मुद्रा बाजार(Money Market)
मुद्रा बाजार एक ऐसा बाजार है जिसके अंतर्गत बैंकिंग तथा अन्य संस्थाओं द्वारा व्यक्तियों एवं संगठनों या उद्यमों को अल्पकालीन विनियोग योग्य धन ब्याज पर उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रकार का बाजार संगठित या असंगठित हो सकता है। भारत में महाजन, सहकारी एवं ग्रामीण बैंक, सरकारी एवं निजी बैंक आदि मुद्रा बाजार के अंग है इस स्रोत से व्यवसाय एवं उद्योग को चालू व्यय हेतु राशि प्राप्त होते हैं।
Money Market और Capital Market क्या होता है?
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में उस देश का मार्केट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मार्केट एक ऐसी जगह होती है जहां पर खरीदी और बिक्री होती है जिसके कारण मुद्रा का लेन-देन होता है. इस पूरे सिस्टम को ही हम मार्केट कहते हैं लेकिन हमने कई तरह के मार्केट सुने हैं. जैसे मनी मार्केट, कैपिटल मार्केट, शेयर मार्केट आदि. ये सब एक जैसे नहीं होते हैं और इनमें काफी अंतर होता है. इस लेख में आपको मनी मार्केट और कैपिटल मार्केट के बारे में काफी सारी बाते पता चलेगी.
वित्तीय बाजार | Financial Market
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में दो तरह के लोग होते हैं. एक तो वो लोग होते हैं जिन्हें पैसों की जरूरत होती है और दूसरे वो लोग होते हैं जिनके पास पैसे ज्यादा होते हैं और वो कहीं निवेश करना चाहते हैं. जब ये दोनों समूह के लोग एक प्लेटफॉर्म पर आते हैं तो उस प्लेटफॉर्म को Financial Market यानी वित्तीय बाजार कहा जाता है. वित्तीय बाजार को दो भागों में बांटा गया है. 1) मुद्रा बाजार (Money Market) 2) पूंजी बाजार (Capital Market)
मुद्रा बाजार क्या होता है?
What is मुद्रा बाज़ार क्या हैं? Money Market? वित्तीय बाजार का वो भाग जहां कम समय के लिए वित्तीय जरूरतों की पूर्ति की जाती है उसे मुद्रा बाजार (Money Market) कहा जाता है. मतलब ऐसी जगह जहां पर कम समय के लिए पैसों का लेन-देन किया जाता है. यहाँ कम समय से मतलब 365 दिन से कम समय से है.
सरल शब्दों में कहे तो ऐसी जगह जहां पर आप किसी को उधारी दे या किसी उधारी लें बिजनेस के लिए वो भी 365 से कम दिनों के लिए तो उसे मुद्रा बाजार कहा जाता है. इसमें ट्रेजरी बिल, नगद प्रबंधन बिल, बचत प्रमाण पत्र, कमर्शियल पेपर, कमर्शियल बिल, म्यूचुअल फ़ंड के माध्यम से पैसों का लेन देन किया जाता है.
मुद्रा बाजार के प्रकार
मुद्रा बाजार दो तरह (Types of money market) के होते हैं. 1) असंगठित मुद्रा बाजार 2) संगठित मुद्रा बाजार
#1.असंगठित मुद्रा बाजार
इस तरह के बाजार काफी पुराने समय से हमारे बीच चले आ रहे हैं. जैसे आपको थोड़े पैसों की जरूरत किसी चीज को खरीदने के लिए पड़ी तो आपने अपने पड़ोसी से उधार ले लिए. या फिर किसी साहूकार से ले लिए. अब साहूकार की मर्जी वो उस पर कितना भी ब्याज ले. इस तरह के मार्केट में ब्याज को नियंत्रित करने वाली कोई संस्था नहीं होती मुद्रा बाज़ार क्या हैं? है.
#2. संगठित मुद्रा बाजार
संगठित मुद्रा बाजार ऐसा मुद्रा बाजार होता है जिसे विनियमित करने के लिए कोई मान्यता प्राप्त संस्था होती है. जैसे भारत में आरबीआई है. यदि आप बैंक से कोई लोन लेंगे तो आरबीआई ये तय करेगा की वो बैंक कितने प्रतिशत तक ब्याज ले सकती है. अगर उससे ज्यादा लिया तो बैंक पर कार्यवाही की जा सकेगी.
पूंजी बाजार क्या होता है?
ऐसा वित्तीय बाजार जहां पर लंबे समय तक के लिए वित्तीय जरूरतों की पूर्ति की जाती है उसे पूंजी बाजार (Capital market) कहा जाता है. यहाँ लंबे समय से मतलब 1 साल से अधिक अवधि के लिए है. कोई भी व्यक्ति जो एक साल से अधिक अवधि के लिए पूंजी जुटाना चाहता है उसे पूंजी बाजार से ही पैसा उठाना पड़ेगा.
आसान शब्दों में कहे तो ऐसा वित्तीय बाजार जहां पर एक वर्ष या उससे अधिक समय के लिए Debt या Equity समर्थित प्रतिभूतियों को खरीदा या बेचा जाता है तो उसे पूंजी बाजार कहते हैं. जैसे भारत में Stock exchange, commercial bank आदि हैं.
पूंजी बाजार एक ऐसी जगह है जो उन लोगों को साथ लाता है जो पूंजी रखते हैं और जो पूंजी की मांग एक साथ करते हैं. अतः ऐसी जगह जहां आप प्रतिभूतियों का आदान प्रदान कर सकते हैं उसे कैपिटल मार्केट कहा जाता है.
इसका सबसे अच्छा उदाहरण शेयर मार्केट है. शेयर मार्केट में लंबे समय के लिए मार्केट से पैसा उठाने के लिए कंपनी के शेयर को बेचा जाता है. लोग इन्हें खरीदकर कंपनी में हिस्सेदारी ले लेते हैं. हालांकि कंपनी में चलेगी उसी व्यक्ति की जिसके पास सबसे ज्यादा शेयर होंगे. असल में वही मालिक होगा. लेकिन जो लोग उस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं वो शेयर मार्केट के जरिये उस कंपनी के शेयर खरीदेंगे. इस तरह कंपनी वालों को पूंजी मिल जाएगी और दूसरे व्यक्ति को पूंजी के बदले कंपनी में हिस्सा मिल जाएगा.
मुद्रा और पूंजी बाजार में क्या अंतर है?
मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार (Difference in Capital market and money market) पूरी तरह अलग हैं. इनमे काफी अंतर हैं.
#1. मुद्रा बाजार में अधिकांश लेनदेन मुद्रा बाज़ार क्या हैं? आरबीआई, वित्तीय संस्थान जैसे सिडबी, नाबार्ड आदि के द्वारा होता है. यहाँ निजी तौर पर वित्तीय लेनदेन नहीं होता है. वहीं पूंजी बाजार में लेनदेन वित्तीय संस्थान, बैंक, पब्लिक या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, विदेशी निवेशकों, आम जनता के द्वारा होता है.
#2. मुद्रा बाजार में Instrument के मुद्रा बाज़ार क्या हैं? रूप में ट्रेजरी बिल, कमर्शियल बिल, जमा प्रमाण पत्र का इस्तेमाल होता है. वहीं पूंजी बाजार में शेयर, बॉन्ड, डिबेंचर का इस्तेमाल होता है.
#3. मुद्रा बाजार में लेनदेन के लिए बड़ी मात्रा में धन का होना आवश्यक है लेकिन पूंजी बाजार में धन कम भी होगा तो भी निवेश कर सकते हैं.
#4. मुद्रा बाजार से पैसा 1 दिन से 364 दिन तक के लिए उठा सकते हैं. पूंजी बाजार से पैसा एक साल या उसे अधिक अवधि के लिए उठा सकते हैं.
#5. मुद्रा बाजार जरूरतों को पूरा करता है इसलिए इसमें अधिक रिटर्न मिलने की गुंजाइश कम होती है. वहीं पूंजी बाजार में अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं. लेकिन इसमें रिस्क ज्यादा होता मुद्रा बाज़ार क्या हैं? है. आपका पैसा डूब भी सकता है.
मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार का उपयोग
मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार दोनों का ही उपयोग Fund raise करने के लिए किया जाता है. (Use of Money market and capital market) जब भी किसी कंपनी को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए या फिर अपने Regular Operation के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है तो कंपनी इन दोनों मार्केट से पैसा उठाती है. जहां निवेशकों को भी कंपनी के फायदे के आधार पर फायदा दिया जाता है.
यदि आप भी किसी कंपनी को चलाना चाह रहे हैं या फिर शेयर मार्केट में आना चाह रहे हैं तो आपको इन दोनों मार्केट के बारे में अच्छी तरह समझ लेना चाहिए. क्योंकि आप इन दोनों मार्केट के बीच में ही काम करेंगे.
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Website On How to Manage Money, Earn more Money from Your Hard Earned money in Hindi. Ask questions. जागरूक, शिक्षित, जानकार निवेशक पैसों के मुद्रा बाज़ार क्या हैं? बारे में सही फैसला लेते हैं। इस वेबसाइट का मिशन है Money मित्र बनकर लोगों को Money (पैसों) के बारे में जागरूक करना। पैसे को लेकर कोई सवाल हो, तो हिन्दी में पूछें, सारे सवालों का जवाब यहां आसान शब्दों में मिलेगा।
Money Market Fund: जानते हैं आप, क्या होता है मनी मार्केट फंड?
किसी निवेशक (Investor) को हमेशा अपनी जोखिम ले सकने की क्षमता (Risk bearing capacity) और वित्तीय जरूरतों (Financial Needs) के लिहाज से निवेश (Invest) करना चाहिए। मनी मार्केट फंड (Money Market Fund) ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो थोड़ा कम जोखिम (Low Risk) चाहते हैं।
आइए समझते हैं मनी मार्केट का फंडा
हाइलाइट्स
- जो निवेशक कम जोखिम चाहते हैं, उनके बीच मनी मार्केट फंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है
- मनी मार्केट वित्तीय बाजार का ही हिस्सा है, जहां बेहद शार्ट टर्म के इंस्ट्रुमेंट में डीलिंग होती है
- मनी मार्केट के इंस्ट्रुमेंट की परिपक्वता अवधि एक साल से कम की होती है
- मनी मार्केट फंड में निवेश की अवधि क्या हो?
मनी मार्केट फंड अन्य सभी डेट योजनाओ में यह घोषित लक्ष्य रखते हैं कि वे प्राथमिक रूप से मनी मार्केट साधनों में मुद्रा बाज़ार क्या हैं? निवेश करेंगे। फंड मैनेजर एक साल तक की परिपक्वता अवधि वाले साधनों में निवेश का लचीलापन रखते हैं, यह प्रचलित बाजार दर और क्रेडिट स्प्रेड के माहौल पर निर्भर करता है। अब चूंकि ये साधन एक साल तक की परिपक्वता वाले साधनों में निवेश करते हैं, इसलिए आपको इन फंडों के लिए न्यूनतम एक साल की निवेश अवधि रखनी चाहिए। - प्राथमिक रूप से मनी मार्केट साधनों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड कौन हैं?
सभी डेट म्यूचुअल फंड मनी मार्केट साधनों में निवेश करते हैं, लेकिन कुछ श्रेणी के डेट म्यूचुअल फंड प्राथमिक रूप से मनी मार्केट साधनों में निवेश करते हैं। ओवरनाइट फंड: ये फंड ऐसे साधनों में निवेश करते हैं जो कि एक रात भर में परिपक्व हो जाते हैं।लिक्विड फंड: लिक्विड फंड ऐसे साधनों में निवेश करते हैं जो कि 91 दिन से कम में परिपक्व हो मुद्रा बाज़ार क्या हैं? जाते हैं।अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड: ये फंड ऐसे साधनों में निवेश करते हैं, जिससे उनके पोर्टफोलियो की अवधि 3 से 6 महीने रहती है।मनी मार्केट फंड: ये फंड ऐसे साधनों में निवेश करते हैं जिनकी परिपक्वता अवधि एक साल तक होती है। - मनी मार्केट फंडों में क्यों निवेश करें?
उच्च तरलता - इनमें निहित साधनों की परिपक्वता अवधि बहुत कम होती है। ये फंड आमतौर पर एग्जिट लोड चार्ज नहीं करते।ब्याज दर से जुड़ा जोखिम कम- मनी मार्केट साधनों में लंबी अवधि के साधनों की तुलना में ब्याज दर की संवदेनशीलता (जोखिम) कम होती है।ओवरनाइट और लिक्विड फंडों के मुकाबले ऊंचा यील्ड -मनी मार्केट फंडों का यील्ड ओवरनाइट और लिक्विड फंडों के मुकाबले ज्यादा होता है।मौजूदा हालत मुद्रा बाज़ार क्या हैं? में शॉर्ट टर्म निवेश के लिए उपयुक्त- कमोडिटी की कीमतों में अनिश्चितता की वजह से महंगाई की दिशा अनिश्चित ही रहती है। इसलिए लांग टर्म के यील्ड आगे और सख्त हो सकते हैं। लेकिन एक दिन से एक साल के भीतर के यील्ड तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाले और कम स्थायित्व वाले होते हैं। - एसेट के आवंटन में मनी मार्केट फंड की भूमिका
अपने फिक्स्ड इनकम वाले साधनों की विविधता के लिए आपको विभिन्न पोर्टफोलियो के सभी तरह के डेट फंडों में विवेकपूर्ण तरीके से एसेट आवंटन करना होगा। अलग-अलग अवधि में आवंटन आपके जोखिम प्रोफाइल और वित्तीय लक्ष्य पर निर्भर करेगा - शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म। मनी मार्केट फंड शॉर्ट टर्म के वित्तीय लक्ष्यों के लिए उपयुक्त होते हैं जैसे एक या दो साल की अवधि। कम जोखिम चाहने वाले निवेशक भी लंबी निवेश अवधि के साथ ऐसे फंडों में निवेश कर सकते हैं। निवेशक किसी मनी मार्केट फंड में सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) द्वारा भी निवेश कर सकते हैं। एसआईपी द्वारा निवेश करने से आपको अपनी खरीद मूल्य को औसत करने (रूपी कॉस्ट एवरेजिंग) के लिए एनएवी में उतार-चढ़ाव का फायदा भी मिलता है। - मनी मार्केट फंड में निवेश करने से पहले किन बातों पर गौर करें?
आपको हमेशा अपनी जोखिम ले सकने की मुद्रा बाज़ार क्या हैं? क्षमता और वित्तीय जरूरतों के लिहाज से निवेश करना चाहिए। मनी मार्केट फंड ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जो थोड़ा कम जोखिम चाहते हैं। इसमें निवेश करते समय निवेशकों को रिटर्न के बारे में तार्किक उम्मीदें ही रखनी चाहिए। वैसे तो ये फंड तुलनात्मक रूप मुद्रा बाज़ार क्या हैं? से ब्याज दरों की कम जोखिम वाले होते हैं, लेकिन ब्याज दर की हालत के हिसाब से कुछ उतार-चढ़ाव हो सकता है। निवेशकों को किसी योजना की अवधि प्रोफाइल को देखना चाहिए और अपनी जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर निवेश करना चाहिए।
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आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय
RBI ने कहा है कि ईसीएआई द्वारा प्रकटीकरण के बिना बैंक ऋण रेटिंग बैंकों द्वारा पूंजी गणना के लिए योग्य नहीं होगी. बैंक ऐसे एक्सपोजर को अनारक्षित मानेंगे. जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 11 अक्टूबर 2022,
- (Updated 11 अक्टूबर 2022, 9:30 PM IST)
इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है.
संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे
भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.
एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.
इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.मुद्रा बाज़ार क्या हैं?
आरबीआई ने कहा कि "जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ये बैंकिंग प्रणाली से लिए गए ऋणों को चुकाने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं और उनके डिफ़ॉल्ट की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.''
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