अमर उजाला ब्यूरो
Updated Mon, 12 Dec 2022 08:00 AM IST

खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग

खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के उद्देश्य के लिए आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए और आपूर्ति और खाद्यान्न, पेट्रोलियम उत्पादों, चीनी और अन्य अधिसूचित वस्तुओं के व्यापार में कदाचार की जांच करने के लिए है. इन वस्तुओं को खुले बाजार में के रूप में के रूप में अच्छी तरह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध हैं.

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रशासित कीमतों पर कमजोर वर्गों के लिए उपलब्ध आवश्यक वस्तुओं को बनाने के लिए मतलब है. विभाग राज्य के सुदूर कोने में भी आपूर्ति सुनिश्चित करता है. विभाग के समारोह मूल रूप से पर्यवेक्षी और विनियामक वर्तमान संदर्भ में है. सार्वजनिक वितरण योजना और नियंत्रण आदेश और केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जारी योजनाओं के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम के कार्यान्वयन. जोर आजकल यानी लक्षित जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर है.

उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में, विभाग राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच की चिकनी कामकाज के साथ और जिला व्यापार मंच का अवलोकन स्तर पर सौंपा गया है. विभाग उपभोक्ता संरक्षण आंदोलन पंजीकृत और मान्यता प्राप्त गैर –

सरकारी संगठनों के माध्यम से प्रोत्साहित करती है. इन कार्यों को पूरा करने के लिए, विभाग मंत्रालय सेटअप के साथ है, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, नियंत्रक, बाट और माप, मध्य प्रदेश, राज्यउपभोक्ता प्रतितोषण आयोग और दो ​​निगमों के मध्य प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के कार्यालय के निदेशालय और मध्य प्रदेश राज्य भण्डारण निगम.

छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बांधा समा

नयी दिल्ली,( एजेंसी /वार्ता): राष्ट्रीय राजधानी के प्रगति मैदान में चल रहे 41वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में सोमवार को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से समा बांधा और राज्य की लोक कला एवं संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरी।

छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कार्यक्रम का उदघाटन किया । श्री भगत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा , “हमारी संस्कृति मिट जायेगी तो हमारी पहचान ही खत्म हो जायेगी। इसलिए बदलते परिवेश व विषम परिस्थिति में भी अपनी संस्कृति को बचाकर रखना है। इस तरह के आयोजन का अपनी संस्कृति एवं लोक कला के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान है।”

इससे पहले श्री भगत ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का अवलोकन किया, जहां अलग-अलग स्टॉलों का भ्रमण कर कलाकारों से जानकारी ली एवं उन्हें प्रोत्साहित किया।

प्रगति मैदान के एम्फी थियेटर में छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति एवं कला के बड़ी संख्या में लोग आज साक्षी बने। दर्शकों ने भी भरपूर तालियां बजाकर कलाकारों का प्रोत्साहन किया। छत्तीसगढ़ से आये कलाकारों ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न उत्सवों, तीज त्योहारों पर किए जाने वाले नृत्यों व्यापार मंच का अवलोकन की प्रस्तुति दी। श्री भगत भी खुद को रोक नहीं सके और मंच पर पहुँच कर उन्होंने भी कलाकारों के साथ मांदर पर थाप दिया।

भिलाई से आए लोक रागनी दल के कलाकारों ने सबसे पहले देवी पूजन से नृत्य की शुरुआत की, जिसमें देवी द्वारा राक्षस के नरसंहार को दिखाया गया। महिला कलाकारों द्वारा भोजली नृत्य के बाद सुआ नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की नृत्य कौशल को प्रस्तुत किया। सुआ नृत्य मूलतः महिलाओं और किशोरियों का नृत्य है। इस नृत्य में महिलाओं ने एक टोकरी में सुआ (मिट्टी का बना तोता) को रखकर उसके चारों ओर नृत्य किया और सुआ गीत गाया। हाथ और लकड़ी के टुकड़े से ताली बजाई जाती है। इस नृत्य के समापन पर शिव गौरी विवाह का आयोजन किया गया।

इसके बाद गेंडी नृत्य की प्रस्तुति की गयी। यह पुरुष प्रधान नृत्य है, जिसमें पुरुष तीव्र गति और कुशलता के साथ गेड़ी पर शारीरिक संतुलन को बरकरार रखते हुए नृत्य करते हैं। कलाकारों ने इस नृत्य के जरिए शारीरिक कौशल और संतुलन का प्रदर्शन किया।

छत्तीसगढ़ के आदिवासीबहुल बस्तर से आये कलाकारों ने परब नृत्य की प्रस्तुति दी। यह नृत्य बस्तर में निवास करने वाले धुरवा जनजाति के द्वारा किया जाता है। इस नृत्य को सैनिक नृत्य कहा जाता है, क्योंकि नर्तक नृत्य के दौरान वीरता के प्रतीक चिन्ह कुल्हाड़ी और तलवार लिए होते हैं। इसके साथ ही बस्तर के मारिया जनजाति के द्वारा जात्रा पर्व पर किए जाने वाला गौर नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस नृत्य में युवक सिर पर गौर के सिंह को कौड़ियों से सजाकर उसका मुकुट बनाकर पहनते हैं। अतः इस नृत्य को गौर नित्य भी कहा जाता है। इस नृत्य में केवल पुरुष भाग लेते हैं। महिलाओं द्वारा केवल वाद्य यंत्र को बजाया जाता है जिसे तिर्तुडडी कहते हैं।

कलाकारों ने छत्तीसगढ़ का पारम्परिक नृत्य करमा की प्रस्तुति दी। इसे करमा देव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस नृत्य में पारंपरिक पोषक पहनकर लोग नृत्य करते है और छत्तीसगढ़ी गीत गाते है। सबसे अंत में उपकार पंथी नृत्य दल के कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से गुरु घासीदास के संदेशों को लोगों तक पहुंचाया। यह नृत्य कई चरणों और पैटर्न का एक संयोजन है। यह नृत्य न केवल इस क्षेत्र के लोक नृत्य के सबसे महत्वपूर्ण रूपों में से एक है, बल्कि इसे छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय का एक प्रमुख रिवाज या समारोह भी माना जाता है।

इस अवसर पर संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य, उद्योग विभाग के विशेष सचिव हिमशिखर गुप्ता, संस्कृति परिषद के योगेंद्र त्रिपाठी, खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी, सीएसआईडीसी के प्रबंध संचालक अरुण प्रसाद, लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्याम सुंदर बजाज और आवासीय आयुक्त अजीत वसंत भी मौजूद रहे।

खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग

खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के उद्देश्य के लिए आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए और आपूर्ति और खाद्यान्न, पेट्रोलियम उत्पादों, चीनी और अन्य अधिसूचित वस्तुओं के व्यापार में कदाचार की जांच करने के लिए है. इन वस्तुओं को खुले बाजार में के रूप में के रूप में अच्छी तरह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध हैं.

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रशासित कीमतों पर कमजोर वर्गों के लिए उपलब्ध आवश्यक वस्तुओं को बनाने के लिए मतलब है. विभाग राज्य के सुदूर कोने में भी आपूर्ति सुनिश्चित करता है. विभाग व्यापार मंच का अवलोकन के समारोह मूल रूप से पर्यवेक्षी और विनियामक वर्तमान संदर्भ में है. सार्वजनिक वितरण योजना और नियंत्रण आदेश और केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जारी योजनाओं के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम के कार्यान्वयन. जोर आजकल यानी लक्षित जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर है.

उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में, विभाग राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच की चिकनी कामकाज के साथ और जिला स्तर पर सौंपा गया है. विभाग उपभोक्ता संरक्षण आंदोलन पंजीकृत और मान्यता प्राप्त गैर –

सरकारी संगठनों के माध्यम से प्रोत्साहित करती है. इन कार्यों को पूरा करने के लिए, विभाग मंत्रालय सेटअप के साथ है, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, नियंत्रक, बाट और माप, मध्य प्रदेश, राज्यउपभोक्ता प्रतितोषण आयोग और दो ​​निगमों के मध्य प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के कार्यालय के निदेशालय और मध्य प्रदेश राज्य भण्डारण निगम.

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Kurukshetra News: ‘युवा देश की आर्थिक प्रगति के सबसे बड़े इंजन’

Amar Ujala Bureau

अमर उजाला ब्यूरो
Updated Mon, 12 Dec 2022 08:00 AM IST

केयू में प्रांत व जिला रोजगार सृजन केंद्र का शुभारंभ करते सतीश कुमार, साथ में सांसद नायब सैनी व अन?

केयू में प्रांत व जिला रोजगार सृजन केंद्र का शुभारंभ करते सतीश कुमार, साथ में सांसद नायब सैनी व अन? - फोटो : Kurukshetra

संवाद न्यूज एजेंसी
कुरुक्षेत्र। भारत के युवा देश की आर्थिक प्रगति के सबसे बड़े इंजन है। हमें अपने युवाओं में कौशल विकास व्यापार मंच का अवलोकन करना है। हरियाणा प्रांत भारत में रोजगार के सृजन करने में मदद करेगा। यह बातें प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ एवं स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संगठक सतीश कुमार ने कहीं।
वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गुलजारी लाल नंदा अध्ययन केंद्र में स्वदेशी उद्यमिता दिवस पर (कौशल, उद्यमिता व्यापार मंच का अवलोकन व्यापार मंच का अवलोकन व रोजगार) हरियाणा प्रांत व जिला रोजगार सृजन केंद्र के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कौशल विकास व्यापार मंच का अवलोकन ने रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। स्वरोजगार से हम भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के समाधान का जो मॉडल हरियाणा प्रस्तुत करेगा. वह मॉडल पूरे भारत वर्ष में उदाहरण बनेगा, इसलिए हम पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। बेरोजगारी को लेकर सरकार एवं स्वदेशी जागरण मंच जैसी संस्थाओं की ओर से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार एवं रोजगार सृजन के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। रोजगार सृजन केंद्र रोजगार क्रांति का केंद्र बिंदु है।
इससे पहले सतीश कुमार, सांसद नायब सिंह, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव धीमान, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, सुधीर कुमार ने डॉ. मधुर की पुस्तक इंडियन इकोनॉमी का विमोचन भी किया। वहीं स्वावलंबन अभियान के तहत केयू के ललित कला विभाग की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी का व्यापार मंच का अवलोकन अवलोकन भी किया।
सांसद नायब सिंह ने कहा कि बेरोजगारी हर देश की गंभीर समस्या है। हर युवा को रोजगार की आवश्यकता है। इस व्यापार मंच का अवलोकन दिशा में सरकार कार्य कर रही है। परंपरागत व्यापार एवं कार्य कौशल को पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाना चाहिए। उन्होंने केंद्र को 11 लाख तथा विधायक सुभाष सुधा ने पांच लाख रुपये देने की घोषणा भी की।
केयू कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि युवाओं में स्वदेशी स्वावलंबन का स्वभाव जागृत करना व गरीबी मुक्त एवं सम्पूर्ण रोजगारयुक्त भारत बनाने के लिए हमें धरातल पर कार्य करना होगा और रोजगार केंद्रित शिक्षा एवं नीतियां बनानी होगी। हमारी नीतियों में विद्यार्थियों को रोजगार की वास्तविक स्थिति का पता होना भी जरूरी है। इस मौके पर डॉ. अंकेश्वर प्रकाश, प्रो. ओमप्रकाश अरोड़ा, डॉ. कृष्ण जाटियान, डॉ. दीपक राय बब्बर आदि मौजूद रहे।
प्रदर्शनी से दिया आत्मनिर्भरता का संदेश
इस प्रदर्शनी में स्वरोजगार के विभिन्न व्यवसायों को चित्रकला, मूर्तिकला, म्यूरल, छापाकला, छायाचित्रण और व्यावसायिक कला के माध्यम से दर्शा कर आत्मनिर्भरता का संदेश दिया गया। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों द्वारा क्राफ्ट कार्य, पत्थर नक्काशी, मेटल कास्टिंग, पेपर मेकिंग, ब्लॉक प्रिंटिंग, ज्वेलरी आदि हस्तनिर्मित कलाओं का संयोजन कर दर्शकों को आकर्षित किया।


कुरुक्षेत्र। भारत के युवा देश की आर्थिक प्रगति के सबसे बड़े इंजन है। हमें अपने युवाओं में कौशल विकास करना है। हरियाणा प्रांत भारत में रोजगार के सृजन करने में मदद करेगा। यह बातें प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ एवं स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संगठक सतीश कुमार ने कहीं।
वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गुलजारी लाल नंदा अध्ययन केंद्र में स्वदेशी उद्यमिता दिवस पर (कौशल, उद्यमिता व रोजगार) हरियाणा प्रांत व जिला रोजगार सृजन केंद्र के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कौशल विकास ने रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। स्वरोजगार से हम भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।


उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के समाधान का जो मॉडल हरियाणा प्रस्तुत करेगा. वह मॉडल पूरे भारत वर्ष में उदाहरण बनेगा, इसलिए हम पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। बेरोजगारी को लेकर सरकार एवं स्वदेशी जागरण मंच जैसी संस्थाओं की ओर से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार एवं रोजगार सृजन के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। रोजगार सृजन केंद्र रोजगार क्रांति का केंद्र बिंदु है।
इससे पहले सतीश कुमार, सांसद नायब सिंह, थानेसर विधायक सुभाष सुधा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव धीमान, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, सुधीर कुमार ने डॉ. मधुर की पुस्तक इंडियन इकोनॉमी का विमोचन भी किया। वहीं स्वावलंबन अभियान के तहत केयू के ललित कला विभाग की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

सांसद नायब सिंह ने कहा कि बेरोजगारी हर देश की गंभीर समस्या है। हर युवा को रोजगार की आवश्यकता है। इस दिशा में सरकार कार्य कर रही है। परंपरागत व्यापार एवं कार्य कौशल को पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ाना चाहिए। उन्होंने केंद्र को 11 लाख तथा विधायक सुभाष सुधा ने पांच लाख रुपये देने की घोषणा भी की।
केयू कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि युवाओं में स्वदेशी स्वावलंबन का स्वभाव जागृत करना व गरीबी मुक्त एवं सम्पूर्ण रोजगारयुक्त भारत बनाने के लिए हमें धरातल पर कार्य करना होगा और रोजगार केंद्रित शिक्षा एवं नीतियां बनानी होगी। हमारी नीतियों में विद्यार्थियों को रोजगार की वास्तविक स्थिति का पता होना भी जरूरी है। इस मौके पर डॉ. अंकेश्वर प्रकाश, प्रो. ओमप्रकाश अरोड़ा, डॉ. कृष्ण जाटियान, डॉ. दीपक राय बब्बर आदि मौजूद रहे।

प्रदर्शनी से दिया आत्मनिर्भरता का संदेश
इस प्रदर्शनी में स्वरोजगार के विभिन्न व्यवसायों को चित्रकला, मूर्तिकला, म्यूरल, छापाकला, छायाचित्रण और व्यावसायिक कला के माध्यम से दर्शा कर आत्मनिर्भरता का संदेश दिया गया। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों द्वारा क्राफ्ट कार्य, पत्थर नक्काशी, मेटल कास्टिंग, पेपर मेकिंग, ब्लॉक प्रिंटिंग, ज्वेलरी आदि हस्तनिर्मित कलाओं का संयोजन कर दर्शकों को आकर्षित किया।

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