अल्पकालिक निवेश में भी होता है जोखिम, सावधानी से चुनें अपना विकल्प
अगर आप कम समय में निश्चित राशि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप शॉट टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान का विकल्प चुन सकते हैं. हालांकि, इसका चयन करते समय सावधानी भी बरतने की जरूरत होती है. आर्बिट्रेज फंड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड जैसे विकल्प मौजूद हैं. आप तीन महीने के निवेश का भी विकल्प चुन सकते हैं. कुछ निवेश ऐसे होते हैं, जो पांच साल तक के लिए भी होते हैं.
हैदराबाद : बढ़ती ब्याज दरों को ध्यान में रखते हुए, निवेशकों को अपने विकल्प चुनने में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है. खासकर, जब वे एक से पांच साल के अल्पकालिक निवेश के लिए जा रहे हों, तो उन्हें सावधानीपूर्वक सही प्रकार की योजनाओं का चयन करना चाहिए. तभी उनकी गाढ़ी कमाई बच सकेगी और वे निश्चित रिटर्न भी प्राप्त कर सकेंगे. निवेश योजनाओं का चयन करने से पहले, प्रत्येक संभावित निवेशक को अपनी समग्र जरूरतों पर विचार करके वित्तीय लक्ष्य तय करने चाहिए. लंबी अवधि की योजनाओं से अच्छा रिटर्न मिलता है. जबकि, अल्पकालिक निवेश हमें जब भी आवश्यकता महसूस होती है, धन निकालने की सुविधा प्रदान करते हैं. ऐसे में केवल उन्हीं अल्पकालिक निवेशों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है जो सुरक्षित हैं.
'लिक्विड फंड' को अल्पकालिक निवेश के रूप में चुना जा सकता है क्योंकि वे प्रभावी रूप से एक प्रकार के आकस्मिक निधि के रूप में कार्य करते हैं. बैंक खातों में बचत जमा की तुलना में वे थोड़ी बेहतर आय देते हैं. लिक्विड फंड को सुरक्षित निवेश माना जाता है जिसे निवेश की तारीख से कभी भी वापस लिया जा सकता है. उन्हें टैक्स के बाद चार से सात फीसदी ब्याज मिलता है.
लिक्विड फंड की अवधि एक से 90 दिनों तक होती है. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि लिक्विड फंडों का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) स्थिर रहता है और यह दुर्लभतम परिस्थितियों में ही घटता है. इसकी एक और खासियत यह है कि निवेश इकाइयों को बेचने के दो से तीन दिनों के भीतर हमारे खातों में नकद जमा कर दिया जाता है. फिर, 'अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड' हैं, जिनमें सिर्फ तीन से छह महीने की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है. ये अल्ट्रा शॉर्ट फंड कंपनियों को कर्ज मुहैया कराते हैं. ऐसे कारणों से, लिक्विड फंड की तुलना में इन अल्ट्रा शॉर्ट फंडों में थोड़ा जोखिम कारक होता है. हालांकि, अल्ट्रा शॉर्ट निवेश बैंकों में सावधि जमा की तुलना में बराबर या थोड़ा अधिक रिटर्न देगा.
जो लोग इक्विटी और फ्यूचर्स में निवेश करके थोड़ा अधिक रिटर्न पाने का लक्ष्य रखते हैं, वे आर्बिट्रेज फंड को प्राथमिकता दे सकते हैं. वे लगभग आठ से नौ प्रतिशत वार्षिक आय प्राप्त कर सकते हैं. इक्विटी फंड को नियंत्रित करने वाले समान नियम इन फंडों निवेश का प्रकार चुनें के माध्यम से किए गए मुनाफे पर लागू होंगे. निवेशक इन आर्बिट्राज फंडों में तीन से पांच साल के लिए अपना पैसा लगा सकते हैं.
निवेशक 'मनी मार्केट फंड' के लिए भी जा सकते हैं, जो उन म्यूचुअल फंडों में से हैं जो सबसे कम जोखिम वाले कारक हैं. ये फंड सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. वे तीन महीने से एक वर्ष की अवधि के लिए निवेश करने के लिए सुलभ हैं. उच्च टैक्स स्लैब वाले लोग इन मनी मार्केट फंडों को सावधि जमा के विकल्प के रूप में चुन सकते हैं.
भारत में म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
म्यूचुअल फंड उद्योग एक प्रकार का निवेश वाहन है जो कई निवेशकों से स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट आदि जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करता है। पेशेवर मनी मैनेजर म्यूचुअल फंड का प्रबंधन करते हैं, संपत्ति आवंटित करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो संरचित और उनके प्रॉस्पेक्टस में उल्लिखित निवेश उद्देश्यों से मेल खाने के लिए प्रबंधित होते हैं। व्यक्ति और छोटे व्यवसाय म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जो उन्हें स्टॉक, बॉन्ड आदि के पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। शेयरधारक फंड के लाभ या हानि को आनुपातिक रूप से साझा करते हैं। आम तौर पर, म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन फंड के कुल मार्केट कैप में बदलाव पर आधारित होता है, जो फंड के अंतर्निहित निवेश के प्रदर्शन को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।
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किस कंपनी के शेयर खरीदें
किस कंपनी के शेयर खरीदें और निवेश के लिये शेयर कैसे चुनें जिनमें कम रिस्क हो और लाभ की संभावना अधिक हो। ऐसे शेयर चुनना वाकई कठिन हो सकता है जिनमें लाभ की संभावना आधिक हो और जोखिम बहुत ही कम हो। हम ऐसे तरीके सीख सकते हैं जिससे कि हमें अपने निवेश में मुंह की ना खानी पड़े और हमारा पैसा और निवेश बढ़ता ही रहे। सावधानी से चलेंगे तो यहां शेयर मार्केट में आप अच्छा पैसा बना सकते हैं बस आपको पता होना चाहिये कि निवेश के लिये शेयर कैसे चुनें और वह कौन सा तरीका है जिससे कम रिस्क में अधिक पैसा बनाया जा सके।
किस कंपनी के शेयर खरीदें और निवेश के लिये शेयर कैसे चुनें
किस कंपनी के शेयर खरीदें। How you can select Shares for investment for high returns and low risk.
किस कंपनी के शेयर खरीदें
हमने आपको पहले भी कई बार बताया है कि कभी भी टिप्स के आधार पर निवेश ना करें। दोस्तों, रिश्तेदारों के बताये टिप्स की अवहेलना करना ही बेहतर होता है। इसी प्रकार आपके ब्रोकर या अन्य कई वेब साइट निवेश का प्रकार चुनें आपको निवेश के टिप्स और मैसेज भेजते होंगे। सबसे अच्छा तो यह है कि आप स्वयं स्टडी करें और अपने निवेश को समझें। आपको बताते हैं कि फंडामेंटल यानी आधारभूत रूप में मजबूत शेयर कैसे चुन सकते हैं।
आधारभूत रूप में मजबूत किस कंपनी के शेयर खरीदें
जब आप यह सोच रहे हैं कि किस कंपनी के शेयर खरीदें तो आपको इसमें यह देखना होगा कि कंपनी लगातार अच्छे फायनेंशल नतीजे दे रही है कि नहीं। आप तीन से पांच साल तक के नतीजे देख सकते हैं। कंपनी यदि आधारभूत रूप में मजबूत नहीं है तो उसमें निवेश ना करें। इसके लिये आपको जांचना होगा। निवेश के लिये शेयर चुनते हुए निम्न मानकों को जरूर परखें।
EPS ईपीएस
कंपनी कि प्रति शेयर आय की जाँच करें। सालाना ही नहीं आप तिमाही नतीजों में भी देख सकते हैं कि कंपनी का ईपीएस लागातार बढ़ रहा है या नहीं। इसका सीधा अर्थ है कि कंपनी की कमाई बढ़ रही है तो शेयर भी बढ़ेगा ही।
PE Ratio पी/ई रेशो
शेयर की कीमत का प्रति शैयर आय के अनुपात को चेक करें। यदि कंपनी का पीई रेशो अपने उद्योग में दूसरी कंपनियों के मुकाबले कम है तो Sahre के बढ़ने की संभावना आधिक हो सकती है।
Book Value बुक वेल्यू
शेयर की बुक वेल्यू और प्राईज/बुक वेल्यू देखें। अपने उद्योग में दूसरी कंपनियों के मुकाबले कम है या नहीं। तेज़ी से विकास कर रही कंपनी के शेयर की यदि बुक वैल्यू अधिक है तो कंपनी बोनस भी दे सकती है।
Dividend लाभांश
कंपनी लगातार लाभांश यानि Dividend दे रही हो। लाभांश दर यदि प्रति वर्ष बढ़ रही है तो यह एक निवेश करने लायक कंपनी हो सकती है।
यदि यह सब सूचनायें अच्छीं हैं निवेश का प्रकार चुनें तो कंपनी की बैलेंस शीट भी पढ़ें।
आंकड़े अच्छी तरह समझने के लिये TTM वित्तीय आंकड़े भी देखें।
कंपनी क्या काम करती है
यह समझना बहुत जरूरी है कि जिस Share में आप Invest कर रहे हैं वह कंपनी क्या बनाती है या कौन सी सेवायें देती है। कई प्रॉडक्टस ऐसे होते हैं जो हमारे रोज मर्रा के काम में हम प्रयोग करते हैं, उनके बारे में हमें अच्छी समझ होती है। आप जिस कंपनी के शेयर को खरिदना चाहते हैं वह कंपनी क्या करती है इसकी अपको बहुत अच्छे से समझ होनी चाहिये। कई बार कंपनी के वास्तविक काम को समझने में गलतफहमी हो सकती है। याद रखिये मोबाइल निर्माता और मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां अलग अलग होतीं हैं। उसी प्रकार मोबाइल सेवा प्रदाता और मोबाइल टॉवर मैनटेनेंस कंपनियां अलग अलग होतीं हैं। उसी प्रकार तेल प्रोसेस कंपनियां और तेल मार्केटिंग कंपनियां भी अलग अलग होतीं हें। इस यरह की निवेश का प्रकार चुनें गलतफहमी से बचने के लिए कंपनी के बिजनेस को समझना बहुत आवश्यक है।
जिस कंपनी के शेयर खरीद रहे हैं उसका भविष्य भी देखें
जो कंपनी भूत काल में अच्छी थी उस कंपनी का भविष्य कैसा होगा यह भी समझ लें। क्या कंपनी का उत्पाद लंबे समय तक प्रयोग होने वाला होगा। कंपनी कोई ऐसा उत्पाद तो नहीं बनाती जो कुछ सालों में प्रयोग होना ही बंद हो जाये। बदलती तकनीक के जमाने में यह जानना बहुत आवश्यक है। कभी किसी ने सोचा था कि टापराइटर म्यूजियम में रखने की चीज बन जायेंगे?
अपने उद्योग में लीडर
ऐसी कंपनी जिसको उसके कंपीटीटर हरा ना सकते हों। अपने आसपास देखिये, कई प्रॉडक्टस मिल जायेंगे जो घर घर में प्रयोग होते हैं। जैसे कि सर्फ, यहां तक कि वाशिंग पॉवडर की जगह सर्फ ही बोला जाता है। ऐसी कई कंपनियां मिल जायेंगी जिनका अपने उद्योग में बोलबाला है और कोई प्रतिद्वंद्वी उनके नजदीक नहीं पहुंच पाता है। अधिकतर ब्लूचिप शेयर और FMCG शेयर इसी श्रेणी में आते हैं।
कंपनी क्या अनोखा कर रही है
ऐसा काम जो कोई नहीं कर रहा उस उद्योग में। कोई सर्विस सैंटर का नेटवर्क या कोइ प्रॉडक्ट का कॉपीराइट जिसे कोई दूसरा बना नहीं सकता। जैसे मारुति उद्योग का सर्विस नेटवर्क देश भर में फैला है। ऐसी कंपनियां अपने उद्योग में लीडर बन जातीं हैं।
कंपनी पर कर्ज
कंपनियां अपने विस्तार के लिये कर्ज लेती ही हैं और क़र्ज़ लेने में कोई बुराई भी नहीं है। देखने वाली बात है कि कंपनी कितना ब्याज दे रही है वह उसके लाभ के मुकाबले कितना है। आधिक कर्ज वाली कंपनियों से बच कर रहना ही श्रेयकर है।
मेनजमेंट
एक अच्छी मेनजमेंट टीम ही एक अच्छी कंपनी और नतीजे दे सकती है। अच्छी टीम अचानक आने वाले संकटों से भी बचाती है और कंपनी को नई उंचाइयों पर ले जाने में सक्षम होती है। इसके लिए आप उस कंपनी की ग्रुप कंपनियाँ भी देख सकते हैं। जैसे आमतौर पर टाटा ग्रुप की सभी कंपनियाँ अच्छे नतीजे देतीं हैं।
कंपनी का बोनस और डिविडेंड का रिकार्ड भी देखें। यदि मेनजमेंट की नीति लगातार Bonus Share देने की रही है तो यह ना सिर्फ मेनजमेंट के आत्मविश्वास का परिचायक है बल्कि यह कंपनी के भविष्य में भी ऐसा ही करने की संभावनाओं का प्रतीक भी हो सकता है।
किस कंपनी के शेयर खरीदें कैसे निर्धारित करें
किस कंपनी के शेयर खरीदें और निवेश के लिये शेयर कैसे चुनें यह पूरी गारंटी के साथ ऐसे लेख में तो बता पाना मुश्किल है पर यदि आप इन सब बातों का ख्याल रखेंगे जो हमने इस लेख में बताईं हैं तो आपके लाभ की संभावना अवश्य बढ़ जायेगी।
निवेश का प्रकार चुनें
Q. With reference to the foriegn investments in India, which of the following statements is/are correct?
1. Any investment above 10% in a company is classified as Foriegn Direct Investment (FDI).
2. Foriegn Portfolio Investors (FPI) can invest only in the shares of listed companies.
3. The domestic policies affect the flow of FDI more than the FII.
Select the correct answer using the code given below:
Q. भारत में विदेशी निवेश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा /कथन सही है / हैं?
1. किसी कंपनी में 10% से अधिक के निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
2. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) केवल सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
3. घरेलू नीतियां FDI के प्रवाह को एफआईआई से अधिक प्रभावित करती हैं।
Investment Tips: लंबी अवधि में कमाना है मुनाफा? इक्विटी फंड्स में निवेश पूरा कर सकता है आपका सपना
इक्विटी फंड को स्टॉक फंड भी कहते हैं. यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से स्टॉक या इक्विटी में निवेश करता है.
शेयर बाजार ने बीते कुछ सालों में भरपूर रिटर्न दिया है. अगर पिछले साल का आंकड़ा देखें तो निवेशकों को हर साल औसतन 14 फीसदी का मुनाफा हुआ है. दमदार मुनाफे के लिए अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि सीधे शेयर खरीद लें. केवल 500 रुपए के शुरुआती निवेश से आप भी म्यूचुअल फंड में इक्विटी निवेश का प्रकार चुनें फंड्स के जरिए शेयर बाजार में एंट्री कर सकते हैं.
इक्विटी फंड का प्रदर्शन
इक्विटी फंड्स ने बीते 3 से 5 साल में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है. इसमें क्वांट स्मॉल कैप फंड ने 5 साल में करीब 42 फीसदी का रिटर्न दिया है. अगर 3 साल में फंड का रिटर्न देखने को यह 21 फीसदी है. जबकि इस दौरान बाजार ने कोरोना महामारी और जियो-पॉलिटिकल टेंशन को भी झेल रहा है. ABSL डिजिटल इंडिया फंड ग्रोथ ने निवेशकों को 3 साल में 40 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.
इक्विटी फंड क्या है?
इक्विटी फंड को स्टॉक फंड भी कहते हैं. यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जो मुख्य रूप से स्टॉक या इक्विटी में निवेश करता है. इसमें आपके पैसे को फंड मैनेजर तय करता है कि रकम का निवेश किन-किन कंपनियों में लगाना है. इसमें फंड मैनेजर की मदद एक रिसर्च टीम करती है.
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