अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है

अमरीकी डालर के व्यापार

भारत-अमेरिका व्यापार (India-US Trade) : भारतीय तकनीकी उद्योग ने 1.6 मिलियन नौकरियों का योगदान देकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 198 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के तहत, दोनों देशों ने 2021 में 100 अरब डॉलर के व्यापार का आंकड़ा पार किया, जिससे यह भारत-अमेरिका आर्थिक इतिहास में माल व्यापार (goods trade) की सबसे बड़ी मात्रा बन गया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को नई दिल्ली में इंडिया-यूएस बिजनेस एंड इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटीज इवेंट में कहा कि कैसे भारतीय तकनीकी उद्योग ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

दोनों अर्थव्यवस्थाएं ने मिलकर भारत में चल रहे वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए भारत-अमेरिकी व्यापार और आर्थिक अवसर कार्यक्रम में एक साथ आकर कई पहल की हैं।

इंडिया यूएस बिजनेस एंड इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटीज इवेंट में सत्र को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, “भारतीय तकनीकी उद्योग ने सीधे और अमेरिकी ग्राहक आधार का समर्थन करके, लगभग 1.6 मिलियन नौकरियों का समर्थन किया है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 198 अमरीकी डालर के व्यापार बिलियन डॉलर का योगदान दिया है।”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों ने दोनों देशों के व्यापार में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

इसके साथ ही पिछले एक दशक में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। रक्षा व्यापार या माल व्यापार के मामले में, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से घातीय वृद्धि देखी है।

सीतारमण ने कहा, “हमारे गहरे होते आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों का एक प्रमाण यह है कि दोनों देशों के बीच माल में द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया, जिससे यह भारत-अमेरिका आर्थिक इतिहास में माल व्यापार की सबसे बड़ी मात्रा बन गया।”

वित्त मंत्री ने भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह में अमेरिका के योगदान को भी स्वीकार किया।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में डेटा जारी किया है, जिससे पता चलता है कि 2021-22 में अमेरिका ने चीन को झटका देकर भारत को शीर्ष व्यापारिक भागीदार बना दिया है।

अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 80.51 बिलियन अमरीकी डॉलर के मुकाबले 119.42 बिलियन अमरीकी डालर (2021-2022) तक पहुँच गया।

अमेरिका को निर्यात भी पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर 2021-22 में 76.11 बिलियन अमरीकी डालर हो गया, जबकि आयात 2020-21 में लगभग 29 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में बढ़कर 43.31 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।

India China: चीन से आयातित रसायन पर नहीं लगेगा डंपिंग रोधी शुल्क, भारत-चीन का व्यापार 100 अरब अमेरिकी डॉलर पार

Relief: राजस्व विभाग की ओर से जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डीजीटीआर के अंतिम निष्कर्षों पर विचार करने के बाद सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है।

दवाइयों के दाम बढ़ेंगे।

सरकार ने चीन से आयातित एक प्रकार के रसायन पर डंपिंग रोधी शुल्क नहीं अमरीकी डालर के व्यापार लगाने का फैसला लिया है। इस रसायन का इस्तेमाल दवा उद्योग में होता है, माना जा रहा है कि सरकार ने इसी कारण ये फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है।

बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर ने चीन से आ रहे रसायन (4आर-सीआईएस-1-1- डाइमिथाइलथाइल-6-साइनोमिथाइल-2, 2-डाइमिथाइल-1, 3-डाइऑक्सेन-4- एसिटेट) की कथित डंपिंग की जांच की थी और अगस्त में इस पर शुल्क लगाने की सिफारिश की गई थी।

राजस्व विभाग की ओर से जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डीजीटीआर के अंतिम निष्कर्षों पर विचार करने के बाद सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है। बता दें कि शुल्क लगाने की सिफारिश डीजीटीआर करता है जबकि इसे लगाने के बारे में अंतिम निर्णय राजस्व विभाग लेता है।

केंद्र ने पेंशन संबंधी 3150 शिकायतों का समाधान किया
पेंशन और पेंशनभोगी अमरीकी डालर के व्यापार कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने चल रहे विशेष अभियान के दौरान पेंशन संबंधी 3,150 लंबित शिकायतों का समाधान किया। डीओपीपीडब्ल्यू केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों के पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से संबंधित नीतियों के निर्माण के लिए नोडल विभाग है। कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक, दो अक्तूबर से शुरू हो कर 31 अक्तूबर को समाप्त होने वाले अभियान के दौरान विभाग ने केंद्र सरकार के 68 लाख पेंशनभोगियों के लिए त्वरित निवारण सुनिश्चित करने के लिए 4200 लंबित पेंशन शिकायतों को हल करने का लक्ष्य रखा है।

जीएम सरसों को पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने की सिफारिश
इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) सरसों के पर्यावरणीय परीक्षण के लिए इसे जारी करने की सिफारिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से इस तिलहन की व्यावसायिक खेती का रास्ता खुलेगा। यह कदम ‘हरित समूहों’ और देश में मधुमक्खीपालन के अग्रणी सगठन के विरोधों के बीच उठाया गया है।

जनवरी-सितंबर के दौरान भारत-चीन का व्यापार बढ़ा
भारत और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में लगातार उछाल अमरीकी डालर के व्यापार जारी है। 2022 के पहले नौ महीनों में यह 100 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है। भारत का व्यापार घाटा 75 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 103.63 बिलियन अमरीकी डॉलर तक चला गया, जो इसी अवधि के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में 14.6 प्रतिशत ज्यादा है। चीन के सीमा शुल्क के सामान्य प्रशासन (जीएसी) द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि भारत को चीन का निर्यात 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 89.66 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, पिछले नौ महीनों में भारत का निर्यात 36.4 फीसदी की गिरावट के साथ 13.97 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। परिणामस्वरूप, कुल व्यापार घाटा 75.69 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हो गया।

विस्तार

सरकार ने चीन से आयातित एक प्रकार के रसायन पर डंपिंग रोधी शुल्क नहीं लगाने का फैसला लिया है। इस रसायन का इस्तेमाल दवा उद्योग में होता है, माना जा रहा है कि सरकार ने इसी कारण ये फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया है।

बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर ने चीन से आ रहे रसायन (4आर-सीआईएस-1-1- डाइमिथाइलथाइल-6-साइनोमिथाइल-2, 2-डाइमिथाइल-1, 3-डाइऑक्सेन-4- एसिटेट) की कथित डंपिंग की जांच की थी और अगस्त में इस पर शुल्क लगाने की सिफारिश की गई थी।

राजस्व विभाग की ओर से जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने डीजीटीआर के अंतिम निष्कर्षों पर विचार करने के बाद सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है। बता दें कि शुल्क लगाने की सिफारिश डीजीटीआर करता है जबकि इसे लगाने के बारे में अंतिम निर्णय राजस्व विभाग लेता है।

केंद्र ने पेंशन संबंधी 3150 शिकायतों का समाधान किया
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने चल रहे विशेष अभियान के दौरान पेंशन संबंधी 3,150 लंबित शिकायतों का समाधान किया। डीओपीपीडब्ल्यू केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों के पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से संबंधित नीतियों के निर्माण के लिए नोडल विभाग है। कार्मिक मंत्रालय के मुताबिक, दो अक्तूबर से शुरू हो कर 31 अक्तूबर को समाप्त होने वाले अभियान के दौरान विभाग ने केंद्र सरकार के 68 लाख पेंशनभोगियों के लिए त्वरित निवारण सुनिश्चित करने के लिए 4200 लंबित पेंशन शिकायतों को हल करने का लक्ष्य रखा है।

जीएम सरसों को पर्यावरणीय परीक्षण के लिए जारी करने की सिफारिश
इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) सरसों के पर्यावरणीय परीक्षण के लिए इसे जारी करने की सिफारिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से इस तिलहन की व्यावसायिक खेती का रास्ता खुलेगा। यह कदम ‘हरित समूहों’ और देश में मधुमक्खीपालन के अग्रणी सगठन के विरोधों के बीच उठाया गया है।

जनवरी-सितंबर के दौरान भारत-चीन का व्यापार बढ़ा
भारत और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में लगातार उछाल जारी है। 2022 के पहले नौ महीनों में यह 100 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है। भारत का व्यापार घाटा 75 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 103.63 बिलियन अमरीकी डॉलर तक चला गया, जो इसी अवधि के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में 14.6 प्रतिशत ज्यादा है। चीन के सीमा शुल्क के सामान्य प्रशासन (जीएसी) द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि भारत को चीन का निर्यात 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 89.66 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, पिछले नौ महीनों में भारत का निर्यात 36.4 फीसदी की गिरावट के साथ 13.97 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। परिणामस्वरूप, कुल व्यापार अमरीकी डालर के व्यापार घाटा 75.69 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हो गया।

भारत सरकार

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विदेश व्‍यापार (उत्‍तर पूर्वी एशिया) प्रभाग का कार्य चीन जनवादी गणराज्‍य, हांगकांग, ताइवान, जापान, कोरिया गणराज्‍य, कोरिया लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्‍य, मकाओ तथा मंगोलिया अर्थात उत्‍तर पूर्वी एशिया क्षेत्र के साथ भारत के व्‍यापार एवं आर्थिक सहयोग से संबंधित सभी क्षेत्रीय मामलों को देखना है।
ड्यूटी में संस्‍थानिक तंत्रों जैसे कि आर्थिक संबंध, व्‍यापार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संयुक्‍त समूह (जेईजी) / चीन के साथ संयुक्‍त कार्य समूह (जेडब्‍ल्‍यूजी), भारत – जापान सीईपीए तथा भारत – कोरिया सीईपीए के तहत संयुक्‍त समितियों एवं उप समितियों के माध्‍यम से तथा इन देशों के साथ अनौपचारिक बैठकों, वार्ता एवं परामर्श का आयोजन करके व्‍यापार एवं आर्थिक सहयोग पर इन देशों के साथ भागीदारी शामिल है।
कार्य में समय समय पर इन देशों एवं क्षेत्रों के संबंध में व्‍यापार सांख्यिकी का संग्रहण, संकलन एवं विश्‍लेषण तथा व्‍यापार एवं आर्थिक सहयोग पर इन देशों अमरीकी डालर के व्यापार में भारतीय मिशनों के साथ चर्चा भी शामिल है।

क्षेत्र की व्‍यापार सांख्यिकी (एनईए क्षेत्र)

उत्‍तर पूर्वी एशिया जिसमें चीन, जापान, कोरिया गणराज्‍य, हांगकांग, ताइवान आदि आते हैं, के साथ 2015-16 में द्विपक्षीय व्‍यापार का मूल्‍य 124.95 बिलियन अमरीकी डालर था जो भारत के कुल व्‍यापार का 19.42 प्रतिशत है। एनईए देशों को निर्यात का मूल्‍य 30.84 बिलियन अमरीकी डालर था, जो भारत के कुल निर्यात का 11.76 प्रतिशत है तथा एनईए देशों से आयात का मूल्‍य 94.11 बिलियन अमरीकी डालर था जो भारत के कुल आयात का 24.7 प्रतिशत है। एनईए देशों के साथ भारत का व्‍यापार घाटा 2015-16 में 63.28 बिलियन अमरीकी डालर था जो भारत के कुल व्‍यापार घाटे (118.72 बिलियन अमरीकी डालर) का 53.3 प्रतिशत है।

एनईए के साथ कुल व्‍यापार में चीन का हिस्‍सा 56.6 प्रतिशत है, जबकि हांगकांग, जापान और कोरिया ने क्रमश: 14.5 अमरीकी डालर के व्यापार प्रतिशत, 11.6 प्रतिशत और 13.3 प्रतिशत का योगदान किया। ताइवान, मंगोलिया, मकाऊ और कोरिया लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्‍य ने शेष 4 प्रतिशत का योगदान किया। भारत के कुल व्‍यापार में चीन का हिस्‍सा 10.99 प्रतिशत है, जबकि हमारे कुल व्‍यापार घाटे में इसका हिस्‍सा 44.38 प्रतिशत है।

व्‍यापार के अलावा एनईए देश एक साथ मिलकर इस समय 4233 बिलियन अमरीकी डालर के कुल निर्यात और 3548.7 बिलियन अमरीकी डालर के आयात तथा 7781 बिलियन अमरीकी डालर के कुल व्‍यापार के साथ विश्‍व में सबसे प्रभावशाली आर्थिक खिलाडि़यों में हैं। उच्‍च विकास दर के साथ चीन, कोरिया, ताइवान और हांगकांग अग्रणी अर्थव्‍यवस्‍था हैं; वे भारत के लिए महत्‍वपूर्ण निवेश साझेदार हो सकते हैं। एनईए देशों के साथ भागीदारी भारत की ‘पूरब में काम करो नीति’ का भी अभिन्‍न अंग है जिसके तहत उत्‍तरी अमेरिका और यूरोप के परंपरागत क्षेत्रों से आगे भारत की आर्थिक भागीदारी का विस्‍तार करने का प्रयास किया जाता है। 2010-11 से 2015-16 के दौरान उत्‍तर पूर्व एशिया के देशों के साथ व्‍यापार को सारणी में दर्शाया गया है :

सारणी 1 : उत्‍तर पूर्वी एशियाई अमरीकी डालर के व्यापार देशों के साथ व्‍यापार

(मूल्‍य मिलियन अमरीकी डालर में)

अमरीकी डालर के व्यापार
वर्ष निर्यात आयात कुल व्‍यापार व्‍यापार संतुलन
2010-11 37,315.76 76,109.73 1,13,425.50 (-) 38,793.97
2011-12 45,349.59 94,883.00 1,40,232.59 (-) 49,533.41
2012-13 39,437.08 89,907.33 1,29,344.40 (-) 50,470.25
2013-14 40,816.49 84,372.93 1,25,189.41 (-) 43,556.44
2014-1537,788.22 93,812.80 1,31,601.02 (-) 56,024.58
2015-16 30,835.10 94,110.44 1,24,945.54 (-) 63,275.34

2017 में नियोजित मौजूदा गतिविधियां
भारत – कोरिया सीईपीए समीक्षा वार्ता शुरू हो चुकी है
चीन के साथ मंत्री स्तर पर संयुक्‍त आर्थिक समूह की 11वीं बैठक की योजना बनाई गई है
ताइवान के साथव संयुक्‍त कार्य समूह की बैठक की योजना बनाई गई है
भारत – जापान सीईपीए के तहत सचिव स्‍तर पर संयुक्‍त समिति की चौथी बैठक

भारत तथा कोरिया गणराज्‍य के बीच एक व्‍यापक आर्थिक भागीदारी करार (सीईपीए) पर 7 अगस्‍त, 2009 को हस्‍ताक्षर किये गये थे। सीईपीए 1 जनवरी 2010 से प्रभावी हुआ तथा इस समय इसके उन्‍नयन के लिए वार्ता चल रही है।

भारत और जापान के बीच एक व्‍यापक आर्थिक भागीदारी करार (सीईपीए) पर हस्‍ताक्षर 16 फरवरी, 2011 को किए गए थे। यह करार 1 अगस्‍त, 2011 से प्रवृत्‍त हुआ है।

व्‍यापार संवर्धन की गतिविधियों में विदेशों में / एनईए देशों में आयोजित व्‍यापार मेलों एवं प्रदर्शनियों में उद्योगों के साथ व्‍यापार केन्‍द्रों / निर्यात संवर्धन परिषदों द्वारा भागीदारी शामिल है।
व्‍यापार को बढ़ावा देने एवं सुगम बनाने के लिए समय समय पर विभिन्‍न स्‍तरों पर द्विपक्षीय बैठकों का आयोजन करना।

जापान और दक्षिण कोरिया के साथ हस्‍ताक्षरित व्‍यापार करार निम्‍नलिखित लिंक पर वाणिज्‍य विभाग की वेबसाइट पर उपलब्‍ध हैं :

जनवरी-सितंबर 2022 के दौरान भारत-चीन व्यापार 100 अरब डॉलर को पार; चीनी सीमा शुल्क प्राधिकरण

India- China trade

भारत को चीन का निर्यात 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 89.66 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया जबकि पिछले नौ महीनों में भारत का निर्यात 36.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज करते हुए 13.97 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा।

परिणामस्वरूप, कुल व्यापार घाटा 75.69 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है ।

2021 के व्यापार आंकड़े

2021 में लद्दाख सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 125 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक था।

पिछले साल, भारत को चीन का निर्यात 97.52 बिलियन अमरीकी डॉलर था , जबकि चीन को भारत का निर्यात 28.14 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 2021 में 69.38 अरब अमेरिकी डॉलर था।

2021-22 में भारत सरकार के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन को पीछे छोड़ते हुए , भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया था ।

भारत सरकार के आंकड़े चीनी सरकार के आंकड़े से अलग हैं क्योंकि भारत में लेखा अवधि अप्रैल-मार्च है और भारत और चीन द्वारा माल के निर्यात और आयात की गणना करने के तरीके भी अलग हैं।

India’s Trade Deficit : डबल से भी ज्यादा हुआ भारत का व्यापार घाटा, निर्यात में मामूली इजाफा

अगस्त के महीने में भारत का व्यापार घाटा 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो साल 2021 के अगस्त महीने के मुकाबले में दोगुने से भी ज्यादा है

India’s Trade Deficit : डबल से भी ज्यादा हुआ भारत का व्यापार घाटा, निर्यात में मामूली इजाफा

अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है

India’s trade deficit : केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में देश का व्यापार घाटा डबल से भी ज्यादा रहा है. अगस्त के महीने में भारत का व्यापार घाटा 27.98 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो साल 2021 के अगस्त महीने के मुकाबले में दोगुने से भी ज्यादा है. पिछले साल अगस्त में व्यापार घाटा 11.71 अरब डॉलर दर्ज किया गया था. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.78 अरब डॉलर था. अगस्त महीने में देश के इम्पोर्ट 37.28 फीसदी की बढ़त के साथ 61.9 अरब डॉलर पहुंच गया है.

कच्चे तेल के इम्पोर्ट में 87.44 फीसदी का इजाफा

भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है, जिसकी वजह से उसका इम्पोर्ट एक्सपोर्ट के मुकाबले बहुत ज्यादा हो जाता है. अगस्त के महीने में कच्चे तेल का आयात 87.44 प्रतिशत के इजाफे के साथ बढ़कर 17.7 अरब डॉलर दर्ज किया गया. हालांकि, अमरीकी डालर के व्यापार गोल्ड इम्पोर्ट में 47 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, अगस्त में गोल्ड इम्पोर्ट घटकर 3.57 अरब डॉलर रहा, जबकि सिल्वर का आयात बढ़कर 684.34 मिलियन अमेरिकी डॉलर करीब पहुंच गया, जो पिछले साल अगस्त में 15.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर था.

मेजर कमोडिटी प्रोडेक्ट्स के इम्पोर्ट में भी हुआ खासा इजाफा

अगस्त में मेजर कमोडिटी प्रोडेक्ट्स के इम्पोर्ट खासा इजाफा देखा गया. कोयला, कोक और ब्रिकेट्स का इम्पोर्ट 133.64 फीसदी के इजाफे के साथ 4.5 बिलियन अमरीकी डालर पर पहुंच गया, केमिकल इम्पोर्ट 43 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3 बिलियन अमरीकी डालर पर रहा, वनस्पति तेल में 41.55 प्रतिशत के इजाफे के साथ 2 बिलियन अमरीकी डालर के करीब पहुंच गया. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सामान, चावल, चाय, कॉफी और केमिकल्स के इम्पोर्ट में इजाफा देखा गया. वहीं पेट्रोलियम उत्पादों का एक्सपोर्ट 22.76 फीसदी के इजाफे के साथ बढ़कर 5.71 अरब डॉलर हो गया. इसी तरह केमिकल्स और फार्मा से जुड़ी शिपमेंट में 13.47 प्रतिशत और 6.76 प्रतिशत बढ़कर 2.53 बिलियन अमरीकी डालर और 2.14 बिलियन अमरीकी डालर हो गए.

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एक्सपोर्ट में मामूली बढ़त

अगस्त महीने में देश का एक्सपोर्ट 1.62 फीसदी इजाफे के साथ 33.92 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है. मौजूदा फाइनेंशल ईयर के अप्रैल से अगस्त के बीच देश के एक्सपोर्ट 17.68 फीसदी की बढ़त के साथ 193.51 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुंच गया. जबकि इस दौरान देश का इम्पोर्ट 45.74 प्रतिशत इजाफे के साथ 318 अरब डॉलर हो गया है.

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