औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार
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दलाल स्ट्रीट में मची भगदड़ के पीछे है इन 5 फैक्टर्स का बड़ा हाथ, पढ़े पूरी खबर
जनता से रिश्ता औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार वेबडेस्क : निफ्टी (nifty 50) और बीएसई सेंसेक्स (sensex), दोनों में ही शुक्रवार को जबरदस्त गिरावट आई. आज की गिरावट के साथ ही शेयर बाजार दो महीनों के निचले स्तर को छू गए. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में पिछले कुछ दिनों से गिरावट जारी है. शुक्रवार को निफ्टी 1.63 फीसदी की गिरावट के साथ 16,411.25 पर बंद हुआ. सेंसेक्स का हाल भी कुछ अच्छा नहीं रहा. सेंसेक्स में भी 866.58 अंकों की गिरावट आई और यह 54,835.58 पर बंद हुआ. भारतीय औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार शेयर बाजार में आई इस गिरावट के लिए विशेषज्ञ कई कारकों को जिम्मेदार मान रहे हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में.
अमेरिकी बाजार में जोरदार गिरावट : अमेरिकी शेयर बाजारों में 5 मई को भारी गिरावट दर्ज की गई. डाउ जोंस इंडस्ट्रियल इंडेक्स औंधे मुंह गिरा और इसमें 1000 प्वाइंट से ज्यादा की गिरावट आई. इसी तरह नैस्डैक भी मंदी की चपेट में आया और पांच फीसदी टूट गया.अमेरिकी इक्विटी बाजार में आई इस मंदी का असर शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा.
महंगाई की मार : दुनिया में महंगाई लगातार बढ़ रही है. बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी वर्ष 2022 के लिए अपना महंगाई अनुमान को बढ़ा दिया. इसका गहरा असर वैश्विक शेयर बाजारों पर हुआ. अब निवेशकों को लगने लगा है कि दूसरे विकसित देश भी महंगाई के अपने अनुमान में संसोधन कर सकते हैं. महंगाई औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार के काबू में न आने और आगे और बढ़ने की संभावनाएं भी बिकवाली को हवा दे रही हैं.
बंद होते-होते बिखर गया बाजार, निवेशकों के 8.64 लाख करोड़ डूबे
Mumbai : हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन वैश्विक कारणों से भारतीय शेयर अमेरिका में भारी गिरावट देखी गई. निवेशकों की भारी बिकवाली के चलते शेयर बाजार औंधे मुंह गिर गया. 10 महीने में शेयर की सोमवार को सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. जिसके चलते शेयर बाजार के निवेशकों को 8.34 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. 30 दिग्गज स्टॉक्स वाले बीएसई का इंडेक्स सेंसेक्स 1,747 अंक गिरकर 56,405 पर पहुंच गया. बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का मार्केट कैपिटलाईजेशन 8.54 लाख करोड़ रुपये घटकर 255.35 लाख करोड़ रुपये रह गया. बीते हफ्ते शुक्रवार को भी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई थी. दो दिनों के गिरावट में शेयर बाजार के निवेशकों को 12.45 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है.
रुस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से बाजार में डर
दरअसल रुस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से बाजार में डर देखा जा रहा है. इसके चलते कॉमौडिटी के दामों में भी उछाल देखा जा रहा है. कच्चा तेल 96 डॉलर प्रति बैरल के पार जा पहुंचा है जो भारत के लिए चिंता विषय है क्योंकि इससे महंगाई बढ़ने का खतरा है. वहीं अमेरिका के सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने का डर भी बाजार में है जिसके चलते बिकवाली नजर आ रही है. जनवरी में अमेरिका में मुद्रास्फीति आशंका से भी अधिक 7.5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस वर्ष दरों में कम से कम एक फीसदी की वृद्धि कर सकता है. मार्च तक फेडरल रिजर्व दरें 0.5 फीसदी तक बढ़ा सकता है जो वैश्विक इक्विटी बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं है.
पहले से ही हो रहा था अंदेशा
आज सेशन शुरू होने के पहले से ही इस बात के संकेत मिल रहे थे कि बाजार भरभरा सकता है. प्री-ओपन में ही सेंसेक्स करीब 1500 अंक (2.46 फीसदी) गिरा हुआ था. कारोबार की जैसे ही शुरुआत हुई, सेंसेक्स करीब 1,200 अंक गिरकर खुला. कुछ ही मिनटों में यह 1,500 अंक तक गिर गया. बाद में बाजार ने कुछ हद तक रिकवरी का प्रयास किया, लेकिन पूरे दिन के कारोबार में कभी भी गिरावट का आंकड़ा 1000 अंक से कम नहीं हो पाया.
इतना गिरा कि बन गया रिकॉर्ड
जब कारोबार समाप्त हुआ तो बीएसई 1,747.08 अंक (3 फीसदी) गिरकर 56,405.08 अंक पर रहा. इसी तरह एनएसई निफ्टी 531.95 अंक (3.06 फीसदी) गिरकर 16,842.80 अंक पर बंद हुआ. यह दोनों मेजर इंडेक्स के लिए करीब एक औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार साल की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है. इससे पहले पिछले साल 26 फरवरी को सेंसेक्स में 1,940 अंक और निफ्टी में 568 अंक की गिरावट आई थी.
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भयानक बिकवाली में भी फायदे में रही टीसीएस
सेंसेक्स में देखें तो आज टीसीएस एकमात्र कंपनी रही, जो फायदे में रही. टीसीएस का शेयर बीएसई औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार पर 1.05 फीसदी चढ़कर बंद हुआ. दूसरी ओर बाकी के सभी 29 शेयर नुकसान में रहे. टाटा स्टील को सबसे ज्यादा 5.49 फीसदी का घाटा हुआ. एसबीआई और एचडीएफसी के शेयर भी 5-5 फीसदी से ज्यादा टूट गए. कोटक बैंक, इंडसइंड बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के स्टॉक 4.73 फीसदी तक के नुकसान में रहे.
बैंकिंग, फाइनेंशियल शेयरों का बुरा हाल
एनएसई पर सबसे ज्यादा गिरावट Nifty PSU Bank औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार इंडेक्स में देखने को मिली. कारोबार बंद होने के बाद यह 5.95 फीसदी के नुकसान में औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार रहा. निफ्टी बैंक 4.18 फीसदी से और निफ्टी प्राइवेट बैंक (Nifty Pvt Bank) 4.03 फीसदी लुढ़क गया. निफ्टी फाइनेंशियल सर्विस में 4.18 फीसदी की गिरावट आई. इसी तरह बीएसई पर S&P BSE Bankex इंडेक्स 4.25 फीसदी के नुकसान में रहा. सबसे ज्यादा 5.05 फीसदी के नुकसान में मेटल इंडेक्स रहा.
भारत का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला
एबीजी शिपयार्ड के इस घोटाले में 22,842 करोड़ रुपये के फ्रॉड की जानकारी सामने आई है. इसे भारत के इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला माना जा रहा है. सीबीआई (CBI) ने हाल ही में इस घोटाले को लेकर कंपनी के पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एबीजी शिपयार्ड को आईसीआईसीआई बैंक की अगुवाई में करीब दो दर्जन बैंकों के एक समूह ने लोन दिया था. फोरेंसिक ऑडिट में पता चला है कि बैंकों से मिले इस फंड का गलत तरीके से हेरफेर किया गया है.
प्रवाह बदलने वाले लोग
दो ऐसे भारतीय हैं, जिन्होंने अर्फेो- अर्फेो क्षेत्रों में धारा का प्रवाह ही बदल दिया। उनकी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी ने मानो भूचाल ही ला दिया। जब चारों तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला हो, तब ऐसे नाम सुन कर सुखद आश्चर्य होना स्वाभाविक है। इनमें से एक है क्रेडिट रेटिंग तय करने वाली संस्था- स्टैण्डर्ड एण्ड फूअर्स- औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार के मुखिया देवेन शर्मा और दूसरे हैं महालेखा नियंत्रक विनोद राय। देवेन शर्मा ने फूरी दुनिया में हलचल मचा दी, तो विनोद राय ने भारतीय राजनीति में। स्टैण्डर्ड एण्ड फूअर्स, अमेरिकी कम्र्फेाी मैथ्यू हिल की उफकम्र्फेाी है। भारतीय क्रेडिट रेटिंग कम्र्फेाी क्रिसिल भी इसी की उफज है। क्रेडिट रेटिंग का मतलब है किसी कम्र्फेाी, संस्था या देश की साख क्षमता का अनुमान। वित्तीय कारोबार में इसका बड़ा महत्व है।
इस साख मानक के आधार फर ही धनको तय करता है कि कम्र्फेाी/ संस्था/ देश ऋण चुकता करने की कितनी क्षमता रखते हैं। जनता को शेयर (आईफीओ) बेच कर फूंजी उगाही करनी हो तो भी साख मूल्यांकन माने रखता है। निवेशक क्रेडिट रेटिंग देख कर तय करता है कि शेयर लें या नहीं। अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाले शेयर धड़ाधड़ बिक जाते हैं। क्रेडिट रेटिंग कम्फनियों फर कार्फोरेट और राजनीतिक क्षेत्र का जबर्दस्त दबाव होता है। सब किसी न किसी तरह से अच्छी रेटिंग चाहते हैं। यही भ्रष्टाचार की जड़ है। लेन-देन होता है यह सब जानते हैं। शेयर बाजार से जुड़े लोग इससे अनभिज्ञ नहीं हैं। यही कारण है कि ऊंचे दाम
में बिका आईफीओ जब शेयर बाजार में सूचीबद्ध होता है तब उसके दाम बेहद लुढ़क जाते हैं और सामान्य निवेशकों को अरबों का चूना लग जाता है। ऐसे वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच की फिलहाल तो कोई व्यवस्था नहीं है।
जैसा कम्फनियों के साथ होता है वैसा देशों के साथ भी। अमेरिका इस समय वित्तीय संकट से गुजर रहा है। राष्ट्रफति ओबामा ने धन प्रबंध के लिए बाँड जारी करने की घोषणा की। उसका रेटिंग देवेन शर्मा के नेतृत्व वाली स्टैण्डर्ड एण्ड फूअर्स ने एक चरण घटा दिया। नतीजा यह हुआ कि सारी दुनिया के शेयर बाजार औंधे मुंह गिरे, जो आज भी डांवडोल हैं। अमेरिकी बाँड खरीदने से लोग कतरा रहे हैं या दूसरे शब्दों में अमेरिका को ऋण देने से लोग हिचक रहे हैं। अमेरिका जैसी महाशक्ति की साख घटाना कितना मुश्किल है, इसे औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार बताने की आवश्यकता नहीं है। सच बताने की उनको सजा भी मिली और इस्तीफा देकर बाहर आना फड़ा।
भारतीय जनमानस में तहलका मचा देने वाले दूसरे सज्जन हैं भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा फरीक्षक संगठन (कैग) के प्रमुख विनोद राय। वे केरल कैडर के वरिष्ठ प्रशासकीय अधिकारी हैं। उनकी छवि ‘मि. क्लीन’ की है। जनता के प्रहरी के रूफ में भ्रष्टाचार की जड़ तक आंकड़ों के जरिए फहुंचना उन्हें खूब आता है। उनकी मेज फर कोई फाइल फड़ी नहीं रहती। उनमें अद्भुत निर्णय क्षमता है। इसी कारण उनके मातहत औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार अधिकारी भी खुल कर काम कर फा रहे हैं। डेढ़ सौ साल के इतिहास में यह संगठन दूसरी बार चर्चा में है। फहली बार कैग की चर्चा बोफोर्स मामले में हुई थी। 80 के दशक के अंतिम वर्षों की बात है। टी. एन.
चतुर्वेदी तब इसके प्रमुख थे। बोफोर्स के कारण भारतीय राजनीति में कैसा तूफान आया था यह सब जानते हैं। यहां तक कि कोई गड़बड़ी दिखाई देने फर लोग कहते थे- क्या बोफोर्स है? 2जी स्फेक्ट्रम, राष्ट्नमंडल खेल, एयर इंडिया, के.जी. बेसिन जैसे मामलों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को कैग ने ही उजागर किया। स्फेक्ट्रम में ए. राजा, कन्निमोझी, राष्ट्रमंडल खेलों में सुरेश कलमाडी जैसे घफलेबाज कैग के कारण ही तिहाड़ की हवा खा रहे हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय और फेट्रोलियम मंत्रालय भी संदेह के घेरे में आ गया है। प्रफुल्ल फटेल और मुरली देवड़ा को अब औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार इसका जवाब देना फड़ेगा। हाल में इन मंत्रालयों से संबंधित कैग रिफोर्टें संसद के फटल फर रखी गईं। इनमें साफ कहा गया है कि 40 हजार करोड़ की विमान खरीदारी में किस तरह जल्दबाजी की गई। मुकेश अंबानी की रिलायंस फर फेट्रोलियम मंत्रालय की मेहरबानी की बानगी भी रिफोर्ट में फेश की गई है। ये रिफोर्टें आगामी दिनों में हंगामे का कारण बनेगी। इस तरह महासत्ता या किसी देश की सरकार से लोहा लेना आसान काम नहीं है। चारों ओर से बेहद दबावों को ठुकरा कर सच फेश औंधेमुंह गिरे अमेरिकी शेयर बाजार करना बुलंद हौसलों, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी का ही काम है। इससे उम्मीद बंधती है कि सब कुछ नहीं बिगड़ा है, बिगड़े को सुधारने वाले इनेगिने ही क्यों न हों फर लोग मौजूद हैं, सज्जनशक्ति कायम है।
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