ऐसे में चीन की चालाकी को ध्यान में रखते हुए इन आंकड़ों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यह बेहद ही जरूरी है कि भारत सरकार पहले तो जितना संभव हो सके भारतीय कंपनियों में चीन की दखलअंदाजी कम करे। दूसरा यह भी कि जो कंपनियां चीन से किसी भी तरह से संबंधित हैं उन पर अपनी पैनी नजर रखे। इसके अलावा जरूरी यह भी है कि सरकार चीनी निवेशकों या शेयरधारकों वाली कंपनियों का डेटा भी अपने पास रखे।
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सर्वजन के लिये जल एवं स्वच्छता की सुलभता, निवेश बढ़ाने पर बल
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) और साझेदार संगठनों ने बुधवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2030 तक, सर्वजन के लिये सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता एवं साफ़-सफ़ाई ( WASH ) प्रदान करने के लिए देशों को निवेश में तेज़ी लानी होगी.
45 प्रतिशत देश वर्ष 2030 के अंत तक, पेयजल के लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर अग्रसर हैं, लेकिन केवल एक-चौथाई देशों द्वारा ही साफ़-सफ़ाई लक्ष्य हासिल किये जाने की सम्भावना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और जल मामलों के लिये यूएन एजेंसी (UN-Water) ने अपनी नई रिपोर्ट में ये नए तथ्य साझा किए हैं, जिसे सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता एवं साफ़-सफ़ाई के मुद्दे पर काम कर रही संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य संगठनों ने मिलकर तैयार किया है.
New #GLAAS report‼️ Clearest-ever picture of where acceleration is needed to ensure water & sanitation for all by 2030.
संकट की घड़ी
इस अध्ययन में 120 से अधिक देशों में जल, साफ़-सफ़ाई एवं स्वच्छता (WASH) सेवाओं की सुलभता की पड़ताल की गई है. रिपोर्ट दर्शाती है कि इन योजनाओं और रणनीतियों को लागू करने के लिए 75 प्रतिशत से अधिक देशों के पास पर्याप्त धन नहीं है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, "हम एक तात्कालिक संकट का सामना कर रहे हैं. सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई तक पहुँच न होने की वजह से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है.”
“वहीं जलवायु सम्बन्धी चरम मौसम की घटनाओं का बढ़ना और उनकी प्रबलता सुरक्षित WASH सेवाओं को लोगों तक पहुँचाने में बाधा बन रही है."
विश्व में हर किसी तक स्वच्छ पेयजल और साफ़-सफ़ाई की पहुँच सुनिश्चित करना 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों में से है, जिसे वर्ष 2030 तक हासिल करना होगा.
‘ग्लोबल एनालिसिस एंड असेसमेंट ऑफ़ सैनिटेशन एंड ड्रिंकिंग-वाटर’ (GLAAS) रिपोर्ट के आँकड़ों के अनुसार, ज़्यादातर राष्ट्रीय नीतियों और योजनाओं में ना तो WASH सेवाओं के लिए जलवायु परिवर्तन के जोखिम को ध्यान में रखा गया है, और ना ही प्रबंधन प्रणालियों व तकनीक को अधिक जलवायु सुदृढ़ता प्रदान करने में.
वैश्विक प्रतिबद्धता
यूएन के साझेदार संगठनों ने सभी देशों और हितधारकों से मज़बूत प्रशासन, निवेश की रणनीति वित्त-पोषण, निगरानी, नियंत्रण और क्षमता विकास के माध्यम से WASH निवेश की रणनीति सेवाओं के लिये समर्थन बढ़ाने का आहवान किया है.
इस रिपोर्ट के आँकड़ों और नतीजो को संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन ( UN 2023 Water Conference ) में पेश किया जाएगा, जोकि न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में मार्च 2023 में आयोजित होगा.
ये 50 वर्षों में पहली बार होगा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा, जल एवं साफ-सफ़ाई के मुद्दे पर प्रगति की समीक्षा के साथ-साथ नए सिरे से कार्रवाई करने का संकल्प लिया जाएगा.
यू.पी. बनेगा वैश्विक निवेश का केंद्र
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था से लेकर अर्थव्यवस्था और जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो सुधार किए गए हैं, उनकी मिसाल अब दुनिया के दूसरे देशों में भी पेश की जा रही है। अमरीका से लेकर सिंगापुर, फ्रांस, यू.के. और मॉरीशस तक में अब इसकी गूंज सुनाई दे रही है। पिछले दिनों बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाऊंडेशन की सह-संस्थापक मिलिंडा गेट्स एवं बिल गेट्स की पत्नी लखनऊ आई थीं। योगी आदित्यनाथ से भेंट के बाद उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कोविड प्रबंधन और इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी पर नियंत्रण के लिए यू.पी. ने जैसा काम किया है, वह एक अनुकरणीय मॉडल है। इतनी बड़ी और सघन आबादी के बीच वैक्सीनेशन का जैसा काम हुआ, उससे दुनिया को सीखना चाहिए।
चिंताजनक विषय
इसके अलावा गौर करने वाली बात ये है कि ये वो आंकड़े हैं, जो सरकार के पास मौजूद है, जिनका लेखा-जोखा सरकार रखती है। निवेश की रणनीति इसके अतिरिक्त स्वयं भारत सरकार द्वारा ही यह बताया गया कि चीनी निवेशकों या शेयरधारकों वाली कंपनियों का कोई डेटा सरकार के पास उपलब्ध ही नहीं है। सरकार ने कहा है कि चीनी निवेशकों या शेयरधारकों वाली कंपनियों की संख्या बताना मुमकिन नहीं है क्योंकि ये डाटा कॉर्पोरेट मंत्रालय में अलग से नहीं रखा जाता है। यानी सरकार को यह मालूम ही नहीं है कि चीन कहां कितना पैसा भारत में लगा रहा है।
देखा जाये तो चीनी कॉर्पोरेट और चीनी डायरेक्टर एक तरह से सीसीपी का गुलाम ही होता है। तमाम चीनी कंपनियां अपना डेटा चीन के साथ साझा करती हैं और इसके लिए भारत सरकार द्वारा कई कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई तक की जा चुकी है। केवल इतना ही नहीं Vivo, Oppo जैसी कई बड़ी कंपनियां भारत में कारोबार करके चोरी से चीन को पैसा भी भेजती हैं। इन कंपनियों पर टैक्स चोरी समेत कई आरोप लग चुके हैं, जिसके कारण भारत में ये कंपनियां जांच के घेरे में बनी हुई हैं। इससे स्पष्ट होता है कि चीनी कंपनियों को कैसे पूरी तरह से ड्रैगन अपने नियंत्रण में रखता है। तो ऐसे में क्या जब भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है तो वो कंपनियां जो भारत में अपना कारोबार कर रही हैं या फिर जिन कंपनियों के निदेशक चीनी हैं, क्यों वो पीछे से चीन की सहायता नहीं करेंगी।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी
जर्मन विकास वित्त संस्थान डॉयचे इन्वेस्टमेंट्स एंड एंटविकलुंग्सगेसेलशाफ्ट (डीईजी) भी बैश और दज़ानकेल्डी को सह-वित्तपोषित कर रहा है। इसके अलावा, फ्रांसीसी विकास एजेंसी प्रोपारको भी पवन परियोजनाओं के वित्तपोषण में भाग लेती है। इसके अलावा, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक भी एक हितधारक है।
बैश विंड और जेनकेल्डी विंड, आइडेंटिफ़लाइट तकनीक, एक हवाई उच्च-रिज़ॉल्यूशन स्टीरियो कैमरा सिस्टम (HRSC) का उपयोग करेंगे। यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित है। दरअसल, यह पवन टर्बाइनों से टकराने वाली प्रजातियों की निगरानी और पता लगाता है।
इस प्रकार, संभावित टकराव की स्थिति में, सिस्टम कुछ टर्बाइनों के स्वत: बंद होने का कारण बनता है। उज़्बेकिस्तान का लक्ष्य 2030 तक 12GW सौर और निवेश की रणनीति पवन क्षमता विकसित करना है। इसके अलावा, इसका उद्देश्य 2050 तक कार्बन-तटस्थ बिजली क्षेत्र को प्राप्त करने की योजना का समर्थन करना है।
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