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Investment Tips: निवेश करने जा रहे हैं तो कभी न करें ये गलतियां, वरना हो सकता है नुकसान

Investment Tips: अगर आप निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं, तो कभी भी इन गलतियों को न करें वर्ना ये गलतियां आपके फंड को कम कर सकती हैं और आपका सपना तोड़ सकती हैं.

By: ABP Live | Updated at : 26 Nov 2022 09:32 PM (IST)

निवेश की प्लानिंग (फाइल फोटो)

Investment Planning: भविष्य के लिए लोग बैंक एफडी, सरकारी योजनाओं (Government Scheme) और शेयर बाजार आदि में निवेश कर रहे हैं. मुद्रास्फीति के बढ़ने के साथ ही कई बैंकों ने अपने एफडी ब्याज (Bank FD) की दरों में इजाफा किया है. वहीं, पेंशन प्लान (Pension Plan) से लेकर बीमा योजनाएं (Insurance Plan) भी लोगों को निवेश पर अच्छा रिटर्न दे रही हैं. अगर आप भी निवेश करने जा रहे मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है? हैं और सही जगह पर पैसा लगाना चाहते हैं, जिससे की आपका ज्यादा फंड जुटा सकें तो, आपको इन 10 तरह के गलतियों से बचकर रहना चाहिए.

बड़े टारगेट न रखें
अक्सर ये देखा जाता है कि लोग बड़ा टारगेट लेकर निवेश की प्लानिंग करते हैं और ज्यादा पैसा निवेश करने के चक्कर में कर्ज लेते हैं मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है? या फिर अपने बजट को प्रभावित करते हैं. एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आपके घर का बजट प्रभावित हो सकता है.

क्रेडिट स्कोर चेक करें
क्रेडिट स्कोर को चेक करना अनिवार्य नहीं, लेकिन अगर आपने निवेश किया है तो इसे चेक करना चाहिए, ताकि इमरजेंसी में आप लोन ले सकें.

ज्यादा क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल खतरनाक
निवेशकों को ज्यादा क्रेडिट कार्ड यूज नहीं करना चाहिए, चाहे आपने सभी क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान ही क्यों नहीं कर दिया हो. एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड यूज करने पर आप भारी कर्ज में भी फंस सकते हैं.

टाइम पर पेमेंट करें
अगर योजना में एक निश्चित समय के दौरान निवेश कर रहे हैं, तो आपको टाइम पर भुगतान करना चाहिए, वरना जुर्माना भरना पड़ सकता है.

पैसों की कंपाउंडिंग की ताकत को समझें
आप जिस भी योजना में पैसा लगा रहे हैं, उसमें चार्ज से लेकर फंड तैयार होने तक के गणित को समझें, ताकि आप दूसरे योजनाओं से तुलना करके ज्यादा मुनाफे का लाभ उठा सकें.

बीमा योजना को शामिल करें
किसी भी योजना में निवेश के साथ बीमा को छोड़ना नहीं चाहिए. बीमा योजना लेना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि यह योजना को कवर करता है और अनहोनी पर आपके परिवार को आर्थिक समस्या से बचा सकता है.

केवल महंगाई के लिए सेविंग न करें
निवेशकों को महंगाई से बचने के लिए केवल सेविंग ही नहीं करना चाहिए. सेविंग के साथ ही अच्छा फंड तैयार करने के बारे में सोच सकते हैं, जिससे भविष्य में पैसों की समस्या न रहे.

इमरजेंसी फंड को इग्नोर न करें
अगर आपकी जाॅब चली जाती है, तो ऐसे समय में इमरजेंसी फंड आपके लिए लाइफ सेवर का काम करते हैं.

योजना के नुकसान के बारे में जानें
जिस योजना में निवेश करने वाले हैं, उसके कमियों के बारे में भी जानना चाहिए. साथ ही उसके लांग टर्म और शाॅर्ट टर्म में फायदे और नुकसान के बारे में भी जानना चाहिए.

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Published at : 26 Nov 2022 09:32 PM (IST) Tags: investment Plan Government scheme Bank FD हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Utility-news News in Hindi

भारत में निवेश के ins और बहिष्कार

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दुनिया की अर्थव्यवस्था को कुचल रही है महंगाई, घर में रखा एक लाख रुपया हो जाएगा 25000

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कुछ साल पहले एक गाना आया था, 'सखी सइयां तो बहुत ही कमता है पर महंगाई डायन खाय जात है।' आज यह गाना हमारी-आपकी जेब पर ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भी सटीक बैठ रहा है। मुद्रास्फीति यानी महंगाई दुनिया भर के देशों के लिए सबसे चिंताजनक कारक है। कमाई का सही तरीके से निवेश नहीं किया गया तो महंगाई उसे खा जाएगी। कैसे, आइए समझते हैं ऐसे .

मुद्रा की क्रय शक्ति से मुद्रास्फीति का क्या संबंध है? स्वतंत्र सलाहकार डॉ समीर कपूर कहते हैं कि मान लें कि भारत में मुद्रास्फीति की दर करीब 7 प्रतिशत है। तो मुद्रास्फीति/महंगाई की वजह से ठीक 10 साल में एक लाख रुपया आधा हो जाएगा। अगले 15 साल में यह 36 हजार रुपये और अगले 20 साल में वही एक लाख रुपया मात्र 25 हजार रुपये हो जाएगा।

इससे बचने के लिए क्या करें

हालांकि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां कई लोगों ने सुनिश्चित दोहरे अंकों के रिटर्न की आड़ में बीमा उत्पाद को गलत तरीके से बेचने की कोशिश की है, लेकिन हाल के दिनों में आईआरडीए इस पर बहुत सतर्क रहा है और इस तरह की प्रथाओं पर भारी पड़ गया है, लेकिन मुद्दा यह है कि कंपाउंडिंग के दम पर वो सेल्स वाले ग्राहक को लुभाने में सफल रहे हैं। लेकिन आपको समीकरण के दूसरे पहलू को भी समझने की जरूरत है कि पैसा अपनी ताकत बहुत तेजी से खो देता है।

इसलिए, आपके लिए अपना पैसा निवेश करना नितांत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि आप पैसे का निवेश नहीं करते हैं, तो जो पैसा आपके बचत खाते में रखा जाएगा, उसे मुद्रास्फीति खा जाएगी।

निवेश का लक्ष्य मुद्रास्फीति को मात देना होना चाहिए

हम में से कई लोग इस बात पर जोर नहीं देते हैं कि निवेश का लक्ष्य मुद्रास्फीति को मात देना होता है।जापानी शेयर बाजार पर नजर रखने वाले शेयर बाजार के आलोचकों के बीच एक प्रसिद्ध कहावत है कि अगर आपने जापानी शेयर बाजार में निवेश किया होता तो पिछले 30 वर्षों में इसने लगभग 0 प्रतिशत रिटर्न दिया है। जापानियों के उदाहरण के तौर पर, शेयर बाजार में निवेश काफी हद तक व्यर्थ है। शेयर बाजार में निवेश करने का क्या मतलब है? लेकिन यह केवल आधी कहानी है। कहानी का दूसरा भाग अन्य मैक्रोइकॉनॉमिक कारकों से आता है जो नंबर एक पर हैं, जापान में मुद्रास्फीति 0 प्रतिशत के करीब है। साथ ही, जापान में ब्याज दर भी 0 प्रतिशत के करीब है।

आम निवेशकों के मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है? लिए इसका क्या मतलब है

कल्पना कीजिए कि आप 1991 में जापान में रहने वाले एक 30 वर्षीय जापानी नागरिक हैं। आपने अगले 30 वर्षों तक वास्तव में कड़ी मेहनत की और आपने जापानी येन के बराबर एक करोड़ रुपये बचाए। अब जब आप उसे बैंक में डालेंगे तो वह राशि कम नहीं होगी, या यों कहें कि उस पैसे की क्रय शक्ति कम नहीं होगी, लेकिन भारत में इसी तरह उदाहरण लीजिए, यदि आप भारत में 1991 में 30 साल के हैं, और अगर आपने उस पैसे को बैंक में रखने का फैसला किया होता, तो उस एक करोड़ रुपये का 30 साल बाद क्या मूल्य होगा ? मुझे यकीन है कि आप बहाव को समझते हैं।

हमें बीमा जल्दी खरीदना चाहिए

एक वित्तीय गलती जो हम करते हैं वह यह है कि हम बीमा जल्दी नहीं खरीदते हैं। मैक्रोइकॉनॉमी में सबसे बड़ी चिंता मुद्रास्फीति है! मुद्रास्फीति वास्तव में, अमेरिका में बहुत ज्यादा अधिक है। वर्तमान अमेरिकी मुद्रास्फीति लगभग 9 प्रतिशत है, भारत में चिकित्सा मुद्रास्फीति लगभग 14 प्रतिशत है, जबकि उच्च प्रतिशत अपने आप में बुरी खबर नहीं है। बुरी खबर यह है कि भारत में जिस दर से हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ रहा है क्योंकि वह बहुत तेज गति से बढ़ रहा है। इसलिए प्रीमियम के मामले में अंतर जो आप 25 पर टर्म इंश्योरेंस खरीदते समय भुगतान करते हैं बनाम जब आप 35 पर टर्म इंश्योरेंस खरीद रहे होते हैं। दोनों के बीच लगभग 70 प्रतिशत अंतर होता है। आप जितने छोटे हैं और उस समय आप बीमा खरीदते हैं, तो आपके पास अधिक पैसे बचाने की संभावना है।

इमरजेंसी फंड जरूरी

अपने इमरजेंसी फंड के रूप में सावधि जमा में 6 से 12 महीने की मासिक आय का निवेश करें और अवसर आने पर रणनीतिक निवेश करें। जब आप अपना इमरजेंसी फंड बना रहे हों, तो यह आपकी मासिक आय का कम से कम छह से बारह गुना होना चाहिए। फंड को सावधि जमा में रखा जा सकता है या इसे लिक्विड डेट फंड में रखा जा सकता है। सावधि जमा की दूसरी प्रमुख उपयोगिता काफी सरल है जो आपको अवसरों का पता लगाने में मदद करती है। तो, कल्पना कीजिए कि मार्च 2020 के कोविड के दौरान आपके पास लिक्विड कैश है और निफ्टी क्रैश हो गया है। यदि आपके पास कुछ लिक्विड मनी है जो एफडी में बचाई गई थी, तो संभावना होने पर इसका कुछ हिस्सा स्टॉक में लगाया जा सकता है।

मुद्रा स्फीति ( inflation ), मुद्रा स्फीति का कारण

मुद्रास्फीति के कारण और परिणाम, Inflation मुद्रा स्फीति क्या है, मुद्रा स्फीति के प्रभाव, मुद्रास्फीति नियंत्रण हेतु उपाय आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। मुद्रा स्फीति का कारण नोट्स इन हिंदी ( Reasons for Inflation Notes in Hindi )

Table of Contents

मुद्रा स्फीति ( inflation ) क्या होता है

किसी भी देश में जब मांग एवं आपूर्ति में असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है, तब सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में वृद्धि हो जाती है। इस कारण बढ़ी हुई कीमतों को मुद्रास्फीति कहते हैं। देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक मुद्रास्फीति हानिकारक होती है परंतु 2-3 फीसदी मुद्रास्फीति दर अर्थव्यवस्था के लिए उचित मानी जाती है। भारत देश में मुद्रास्फीति की गणना दो मूल सूची पर आधारित होती है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) एवं थोक मूल्य सूचकांक (WPI)।

मुद्रास्फीति का कारण ( cause of inflation in hindi )

किसी भी देश में मुद्रास्फीति मुख्यतः दो ही कारणों से होती है :-

  • लागतजनित कारक (Cost-Push Factor)
  • मांगजनित कारक (Demand-Pull Factor)

लागत जनित कारक

यदि भूमि, श्रम, पूंजी, कच्चा माल आदि के उत्पादन की लागत में वृद्धि होती है तो वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है, इसको लागत जनित मुद्रास्फीति कहते हैं।

मांग जनित कारक

यदि देश की मांग के अनुसार वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है तो इसे मांग जनित मुद्रास्फीति कहते हैं।

थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है. The post थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 15.मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है? 08 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर appeared first on The Wire - Hindi.

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में बताया गया था कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/मुंबई: थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (महंगाई दर) अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. यह तेजी खाद्य वस्तुओं से लेकर जिंसों तक के महंगा होने की वजह से हुई.

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है.

आंकड़ों से पता चलता है, बीते मार्च महीने के दौरान थोक मूल्य सूचकांक में 14.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि फरवरी के लिए इसे 13.43 प्रतिशत से संशोधित कर 13.11 प्रतिशत किया गया था.

माना जा रहा है कि मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक अगले महीने नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला कर सकता है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘अप्रैल, 2022 में मुद्रास्फीति की ऊंची दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खाद्य वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में वस्तुओं की मुद्रास्फीति में 8.35 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. इस दौरान सब्जियों, गेहूं, फल और आलू की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई थी.

इससे पहले के महीने में यह 8.06 फीसदी था. महीने-दर-महीने मामूली वृद्धि के लिए सब्जियों की कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति 38.66 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.85 प्रतिशत और 16.10 प्रतिशत थी.

आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में 19.88 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले सब्जियों की कीमतें अप्रैल में 23.24 प्रतिशत मुद्रास्फीति निवेश के लिए क्या करती है? बढ़ीं. आलू के दाम 19.84 फीसदी चढ़े, जबकि प्याज (-)4.02 फीसदी फिसले.

हालांकि फलों की कीमतों में पिछले महीने मार्च में 10.62 प्रतिशत से 10.89 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि गेहूं की कीमतें एक महीने पहले 14.04 प्रतिशत से घटकर 10.70 प्रतिशत हो गईं.

अंडे, मांस और मछली की कीमतें अप्रैल में एक महीने पहले 9.42 प्रतिशत से घटकर 4.50 प्रतिशत हो गईं और मार्च में 8.12 प्रतिशत की तुलना में पिछले महीने अनाज 7.80 प्रतिशत बढ़ गया.

कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पाद खंड (Manufactured Products Segment) अप्रैल में मुद्रा​स्फीति 10.85 प्रतिशत बढ़ी, जो एक महीने पहले 10.71 प्रतिशत थी.

रिपोर्ट के अनुसार, ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति की बात करें तो मार्च में यह 34.52 प्रतिशत से अप्रैल में बढ़कर 38.66 प्रतिशत हो गई. पेट्रोल की कीमत में 60.63 प्रतिशत, हाई-स्पीड डीजल में 66.14 प्रतिशत और एलपीजी की कीमतों में 38.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में रेपो दर में 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी.

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चीन में कमजोर मांग के परिणामस्वरूप जिंस कीमतों में कुछ नरमी से रुपये में गिरावट की भरपाई हो सकती है. उन्होंने कहा कि मई में थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत से कम रह सकती है, हालांकि यह उच्चस्तर पर बनी रहेगी.

उन्होंने कहा कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार दो अंक में बनी हुई है, इसलिए जून, 2022 में मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो दर में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है. नायर ने कहा कि जून, 2022 में 0.40 प्रतिशत और अगस्त में 0.35 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है.

रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर से उबरकर सात पैसे की तेजी के साथ 77.47 प्रति डॉलर पर

घरेलू शेयर बाजारों में जोरदार तेजी के बीच अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मंगलवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर 77.79 से उबरता हुआ सात पैसे की तेजी के साथ बंद हुआ.

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.67 पर कमजोर खुला तथा निराशाजनक वृहद आर्थिक आंकड़े सामने आने के बाद दिन में कारोबार के सबसे निचले स्तर 77.79 प्रति डॉलर पर आ गया.

हालांकि, घरेलू शेयर बाजार में भारी तेजी के कारण रुपये में सुधार का दौर लौटा और कारोबार के अंत में रुपया 77.48 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव 77.55 रुपये से सात पैसे की तेजी को दर्शाता है. विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार सोमवार को बुद्ध पुर्णिमा के मौके पर बंद था.

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.41 प्रतिशत गिरकर 103.75 रह गया.

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा का दाम 0.74 प्रतिशत बढ़कर 115.09 डॉलर प्रति बैरल हो गया. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,344.63 अंक की तेजी के साथ 54,318.47 अंक पर बंद हुआ.

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने सोमवार को 1,788.93 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे.

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