्याज दरों में कटौती करने की घोषणा की थी, जो आज से लागू हो रही थी. बैंक के पुराने और नए ग्राहकों को अब उनके सेविंग्स अकाउंट पर 2.90% ही ब्याज मिलेगा. पहले यह 3% था.

शेयर बाजार में SEBI का मार्जिन पर नया नियम आज से लागू

सेबी का 100 फीसदी मार्जिन का नियम आज से लागू हो रहा है. इस नियम के तहत स्टॉक ट्रेडर्स को कैश, फ्यूचर एंड ऑप्शन्स और इंट्राडे ट्रेडिंग पर पूरा मार्जिन देना होगा. मार्जिन घटने पर जुर्माना देना होगा.

जीएसटी आर-1

जिन कारोबारियों ने पिछले दो महीनों में जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल नहीं किया है, वे एक सितंबर से बाहर भेजी जाने वाली आपूर्ति का ब्यौरा जीएसटीआर-1 में नहीं भर पायेंगे. केंद्रीय जीएसटी नियमों के तहत नियम-59 (6), एक सितंबर 2021 से अमल में आ जायेगा.यह नियम जीएसटीआर -1 दाखिल करने में प्रतिबंध का प्रावधान करता है.

नए वाहनों के लिए बंपर टू बंपर इंश्योरेंस

देश में 1 सितंबर जो भी नया वाहन बेचा जाएगा, उस पर बंपर टू बंपर इंश्योरेंस (Bumper to Bumper Insurance) अनिवार्य होगा. मद्रास हाईकोर्ट ने इस बाबत एक आदेश पारित किया है. यह ड्राइवर, यात्री और वाहन मालिक का 5 साल का बीमा अनिवार्य होने के अतिरिक्त होगा. इससे वाहन बीमा (Vehicle Insurance) क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है.

SBI ने पैन लिंक किया अनिवार्य

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहक (SBI customers) बड़ी राशि के लेनदेन में दिक्कत आ सकती है, अगर वो अपने आधार को पैन से लिंक नहीं कराते हैं. SBI ने अपने ग्राहकों से कहा है कि हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन के लिए आधार और पैन को लिंक (Aadhaar PAN Link Last Date) कराना आवश्यक होगा. हालांकि अब इसकी समयसीमा 30 सितंबर तक स्टेट बैंक ने बढ़ा दी है.ऐसे में अगर आप 50 हजार या उससे ज्यादा राशि के लेनदेन एसबीआई खाते से करते हैं तो बिना लिंकिंग के ये संभव नहीं हो पाएगा.

चेक से बड़े लेनदेन पर रखें ये ध्यान

रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ी राशि के चेक के लेनदेन के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम (Positive Pay System) सभी बैंकों से लागू करने को कहा है. इसके तहत 50 हजार या उससे अधिक का चेक आप दे रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने बैंक को नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग या फिर बैंक शाखा जाकर देनी होगी. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो चेक रिजेक्ट (Cheque Clearance) किया जा सकता है. एसबीआई समेत कई सरकारी बैंकों ने इसके लिए न्यूनतम 50 हजार रुपये की सीमा रखी है. जबकि कई निजी बैंकों में इसके लिए न्यूनतम राशि ज्यादा है. इससे बैंक धोखाधड़ी या गैरकानूनी लेनदेन से बचा जा सकेगा. कई बैंक ये नियम पहले ही लागू कर चुके हैं. एक्सिस बैंक आज से ये नियम लागू कर रहा है.

New Margin क्या है ? जानिए सेबी के नए नियम – पूरी जानकारी

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New Margin क्या है ? यदि आप भी शेयर मार्केट में invest और trade करते हैं तो ऐसे में आपको SEBI के नए नियमों के बारे में जानना बहुत जरुरी है। ताकि आप अपने द्वारा किये हुए invest के risk को कम कर सके। तो आज हम आपको new margin के update के बारे में बताएँगे।

जिससे आपको किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। आज आप इस article में delivery, Intra-day,option & future ट्रेडिंग के साथ-साथ commodity, cash market के लिए new margin rule के बारे में जानेंगे जो एक traders के लिए बहुत ज़रूरी है। तो आईये चलिए जानते है कि – New Margin Rule क्या है ?

New Margin Rule क्या है ?

New Margin Rule, जो stock broker द्वारा अपने clients को trading कराने के लिए provide कराया जाता था, उसे क्रमसः 25%, 50%, 75%, 100% चार चरणों में ख़त्म कर दिया जायेगा। यानी अब client को trade करने के लिए उसे खुद का पैसा अपने demat account में रखना अनिवार्य होगा। अन्यथा वह stock market में trade नहीं कर पायेगा।

अब client को ट्रेड करने के लिए उसे खुद का margin अपने Demat account में रखना पड़ेगा तभी वह trade कर पायेगा। ऐसा कर पाना एक retail trader के लिए भारी चुनौती भरा काम हो सकता है। क्योंकि रिटेल ट्रेडर के लिए पर्याप्त मात्रा में fund जुटाना आसान नहीं होता।

इसे यदि हम आसान भाषा में समझे तो पहले यदि आपके पास 1000 रुपये होते थे तो आपका stock broker आपको trade कराने के लिए 20 गुना margin provide करा देते थे और आप एक 1000 रुपये होते हुए भी 20,000 हजार रुपये तक की trading कर सकते थे।

लेकिन सेबी के New Rule Margin आ जाने से अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि यदि आप trade करना चाहते हैं तो आप जितने शेयर्स में ट्रेड करेंगे तो आपके demat account में उतना fund का होना अनिवार्य है।

Margin क्या है ?

शेयर मार्केट में margin का मतलब उधार होता है। यह margin स्टॉक ब्रोकर द्वारा अपने clients को trading कराने के लिए provide कराया जाता है। ताकि traders ज्यादा संख्या में trade कर पाएं और वह brokers clients से ज्यादा revenue generate कर पाएं।

यह market से 5 गुना, 10 गुना, 20 गुना तक हो सकता है। यह broker पर निर्भर करता है कि – वह कितने गुना तक margin अपने clients को provide करा सकता है।

New Peak Margin Rule For Delivery & Intraday In Hindi

पहले जब सेबी का new peak margin rule नहीं आया था; तब आप पूर्व में ख़रीदे गए किसी भी stock holding को sell करते थे। तो sell किये हुए stocks की जितनी कीमत होती थी वह पूरा amount आपके Demat Account में show हो जाता था।

लेकिन new peak margin rule आ जाने से अब ऐसा नहीं है अब आप अपनी जो भी holding sell करेंगे उसका 80% आपके Demat account में दिखाई देगा। आप उस 80% amount को ही उसी दिन (sameday) इंट्राडे में उपयोग कर पाएंगे बाकी का 20% amount अगले दिन आपके demat accont में show होगा।

लेकिन अब Intra-day trading के लिए stock Broker द्वारा आपको 1 सितंबर से किसी भी प्रकार से मार्जिन provide (उपलब्ध) नहीं करायी जाएगी। अब आपको Intra-Day में ट्रेडिंग करने के लिए अपने Demat account में पूरा Fund रखना होगा। तभी आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर पाएंगे।

लेकिन यदि आप उसी दिन Option और Future में ट्रेड करते हैं तो आप उसी दिन sell holding का मात्र केवल 60% मार्जिन का ही use कर पायेंगे। लेकिन जो इंट्राडे में मार्जिन चार्ज लिया जाता था, वह अब applicable नहीं होंगे और Brokerage charges same रहेंगे।

derivative segment में buy करना पहले जैसा ही सेबी के नए मार्जिन नियम रहेगा लेकिन आपको short selling के लिए ज्यादा amount अपने Demat account में रखना होगा। तभी आप short selling कर पाएंगे।

अंतिम राय –

सेबी का यह New margin rule आम तौर पर बड़े ट्रेडर के लिए ठीक है किन्तु यह retail traders के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है। क्योंकि एक retail trader के लिए इतना ज्यादा fund जुटा पाना संभव नहीं होता। ऐसे में मार्केट से ज्यादातर Retail ट्रेडर्स गायब हो जायेंगे।

अतः सेबी को 100% margin rule को 33%-50% तक कर देना चाहिए ताकि एक retail trader को भी ट्रेड करने में आसानी हो।

उम्मीद है कि आप New Margin क्या है ? जान गए होंगे लेकिन फिर भी यदि आपको कोई doubts हो तो आप comment कर पूछ सकते सकते है। यदि आप भी हिंदी से प्यार करते है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

Share Market: डिफॉल्टर ब्रोकर से सतर्क! जानिए SEBI का नया नियम…

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर हुए हैं. इसलिए जब भी आप निवेश के लिए ब्रोकर का चयन करें तो सोच समझ कर ही करें. SEBI कुछ नए नियम लेकर आया है जो 2 मई से लागू होगा. जानिए आप भी नियम…

  • इंट्राडे लीवरेज पर प्रतिबंध – पहले, मार्जिन केवल दिन के अंत में सत्यापित किया जाता था. ब्रोकरों ने इसका फायदा उठाकर ग्राहकों को इंट्राडे ट्रेडों के लिए बड़े पैमाने पर लाभ उठाने की अनुमति दी, जिसे वे दिन के अंत से पहले बंद कर देंगे. सेबी ने पीक मार्जिन की अवधारणा पेश की, जिसके तहत ब्रोकरों को पूरे दिन पर्याप्त मार्जिन बनाए रखना पड़ता है.
  • शेयर गिरवी रखना – यदि कोई ग्राहक मार्जिन प्राप्त करने के लिए अपने शेयरों को गिरवी रखना चाहता है, तो उन पर ग्रहणाधिकार ग्राहक के डीमेट खाते में अंकित हो जाता है. ब्रोकरों को शेयरों को संभालने की सुविधा नहीं है, जिसका अर्थ है कि वे उनका दुरुपयोग नहीं कर सकते हैं
  • क्लाइंट्स के फंड लौटाएं – यदि किसी ग्राहक ने एक महीने में एक भी व्यापार नहीं किया है, तो ब्रोकर के पास पड़े धन को एक महीने के भीतर ग्राहक को वापस करना होगा. यहां तक कि उन लोगों के मामले में जो नियमित रूप से व्यापार करते हैं, ब्रोकर के पास पड़े अतिरिक्त धन को हर तीन महीने में एक बार वापस करना होगा.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम के तहत 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें. मतलब इसका सीधा सा अर्थ है कि “इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा.” निवेश के पहले इन बातों का रखे ध्यान –

  • ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
  • वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर चाहे तो ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
  • अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
  • कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.
  • रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम जो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. जो 2 मई से प्रभावी होगा.
  • अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.

ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों के मुताबिक ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.

SEBI का पीक मार्जिन नियम आज से लागू, जानिए आपके लिए इसमें क्या है

SEBI के मुताबिक, Peak Margin रूल को 4 चरणों में लागू किया जाना था. 1 जून से तीसरे चरण में ट्रेडर्स के लिए 75% पीक मार्जिन ब्रोकर के पास रखना जरूरी हो गया है.

  • Harsh Chauhan
  • Updated On - June 1, 2021 / 01:08 PM IST

SEBI का पीक मार्जिन नियम आज से लागू, जानिए आपके लिए इसमें क्या है

आज से यानी 1 जून 2021 से ट्रेडर्स को ब्रोकर्स के पास 75% पीक मार्जिन (Peak Margin) रखना जरूरी कर दिया गया है. इसका मतलब है कि इक्विटी कैश और F&O इंट्राडे के लिए इंट्राडे लीवरेज अब से 1.33 गुना होगा.

निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने जुलाई 2020 में पीक मार्जिन (Peak Margin) रूल नोटिफाई किए थे.

पीक मार्जिन (Peak Margin) के पीछे तर्क ये था कि ट्रेडिंग, इनवेस्टमेंट, ब्रोकर्स फंडिंग या लीवरेज पोजिशंस या इंट्राडे पोजिशंस लेने में कुछ अनुशासन कायम रखा जाए.

SEBI के नोटिफिकेशन के मुताबिक, पीक मार्जिन (Peak Margin) रूल को चार चरणों में लागू किया जाना था.

दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच ट्रेडर्स को कम से कम 25% पीक (अधिकतम) मार्जिन कायम रखना था. दूसरे चरण में मार्च 2021 से मई 2021 के बीच इस मार्जिन को बढ़ाकर 50% कर दिया गया था.

1 जून से लागू होने वाले तीसरे चरण में ट्रेडर्स के लिए 75 फीसदी पीक मार्जिन (Peak Margin) को ब्रोकर के पास रखना जरूरी कर दिया गया है.

आखिरी और चौथे चरण में यानी सितंबर 2021 तक क्लाइंट्स का दिन में ब्रोकर्स के पास 100 फीसदी पीक मार्जिन होना जरूरी होगा.

क्या होता है पीक मार्जिन?

पहले ब्रोकर्स के रिपोर्ट किए गए मार्जिन कस्टमर के उस ट्रेडिंग दिन में किए गए कैरी-फॉरवर्ड ट्रेड के केवल दिन के अंत में होते थे.

इस वजह से ब्रोकर्स इंट्राडे (MIS), कवर ऑर्डर (CO) और ब्रैकेट ऑर्डर (BO) में ज्यादा लीवरेज मुहैया करा पाते थे.

कस्टमर्स इक्विटीज के लिए VAR (वैल्यू ऐट रिस्क) + ELM (एक्सट्रीम लॉस मार्जिन) और F&O के लिए SPAN + एक्सपोजर की तय सीमा से कम मार्जिन पर ट्रेड कर पाते थे.

लीवरेज की वजह से ब्रोकर्स के लिए जोखिम बढ़ता है और ऐसे भी मामले हुए हैं जबकि कस्टमर्स दिन के अंत में मार्जन मुहैया करा पाने में सफल नहीं रहे.

इसका आपके लिए क्या मतलब है?

पीक मार्जिन (Peak Margin) से इंडीविजुअल लेवल और मोटे तौर पर मार्केट लेवल पर रिस्क बढ़ जाता है.

मिसाल के तौर पर, अगर किसी ट्रेडर को पता है कि उसकी ट्रेड की वैल्यू के 5% बराबर रकम ब्रोकर के पास मौजूद है तो वह अपने ट्रेडिंग लॉस को ट्रेड की वैल्यू के 2-3% पर सीमित रखने में सफल हो सकता है.

दूसरी ओर, अगर अब मार्जिन को बढ़ाकर मान लीजिए 10% कर दिया जाता है तो ट्रेडर ज्यादा लॉस के लिए जोखिम ले सकता है और वह अपने लॉस को 7-8% पर समेट सकता है.

ANMI की दरख्वास्त

ब्रोकिंग इंडस्ट्री संगठन एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया (ANMI) ने रेगुलेटरी अथॉरिटीज से डे ट्रेड पीक मार्जिन (Peak Margin) पर 100 फीसदी लेवी लगाने के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है. SEBI को लिखी अपनी चिट्ठी में ANMI ने कहा है कि प्रस्तावित मार्जिन जो वास्तविक लेवी होनी चाहिए उसका 300% है.

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