अब आप सोच रहे होंगे कि स्टॉक का चयन कोई आसान काम है क्या? इसका जवाब है- बिल्कुल आसान काम है. आप 5 मिनट में खुद बेहतर स्टॉक खोज सकते हैं. इसके लिए आपको कंपनी के कारोबार (Business of Company) पर फोकस करना होगा. जिस स्टॉक में आप पैसे लगा रहे हैं, उसका कारोबार बेहतरीन होना चाहिए. बस एक यही अहम पैमाना है, जिसके आधार पर आप लंबी अवधि में शेयर से मोटा रिटर्न पा सकते हैं.
Fundamental Analysis के बारे में जाने(Hindi)
अगर आप मौलिक विश्लेषण क्या है? शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपने Fundamental Analysis के बारे में सुना होगा की ये कंपनी के फंडामेंटल मजबूत हैं या फ़ण्डामेंटली कमज़ोर कंपनी हैं Fundamental Analysis किसी भी कंपनी की Financial Health के बारे में बताता हैं तो इस ब्लॉग आर्टिकल मौलिक विश्लेषण क्या है? में हम Fundamental Analysis के बारे में जानेगे !!
Table of Contents
Fundamental Analysis क्या होता हैं|What is Fundamental Analysis
अगर आप किसी कंपनी की Intrinsic Value का पता लगाना चाहते हैं अथार्थ उस कंपनी के अंदर कितनी वैल्यू हैं या उसका कितना फ्यूचर पोटेंशियल हैं जो कई बार उसके स्टॉक प्राइस में नहीं होता और कई बार स्टॉक का भाव उसकी वैल्यू से ज्यादा होता हैं तो इस वजह से कई बार स्टॉक महंगा और कई बार सस्ता लगता हैं उस स्टॉक की ट्रू वैल्यू निकलने में फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग किया जाता हैं ।
Fundamental Analysis वित्तीय अनुपात का विश्लेषण करके स्टॉक के आंतरिक मूल्य का पता लगाने की विधि है और उस विशेष कंपनी के शेयर मूल्य को प्रभावित करने वाले मैक्रो और माइक्रो कारक को जानना होता हैं। मूल रूप से एक मौलिक विश्लेषक कंपनी के शेयर की कीमत को प्रभावित करने वाले सभी कारकों को देखता और वित्तीय अनुपात, समाचार, शीर्ष प्रबंधन, नेतृत्व, ब्रांड मूल्य आदि का विश्लेषण करता है।
Types of Fundamental Analysis (Hindi)
Fundamental Analysis मूल रूप से दो प्रकार के होते है:
1.Quantitative Fundamental Analysis
Quantitative Fundamental Analysis ( मात्रात्मक मौलिक विश्लेषण ): इस प्रकार के मौलिक विश्लेषण में वित्तीय संख्याओं जैसे P/E Ratio (मूल्य से कमाई अनुपात), P/B Ratio (बुक अनुपात के लिए मूल्य) और इक्विटी अनुपात के ऋण जैसे महत्व अनुपात से किए जाते हैं।इन अनुपातों का मूल्यांकन करके Fundamental Analyst निवेश के लिए निर्णय लेते हैं।
2.Qualitative Fundamental Analysis
Qualitative Fundamental Analysis ( गुणात्मक मौलिक विश्लेषण ):- इस प्रकार के मौलिक विश्लेषण में कॉरपोरेट गवर्नेंस, मैनेजमेंट पॉलिसी, बिजनेस प्रॉस्पेक्टस और इंडस्ट्री फ्यूचर प्रॉस्पेक्टस और समकक्षों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त आदि को महत्व दिया जाता है। इसमे देखा जाता हैं की कंपनी अपने सेक्टर में और अपने कॉम्पिटिटर से कैसे बेहतर हैं ।
Fundamental Analyst Approach for Investment
Fundamental Analyst किसी भी बिजनेस या कंपनी सिलेक्शन फॉर इन्वेस्टमेंट के लिए दो अप्रोच का इस्तेमाल करते हैं।
1.Top-Down Approach
Top-Down मौलिक विश्लेषण क्या है? Approach : – इस दृष्टिकोण में विश्लेषण प्रक्रिया उस देश की अर्थव्यवस्था से शुरू होती है जैसे मुद्रास्फीति दर, जीडीपी डेटा और अन्य आर्थिक गतिविधि फिर वे विश्लेषण करते हैं कि कौन सा क्षेत्र Promising लग रहा है और इस क्षेत्र में कौन सा विशेष उद्योग प्रदर्शन कर रहा है और उद्योग में कौन सी कंपनी अपने Competitor की तुलना में बेहतर कर रही है। कंपनी की वित्तीय रिपोर्ट और मेट्रिक्स का विश्लेषण निवेश निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
2.Bottom -Up Approach
Bottom-Up Approach : – इस दृष्टिकोण में विश्लेषण प्रक्रिया कंपनी के वित्तीय अनुपात और कंपनियों के वित्तीय स्वास्थ्य से शुरू होती है, जब सेक्टर या इंडेक्स प्रॉस्पेक्टस जैसे अन्य पैरामीटर देखे जाते हैं और फिर आर्थिक कारक देखें जाते हैं जो कंपनी के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। निष्कर्ष: – मुख्य निष्कर्ष यह है कि वित्तीय विश्लेषण का उपयोग ठोस दृष्टिकोण से निवेश के अवसर की पहचान करने के लिए किया जाता है।
फंडामेंटल एनालिसिस का परिचय
किसी भी बिज़नेस को समझने के लिए फ़ंडामेंटल एनालिसिस का इस्तेमाल किया जाता है। अगर कोई निवेशक लम्बे समय के लिए बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो उसको उस बिज़नेस को ठीक से समझना चाहिए जिसमें निवेश कर रहा है। फ़ंडामेंटल एनालिसिस बिज़नेस को कई तरफ से देखने और समझने के इसी काम में मदद करती है। निवेशक के लिए ये ज़रूरी है कि वो बाजार के हर दिन के शोरगुल से अलग हट कर बिज़नेस के कामकाज पर नज़र डाले। फ़ंडामेंटल तौर पर मज़बूत कंपनियों के शेयर की क़ीमत समय के साथ बढ़ती है और निवेशक को फ़ायदा होता है।
भारतीय बाज़ार में ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे इनफ़ोसिस , TCS, पेज इंडस्ट्री , आयशर मोटर्स , बॉश इंडिया , नेस्ले इंडिया , TTK प्रेस्टीज आदि। इनमें से हर कंपनी ने दस साल से ज़्यादा तक औसतन 20% से ज़्यादा का कम्पाउंड वार्षिक रिटर्न ( CAGR) दिया है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि इनमें पैसा लगाने वाले हर निवेशक का पैसा 3.5 साल में दोगुना हो रहा था। CAGR रिटर्न जितना ज़्यादा होगा आपकी पूँजी उतनी ही तेज़ी से बढ़ेगी। बॉश इंडिया जैसी कुछ कंपनियों ने तो 30% तक का CAGR दिया है। तो अब आपको समझ आ गया होगा कि फ़ंडामेंटल तौर पर मज़बूत कंपनियों में निवेश करके कितनी तेज़ी से और कितना ज़्यादा पैसा कमाया जा सकता है ।
नीचे दिए गए बॉश इंडिया , आयशर मोटर्स और TCS लिमिटेड के चार्ट को देख कर आप अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि लम्बे समय में सम्पत्ति कैसे बढ़ती है। याद रहे कि भारतीय बाज़ार के कई उदाहरणों में से ये सिर्फ़ तीन उदाहरण हैं।
2- क्या मैं फ़ंडामेंटल एनालिस्ट बन सकता हूँ?
आप बिलकुल बन सकते हैं। ये एक ग़लतफ़हमी है कि सिर्फ़ चार्टर्ड अकाउंटंट या कॉमर्स के बैकग्राउंड वाले लोग ही अच्छे फ़ंडामेंटल एनालिस्ट बन सकते हैं। एक अच्छा फ़ंडामेंटल एनालिस्ट बनने के लिए आपको बस कुछ चीज़ें सीखनी होंगी। :
- वित्तीय स्टेटमेंट को समझना
- हर बिज़नेस को उसकी इंडस्ट्री के परिप्रेक्ष्य के साथ समझना होगा
- ज़रूरी गणित को जानना होगा
इस अध्याय में हम ऊपर की लिस्ट में से पहली दो चीज़ों को सीखेंगे जिससे हमें फ़ंडामेंटल एनालिसिस आ सके।
1.3 – मुझे टेक्निकल एनालिसिस आती है, फंडामेंटल एनालिसिस समझने की क्या जरुरत है?
टेक्निकल एनालिसिस आपको छोटे फ़ायदे दिलाती है। ये आपको बाज़ार में एंट्री और एग्ज़िट का सही समय बताती है। लेकिन ये सम्पत्ति बढ़ाने का सही तरीका मौलिक विश्लेषण क्या है? नहीं है। आप अमीर तभी बन सकते हैं जब आप अच्छा लांग टर्म निवेश करें। वैसे अच्छा ये होगा कि आप टेक्निकल ऐनालिसिस और फ़ंडामेंटल ऐनालिसिस दोनों को इस्तेमाल करें। इसे समझने के लिए एक बार फिर से आयशर मोटर्स के चार्ट पर नज़र डालते हैं।
मान लीजिए एक निवेशक आयशर मोटर्स को फंडामेंटल तौर पर मजबूत शेयर मानकर उस में निवेश करता है। उसने 2006 में कंपनी के शेयर में पैसे लगाए , जैसा कि आप चार्ट में देख सकते हैं कि 2006 से 2010 के बीच में स्टॉक ने कोई खास पैसे नहीं बनाए। शेयर में तेजी 2010 के बाद ही शुरू हुई। इसका यह भी मतलब हुआ कि फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर किए गए इस निवेश में आयशर मोटर्स ने निवेशक को अच्छा रिटर्न नहीं दिया। 2006 से 2010 के बीच इस निवेशक ने अगर छोटे-छोटे ट्रेड किए होते तो उसको ज्यादा फायदा हो सकता था। टेक्निकल एनालिसिस इस तरह के छोटे सौदों के लिए फायदेमंद होता है । इसीलिए आपको टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस का इस्तेमाल साथ – साथ करना चाहिए। इसी पर आधारित है पैसे निवेश करने की एक महत्वपूर्ण रणनीति जिसको कोर सैटेलाइट स्ट्रैटेजी ( The Core Satellite Strategy ) कहते हैं।
1.4 फंडामेंटल एनालिसिस के टूल्स यानी उपकरण
फंडामेंटल एनालिसिस के लिए इस्तेमाल की जाने वाले टूल्स बहुत ही साधारण होते हैं जो कि सबके लिए मुफ्त में उपलब्ध हैं। इसके लिए आपको चाहिए :
- कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट – फंडामेंटल एनालिसिस के लिए आपको जो भी सूचनाएं चाहिए वह कंपनी की एनुअल रिपोर्ट यानी वार्षिक रिपोर्ट में होती हैं आप इसे कंपनी के वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं।
- इंडस्ट्री मौलिक विश्लेषण क्या है? से जुड़ा डेटा – यह जानने के लिए कि कंपनी कैसा काम कर रही है आपको इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ डेटा भी मौलिक विश्लेषण क्या है? चाहिए। यह डेटा भी मुफ्त उपलब्ध होता है। इसके लिए आपको उस इंडस्ट्री एसोसिएशन यानी संगठन की वेबसाइट पर जाना होता है।
- समाचार या खबरों पर नज़र – हर दिन की खबर आपको कंपनी के बारे में , इंडस्ट्री के बारे में और अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी देती रहती है। एक अच्छा समाचार पत्र या न्यूज़ चैनल आपके लिए काम आ सकता है।
- माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल ( MS Excel ) – हालांकि ये मुफ्त नहीं है लेकिन यह आपके फंडामेंटल एनालिसिस की गणनाओं के लिए काफी जरूरी है।
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अमित कुमार दुबे
- नई दिल्ली,
- 22 सितंबर 2022,
- (अपडेटेड 22 सितंबर 2022, 1:10 PM IST)
देश में अधिकतर लोग दूसरे के कहने पर शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं. उन्हें ये पता नहीं होता है कि जिस कंपनी के स्टॉक में वे पैसे लगा रहे हैं, उस कंपनी का क्या कारोबार है? खासकर रिटेलर (Retailer) या कहें आम आदमी, अक्सर दूसरे की सलाह पर शेयर बाजारों (Share Market) में निवेश करते हैं.
उन्हें कोई कह देता है कि ये Stock अच्छा रिटर्न (Return) दे सकता है, और फिर उसमें वे अपनी गाढ़ी कमाई लगा देते हैं. लेकिन क्या आपने ये कभी जानने की कोशिश की है कि जिस कंपनी के स्टॉक में आप निवेश कर मौलिक विश्लेषण क्या है? रहे हैं, उस कंपनी रिटर्न कहां से देगी, कितनी कमाई है?
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दरअलस, रिटेल निवेशक (Retail Investor) भविष्य को ध्यान में रखकर शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते हैं, क्योंकि उनका नजरिया लॉन्ग टर्म (Long Term) रहता है. लेकिन इसके बावजूद अधिकतर रिटेल निवेशक वर्षों तक निवेशित रहने के बाद भी अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं. इसका एक ही कारण स्टॉक (Stock मौलिक विश्लेषण क्या है? Selection) का सही से चयन नहीं कर पाना है.
इसलिए दूसरे के कहने पर निवेश (Invest) करने से पहले आप खुद आसानी से अच्छे स्टॉक (Best Stock) का चयन कर सकते हैं. अच्छे स्टॉक में निवेश करने से भले ही शॉर्ट टर्म (Short Term) में बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से शेयर थोड़ा नीचे चला जाए और आपको अपने पोर्टफोलियो (Portfolio) में नुकसान दिखे. लेकिन Long Term में हमेशा अच्छे स्टॉक में रिटर्न देने की क्षमता होती है.
सफल Binarium व्यापारियों के लिए मौलिक विश्लेषण
मौलिक विश्लेषण एक व्यापक शब्द है जो वैश्विक पहलुओं पर विशुद्ध रूप से व्यापार के अधिनियम का वर्णन करता है जो मुद्राओं, वस्तुओं और इक्विटी की आपूर्ति और मांग को प्रभावित करते हैं। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति पर होते हैं, जो चार्ट पैटर्न या ओवरबॉट / ओवरसोल्ड स्तरों को टटोल रहा है, तो आपने तकनीकी विश्लेषण के दायरे को पार कर लिया है। कई व्यापारी ट्रेडों को कब और कहाँ निर्धारित करना चाहते हैं, यह निर्धारित करने के लिए मौलिक और तकनीकी दोनों तरीकों का उपयोग करेंगे, लेकिन वे भी एक दूसरे पर एहसान करते हैं। हालाँकि, यदि आप केवल मौलिक विश्लेषण का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपकी राय को आधार बनाने के लिए कई तरह के स्रोत हैं।
केंद्रीय बैंक
केंद्रीय बैंक मौलिक व्यापार के लिए सबसे अधिक अस्थिर स्रोतों में से एक हैं। उनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों की सूची विशाल है; वे ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं, उन्हें कम कर सकते हैं (नकारात्मक क्षेत्र में भी), उन्हें वही रख सकते हैं, सुझाव है कि उनका रुख जल्द ही बदल जाएगा, गैर-पारंपरिक नीतियों का परिचय देंगे, खुद या दूसरों के लिए हस्तक्षेप करेंगे, या यहां तक कि उनकी मुद्रा को उलट सकते हैं। केंद्रीय बैंकों का मौलिक विश्लेषण अक्सर मौलिक विश्लेषण क्या है? केंद्रीय बैंकरों के बयानों और भाषणों के माध्यम से विचार करने की प्रक्रिया के साथ-साथ उनके अगले कदम की भविष्यवाणी करने के लिए उनके जैसा सोचने की कोशिश के साथ होता है।
भू राजनीतिक तनाव
यह पसंद है या नहीं, दुनिया भर के कुछ देशों को एक-दूसरे या वैश्विक समुदाय के साथ बहुत अच्छी तरह से नहीं मिलता है और संघर्ष या युद्ध कभी-कभी आसन्न होते हैं। ये तनाव या टकराव आपूर्ति या यहां तक कि कुछ उत्पादों की मांग को बदलकर व्यापार योग्य वस्तुओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, मध्य पूर्व में बढ़ा संघर्ष तेल की आपूर्ति पर दबाव डाल सकता है जो तब मूल्य वृद्धि करता है। इसके विपरीत, दुनिया के उस हिस्से में एक रिश्तेदार शांत तेल की कीमत कम कर सकता है क्योंकि आपूर्ति की मौलिक विश्लेषण क्या है? धमकी नहीं है। इन घटनाओं का सही तरीके से अनुमान लगाने में सक्षम होना अपने मौलिक दृष्टिकोण के साथ बाजार से आगे निकलने का एक तरीका हो सकता है।
वित्तीय विश्लेषण से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंवित्तीय विश्लेषण एक फ़र्म की वित्तीय सुदृढ़ता एवं कमजोरियों को पहचानने का एक प्रक्रम है, जिसमें तुलन-पत्र तथा लाभ व हानि विवरण की मदों के बीच उचित संबंधों को देखा जाता है। एक वित्त प्रबंधक को निश्चित रूप से विश्लेषण के विभिन्न साधनों से सुसज्जित होना चाहिए ताकि फ़र्म के लिए विवेकपूर्ण निर्णय लिए जा सकें।
इसे सुनेंरोकेंतकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना। तकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना। यह समझना जरूरी है कि तकनीकी विश्लेषण पूरी तरह से शेयर की कीमतों पर आधारित होता है।
स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कैसे करें?
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