क्रिप्टो एक्सचेंज में बड़ी गिरावट पर क्यों नहीं होना चाहिए आश्चर्य? Expert से समझें
पिछले दो हफ्तों में पूरी तस्वीर ही बदल चुकी है.क्रिप्टो एक्सचेंज FTX अब दिवालिया होने के लिए तैयार है. इसके CEO सैम बैंकमैन-फ्रायड ने इस्तीफा दे दिया है.
अभी ज्यादा समय नहीं हुआ, जब एफटीएक्स दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग मंचों में से एक था. वर्ष 2019 में स्थापित इस क्रिप्टो एक्सचेंज में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई और वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका मूल्य 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. लेकिन पिछले दो हफ्तों में पूरी तस्वीर ही बदल चुकी है.क्रिप्टो एक्सचेंज FTX अब दिवालिया होने के लिए तैयार है. इसके CEO सैम बैंकमैन-फ्रायड ने इस्तीफा दे दिया है.
सबसे पहले एफटीएक्स और परिसंपत्ति-व्यापार फर्म अल्मेडा रिसर्च के संबंधों को लेकर चिंताएं सामने आईं और इस दौरान ग्राहकों के पैसे को एफटीएक्स से अल्मेडा में स्थानांतरित किए जाने की चर्चाएं भी शामिल हैं.कुछ दिनों बाद सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज और एफटीएक्स के प्रतिद्वंद्वी बिनेंस ने ऐलान किया कि वह एफटीटी टोकन की अपनी होल्डिंग को बेच देगी. इससे घबराए ग्राहक एफटीएक्स से धन निकालने के लिए दौड़ पड़े और यह एक्सचेंज अब पतन के कगार पर पहुंच चुका है. इसकी वेबसाइट पर यह संदेश भी जारी कर दिया गया है कि वह वर्तमान में निकासी की प्रक्रिया में असमर्थ है.
हालांकि क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में यह इतने बड़े पैमाने पर हुई कोई पहली गिरावट नहीं है. कैनबरा यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स एंड सोसाइटी के सीनियर लेक्चरर जॉन हॉकिंस ने इसको लेकर एक स्टडी की है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि हालिया बदलाव क्यों आश्चर्य का विषय नहीं?
बचाव की राह मुश्किल
एफटीएक्स और अल्मेडा दोनों एक्सचेंज का बहुलांश स्वामित्व रखने वाले सैम बैंकमैन-फ्राइड ने इस साल की शुरुआत में अन्य बदहाल क्रिप्टो कंपनियों को मुश्किल से उबारा था. लेकिन अब वह अपनी कंपनियों को बचाने के लिए आठ अरब डॉलर का निवेश करने वाले की तलाश में हैं.
लेकिन कई फर्मों के पहले ही एफटीएक्स में अपनी हिस्सेदारी को बट्टे खाते में डाल देने से बैंकमैन-फ्राइड के लिए इच्छुक निवेशकों को ढूंढना आसान नहीं होगा.क्रिप्टो मुद्रा विनिमय
बिनेंस ने इस क्रिप्टो एक्सचेंज का अधिग्रहण करने के बारे में सोचा लेकिन आखिर में उसका फैसला नकारात्मक ही रहा. इसने कदाचार के आरोपों और अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग की जांच से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए.
ऐसी स्थिति में अब एफटीटी की कीमत बहुत गिर गई है. एक हफ्ते पहले यह 24 डॉलर पर कारोबार कर रहा था लेकिन अब यह चार डॉलर से भी नीचे आ गया है.
सावधानी का सबक
सही तरह से विनियमित नहीं हो रहे एक्सचेंजों पर बिना किसी अंतर्निहित मौलिक मूल्य के ‘परिसंपत्तियों’ में व्यापार करना हमेशा एक बहुत ही जोखिम भरा प्रयास होता है. कई लोगों के लिए यह नुकसान का सौदा बन सकता है.
क्रिप्टो से अलग तरह की परिसंपत्तियों का मामला अलग होता है. आम कंपनी के शेयरों का एक बुनियादी मूल्य होता है जो कंपनी के मुनाफे से भुगतान किए गए लाभांश पर आधारित होता है. रियल एस्टेट का भी एक आधारभूत मूल्य होता है जो निवेशक को मिलने वाले किराये या उस पर उसके भौतिक कब्जे को दर्शाता है. एक बांड का भी मूल्य उस पर मिलने वाले ब्याज की राशि पर निर्भर करता है. यहां तक कि सोने का भी कुछ व्यावहारिक उपयोग होता है.
लेकिन बिटकॉइन, ईथर और डॉगकॉइन जैसी कथित क्रिप्टो मुद्राओं का ऐसा कोई बुनियादी मूल्य नहीं होता है. वे पार्सल आगे बढ़ाने वाले खेल की तरह हैं जिसमें सट्टेबाज कीमत गिरने से पहले उन्हें किसी और को बेचने की कोशिश करते हैं.
क्रिप्टो पर प्रभाव
इन घटनाओं ने क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास को और कम कर दिया है. इस नई घटना से पहले ही क्रिप्टो-मुद्राओं का ‘मूल्य’ तीन लाख करोड़ डॉलर के उच्च स्तर से गिरकर एक लाख करोड़ डॉलर पर आ गया था. अब तो यह और भी नीचे गिर गया है.
जिस तरह इंटरनेट आधारित कारोबार में अमेजॉन जैसी कुछ कंपनियां ही दिग्गज बन पाई हैं, उसी तरह यह संभव है कि क्रिप्टो की रूपरेखा तय करने वाली ब्लॉकचेन तकनीक पर निर्भर केवल कुछ कंपनियां ही स्थायी तौर पर उपयोगी साबित हों.
मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप के विचार को केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा की शक्ल में अब अपनाया जा रहा है. लेकिन बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के मुख्य अर्थशास्त्री ह्यून सोंग शिन के शब्दों में कहें तो क्रिप्टो से जो कुछ भी किया जा सकता है वह केंद्रीय बैंक के पैसे से बेहतर किया जा सकता है.
निजी क्रिप्टो मुद्राओं को नियंत्रित करने और रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा जारी करने की सरकार की मंशा
क्रिप्टो मुद्राओं में निहित तकनीक को प्रोत्साहन के लिए कुछ छूट देने की तैयारी की भी बात कही जा रही है। इसके साथ ही क्रिप्टो व्यवसाय में लगे लोगों में खलबली मच गई है कि आखिर हमारे देश में क्रिप्टो का भविष्य क्या होगा।
रघुवीर चारण। वर्तमान सदी में समूचा विश्व आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। इस दौर में अधिकांश कार्य व्यवहार को डिजिटल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस डिजिटल दौर में लगभग एक दशक पहले क्रिप्टोकरेंसी का आगमन हुआ और बहुत कम समय में इसने विश्व में कमोबेश हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
हमारा देश भी इससे अछूता नहीं रहा, बल्कि अनेक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हमारे देश में लोग बढ़-चढ़कर इसका उपयोग कर रहे हैं। हालांकि भारत में इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या को लेकर काफी संशय की स्थिति है, फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि यहां भी इनकी संख्या एक करोड़ से अधिक ही होगी। कम समय में अधिक धन अर्जित करने के रूप में इस मुद्रा को समङो जाने के कारण इसके प्रति लोगों में जबरदस्त आकर्षण बढ़ रहा है। इसके लेनदेन में शामिल 62 प्रतिशत निवेशकों की औसत आयु 24 वर्ष है, जो इस बात का संकेतक है कि युवा इस ओर सर्वाधिक आकर्षित हो रहे हैं।
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल कैश सिस्टम है, जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है। यह केवल डिजिट के रूप में आनलाइन रहती है। इस पर किसी भी देश या सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस मुद्रा को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार एक संबंधित विधेयक संसद में लाने की तैयारी में है। इस विधेयक की मदद से भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने के लिए सुविधाजनक फ्रेमवर्क मिलेगा। इस विधेयक से हमें यह भी समझने में मदद मिल सकती है कि अर्थव्यवस्था में डिजिटल करेंसी की किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
पिछले कुछ वर्षो में यह देखा गया है कि इसमें निवेश करने वालों को कम समय में ज्यादा रिटर्न मिला है, लिहाजा निवेशकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 में एक बिटक्वाइन का मूल्य लगभग चार लाख रुपये था जो जून 2020 में बढ़कर 16 लाख तक पहुंच गया। जबकि आज एक बिटक्वाइन की कीमत लगभग 37 लाख है।
समझा जा सकता है कि इस आभासी मुद्रा ने कितने कम समय में कितनी अधिक ऊंचाई हासिल कर ली है। बिटक्वाइन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही बीते दिनों कई देशों ने इसे वैधता प्रदान कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी को भरोसे के संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। सरकारें इसे शक की निगाहों से देखती हैं और इसे पारंपरिक मुद्रा के लिए खतरा मानती हैं। सरकारों को यह भी लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी वचरुअल दुनिया का हिस्सा है जो सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश कर रही है। भारत सरकार जल्द ही इसे नियंत्रित करने की तैयारी में है जो बहुत ही अच्छा निर्णय है।
बिटक्वाइन और अन्य डिजिटल मुद्राओं का आम तौर पर सट्टेबाजी और अपराध में अधिक उपयोग होता है, जो सरकार और समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसलिए इस डिजिटल मुद्रा पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। साथ ही सरकार को ऐसी क्रिप्टो करेंसी लानी चाहिए जो पारदर्शी हो और जिसका नियंत्रण सरकार के अधीन हो। साथ ही इसकी पहचान की जा सके और इसका दुरुपयोग न हो सके।
क्रिप्टो मुद्रा नहीं, एक अलग संपत्ति वर्ग है, जानिए किसने कहा
गांधी ने कहा है कि वर्षों की बहस के बाद लोग पूरी तरह से समझ गए हैं कि क्रिप्टो (Cryptocurrency) मुद्रा नहीं हो सकती। क्योंकि, मुद्रा का मूल तत्व है कि यह कानूनी (Legal) रूप से वैध होनी चाहिए।
क्रिप्टोकरेंसी मुद्रा नहीं है (File Photo)
हाइलाइट्स
- भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने मंगलवार को कहा कि ‘क्रिप्टो’ को मुद्रा नहीं माना जाना चाहिए
- उनका कहना है कि इसे एक अलग संपत्ति वर्ग की तरह माना जाना चाहिए
- क्रिप्टो का नियमन भी उसी रूप में किया जाना चाहिए
क्या कहा गांधी ने
गांधी ने कहा है कि वर्षों की बहस के बाद लोग पूरी तरह से समझ गए हैं कि क्रिप्टो मुद्रा नहीं हो सकती। क्योंकि, मुद्रा का मूल तत्व है कि यह कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए। क्रिप्टो के मामले में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई भी किसी अन्य व्यक्ति को क्रिप्टो स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। क्योंकि, यह कानूनी रूप से वैध नहीं है।
इसे एक संपत्ति के रूप में समझा जाना चाहिए
गांधी ने कहा कि कई नीति निर्माताओं के बीच इसको लेकर आम सहमति है कि इसे एक संपत्ति के रूप में समझा जाना चाहिए, न कि एक मुद्रा के रूप में। इसे एक भुगतान साधन के रूप में या एक वित्तीय साधन के रूप में भी नहीं क्रिप्टो मुद्रा विनिमय स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि इसका कोई स्पष्ट जारीकर्ता नहीं है। उन्होंने भारतीय इंटरनेट एवं मोबाइल संघ (IAMAI) और ब्लॉकचैन एवं क्रिप्टो संपत्ति परिषद (BACC) द्वारा आयोजित एक आभासी कार्यक्रम में कहा, ‘‘इसलिए एक बार जब हम समझ जाते हैं और इस बात की स्वीकृति मिल जाती है कि यह एक संपत्ति है (मुद्रा नहीं), तो इसका विनियमन करना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।’’
आपराधिक गतिविधि के लिए हो सकता है उपयोग
उन्होंने आशंका जताई कि नियमन के अभाव में इस आभासी संपत्ति का आपराधिक गतिविधि के लिए उपयोग हो सकता है और इसका संकेत देने वाले कई उदाहरण हैं। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने कहा था कि क्रिप्टो मुद्रा के संबंध में प्रस्तावित कानून केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष लंबित है।
निजी क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित किया जाए
क्रिप्टो मुद्रा पर अंतर-मंत्रालयी समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि भारत में राज्य द्वारा जारी किसी भी आभासी मुद्रा को छोड़कर, सभी निजी क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इस बीच आरबीआई ने बाजार में आ चुकी क्रिप्टो मुद्रा पर चिंता जताई है और उसने सरकार को भी इससे अवगत करा दिया है।
निजी क्रिप्टो मुद्राओं को नियंत्रित करने और रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा जारी करने की सरकार की मंशा
क्रिप्टो मुद्राओं में निहित तकनीक को प्रोत्साहन के लिए कुछ छूट देने की तैयारी की भी बात कही जा रही है। इसके साथ ही क्रिप्टो व्यवसाय में लगे लोगों में खलबली मच गई है कि आखिर हमारे देश में क्रिप्टो का भविष्य क्या होगा।
रघुवीर चारण। वर्तमान सदी में समूचा विश्व आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। इस दौर में अधिकांश कार्य व्यवहार को डिजिटल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस डिजिटल दौर में लगभग एक दशक पहले क्रिप्टोकरेंसी का आगमन हुआ और बहुत कम समय में इसने विश्व में कमोबेश हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
हमारा देश भी इससे अछूता नहीं रहा, बल्कि अनेक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि हमारे देश में लोग बढ़-चढ़कर इसका उपयोग कर रहे हैं। हालांकि भारत में इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या को लेकर काफी संशय की स्थिति है, फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि यहां भी इनकी संख्या एक करोड़ से अधिक ही होगी। कम समय में अधिक धन अर्जित करने के रूप में इस मुद्रा को समङो जाने के कारण इसके प्रति लोगों में जबरदस्त आकर्षण बढ़ रहा है। इसके लेनदेन में शामिल 62 प्रतिशत निवेशकों की औसत आयु 24 वर्ष है, जो इस बात का संकेतक है कि युवा इस ओर सर्वाधिक आकर्षित हो रहे हैं।
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल कैश सिस्टम है, जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है। यह केवल डिजिट के रूप में आनलाइन रहती है। इस पर किसी भी देश या सरकार का नियंत्रण नहीं है। इस मुद्रा को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार एक संबंधित विधेयक संसद में लाने की तैयारी में है। इस विधेयक की मदद से भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने के लिए सुविधाजनक फ्रेमवर्क मिलेगा। इस विधेयक से हमें यह भी समझने में मदद मिल सकती है कि अर्थव्यवस्था में डिजिटल करेंसी की किस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
पिछले कुछ वर्षो में यह देखा गया है कि इसमें निवेश करने वालों को कम समय में ज्यादा रिटर्न मिला है, लिहाजा निवेशकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2019 में एक बिटक्वाइन का मूल्य लगभग चार लाख रुपये था जो जून 2020 में बढ़कर 16 लाख तक पहुंच गया। जबकि आज एक बिटक्वाइन की कीमत लगभग 37 लाख है।
समझा जा सकता है कि इस आभासी मुद्रा ने कितने कम समय में कितनी अधिक ऊंचाई हासिल कर ली है। बिटक्वाइन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही बीते दिनों कई देशों ने इसे वैधता प्रदान कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी को भरोसे के संकट का सामना भी करना पड़ रहा है। सरकारें इसे शक की निगाहों से देखती हैं और इसे पारंपरिक मुद्रा के लिए खतरा मानती हैं। सरकारों को यह भी लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी वचरुअल दुनिया का हिस्सा है जो सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश कर रही है। भारत सरकार जल्द ही इसे नियंत्रित करने की तैयारी में है जो बहुत ही अच्छा निर्णय है।
बिटक्वाइन और अन्य डिजिटल मुद्राओं का आम तौर पर सट्टेबाजी और अपराध क्रिप्टो मुद्रा विनिमय में अधिक उपयोग होता है, जो सरकार और समाज के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसलिए इस डिजिटल मुद्रा पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। साथ ही सरकार को ऐसी क्रिप्टो करेंसी लानी चाहिए जो पारदर्शी हो और जिसका नियंत्रण सरकार के अधीन हो। साथ ही इसकी पहचान की जा सके और इसका दुरुपयोग न हो सके।
मुद्रा का नया दौर क्रिप्टो
crypto currency
-विवेक वैष्णव, अधिस्वीकृत पत्रकार
महत्वकांक्षा और संग्रहण प्रारंभ से ही मानव स्वभाव है। व्यक्ति करोड़पति बनने का सपना देखता है और जब वह करोड़पति बन जाता है तो उसी क्षण से अरबपति बनने का सपना देखना प्रारंभ कर देता है। पहले व्यक्ति वस्तुओं का संग्रह करता था और समय के बदलाव के साथ अब वह मुद्रा संग्रह को अधिक प्राथमिकता देने लगा है। एक समय था जब लोगो की जीवन शैली बार्टर सिस्टम के जरिये वस्तु विनिमय पर आधारित थी। लेकिन बाद में जब मुद्रा का आविष्कार हुआ तो लोगो ने मुद्रा विनिमय शुरु कर दिया। मौजूदा दौर में अब तकनीक और उन्नत हो गई है और लोगो का रूझान आभासी क्रिप्टो मुद्रा विनिमय मुद्रा यानि क्रिप्टो करेंसी की ओर आकर्षित होने लगा है। क्रिप्टो को मुद्रा का नया दौर कहने में कोई अतिश्योक्ति नही होगी, क्योंकि यह आभासी मुद्रा ज्यादातर लोगों की पसंद बनी हुई है। कई लोग तो क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी को एक ही मानते है जबकि इन दिनों में काफी बड़ा अंतर होता है।
बिट काईन, एथ्रॉम, रिप्पल, क्रिप्टो करेन्सी आदि कई ऐसी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी पर आधारित होकर एक ऑनलाईन मुद्रा है और इसमें बैंक या अन्य किसी विश्रीय संस्थान की जरूरत नही होती है। ऐसी करेन्सी में लेन देन संबंधी लागत बहुत कम आती है। यह एक ऐसी आभासी मुद्रा है जिसको ना तो देखा जा सकता है और ना ही छुआ जा सकता है। इसे केवल इलेक्ट्रानिकली स्टोर किया जा सकता है। आज की तारीख में दुनिया में लगभग साढ़े सात हजार तरह की क्रिप्टो करेंसी प्रचलन में है।
बिट काईन न सिर्फ पहली क्रिप्टो करेंसी थी, बल्कि मार्केट कैपिटलाईजेषन के हिसाब से आज सबसे बड़ी मुद्रा बनी हुई है। बिटकाईन पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल और लोकप्रिय मुद्रा है जिसका अर्थ है कि यह किसी केन्द्रीय बैंक द्वारा संचालित नही होती है। इसका आविष्कार 2008 में सातोषी नकामोतो नामक एक अभियंता ने किया था और 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था। हालांकि अभी तक कोई यह स्पष्ट रूप से नही कह सकता कि सातोषी नकामोतो किसी महिला का नाम है या किसी पुरुष का या फिर किसी समूह का। बिटकाईन ने बड़े रिटर्न देकर निवेशकों को आकर्शित किया है। पर्याप्त लाभ कमाने के मौके को कोई भी छोडना नही चाहता है और भारतीय बड़ी संख्या में क्रिप्टो करेंसी को खरीद रहे है। मोटे तौर पर एक अनुमान के अनुसार भारत में करीब डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टो करंसी है और इसकी होल्डिंग वैल्यू अरबों डॉलर में है। भारत में आज कई जगह क्रिप्टो से लेनदेन स्वीकार किया जा रहा है।
बैंकिंग प्रणाली और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन देन सरकार की नजरों में रहते है और इसी के बचाव में इन दिनों क्रिप्टो करेंसी लोकप्रिय हो रही है। यह करेंसी राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम के प्रत्यक्ष नियंत्रण से बाहर क्रिप्टो मुद्रा विनिमय होकर एक प्रभावी विकल्प है। यही कारण है कि इसकी सुरक्षा एवं विश्वसनीयता को लेकर समय समय पर सवाल भी उठते रहते है। दूसरे नजरिये से देखे तो इसके लेन देन को लेकर दुनिया में चिंता होने लगी है। आभासी मुद्रा को लेकर रिजर्व बैंक भी समय समय पर एडवाइजरी जारी करती रहती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अभी तक तो किसी आभासी मुद्रा को अधिमान्य नही किया है। देश में बिटकाईन की स्थिति को तय करने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक अनुशासनात्मक समिति का गठन भी कर दिया है। इसका एक कारण यह भी है कि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है और उसे आसानी से कॉपी किया जा सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए इसे हैक प्रुफ बनाने के प्रयासों पर भी जोर दिया जा रहा है। एक्सपट्र्स भी वर्चुअल करेंसीज में डील करते समय सावधान रहने की सलाह देते है।
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