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देश में वित्तीय उत्पादों के प्रति बढ़ रहा है आकर्षण: रिपोर्ट
मुंबई, 14 दिसंबर (भाषा) देश में सोने और जमीन-जायदाद में निवेश के बजाय अब म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय संस्थानों में बचत की प्रवृत्ति बढ़ी है और इसके साथ प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों के अगले पांच साल में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के करीब तीन-चौथाई यानी 74 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि निरपेक्ष रूप से कोष प्रबंधन से जुड़े उद्योग के प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां 2026-27 तक 315 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है जो 2021-22 में 135 लाख करोड़ रुपये थीं।
लंबे समय से नीति निर्माता यह चाहते रहे हैं कि लोग सोने और जमीन, मकान जैसी भौतिक संपत्तियों में निवेश के बजाय म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, इक्विटी शेयर जैसे वित्तीय उत्पादों में निवेश करे।
आरबीआई ने बैंकिंग और वित्तीय बाजार के कारोबार के समय में किया बदलाव
by WEB DESK
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वित्तीय बाजार और बैंकिंग कारोबार के समय में बदलाव किया है। वित्तीय बाजार और बैंकिंग कारोबार का नया समय आज यानि 18 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएगा। आरबीआई ने यह जानकारी दी है।
दरअसल अभी तक वित्तीय कारोबार का समय सुबह 10 बजे से था, लेकिन अब कारोबार सुबह 9 बजे से शुरू होगा, जो अपराह्न 3.30 बजे तक जारी रहेगा। रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार के कारोबारी समय को 30 मिनट बढ़ा दिया है। साथ ही बैंकों के खुलने के समय में भी आरबीआई ने बदलाव कर सुबह 9 बजे कर दिया है। लेकिन बैंक अपने पूर्व समय के अनुसार बंद होंगे।
रिजर्व बैंक ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि कोरोना महामारी के प्रतिबंध खत्म होने, लोगों के आवाजाही बढ़ने और दफ्तरों में कामकाज सामान्य होने से वित्तीय बाजार और बैंकिंग कारोबार के समय में यह बदलाव किया गया है। विज्ञप्ति के मुताबिक विदेशी मुद्रा वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? विनिमय बाजार और सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन का काम अब बदले समय में होगा।
वित्तीय बाजारों में क्या कमी है?
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वित्तीय बाजारों के कुछ क्षेत्रों और अर्थव्यवस्था के बीच अंतर बढ़ने से स्थिरता पर जोखिम: रिजर्व बैंक
Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: January 11, 2021 23:08 IST
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महामारी से बैंकों में बहीखाते में संपत्ति का मूल्य घटने की आशंका
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय बाजारों के कुछ क्षेत्रों और वास्तविक अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर हाल के दिनों में बढ़ा है। उन्होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि वित्तीय परिसंपत्तियों का बढ़ा हुआ मूल्य वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है। उन्होंने कहा कि बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों को इसका संज्ञान लेने की वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? आवश्यकता है। दास ने कहा कि महामारी से वित्तीय बाजारों में क्या कमी है? हमें नुकसान हुआ है, आगे आर्थिक वृद्धि और आजीविका बहाल करने का काम करना है और इसके लिये वित्तीय स्थिरता पूर्व शर्त है।
वित्तीय बाजार में कैश का संकट और गहराया
बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी से जुड़ी दिक्कतें बढ़ रही हैं. एनबीएफसी के लिए पैसा जुटाना पहले से ही मुश्किल था. बैंकों को अब और डिफॉल्ट्स का डर सता रहा है. इस वजह से लिक्विडिटी पर और ज्यादा सख्ती बरती जा रही है.
पिछले महीने म्यूचुअल फंड्स से निवेशकों के पैसे निकालने की रफ्तार बढ़ी थी. इस वजह से एनबीएफसी बैंकों से कर्ज के मामले में कुछ रियायत की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि वे म्यूचुअल फंड्स से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकें. प्रणाली में नकद की स्थिति दो सप्ताह में नकारात्मक यानी घाटे में बदल गई है.
आईडीएफसी म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा, "लिक्विडिटी में तेजी से उथल-पुथल हो रही है. संभव है कि मार्च तक यह आंकड़ा 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाए. इसका अर्थ है कि रिजर्व बैंक को लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए नियमित कदम उठाने होंगे."
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