Stock Market में तीन दिन कारोबार पर ब्रेक, जानें क्यों नहीं होगी ट्रेडिंग
Stock Market Holiday In August: बीएसई (BSE) की बेवसाइट के मुताबिक, इस साल शनिवार और रविवार को छोड़कर स्टॉक मार्केट में कुल 13 अवकाश दिए गए हैं. इनमें से कई निकल चुके हैं, जबकि अगस्त के महीने में मुहर्रम, स्वतंत्रता दिवस और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार पड़ रहे हैं.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 08 अगस्त 2022,
- (अपडेटेड 08 अगस्त 2022, 4:16 PM IST)
- 9, 15 और 31 अगस्त को शेयर बाजार में ट्रेडिंग बंद
- साल 2022 में शनिवार-रविवार के अलावा 13 छुट्टियां
अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है. दरअसल, इस महीने वीकेंड के अलावा तीन दिन स्टॉक मार्केट में कारोबार बंद रहेगा. अगस्त में त्योहारों (Festivals) की शुरुआत हो चुकी है और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की वेबसाइट पर मौजूद हॉलिडे लिस्ट के अनुसार, 9 अगस्त, 15 अगस्त और 31 अगस्त को ट्रेडिंग नहीं होगी.
इस साल बाजार में 13 छुट्टियां
बीएसई की Stock Market Holiday List के मुताबिक, साल 2022 में शनिवार और रविवार के अवकाशों के अलावा कुल 13 छुट्टियां हैं. इसके तहत पहला स्टॉक मार्केट हॉलिडे 26 जनवरी को था, जबकि साल की आखिरी छुट्टी 8 नवंबर 2022 को गुरुनानक जयंती के अवसर पर रहेगी. इसके मुताबिक, अगस्त के महीने में तीन दिन ट्रेडिंग पर ब्रेक रहेगा. 9, 15 और 31 अगस्त को कारोबार नहीं होगा. इन छुट्टियों के दिनों में इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट और एसएलबी सेगमेंट में कोई ट्रेड नहीं होगा.
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इन त्योहारों पर काम-काज बंद
अगस्त का महीना त्योहारों से भरा है. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) समेत कई बड़े फेस्टिवल इस महीने हैं. लेकिन, हर त्योहार पर स्टॉक मार्केट बंद नहीं रहेगा. BSE शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग की वेबसाइट पर साझा की गई जानकारी के मुताबिक, इस महीने का पहले हॉलिडे कल यानी 9 अगस्त को है. बता दें 9 तारीख को मुहर्रम (Muharram) के मौके पर शेयर बाजार में छुट्टी रहेगी. इसके बाद 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के अवसर पर बाजार बंद रहेगा, जबकि 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के कारण बाजार में ट्रेडिंग बंद रहेगी.
अक्टूबर में भी तीन दिन की छुट्टी
इस साल का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट हॉलिडे अप्रैल के महीने में पड़ा था, जब चार दिन कारोबार बंद रहा था. इसके बाद अगस्त के अलावा अक्टूबर महीने में भी शेयर बाजार में तीन दिन की छुट्टी रहेगी. अक्टूबर 2022 में 5, 24 और 26 तारीख को क्रमशः दशहरा (Dussehra), दीवाली लक्ष्मी पूजन (Diwali Laxmi Pujan) और दीवाली बलिप्रतिपदा (Diwali Balipratipada) त्योहारों के मौके पर शेयर बाजार में काम-काज नहीं होगा.
मुहूर्त ट्रेडिंग 24 अक्टूबर को होगी
शेयर बाजार में दीवाली के मौके पर मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading) की परंपरा है. इस बार मुहूर्त ट्रेडिंग 24 अक्टूबर 2022 (दिवाली-लक्ष्मी पूजन) के दिन होगी. इसके बाद 8 नवंबर 2022 को गुरुनानक जयंती (Gurunanak Jayanti) के लिए सिर्फ एक दिन शेयर बाजार की छुट्टी होगी. यह वर्ष 2022 में पड़ने वाला आखिरी शेयर बाजार अवकाश (स्टॉक मार्केट हॉलिडे) होगा.
कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फिर कभी नहीं होंगे असफल
COMMODITY TRADING: वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से कीमत में वृद्धि होती है.
- Vijay Parmar
- Publish Date - June 29, 2021 / 09:11 PM IST
Trading In Commodity: कमोडिटी में ट्रेडिंग एक आकर्षक निवेश विकल्प है जो आपको अपना धन बढ़ाने में मदद कर सकता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग आपको अपने लाभ का फायदा उठाने का विकल्प देती है लेकिन यदि आप कुछ सावधानियां नहीं बरतते हैं तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
मुद्रास्फीति के दौरान शेयरों की कीमतें गिरती हैं
जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में वृद्धि होती है.
ऐसे महंगाई के माहौल में ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जो उधार लेने की लागत को बढ़ाती है और कंपनी की शुद्ध आय को कम करती है.
कंपनी की आय गिरने से शेयरधारकों के शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग साथ साझा किए गए मुनाफे पर भी असर पड़ता है. इसलिए, मुद्रास्फीति के दौरान, शेयरों की कीमतें गिरती हैं.
वहीं इसके विपरीत, बढ़ती मांग के कारण तैयार माल के निर्माण में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में काफी वृद्धि होती हैं. इसलिए, निवेशक अपनी पूंजी को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने और अपने मूल्य को बनाए रखने के लिए कमोडिटी फ्यूचर्स को अपनाते हैं.
जोखिम भरी भू-राजनीतिक घटनाओं से बचाव
संघर्ष, दंगे और युद्ध जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण कच्चे माल का परिवहन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसी घटनाएं सप्लाई चेन को तोड़ देती है, जिससे संसाधनों की कमी हो जाती है और कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है.
जिसके परिणामस्वरूप सप्लाई-डिमांड का बैलेंस बिगड़ता है, जिससे वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है. ऐसी घटनाओं के दौरान बाजार के सेंटीमेंट खराब होते हैं.
जिससे शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आती है. इसलिए, कमोडिटीज में निवेश करने से नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है.
उच्च लीवरेज का फायदा
फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे कमोडिटी डेरिवेटिव एक असाधारण उच्च स्तर का लीवरेज प्रदान करते हैं. इसके जरिए आप कान्ट्रेक्ट वैल्यू का केवल 5% से 10% अपफ्रंट मार्जिन चुका कर एक बड़ी पोजिशन ले सकते हैं.
वस्तुओं की कीमतों में किसी भी तरह का असाधारण मूवमेंट होने से बहुत लाभ हो सकता है. इसलिए, कमोडिटी ट्रेडिंग आपको लीवरेज का उपयोग करके अच्छा रिटर्न कमाने का मौका देता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान
लीवरेज से जितना फायदा होता है उतना ही नुकसान होता है. लीवरेज से आप छोटी पूंजी चुका कर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं, लेकिन, कान्ट्रैक्ट की कीमत में थोड़ा सा भी बदलाव आपको भारी नुकसान करा सकता है.
क्योंकि लॉट साइज 100 है और आप 1,000 कान्ट्रैक्ट खरीदे जा शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग रहे हैं. कम मार्जिन की वजह से जोखिम बढ़ जाता हैं, जो आपके पूरे निवेश को जोखिम में डाल सकता हैं.
वोलेटिलिटी का जोखिम
वस्तुओं की कीमतें काफी वोलेटाइल हैं और सप्लाई-डिमांड पर निर्भर करती है. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को घटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाना आसान नहीं है.
कोयले से चलने वाली बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों से सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों की ओर मुड़ने में काफी समय लगता है.
इसलिए संचयी बेलोचदार मांग और बेलोचदार आपूर्ति ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है जहां बाजार की बुनियादी बातों में मामूली बदलाव कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है.
विविधीकरण के अनुकूल नही
जब स्टॉक की कीमतें गिर रही होती हैं, तो कमोडिटी की कीमतें आसमान की ओर बढ़ती हैं. वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में, वस्तुओं की कुल मांग में गिरावट आई.
जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई, जिसने उत्पादन को और रोक दिया. इसका मतलब है कि कैश ने कम अस्थिरता वाली वस्तुओं की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है.
इसलिए, कमोडिटीज प्रमुख रूप से इक्विटी वाले पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं.
Commodity Trading क्या है शेयर मार्केट में कमोडिटी ट्रेडिंग क्या होता है
शेयर मार्केट में हम शेयर ट्रेडिंग के अलावा अक्सर एक शब्द और सुनते हैं Commodity Trading बहुत सारे लोग कई बार कंफ्यूज रहते हैं कि शेयर ट्रेडिंग और कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या फर्क होता है इसीलिए आज हम इस जानकारी में यही जानेंगे कि कमोडिटी क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे किया जाता है हम इसमें किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं।
Commodity क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करते है।
Commodities का मतलब होता है ऐसी चीजें जिन्हें हम डेली लाइफ में यूज करते हैं और उन चीजों को कोई भी प्रोड्यूस करें हम उसे एक जैसा ही मानते हैं उदाहरण के लिए चावल, गेहूं, तेल, एलपीजी, सोना और सिल्वर और जिस तरह शेयर मार्केट में हम शेयर पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं ठीक उसी तरह हम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटीज डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग के प्रकार
कमोडिटी मार्केट में 4 तरह के कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है।
- Agri Commodity (एग्री कमोडिटीज क्या है)- जिसमें चीनी दाल सरसों का तेल चना सोयाबीन इलायची आते हैं
- Base Metals (बेस मेटल्स)- जैसे एलमुनियम कॉपर लेड निकेल और जिंक
- Precious Metals (प्रेशियस मेटल्स)- इसमें मिली दो कमोडिटी जाती है सोना और चांदी
- Anergy Commodity (एनर्जी कमोडिटीज)- जिसमें क्रूड आयल नेचुरल गैस आते हैं।
कमोडिटीज की ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर डेरिवेटिव में होती है यानी कि हम इन चारों तरह के कमोडिटी पर अलग-अलग टाइम ड्यूरेशन के फ्यूचर कांट्रैक्ट की बाय और सेलिंग कर सकते हैं एक बात जो कमोडिटी फीचर्स को शेयर फीचर से अलग करती है वह यह है कि शेर के फीचर्स केवल 3 महीने के लिए होते हैं पर कमोडिटीज के फीचर्स से कहीं ज्यादा टाइम पर हो सकते हैं उदाहरण के लिए हम क्रूड आयल के सिक्स मंथ के लिए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट बाय कर सकते हैं दोस्तों जिस तरह शेयर की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है वैसे ही Commodity Trading कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है।
भारत में 6 कमोडिटी एक्सचेंज कंपनी है।
- MCX-मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- NCDEX-नेशनल कमोडटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज
- NMCE-नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- ICEX-इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज
- ACE-एस डेरिवेटिव एक्सचेंज
- UCX-द यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज
यानी कि हम जब भी कमोडिटीज में ट्रेनिंग करेंगे तो हमारा ट्रेड इन सभी एक्सचेंज कंपनी के जरिए ही होगा। साथ ही कमोडिटीस का रेगुलेटर सेबी ही है। जो शेयर मार्केट खूबी रेगुलेट करती है।
कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है और इन कमोडिटीज में वैसे लोग ज्यादा ट्रेडिंग करते हैं जो इसी फील्ड में काम करते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग कितना रिस्की है
कमोडिटी में ट्रेडिंग करना शेयर्स में ट्रेनिंग करने से ज्यादा रिस्की होता है क्योंकि किसी भी कमोडिटी का प्राइस काफी कम समय में जल्दी से चेंज होता है इसकी वजह यह है कि कमोडिटीज में ऐसे प्रोडक्ट है जो फिजिकल सप्लाई डिमांड पर बेचने हैं जैसे सऊदी अरेबिया में तेल को लेकर कोई इशू हो जाए तो क्रूड ऑयल की कीमत पर इसका बहुत प्रभाव पड़ सकता है। ठीक इसी तरह अगर भारत में शुगर की प्रोडक्शन जरूरत से काफी कम हो जाए तो शुगर की प्राइस इंडियन कमोडिटी मार्केट में काफी तेजी से बढ़ सकती है।
दोस्तों कमोडिटीज में ट्रेडिंग डेरिवेटिव में होती है और डेरिवेटिव की ट्रेडिंग मार्जिन पर होती है। इस वजह से अगर हमारा ट्रेड गलत जगह हो गया तो हमें काफी नुकसान हो सकता है। पर अगर हमारा ट्रेड सही हुआ हमें मारजिंग की वजह से काफी ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है। अगर हम कमोडिटी मार्केट में ट्रेड होने वाली किसी भी कमेटी में अच्छा नॉलेज है तो हम उसम ट्रेडिंग जरूर कर सकते हैं।
कमोडिटी की जगह ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर्स में होती है इसलिए यदि आप कम्युनिटी में ट्रेडिंग करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले आपको फ्यूचर ट्रेडिंग को अच्छे से समझ लेना है अच्छी बात यह है कि हमने फ्यूचर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी इस वेबसाइट में बताई हुई है सर्च बाहर में सर्च करके उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।
कमोडिटी मार्केट में कितने एक्सचेंज कंपनियां है ?
कमोडिटी मार्केट में 6 एक्सचेंज कंपनी है।
- Multi commodity exchange
- National commodity and derivative exchange
- National multi commodity exchange
- Indian commodity exchange
- Ace derivative exchange
- The universal commodity exchange
कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग किसमें होती है ?
कमोडिटी ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग होती है।
आज के इस जानकारी में हमने कमोडिटी ट्रेडिंग के बारे में जाना हम इस में किन-किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं और इसमें ट्रेडिंग कैसे होती है। यदि आपको यह जानकारी से संबंधित कुछ सवाल पूछना है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
Commodity Trading क्या है शेयर मार्केट में कमोडिटी ट्रेडिंग क्या होता है
शेयर मार्केट में हम शेयर ट्रेडिंग के अलावा अक्सर एक शब्द और सुनते हैं Commodity Trading बहुत सारे लोग कई बार कंफ्यूज रहते हैं कि शेयर ट्रेडिंग और कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या फर्क होता है इसीलिए आज हम इस जानकारी में यही जानेंगे कि कमोडिटी क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे किया जाता है हम इसमें किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं।
Commodity क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करते है।
Commodities का मतलब होता है ऐसी चीजें जिन्हें हम डेली लाइफ में यूज करते हैं और उन चीजों को कोई भी प्रोड्यूस करें हम उसे एक जैसा ही मानते हैं उदाहरण के लिए चावल, गेहूं, तेल, एलपीजी, सोना और सिल्वर और जिस तरह शेयर मार्केट में हम शेयर पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं ठीक उसी तरह हम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटीज डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग के प्रकार
कमोडिटी मार्केट में 4 तरह के कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है।
- Agri Commodity (एग्री कमोडिटीज क्या है)- जिसमें चीनी दाल सरसों का तेल चना सोयाबीन इलायची आते हैं
- Base Metals (बेस मेटल्स)- जैसे एलमुनियम कॉपर लेड निकेल और जिंक
- Precious Metals (प्रेशियस मेटल्स)- इसमें मिली दो कमोडिटी जाती है सोना और चांदी
- Anergy Commodity (एनर्जी कमोडिटीज)- जिसमें क्रूड आयल नेचुरल गैस आते हैं।
कमोडिटीज की ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर डेरिवेटिव में होती है यानी कि हम इन चारों तरह के कमोडिटी पर अलग-अलग टाइम ड्यूरेशन के फ्यूचर कांट्रैक्ट की बाय और सेलिंग कर सकते हैं एक बात जो कमोडिटी फीचर्स को शेयर फीचर से अलग करती है वह यह है कि शेर के फीचर्स केवल 3 महीने के लिए होते हैं पर कमोडिटीज के फीचर्स से कहीं ज्यादा टाइम पर हो सकते हैं उदाहरण के लिए हम क्रूड आयल के सिक्स मंथ के लिए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट बाय कर सकते हैं दोस्तों जिस तरह शेयर की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है वैसे ही Commodity Trading कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है।
भारत में 6 कमोडिटी एक्सचेंज कंपनी है।
- MCX-मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- NCDEX-नेशनल कमोडटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज
- NMCE-नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- ICEX-इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज
- ACE-एस डेरिवेटिव एक्सचेंज
- UCX-द यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज
यानी कि हम जब भी कमोडिटीज में ट्रेनिंग करेंगे तो हमारा ट्रेड इन सभी एक्सचेंज कंपनी के जरिए ही होगा। साथ ही कमोडिटीस का रेगुलेटर सेबी ही है। जो शेयर मार्केट खूबी रेगुलेट करती है।
कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है और इन कमोडिटीज में वैसे लोग ज्यादा ट्रेडिंग करते हैं जो इसी फील्ड में काम करते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग कितना रिस्की है
कमोडिटी में ट्रेडिंग करना शेयर्स में ट्रेनिंग करने से ज्यादा रिस्की होता है क्योंकि किसी भी कमोडिटी का प्राइस काफी कम समय में जल्दी से चेंज होता है इसकी वजह यह है कि कमोडिटीज में ऐसे प्रोडक्ट है जो फिजिकल सप्लाई डिमांड पर बेचने हैं जैसे सऊदी अरेबिया में तेल को लेकर कोई इशू हो जाए तो क्रूड ऑयल की कीमत पर इसका बहुत प्रभाव पड़ सकता है। ठीक इसी तरह अगर भारत में शुगर की प्रोडक्शन जरूरत से काफी कम हो जाए तो शुगर की प्राइस इंडियन कमोडिटी मार्केट में काफी तेजी से बढ़ सकती है।
दोस्तों कमोडिटीज में ट्रेडिंग डेरिवेटिव में होती है और डेरिवेटिव की ट्रेडिंग मार्जिन पर होती है। इस वजह से अगर हमारा ट्रेड गलत जगह हो गया तो हमें काफी नुकसान हो सकता है। पर अगर हमारा ट्रेड सही हुआ हमें मारजिंग की वजह से काफी ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है। अगर हम कमोडिटी मार्केट में ट्रेड होने वाली किसी भी कमेटी में अच्छा नॉलेज है तो हम उसम ट्रेडिंग जरूर कर सकते हैं।
कमोडिटी की जगह ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर्स में होती है इसलिए यदि आप कम्युनिटी में ट्रेडिंग करने के बारे में सोच रहे हैं तो पहले आपको फ्यूचर ट्रेडिंग को अच्छे से समझ लेना है अच्छी बात यह है कि हमने फ्यूचर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी इस वेबसाइट में बताई हुई है सर्च बाहर में सर्च करके उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।
कमोडिटी मार्केट में कितने एक्सचेंज कंपनियां है ?
कमोडिटी मार्केट में 6 एक्सचेंज कंपनी है।
- Multi commodity exchange
- National commodity and derivative exchange
- National multi commodity exchange
- Indian commodity exchange
- Ace derivative exchange
- The universal commodity exchange
कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग किसमें होती है ?
कमोडिटी ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रूड आयल और गोल्ड में होती है।
आज के इस जानकारी में हमने कमोडिटी ट्रेडिंग के बारे में जाना हम इस में किन-किन चीजों की ट्रेडिंग कर सकते हैं और इसमें ट्रेडिंग कैसे होती है। यदि आपको यह जानकारी से संबंधित कुछ सवाल पूछना है तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
Hindi wise money
और कमोडिटी का शेयर बाजार में क्या रोल है और कमोडिटी को हम कैसे आसान भाषा में समझ सकते हैं और बहुत से लोग कमोडिटी में ट्रेडिंग करके लाखों रुपए कैसे बना रहे हैं.
इन सभी बिंदुओं को हम विस्तार से समझेंगे
सबसे पहला बिंदु कमोडिटी कहते किसे हैं . तो दोस्तों शेयर बाजार में जो ( कमोडिटी सेगमेंट) कमोडिटी मार्केट होता है उसके अंतर्गत जैसे की सोना चांदी एलुमिनियम कॉपर मेटल कपास चना गेहूं बाजरा इत्यादि आते हैं
और यह सभी चीजें शेयर मार्केट में लि स्टेड है और इनका एक अलग एक्सचेंज भी है जिसे एमसीएक्स (mcx)कहते हैं इसमें भी ऑनलाइन ट्रेडिंग होती है
हालांकि आज के परिवेश (मॉडर्न टेक्नोलॉजी) में सभी एक दूसरे में मर्ज होने के कारण आपको एनएससी बीएससी या फिर और दूसरे एक्सचेंज पर भी इनकी ट्रेडिंग देखने को मिलती है
कमोडिटी मार्केट सुबह 9:00 a.m. से ओपन होता है और रात्रि के 23:30 पीएम कर क्लोज होता है और सप्ताह में 5 दिन चलता है शनिवार और रविवार बंद रहता है
यदि आपको कमोडिटी सेगमेंट में निवेश करना है या ट्रेडिंग करनी है तो आपका डिमैट अकाउंट होना जरूरी है यदि आपका डिमैट अकाउंट ओपन हो चुका है और आप इक्विटी में काम कर रहे हैं यानी कि शेयर खरीद रहे हैं बेच रहे हैं या निवेश कर रहे हैं और अब आप कमोडिटी में भी करना चाहते हैं
तो आपको अपने डिमैट अकाउंट में जाकर अपने ब्रोकर्स के नियम और शर्तों को कंप्लीट करके फिर आप इसमें काम स्टार्ट कर सकते हैं
यानी कि आपको अपने डिमैट अकाउंट में लॉगइन करके कुछ स्टेप्स कंप्लीट करना पड़ता है कमोडिटी में काम करने के लिए
जैसे कि बैंक अकाउंट स्टेटमेंट अपलोड करना जिसमें यह देखा जाता है कि आपकी ट्रांजैक्शन के मुताबिक आप कमोडिटी में काम करने के लायक हैं या नहीं यदि शर्तों के मुताबिक आपका स्टेटमेंट पाया जाता है तो फिर आपको अप्रूवल मिल जाता है. जिसके बाद आप बिंदास कमोडिटी सेगमेंट में काम कर सकते हैं.
और बहुत से लोग एक्सपीरियंस वाले और नॉलेज वाले ऐसे हैं जो कमोडिटी सेगमेंट में काम करके लाखों रुपए कमा रहे हैं होता क्या है कमोडिटी में आपको थोड़ा मार्जिन मनी देकर बड़ा सौदा होल्ड करने का मौका मिलता है जिसमें रिस्क तो ज्यादा रहती है लेकिन फायदा भी ज्यादा मिलता है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि सोने का भाव गिरता कम है चढ़ता ज्यादा है
तो इस हिसाब से हम टाइम और मार्केट सिनेरियो और प्रोबेबिलिटी देखकर जो डिसाइड करते हैं उसमें थोड़ा वक्त लगता है लेकिन फायदा होने के चांसेस बहुत ज्यादा रहता है
लेकिन ध्यान रहे निवेश या ट्रेडिंग कमोडिटी या इक्विटी बाजार जोखिमों के अधीन है कृपया कोई भी निवेश या ट्रेडिंग करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लें और अपने बुद्धि विवेक से काम लें हमारे इस लेख का उद्देश्य शिक्षा मात्र है .
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