E-Commerce in Hindi , ई-कॉमर्स क्या है
ई-कॉमर्स (E-Commerce) क्या है , Scope of E-Commerce in Hindi , What Is E Commerce , Impact of E-Commerce , Business Model of E Commerce in Hindi , E-Commerce Sites in Hindi , E Ferral Commerce Hindi , What Is E-Commerce Website in Hindi , E-Commerce Che Fayde
आज के इंटरनेट के जमाने में लोग ऑनलाइन शॉपिंग करना पसंद करते हैं। ई-कॉमर्स के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग होना संभव हो पाया है। ई-कॉमर्स वेबसाइट द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग तथा होम डिलीवरी की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के पश्चात लोग ऑनलाइन शॉपिंग करने में काफी अधिक रुचि दिखा रहे हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से यह क्या है और इसका क्या इतिहास है, इसके बारे में बात करेंगे।
E-Commerce in Hindi :- e-commerce जिसे इलेक्ट्रॉनिक ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? कॉमर्स कहते हैं। आज के इंटरनेट के समय में लोग इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उत्पाद और सेवाओं को खरीदना व बेचना पसंद करते हैं। ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करना ऑनलाइन डाटा शेयर करना यह सभी प्रक्रिया ई-कॉमर्स के अंतर्गत आते फिजिकल प्रोडक्ट इलेक्ट्रॉनिक का व्यापार भी होता है। इस प्रकार की ऑनलाइन प्रोडक्ट बेचना खरीदना और पैसों का ट्रांसफर e-commerce कहलाता है।
दूसरे शब्दों में बात की जाए तो ऑनलाइन शॉपिंग करना ई- कॉमर्स कहलाता है। ई कॉमर्स वेबसाइट के जरिए किसी भी वस्तु को खरीदना बेचना ई-कॉमर्स प्रणाली के अंतर्गत आता है। आज के समय में ऑनलाइन शॉपिंग के तौर पर हर वस्तु खरीदने के लिए उपलब्ध है। जैसे:- फर्नीचर, मशीनरी, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान,बुक्स, पेपर,मैगजीन, खिलौने, खाने के सामान और अन्य सभी वस्तुएं इत्यादि।
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ई-कॉमर्स का इतिहास:- ई-कॉमर्स के शुरुआती 11 अगस्त 1994 को हुई ई-कॉमर्स की शुरुआत ‘फिल ब्रेंडनबर्जर’ ने की थी। फिल ब्रेंडनबर्जर ने सबसे पहले अपने कंप्यूटर के माध्यम से एक स्टिंग की सीडी को खरीदा था और उसका भुगतान कई रिकॉर्ड कार्ड के माध्यम से 12.48$ किया था। एक सीडी का नाम ‘Ten Summoners’ Tales’ था।
फिल ब्रेंडनबर्जर के द्वारा सबसे पहले ऑनलाइन शॉपिंग करने की यह घटना इतिहास रच चुकी है। आज के समय भी इसे ही असल उम्र ट्रांजैक्शन माना जाता है। क्योंकि इस ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के दौरान पहली बार कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए। ऑनलाइन तौर पर कुछ प्रोडक्ट खरीदा गया था। हालांकि आज के समय में यह आम बात हो चुकी है।
अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर हो सकेगा सिक्योरिटी में निवेश का ऑन डिमांड पेमेंट
मुंबई। जल्द ही यूपीआई सेवाओं के जरिए ग्राहक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर शॉपिंग या होटल बुकिंग के अलावा सिक्योरिटी में निवेश और वस्तुओं या सेवाओं की डिलीवरी की ऑन डिमांड पेमेंट भी कर सकते हैं। यह जानकारी बुधवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद दी। उन्होंने कहा कि भुगतान में सहायता के लिए यूपीआई प्लेटफॉर्म में एक सुविधा सिंगल-ब्लॉक-एंड-मल्टीपल-डेबिट कैपेसिटी शुरू करने का निर्णय लिया गया है। यह ई-कॉमर्स स्पेस में भुगतान को आसान बनाएगा।
लेन-देन में विश्वसनीयता बढ़ेगी : गवर्नर दास ने बताया कि नए फीचर के तहत ग्राहक अपने बैंक खाते में धनराशि को रोक कर किसी व्यापारी के लिए पेमेंट आर्डर को शेड्यूल कर सकेंगे। जब भी जरूरत हो, इसे डेबिट किया जा सकता है। गवर्नर ने कहा कि इस तरह की सुविधा से लेन-देन में विश्वसनीयता बढ़ेगी।
भारत बिल भुगतान प्रणाली में भी बदलाव
दास ने सभी भुगतान और संग्रह को एक साथ शामिल करने के लिए भारत बिल भुगतान प्रणाली के दायरे में विस्तार की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत बिल पेमेंट सिस्टम में संस्थाओं या व्यक्तियों के समूह के बिल को प्रोसेस करने की सुविधा नहीं है। इस कारण सेवा शुल्क भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान और रेंट कलेक्शन इसके दायरे से बाहर है।
बिना डर के इस्तेमाल कर सकते हैं डिजिटल करंसी
गवर्नर दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल करंसी से किसी को कोई खतरा नहीं है और यह मुद्रा किसी बैंक के पास कोई रिकॉर्ड नहीं छोड़ती। इसलिए लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। डिजिटल करंसी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों द्वारा संभावित छापे पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल करंसी के पास कागजी मुद्रा वाली गुमनामी नहीं है।
अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपए में उतार-चढ़ाव कम
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डॉलर में मजबूती के बीच अन्य देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपए का उतार-चढ़ाव कम रहा है। इसके साथ ही उन्होंने देश के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति को संतोषजनक बताया है। दास ने कहा कि वास्तविक आधार पर देखा जाए, तो चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में रुपया 3.2 फीसदी मजबूत हुआ है।
कृषि क्षेत्र मजबूत, हालांकि खरीफ उत्पादन में कमी
गवर्नर ने कहा है कि देश का कृषि क्षेत्र मजबूत बना हुआ है और रबी की बुआई की शुरुआत अच्छी रही है। हालांकि बारिश असंतुलित रहने से खरीफ उत्पादन में कमी का अनुमान है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण मांग में सुधार, निर्माण में तेजी, सेवा क्षेत्र के पुनरुद्धार तथा ऋण की मांग बढ़ने से आर्थिक परिदृश्य को समर्थन मिल रहा है।
What is E-commerce?
E-Commerce(Electronic Commerce) यह इलेक्ट्रॉनिक रूप से इंटरनेट पर उत्पादों या सेवाओं को खरीदने या बेचने की गतिविधि है। ई-कॉमर्स का अर्थ है इलेक्ट्रॉनिक रूप से उत्पादों या सेवाओं की खरीद या बिक्री, विशेष रूप से इंटरनेट पर इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क की मदद से फण्ड और डेटा का प्रसारण करना। आज के समय में ई-कॉमर्स वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ने वाला उद्योग है।
AMAZON, FLIPKART, E-bay, MYNTRA, OLX, QUIKR आदि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उदाहरण हैं।
What Are the Types of E-commerce?
ई-कॉमर्स चार प्रकार के होते हैं, ये इस प्रकार हैं
- Business-to-Business(B2B)
- Business-to-Consumer(B2C)
- Consumer-to-Consumer(C2C)
- Consumer-to-Business(C2B)
Business-to-Business: इसमें लेन-देन एक व्यवसाय से दूसरे तक यानी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में होता है।निर्माता, थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता इन श्रेणी का हिस्सा हैं।
Business-to Consumer: यहां कंपनी और उपयोगकर्ता के बीच लेन-देन होता है। इसके उदाहरण अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ई -बे आदि हैं।
Consumer-to-Consumer: इस व्यवसाय मॉडल में, ग्राहक एक दूसरे के साथ सीधे संपर्क में हैं, कोई भी कंपनी शामिल नहीं है। ये लोग ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए जुड़े रहते हैं। OLX, QUIKR आदि इ-कॉमर्स प्लेटफार्म उपभोक्ता से उपभोक्ता मॉडल पर काम करते है।
Consumer-to-Business:अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी कंपनी को अपनी सेवाएं देता है तो वह इस प्रकार की श्रेणी के ई-कॉमर्स के अंतर्गत आता है।उदाहरण के लिए एक फ्रीलांसर जो किसी भी कंपनी को अपनी सेवाएं बेचता है।
How to become an E-commerce seller?
हमने छोटे व्यवसाय के मालिकों की मदद के लिए उपरोक्त सभी जानकारी एकत्र की ताकि वे भी अपने व्यापार का विस्तार करने और लाभ पाने के लिए खुद को ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ संलग्न करें।
यदि आप एक छोटे व्यवसायी हैं तो आपको भी इस प्लेटफार्म से जुड़ना होगा। इसके लिए आपको अपने जीएसटी नंबर के साथ कुछ आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
नीचे कुछ अनिवार्य दस्तावेज दिए गए हैं जिन्हें आपको ई-कॉमर्स विक्रेता बनने के लिए तैयार रखना होगा, हालांकि कुछ और दस्तावेजों की भी जरुरत पद सकती है और यह साइट टू साइट भिन्न हो सकता है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं और साथ ही उस ई-कॉमर्स साइट पर जा सकते हैं, जहाँ आप शामिल होना चाहते हैं।
- GST number
- Identity proof
- Business Adress proof
- Brand registration
- Food license ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? यदि आप कोई खाद्य संबंधित व्यवसाय कर रहे हैं।
- Bank details
Benefits of E-commerce
ऑनलाइन बेचने के कई फायदे हैं। अभी भारत में कई ई-मार्केटप्लेस हैं जिनके साथ आप जुड़कर अपने व्यवसाय को अच्छी तरह से बढ़ावा दे सकते हैं। छोटे स्तर के व्यवसाय पर ई-कॉमर्स के कुछ लाभ नीचे दिए गए हैं
आपका व्यवसाय वैश्विक होगा और आप अधिकतम ग्राहकों तक पहुँच सकते हैं।आप अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर बेच सकते हैं और यह आपके परिचालन लागत को कम करने में मदद करता है।
इसमें भुगतान की प्रक्रिया तत्काल है, कोई क्रेडिट नहीं है। आपको भुगतान के लिए अपने ग्राहकों को याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है।
ई-कॉमर्स में सफलता की संभावना पारंपरिक बिजनेस मॉडल से अधिक है।पारंपरिक व्यवसाय मॉडल को समय सीमाओं का पालन करना पड़ता है। लेकिन यह ई-कॉमर्स के मामले में नहीं है। ई-कॉमर्स में आपका व्यवसाय 24 * 7 ऑनलाइन होगा। और यह प्रक्रिया आपको अधिकतम लोगों तक पहुंचने में मदद करेगी और आपको अधिकतम लाभ प्रदान करेगी।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में, विक्रेता के लिए विश्लेषण करना बहुत आसान है। आपको उत्पादों की समीक्षा जल्दी मिल जाएगी, और आप उत्पाद को बेहतर बनाने के लिए अपने कमजोर बिंदु पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने व्यवसाय के प्रदर्शन को माप सकते हैं।
भारत में आजकल कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं। सभी वेबसाइटों के लिए जुड़ने की प्रक्रिया समान है। एमज़ॉन, फ्लिपकार्ट, जिओमार्ट और स्नैपडील कुछ ई-कॉमर्स साइट हैं जो छोटे स्तर के उद्योगों के लिए बहुत उपयोगी हैं जो उनके व्यवसाय को बढ़ाते हैं। एक बिजनेस पार्टनर के रूप में आप उनके साथ-साथ अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं।
व्यवसाय करने की प्रक्रिया दिन-प्रतिदिन बदल रही है। विशेष रूप से महामारी कोरोना वायरस के बाद ई-कॉमर्स व्यवसाय फलफूल रहे हैं। आजकल लोगों के पास दुकानों पर जाने और खरीदने के लिए समय नहीं है और विशेष रूप से मेट्रो शहरों में लोग अपना समय बचाने के लिए ऑनलाइन खरीद पसंद करते हैं।
दुनिया डिजिटल हो रही है।और यह सबसे अच्छा समय है जब आपको ई-कॉमर्स की बिक्री पर विचार करना चाहिए।
Explained: ई-कॉमर्स कंपनियों के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव, जानिए कस्टमरों पर क्या पड़ेगा असर
केंद्र सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। ताकि वह ढांचा तैयार किया जा सके, जिसके तहत कंपनियां कार्य करती है। वहीं ई-कॉमर्स नियमों में कई प्रस्तावों का उद्देश्य ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? के लिए उनके द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं के लिए देनदारियां बढ़ाना है।
क्या ऐसे कोई बदलाव उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करेगा?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी ड्रॉफ्ट नियम ई-कॉमर्स कंपनियों के कथित फ्लैश सेल पर अकुंश लागने की मांग की है। जबकि नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स फ्लैश बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। स्पेसिफिक फ्लैश सेल और बैक-टूक बैक सेल जो ग्राहकों की पसंद को सीमित करती है, कीमतों को बढ़ाती है और एक समान अवसर को रोकती है। इसके भी परमिशन नहीं है। इन नियमों को फॉल-बैक लायबिलिटी की अवधाकरण में पेश किया गया है। जो कहता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर विक्रेता की लापरवाही के कारण सेवाओं को देने में असफल होता है तो ग्राहक को नुकसान उठाना पड़ता है। कई केस में उनके मार्केट से खरीदे गए सामनों में भी समस्याएं आती हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कस्टमरों की शिकायत को हल करने के लिए संबंधित विक्रेताओं को निर्देशित करते हैं। नियमों में ई-कॉमर्स कंपनियों के सर्च इन्डेक्सेस से प्रतिबंधित करने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
नए नियम उपभोक्ताओं के लिए कितने बदलेंगे?
ई-कॉमर्स कंपनियों को कस्टमर से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने से प्रतिबंधित किया जाएगा। कोई भी निकायक पूर्व चिह्नित चेकबॉक्स के रूप में सहमति दर्ज नहीं करेगा। साथ ही कंपनियों को आइटम्स के लिए घरेलू विकल्प उपलब्ध कराने होंगे। इससे देश में बने उत्पादों पर सरकार का जोर काफी बढ़ेगा। इस नए संशोधन ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव भी है।
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बदलाव?
किसी भी ऑनलाइन रिटलेर को सबसे पहले डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन फॉर इंडस्ट्री और इंटरनल ट्रेड में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। नियमों अनिवार्य किया गया है कि मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को लॉजिस्टिक्स सेवा समान श्रेणी के विक्रेताओं के बीच विभेदित व्यवहार प्रदान नहीं करेगा। शॉपिंग वेबसाइट से संबंधित पार्टियों और संबद्ध उद्यमों को संबंधित प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के रूप में सहायता प्राप्त करने की परमिशन नहीं होगी।
आईटी मध्यस्थ नियमों के साथ समानताएं?
सोशल मीडिया कंपनियों की तरह मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24 घंटे 7 दिन समन्वय के लिए एक शिकायत अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल सपंर्क व्यक्ति की नियुक्ती करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रावधान में ई-कॉमर्स कंपनियों को सरकारी एजेंसी के साथ जानकारी शेयर करने को कहा गया है। नए प्रस्तावित नियमों में सरकारी एजेंसी द्वारा मांगी गई जानकारी को ई-कॉमर्स कंपनी को 72 घंटों के अंदर देनी होगी।
Explained: ई-कॉमर्स कंपनियों के नियमों में बदलाव का प्रस्ताव, जानिए कस्टमरों पर क्या पड़ेगा असर
केंद्र सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। ताकि वह ढांचा तैयार किया जा सके, जिसके तहत कंपनियां कार्य करती है। वहीं ई-कॉमर्स नियमों में कई प्रस्तावों का उद्देश्य ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए उनके द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं के लिए देनदारियां बढ़ाना है।
क्या ऐसे कोई बदलाव उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करेगा?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी ड्रॉफ्ट नियम ई-कॉमर्स कंपनियों के कथित फ्लैश सेल पर अकुंश लागने की मांग की है। जबकि नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स फ्लैश बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। स्पेसिफिक फ्लैश सेल और बैक-टूक बैक सेल जो ग्राहकों की पसंद को सीमित करती है, कीमतों को बढ़ाती है और एक समान अवसर को रोकती है। इसके भी परमिशन नहीं है। इन नियमों को फॉल-बैक लायबिलिटी की अवधाकरण में पेश किया गया है। जो कहता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर विक्रेता की लापरवाही के कारण सेवाओं को देने में असफल होता है तो ग्राहक को नुकसान उठाना पड़ता है। कई केस में उनके मार्केट से खरीदे गए सामनों में भी समस्याएं आती हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कस्टमरों की शिकायत को हल करने के लिए संबंधित विक्रेताओं को निर्देशित करते हैं। नियमों में ई-कॉमर्स कंपनियों के सर्च इन्डेक्सेस से प्रतिबंधित करने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
नए नियम उपभोक्ताओं के लिए कितने बदलेंगे?
ई-कॉमर्स कंपनियों को कस्टमर से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने से प्रतिबंधित किया जाएगा। कोई भी निकायक पूर्व चिह्नित चेकबॉक्स के रूप में सहमति दर्ज नहीं करेगा। साथ ही कंपनियों को आइटम्स के लिए घरेलू विकल्प उपलब्ध कराने होंगे। इससे देश में बने उत्पादों पर सरकार का जोर काफी बढ़ेगा। इस नए संशोधन ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव भी है।
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बदलाव?
किसी भी ऑनलाइन रिटलेर को सबसे पहले डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन फॉर इंडस्ट्री और इंटरनल ट्रेड में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। नियमों अनिवार्य किया गया है कि मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को लॉजिस्टिक्स सेवा समान श्रेणी के विक्रेताओं के बीच विभेदित व्यवहार प्रदान नहीं करेगा। शॉपिंग वेबसाइट से संबंधित पार्टियों और संबद्ध उद्यमों को संबंधित प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के रूप में सहायता प्राप्त करने की परमिशन नहीं होगी।
आईटी मध्यस्थ नियमों के साथ समानताएं?
सोशल मीडिया कंपनियों की तरह मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24 घंटे 7 दिन समन्वय के लिए एक शिकायत अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल सपंर्क व्यक्ति की नियुक्ती करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रावधान में ई-कॉमर्स कंपनियों को सरकारी एजेंसी के साथ जानकारी शेयर ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है? करने को कहा गया है। नए प्रस्तावित नियमों में सरकारी एजेंसी द्वारा मांगी गई जानकारी को ई-कॉमर्स कंपनी को 72 घंटों के अंदर देनी होगी।
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