भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत जीडीपी के संदर्भ में विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । यह अपने भौगोलिक आकार के संदर्भ में विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
इतिहास
ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे । औपनिवेशिक युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रिटिश भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्धिमार्गी ह्रास होता था । इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ए डी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया । 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई । इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी ।
1991 में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्तुत किए जो इस दृष्टि से वृहद प्रयास थे जिनमें विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश के प्रति आग्रह शामिल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत आगे निकल आई है । सकल विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति स्वदेशी उत्पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रतिशत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रतिशत के रूप में बढ़ गयी ।
कृषि
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल इसलिए कि इससे देश की अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्कि इसलिए भी भारत की आधी से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है ।
विभिन्न नीतिगत उपायों के द्वारा कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई, जिसके फलस्वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई । कृषि में वृद्धि ने अन्य क्षेत्रों में भी अधिकतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में और अधिकांश जनसंख्या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मिलियन टन का एक रिकार्ड खाद्य उत्पादन हुआ, जिसमें सर्वकालीन उच्चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्पादन हुआ । कृषि क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रतिशत प्रदान करता है ।
उद्योग
औद्योगिक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है जोकि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है जैसे कि ऋण के बोझ को कम करना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्मनिर्भर वितरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परिदृय को वैविध्यपूर्ण और आधुनिक बनाना, क्षेत्रीय विकास का संर्वद्धन, गरीबी उन्मूलन, लोगों के जीवन स्तर को उठाना आदि हैं ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार देश में औद्योगिकीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्टि से विभिन्न नीतिगत उपाय करती रही है । इस दिशा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगिक नीति संकल्प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारित हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारित हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रतिबंधों को हटाना, पहले सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए आरक्षित, निजी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनिश्चित मुद्रा विनिमय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि के द्वारा महत्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्यधिक अपेक्षित तीव्रता प्रदान की ।
आज औद्योगिक क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रतिशत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रतिशत अंशदान करता है ।
सेवाऍं
आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि आधरित अर्थव्यवस्था से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रतिशत ( 1991-92 के 44 प्रतिशत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक तिहाई है और भारत के कुल निर्यातों का एक तिहाई है
भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्लेखनीय वैश्विक ब्रांड पहचान प्राप्त की है जिसके लिए निम्नतर लागत, कुशल, शिक्षित और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्ति के एक बड़े पुल की उपलब्धता को श्रेय दिया जाना चाहिए । अन्य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्यवसाय प्रोसिस आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परिवहन, कई व्यावसायिक सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधित सेवाऍं और वित्तीय सेवाऍं शामिल हैं।
बाहय क्षेत्र
1991 से पहले भारत सरकार ने विदेश व्यापार और विदेशी निवेशों पर प्रतिबंधों के माध्यम से वैश्विक प्रतियोगिता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति अपनाई थी ।
उदारीकरण के प्रारंभ विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परिवर्तित हो गया । विदेश व्यापार उदार और टैरिफ एतर बनाया गया । विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सहित विदेशी संस्थागत निवेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लिए जा रहे हैं । वित्तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्य अन्य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्तियों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।
आज भारत में 20 बिलियन अमरीकी डालर (2010 - 11) का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हो रहा है । देश की विदेशी मुद्रा आरक्षित (फारेक्स) 28 अक्टूबर, 2011 को 320 बिलियन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बिलियन अ.डालर की तुलना में )
भारत माल के सर्वोच्च 20 निर्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्च 10 सेवा निर्यातकों में से एक है ।
विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म कैसे चुनें?
एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म एक सॉफ्टवेयर सिस्टम है जिसका उपयोग मुद्राओं और अन्य उपकरणों के व्यापार के लिए किया जाता है। इसके साथ, निवेशक एक वित्तीय मध्यस्थ के माध्यम से ऑनलाइन बाजार की स्थिति खोल, बंद और प्रबंधित कर सकते हैं। आमतौर पर वित्तीय मध्यस्थ ब्रोकरेज कंपनियां होती हैं।
कई ब्रोकर अपने प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने और अक्सर ट्रेडिंग के बदले में मुफ्त या छूट पर ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करते हैं। यदि आप अभी भी ब्रोकर की तलाश में हैं, तो विश्वसनीय विदेशी मुद्रा दलालों का पता लगाने के लिए
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दलालों की जांच न करें।
कई ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म विभिन्न प्रकार की विशेषताएं प्रदान करते हैं जो निवेशकों को सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति कर सकते हैं। इन सुविधाओं में वास्तविक समय उद्धरण, इंटरैक्टिव चार्ट, चार्टिंग टूल की एक श्रृंखला, प्रीमियम अनुसंधान और स्ट्रीमिंग समाचार फ़ीड शामिल हो सकते हैं।
ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म कैसे चुनें?
ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म चुनते समय, ट्रेडिंग रणनीति और उपकरणों के प्रकार पर विचार करना महत्वपूर्ण है जिसे आप उपयोग करने की योजना बनाते हैं। इसके अलावा, कुछ मानदंड हैं जिन्हें विकल्प बनाते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए:
1. उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफ़ेस
जब व्यापार की बात आती है, तो एक स्पष्ट और उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफ़ेस आवश्यक है। प्लेटफ़ॉर्म को कई अलग-अलग संकेतकों और चार्ट, साथ ही व्यापारियों के लिए आवश्यक अन्य उपकरणों की पेशकश करनी चाहिए।
2. फीस और कमीशन विभिन्न प्लेटफार्मों
द्वारा ली जाने वाली फीस और कमीशन की तुलना करें। शुल्क व्यापार के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, जबकि कमीशन आमतौर पर एक फ्लैट दर या लेनदेन मूल्य का प्रतिशत होता है। दुर्भाग्य से, इन लागतों का आपके मुनाफे पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, कुछ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बिना किसी कमीशन शुल्क के किफायती लेनदेन की पेशकश करते हैं।
3. विभिन्न बाजारों
तक पहुंच यदि आप विभिन्न तरीकों से व्यापार करने की कोशिश करना चाहते हैं, तो आप विभिन्न बाजारों में विभिन्न प्रकार के वित्तीय साधनों का व्यापार करने की कोशिश कर सकते हैं। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर इसे आज़माना एक अच्छा विचार है जो बहुत सारे बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है।
4. उच्च सुरक्षा
जब हम सुरक्षा
के बारे में बात करते हैं तो सभी प्लेटफार्मों को समान नहीं बनाया जाता है। अपने व्यवसाय के लिए एक मंच चुनते समय, उच्च सुरक्षा मानकों की पेशकश करने वाले का चयन करना सुनिश्चित करें। यह आपके डेटा की सुरक्षा करने और आपके व्यवसाय को हैकर्स और घोटालों से सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
5. उपकरणों
पर उपलब्धता यह लचीलापन व्यापारियों को डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप या यहां तक कि मोबाइल उपकरणों जैसे उनके लिए सबसे सुविधाजनक डिवाइस का उपयोग करने की अनुमति देता है। कुछ प्लेटफ़ॉर्म को विशेष रूप से अच्छा माना जाता है क्योंकि वे कई प्रारूपों में उपलब्ध हैं।
तकनीकी विश्लेषण के लिए शक्तिशाली उपकरण तकनीकी विश्लेषण
उपकरण का उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए किया जाता है कि कोई संपत्ति बाजार के रुझानों और इसके मूल्य में उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले कारकों के आधार पर ऊपर या नीचे कब जाएगी। ये उपकरण ट्रेडिंग प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे निवेशकों को किसी संपत्ति को खरीदने या बेचने के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
यद्यपि ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म चुनने से पहले विचार करने के लिए कई कारक हैं, यह अंततः नीचे आता है कि ट्रेडिंग की कौन सी विधि आपको और आपके लक्ष्यों के लिए सबसे उपयुक्त है। यदि आप अक्सर व्यापार करने की योजना बनाते हैं, तो कम शुल्क वाले प्लेटफ़ॉर्म की तलाश करें। यदि आप अधिक मार्गदर्शन और समर्थन चाहते हैं, तो उन प्लेटफार्मों की तलाश करें जो महान ग्राहक सेवा प्रदान करते हैं। और अंत में, अपना निर्णय लेने से पहले समीक्षा पढ़ना सुनिश्चित करें।
इतने सारे विकल्पों के साथ उस पर नज़र रखें, सही से कम कुछ भी व्यवस्थित करने का कोई कारण नहीं है।
RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्ट
अवैध ऐप्स की लंबी सूची में OctaFX शामिल है, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग स्पॉन्सर है। आरबीआई ने इन ऐप को लेकर लोगों को चेताया है और उपयोग नहीं करने की सलाह दी है।
RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्ट (फाइल फोटो)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस सप्ताह अवैध इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर विदेशी मुद्रा लेनदेन में शामिल संस्थाओं की एक अलर्ट सूची जारी की। इसमें एक ऐप ऐसा भी है, जो IPL टीम दिल्ली कैपिटल को स्पॉन्सर करता है। यह अवैध संस्था या ऐप लोगों से हाई रिटर्न का वादा करके लुभाते हैं। आरबीआई ने कहा कि इन अवैध प्लेटफॉर्म के यूजर्स पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
अवैध ऐप्स की लंबी सूची में OctaFX शामिल है, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग स्पॉन्सर है। आरबीआई ने इन ऐप को लेकर लोगों को चेताया है और उपयोग नहीं करने की सलाह दी है, वरना यूजर्स पर कार्रवाई भी की जा सकती है। यहां अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप्स और वेबसाइटों की पूरी सूची है।
अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप
Alpari, AnyFX, Ava Trade, Binomo, e Toro, Exness, Expert Option, FBS, FinFxPro, Forex.com, Forex4money, Foxorex, FTMO, FVP Trade, FXPrimus, FXStreet, FXCm, FxNice, FXTM, HotFores, ibell Markets, IC Markets, iFOREX, IG Market, IQ Option, NTS Forex Trading, Octa FX, Olymp Trade, TD Ameritrade, TP Global FX, Trade Sight FX, Urban Forex, Xm और XTB है।
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आरबीआई ने यह भी कहा कि इस लिस्ट में नहीं आने वाले यूनिट को केंद्रीय बैंक की ओर से रजिस्टर्ड नहीं माना जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार, लोगों को (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999) के अनुसार केवल रजिस्टर्ड संस्थाओं के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन करना चाहिए।
आरबीआई ने क्या कहा
आरबीआई के अनुसार, जबकि अनुमत विदेशी मुद्रा लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जा सकते हैं, उन्हें केवल आरबीआई या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, बीएसई लिमिटेड और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा इस उद्देश्य के लिए अधिकृत ईटीपी पर ही किया जाना चाहिए।
बाजार में लबालब नकदी: 600 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार, देगा घरेलू शेयर बाजार को मजबूती
देश का विदेशी मुद्रा भंडार संभवत: 600 अरब डॉलर का लेवल पार कर गया है। यह घरेलू शेयर बाजारों के लिए फायदेमंद हो सकता है। जानकारों के मुताबिक, देश-विदेश के पूंजी बाजारों में भरपूर नकदी होने से घरेलू शेयर बाजार में तेजी जारी रह सकती है। उन्होंने बताया कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 105 अरब डॉलर की बढ़ोतरी इसी साल हुई है।
पिछले महीने NSE में रोजाना औसतन 79,000 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था
मई में देश के सबसे बड़े शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी NSE में रोजाना औसतन 79,000 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था। उससे एक साल पहले यानी 2020 में NSE में रोजाना का औसत कारोबार 65,000 करोड़ रुपए रहा था। 2019 में एक्सचेंज का डेली ट्रेडिंग एवरेज लगभग 36,000 करोड़ रुपए का था।
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए RBI के स्पेशल पैकेज से बाजार को मिली मजबूती
जानकारों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार में युवाओं का निवेश तेजी से बढ़ा है। घरेलू शेयर बाजार में बना मजबूती का दौर निकट भविष्य में खत्म नहीं होने जा रहा है। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुताबिक, RBI की तरफ से हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को दिए गए 15,000 करोड़ रुपए के स्पेशल पैकेज से शुक्रवार को शेयर बाजार में मजबूती आई।
ट्रैवल और टूरिज्म, एविएशन कंपनियों, ब्यूटी पार्लर के लिए RBI का स्पेशल पैकेज
रिजर्व बैंक ने ट्रैवल और टूरिज्म कंपनियों, टूर ऑपरेटरों, होटलों, रेस्तराओं, एविएशन कंपनियों, स्पा क्लिनिक और ब्यूटी पार्लर के लिए स्पेशल पैकेज का ऐलान किया है। इसलिए इन सेक्टरों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार को उछाल आया। युनाइटेड ब्रुवरीज, ग्लोबस स्पिरिट्स, युनाइटेड स्पिरिट्स, IFB एग्रो इंडस्ट्रीज और रैडिको खैतान जैसे शेयरों में 8% तक की मजबूती आई।
अप्रैल में मंथली बेसिस पर 0.4% गिरा निफ्टी, मई में 6.5% उछलकर ऑल टाइम हाई पर बंद
मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नए फाइनेंशियल ईयर के पहले महीने बाजार में कंसॉलिडेशन हुआ। अप्रैल में मंथली बेसिस पर 0.4% गिरा एनएसई का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी मई में मासिक आधार पर 6.5% उछलकर 15,583 पॉइंट के ऑल टाइम हाई पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मई के अंतिम पखवाड़े में जमकर पैसा लगाया
जनवरी से अब तक निफ्टी 11.5% मजबूत हुआ है, जिसकी कई वजहें रही हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मई के विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति अंतिम पखवाड़े में जमकर पैसा लगाया। कोविड संक्रमण के नए मामलों में लगातार गिरावट आना शुरू हुआ। इस दौरान दूसरे एशियाई शेयर बाजारों में भी मजबूती आई।
12 महीनों में मिडकैप 94% उछला है जबकि निफ्टी में 63% की मजबूती आई है
ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक, मई में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने नेट बेसिस पर 70 करोड़ डॉलर (2,067 करोड़ रुपए) का निवेश किया है। इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशक यानी DII लगातार तीसरे महीने शुद्ध रूप से खरीदार रहे और उन्होंने 30 करोड़ डॉलर (2,067 करोड़ रुपए) का नेट इनवेस्टमेंट किया। पिछले 12 महीनों में मिडकैप 94% उछला है जबकि निफ्टी में 63% की मजबूती आई है।
निफ्टी में FY23 के अनुमानित EPS के 17.9 गुना के महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड हो रहा है
9 मई के बाद से कोविड के एक्टिव मामले 50% ज्यादा कम हो गए हैं। इस महीने राज्य सरकारें कोविड के चलते लगाई गई पाबंदियां धीरे-धीरे हटाना शुरू करेंगी। इन सबका बाजार पर सकारात्मक असर होगा, हालांकि निफ्टी में वित्त वर्ष 2023 के अनुमानित ईपीएस के 17.9 गुना के महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड हो रहा है। ऐसे में कंपनियों के प्रॉफिट में बढ़ोतरी इस हिसाब विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति से नहीं रही, बाजार नेगेटिव रिएक्शन देगा।
विदेशी मुद्रा सहसंबंध रणनीति
मुद्रा सहसंबंध कुछ मुद्रा जोड़े द्वारा प्रदर्शित व्यवहार है जो या तो एक ही दिशा में (सकारात्मक रूप से सह-संबंधित) या विपरीत दिशाओं में (नकारात्मक रूप से सहसंबद्ध) एक ही समय में चलते हैं:
- जब दो या दो से अधिक मुद्रा जोड़े एक ही समय में एक ही दिशा में चलते हैं तो एक मुद्रा जोड़ी को एक सकारात्मक सहसंबंध दिखाया जाता है। उदाहरण के लिए, EURUSD और GBPUSD ऐसा अधिकतर समय करते हैं। जब EURUSD का व्यापार हो रहा है, तो आप GBPUSD का व्यापार भी देखेंगे।
- एक नकारात्मक सहसंबंध तब होता है जब दो या दो से अधिक मुद्रा जोड़े विपरीत दिशाओं में व्यापार करते हैं और एक अच्छा उदाहरण EURUSD और USDCHF है। जब EURUSD का व्यापार हो रहा है, तो आप देखेंगे कि USDCHF गिर रहा होगा। वे विपरीत दिशाओं में जाते हैं।
यहां 4 घंटे की समय सीमा पर EURSUD और GBPUSD के बीच एक सकारात्मक सहसंबंध का उदाहरण दिया गया है और एक ही समय में होने वाले हरे और लाल तीरों पर ध्यान दें:
यहां EURUSD और USD इंडेक्स के बीच एक नकारात्मक सहसंबंध का उदाहरण विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति दिया गया है। ध्यान दें कि लाल और हरा तीर: जब एक ऊपर जा रहा है, तो दूसरा नीचे जा रहा है, यह नकारात्मक सहसंबंध है:
मुद्रा सहसंबंध आपको लाभप्रद रूप से व्यापार करने में कैसे मदद करता है
मुद्रा सह-संबंधों का ज्ञान यह सुनिश्चित करेगा कि आप दो स्थितियाँ न लें जो एक दूसरे के विरुद्ध हों। उदाहरण के लिए, यदि आप EURUSD पर एक खरीद व्यापार करते हैं और उसी समय USDCHF पर एक खरीद व्यापार करते हैं, बिना यह महसूस किए कि ये दो मुद्राएँ नकारात्मक रूप से सहसंबद्ध हैं, तो आप विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग रणनीति इस समस्या में पड़ जाएँगे:
- एक मुद्रा जोड़ी पर एक व्यापार लाभदायक होगा
- और अन्य व्यापार लाभहीन होगा।
मुद्रा के संबंध को पूरी तरह से समझने में आपकी विफलता आपको एक व्यापार के साथ छोड़ देगी जिसे आपको पहले स्थान पर नहीं लेना चाहिए था। यह गलती आमतौर पर की जाती है नौसिखिया विदेशी मुद्रा व्यापारी.
विदेशी मुद्रा सहसंबंध रणनीति नियम
मुद्रा जोड़े: केवल सकारात्मक रूप से सहसंबद्ध मुद्रा जोड़े जैसे EURUSD और GBPUSD के लिए।
समय सीमा: 15 मिनट और उससे अधिक, कम समय सीमा वास्तव में विश्वसनीय नहीं है।
अतिरिक्त जानकारी: जब दो सकारात्मक रूप से सहसंबद्ध जोड़े एक पर सहसंबंध से बाहर हो जाते हैं प्रमुख समर्थन या प्रतिरोध स्तर हम उम्मीद कर सकते हैं उलट। यह उत्क्रमण 25 जितना छोटा हो सकता है पिप्स लेकिन अधिक बार इसका परिणाम बड़ी चालों में नहीं होता है। इसलिए आपको समर्थन और प्रतिरोध स्तरों के आसपास होने वाले इस प्रकार के सेटअपों को देखना चाहिए।
अब, यहाँ दिखाया गया सेटअप एक समर्थन स्तर पर आधारित है, इसलिए यह एक BUY सेटअप है। यदि प्रतिरोध स्तर पर ऐसा होता है, तो यह एक सेल सेटअप होगा, ठीक इसके विपरीत।
सेटअप खरीदें
चरण १: EUR/USD ने निचला निचला स्तर बनाया जबकि GBP/USD ऐसा करने में विफल रहा।
चरण 2: डाइवर्जेंस स्विंग के दोबारा परीक्षण की प्रतीक्षा करें। कोई पुन: परीक्षण नहीं होता है इसलिए हम सेट करते हैं सीमा आदेश एक ब्रेकआउट व्यापार के लिए।
चरण १: प्रवेश चालू है। अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो ए हानि को रोकने के सबसे हालिया स्विंग लो पर।
चरण 4: एक चित्रित करो मिथ्या लाभ के स्तर के लिए अपसारी झूले पर। ब्रेक ईवन के लिए अपने स्टॉप को ट्रेस करना न भूलें। इस मामले में, जोखिम 35 पिप्स था इसलिए 25-30 पिप्स पर भी ब्रेक इवन हो सकता है। जैसा कि आप इस मामले में देख सकते हैं कि सभी फाइबोनैचि एक्सटेंशन 108 पिप्स के लाभ के लिए हिट किए गए थे। मान लीजिए कि आप रातों-रात किसी पोजीशन को होल्ड नहीं करना चाहते थे, इसलिए जब मजबूत अप मूव के बाद कीमत मजबूत होने लगी तो आप आउट हो गए। आपने +75 पिप्स बनाए होंगे।
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