Image Source : PEXELS डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ ईरानी रियाल

Exchange Rate: एक्सचेंज रेट

क्या होती है एक्सचेंज रेट?
Exchange Rate: एक्सचेंज रेट यानी विनिमय दर किसी एक देश की करेंसी की किसी दूसरे देश या इकोनॉमिक जोन की करेंसी की तुलना में वैल्यू है। अधिकांश एक्सचेंज रेट फ्री-फ्लोटिंग होती हैं और इसमें बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर बढ़ोतरी या गिरावट आती है। कुछ करेंसियां फ्री-फ्लोटिंग नहीं होती हैं और उनकी सीमाएं होती हैं।

एक्सचेंज रेट के प्रकार
कोई फ्री-फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट विदेशी विनिमय बाजार में बदलावों के कारण चढ़ती या गिरती है। कुछ देशों के पास सीमित करेंसियां होती हैं जो देश की सीमाओं के भीतर उनके विनिमय को सीमित करती हैं। इसके अतिरिक्त, एक सीमित करेंसी की वैल्यू भी सरकार द्वारा निर्धारित होती है।

करेंसी पेग: कभी कभार कोई देश अपनी करेंसी को दूसरे देश की करेंसी के समान दर्शाता है। उदाहरण के लिए, हांगकांग डॉलर को 7.75 से 7085 के रेंज में अमेरिकी डॉलर के समान दर्शाया जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिकी डॉलर की वैल्यू के प्रति हांगकांग डॉलर की वैल्यू उसके रेंज के भीतर बनी रहेगी।

ऑनशोर बनाम ऑफशोर: विनिमय दरें एक ही देश के लिए भी अलग अलग हो सकती हैं। कुछ मामलों में ऑनशोर रेट और ऑफशोर रेट होती है। आम तौर पर एक अधिक अनुकूल एक्सचेंज रेट किसी देश की सीमा के भीतर बजाय उसकी सीमा के बाहर पाई जा सकती है। चीन एक ऐसे देश का एक प्रमुख उदाहरण है जिसका अपना रेट स्ट्रक्चर है।

स्पॉट बनाम फॉरवर्ड: एक्सचेंज रेट्स में स्पॉट रेट या कैश वैल्यू हो सकती है जो वर्तमान मार्केट वैल्यू है। वैकल्पिक रूप से किसी एक्सचेंज रेट में फॉरवर्ड वैल्यू हो सकती है जो इसके उठने या गिरने बनाम इसकी स्पॉट प्राइस के लिए करेंसी के लिए अपेक्षाओं पर आधारित होती करेंसी एक्सचेंज करेंसी एक्सचेंज है। फॉरवर्ड रेट वैल्यू अन्य देशों की तुलना में किसी देश में फ्यूचर इंटरेस्ट रेट के लिए अपेक्षाओं में बदलाव के कारण अस्थिर हो सकती है। उदाहरण के लिए, ट्रेडरों का विचार होता है कि यूरोजोन अमेरिका के मुकाबले अपनी मौद्रिक नीतियों को सरल बनाएगा। इस मामले में, ट्रेडर यूरो के मुकाबले डॉलर की खरीद कर सकता है जिसका परिणाम यूरो की वैल्यू के गिरने के रूप में आएगा।

कौन तय करता है डॉलर के मुकाबले रुपये का एक्सचेंज रेट, क्या कभी डॉलर के बराबर थी भारतीय करेंसी?

माना जाता है कि 1947 में डॉलर और रुपये की वैल्यू एकसमान थी. (फोटो- साभार मनीकंट्रोल)

डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया आजादी के बाद लगातार नीचे गिरा. ऐसा माना जाता है कि 1947 में भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर क . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 15, 2022, 09:21 IST

हाइलाइट्स

एक करेंसी के मुकाबले दूसरी करेंसी की वैल्यू एक्सचेंज रेट द्वारा तय होती है.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का एक्सचेंज रेट फिलहाल 82.36 है.
भारत विभिन्न विदेशी मुद्राओं के लिए फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट फॉलो करता है.

नई दिल्ली.करेंसी एक्सचेंज अमेरिकी डॉलर ($) के मुकाबले भारतीय रुपया (₹) आए दिन नया न्यूनतम स्तर छू रहा है. फिलहाल यह 1 डॉलर के मुकाबले 82.367 रुपये पर है. शुक्रवार को यह 0.24 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ था. कोई करेंसी किसी दूसरे देश की करेंसी के मुकाबले कितनी मजबूत या कमजोर है यह एक्सचेंज रेट से पता चलता है. भारतीय रुपये और डॉलर की तुलना करें तो अगर आप 82.36 रुपये लेकर डॉलर में कन्वर्ट करने जाते हैं तो आपको केवल 1 डॉलर मिलेगा. यही एक्सचेंज रेट है.

अब सवाल उठता है कि एक्सचेंज रेट तय कौन करता है. सबसे पहला ख्याल दिमाग में भारतीय रिजर्व बैंक का आता है, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, भारतीय रुपये का एक्सचेंज रेट कोई एक संस्थान या संगठन नहीं करता है. केवल डॉलर ही नहीं अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले भी भारतीय रुपये का एक्सचेंज रेट कई बाजार आधारित फैक्टर्स द्वारा तय होता है. गौरतलब है कि 1990 से पहले यह काम आरबीआई ही करता था. तब भारत एक फिक्स्ड एक्सचेंज रेट को फॉलो करता था. उस समय घरेलू करेंसी अमेरिकी डॉलर और अन्य मुद्राओं के एक बास्केट के साथ पैग्ड थी. पैग होने का मतलब है कि दूसरी करेंसी के मुकाबले अपनी करेंसी को एक तय सीमा बांध दिया जाएगा और उसमें गिरावट या तेजी उसी दायरे में रहेगी. इस सिस्टम में आरबीआई या केंद्र सरकार अपनी करेंसी का एक्सचेंज रेट तय करते हैं.

क्यों बंद हुई वह प्रणाली?
जब कोई देश अपनी करेंसी को किसी दूसरे की करेंसी के साथ संलग्न (पैग) कर देता है तो वह अपनी आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप स्वायत्त रूप से मौद्रिक नीति नहीं बना पाता. ये एक बड़ा कारण रहा जिसकी वजह से पुरानी एक्सचेंज रेट प्रणाली को बंद कर दिया गया. इसके अलावा 1992 में भारतीय रुपये में तेज गिरावट देखने को मिली जिसकी वजह से लोगों ने डॉलर खरीदना शुरू कर दिया. इससे आरबीआई के पास डॉलर लगभग खत्म हो गए और उसके लिए रुपये को पैग करना बहुत मुश्किल हो गया. इसी दौरान कई आर्थिक बदलाव हुए और भारत ने फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट को अपना लिया.

अब कैसे तय होता एक्सचेंज रेट?
इसका सबसे बड़ा कारक मांग और आपूर्ति है. हालांकि इसके अलावा भी कुछ कारक हैं लेकिन पहले हम इस पर बात करेंगे. जैसे-जैसे किसी वस्तु की मांग बढ़ती है तो स्वाभाविक तौर पर उसका रेट भी बढ़ने लगता है. यही हाल करेंसी का भी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापार के लिए डॉलर की मांग जितनी बढ़ती है उसका मूल्य भी उतना ऊपर जाता है. इसे फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट कहा जाता है. रुपये के संदर्भ में इसे ऐसे समझ सकते हैं. भारत अभी जितने मूल्या का माल यूएस को निर्यात करता है उससे अधिक का आयात करता है. व्यापारियों को यूएस से सामान खरीदने के लिए डॉलर में भुगतान करना होता है और वह रुपये से डॉलर खरीदते हैं. इससे डॉलर की डिमांड बढ़ती है और साथ ही साथ उसका मूल्य भी ऊपर की ओर जाता है. इसके अलावा महंगाई, ब्याज दर, चालू खाता घाटा, सोने का आयात-निर्यात और सार्वजनिक कर्ज कुछ ऐसे कारक हैं जो एक्सचेंज रेट को प्रभावित करते हैं.

एक ही देश के बैंकों में अलग-अलग एक्सचेंज रेट क्यों?
आप जब कहीं विदेश यात्रा पर जाते हैं तो आपको वहां की करेंसी की जरूरत होती है और आप भारतीय रुपया देकर उसे खरीदते हैं. यहां बैंक या कोई अन्य वित्तीय संस्थान आपको एक्सचेंज रेट के अनुसार दूसरी करेंसी मुहैया कराता है. लेकिन ये एक ही देश में अलग-अलग हो सकती हैं. इसके पीछे बैंकों की अलग-अलग नीतियां होती हैं जिसके तहत वह करेंसी और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तय दामों पर खरीदने व बेचने के लिए स्वतंत्र होते हैं. साथ ही बैंकों के सर्विस चार्जेस भी अलग-अलग होते हैं और उसका प्रभाव भी एक्सचेंज के बाद आपको मिलने वाली राशि पर पड़ता है.

क्या डॉलर और रुपया कभी एक समान थे?
ऐसा माना जाता है कि 1947 में भारत रुपये की वैल्यू अमेरिकी डॉलर के बराबर थी. यानी 1 डॉलर और 1 रुपया समान थे. हालांकि, आजादी से पहले तक भारतीय रुपया ब्रिटिश पाउंड के साथ पैग्ड (इसका मतलब लेख में ऊपर बताया है गया है) था. तब 1 पाउंड की वैल्यू 13 रुपये थी. 1 पाउंड की वैल्यू 2.73 डॉलर के बराबर थी. इस तरह देखा जाए तो 1947 में 1 डॉलर 4.76 रुपये के बराबर था. यानी तब वैल्यू बराबर नहीं थी. आजादी के बाद लगातार रुपये की वैल्यू में गिरावट दर्ज की गई.

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करेंसी एक्सचेंज से पहले जान लें ये पांच बातें, नहीं तो खा जाएंगे धोखा

करेंसी एक्सचेंज से पहले जान लें ये पांच बातें, नहीं तो खा जाएंगे धोखा

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अधिकांश भारतीय नागरिकों को करेंसी एक्सचेंज के बारे में बहुत कम जानकारी होती है, लेकिन जब कोई व्यक्ति काम या शिक्षा के लिए विदेश जा रहा हो तब यह एक जरूरत बन जाती है। वैसे तो पहली बार करेंसी एक्सचेंज सुनने में थोड़ा जटिल लग सकता है, लेकिन थोड़े रिसर्च के बाद आप इसे आसानी से समझ सकते हैं। हम इस खबर में कुछ ऐसी जरूरी बातें बता रहे हैं जिसे आपको करेंसी एक्सचेंज के वक्त ध्यान रखना चाहिए।

रिसर्च रेट: करेंसी एक्सचेंज रेट वह रेट है जिन पर मुद्रा का आदान-प्रदान होता है। आपको अपनी मुद्रा का आदान-प्रदान करने के लिए विक्रेता को एक शुल्क का भुगतान करना होता है। चूंकि एक्सचेंज रेट बहुत तेजी से बदलती है, इसलिए आपको अपनी मुद्रा का आदान-प्रदान करने से पहले दरों पर नजर रखना चाहिए। एक सप्ताह पहले ही एक्सचेंज के लिए तैयारी कर लें, अगर कीमत अचानक बढ़ जाए तो उसके कम होने का इंतजार करें फिर एक्सचेंज करें।

एयरपोर्ट पर एक्सचेंज से बचें: एयरपोर्ट पर एक्सचेंज की सुविधा उपलब्ध रहती है, करेंसी एक्सचेंज भले ही करेंसी एक्सचेंज करने का यह एक आसान तरीका है, लेकिन आपको इससे बचना चाहिए। करेंसी को एयरपोर्ट पर एक्सचेंज न करें, क्योंकि हो सकता है वहां एक्सचेंज पर 15 फीसद अतिरिक्त शुल्क लिया जाए। जब बहुत इमेजेंसी हो तो ही एयरपोर्ट पर करेंसी आदान-प्रदान करें।

30-70 के अनुपात का पालन करें: कैश को अपने साथ कम मात्रा में लेकर चलें। कोशिश करें केवल 20 फीसद कैश ही साथ लेकर चला जाए, जिसे आप एक्सचेंज करा सकते हैं। लेनदेन के दौरान करेंसी एक्सचेंज शुल्क से बचने के लिए अपने साथ एक फॉरेन करेंसी कार्ड ले कर चलें। चोरी और पॉकेट मारी से बचने के लिए जितना संभव हो उतना कम कैश लेकर चलना आपके लिए बेहतर होगा।

जांच परख कर करें एक्सचेंज: एक्सचेंज रेट अलग-अलग दुकानों में अलग अलग होती है, इसलिए ऐसा करने से पहले कुछ दुकानों का रेट पता कर लें। एक्सचेंज से पहले रेट को लेकर कम से कम तीन दुकानों की तुलना जरूर करें।

आरबीआई: एक्सचेंज रेट या विदेशी मुद्रा कार्ड को लेकर हर जगह धोखाधड़ी होती है, इसलिए यह सुनिश्चित करें कि फॉरेन करेंसी डीलर आरबीआई की ओर से अधिकृत है या नहीं।

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर ED का बड़ा एक्शन, Vauld की 370 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कंपनियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है. पहले WazirX की संपत्तियां जब्त की गईं, अब जांच एजेंसी ने Cryptocurrency Exchange Vauld की संपत्तियों को भी जब्त कर दिया है.

Vauld की संपत्ति जब्त (Representative Photo : Getty)

मुनीष पांडे

  • नई करेंसी एक्सचेंज दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2022,
  • (अपडेटेड 11 अगस्त 2022, 10:10 PM IST)
  • एक्सचेंज के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच
  • NBFC की पार्टनर फिनटेक ने की हेरा-फेरी

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का फ्यूचर क्या होगा? ये सवाल पहले से खड़ा हुआ है. इस बीच देश में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज की सुविधाएं देने वाली कंपनियों के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पहले WazirX नाम के एक्सचेंज की संपत्तियां जब्त की थीं और इसके कुछ ही दिन बाद आज यानी गुरुवार को Vauld के एसेट को भी जब्त कर लिया गया है.

Vauld की 370 करोड़ की संपत्ति जब्त की

मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी जांच को अंजाम दे रही ईडी ने गुरुवार को Vauld की 370 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्ति (एसेट) जब्त कर ली. इस बीच वैश्विक क्रिप्टो एक्सचेंज Binance ने सोमवार को ऐलान किया था कि वह WazirX के साथ अपने ऑफ-चेन फंड ट्रांसफर को बंद कर रही है. WazirX के खिलाफ ईडी की कार्रवाई पहले से चल रही है. ईडी वजीरएक्स के अज्ञात वॉलेटस में 2,790 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टो एसेट बाहर भेजे जाने की जांच कर रही है.

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क्रिप्टो एक्सचेंज के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच

इतना ही नहीं ईडी कई भारतीय गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) और उनके फिनटेक पार्टनर्स के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. ये जांच NBFCs की सहयोगी फिनटेक कंपनियों के खिलाफ RBI के लोन देने के दिशानिर्देशों के उल्लंघन और निजी डेटा के दुरुपयोग को लेकर की जा रही है. साथ ही लोन पर ज्यादा ब्याज वसूलने के लिए कर्जदारों के साथ अभद्र भाषा में बात करने और धमकाने की जांच भी जारी है.

जांच एजेंसी का कहना है कि कई फिनटेक कंपनियों में चीनी कंपनियों का निवेश है और वो आरबीआई से एनबीएफसी का लाइसेंस नहीं ले सकी. ऐसे में कर्ज का कारोबार करने के लिए उन्होंने MoU का रास्ता अपनाया और बंद हो चुकी एनबीएफसी करेंसी एक्सचेंज कंपनियों के साथ करार किया, ताकि उनके लाइसेंस पर काम कर सकें.

फिनटेक कंपनियों ने की हेरा-फेरी

जब इस मामले में आपराधिक जांच शुरू हुई, तो इनमें से कई फिनटेक कंपनियों ने अपनी दुकानें बंद कर दी और इससे कमाए गए भारी मुनाफे के पैसे की हेरा-फेरी की. जांच में ये भी पाया गया कि फिनटेक कंपनियों ने इस पैसे से बड़े स्तर पर क्रिप्टो करेंसी खरीदी और फिर इन पैसों को विदेश भेज दिया. ईडी का कहना है कि अभी इन करेंसी एक्सचेंज कंपनियों और वर्चुअल एसेट का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है.

WazirX के दावों में आ रहा फर्क

जांच एजेंसी ने इस मामले में क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनियों को समन जारी किए हैं. ये देखा गया है कि सबसे ज्यादा पैसों का लेन-देन वजीरएक्स के साथ हुआ और खरीदे गए क्रिप्टो एसेट किसी अनाम विदेशी वॉलेट में डाइवर्ट कर दिए गए.

ईडी का कहना है कि वजीर क्रिप्टो एक्सचेंज ने अमेरिका, सिंगापुर की कई क्रिप्टो एक्सचेंज कंपनियों के साथ वेब एग्रीमेंट किए. लेकिन अब वजीरएक्स के एमडी निश्चल शेटटी से मिली जानकारी और जैनमई के दावों में अंतर पाया गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए ईडी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए कंपनी के बैंक खातों को कुर्क कर दिया है.

एक डॉलर के मुकाबले 41,400 पहुंची इस देश की करेंसी, 3.86 लाख हुआ एक्सचेंज रेट, क्या है वजह?

Iranian Rial Value: अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहे ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने मुसीबत को और ज्यादा बढ़ा दिया है। यहां डॉलर के मुकाबले रियाल की कीमत अधिक ज्यादा गिर गई है।

Shilpa

Written By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Updated on: December 20, 2022 14:59 IST

डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ ईरानी रियाल- India TV Hindi

Image Source : PEXELS डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ ईरानी रियाल

दुनिया के कई देश तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था के कारण मंदी से जूझ रहे हैं। जिसके कारण उनकी मुद्रा बुरी तरह लुढ़क रही है। ऐसे ही देशों में ईरान का नाम भी शामिल है। जहां एक डॉलर की कीमत 41,400 ईरानी रियाल तक पहुंच गई है। हालात कितने बिगड़ गए हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि राजधानी तेहरान के व्यापारी रियाल को डॉलर के मुकाबले 3.86 लाख रियाल तक में एक्सचेंज कर रहे हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 11 दिसंबर को व्यापारी 3.70 लाख रियाल पर एक डॉलर को एक्सचेंज कर रहे थे। वहीं 8 दिसंबर को एक डॉलर को 3.68 लाख रियाल में एक्सचेंज किया गया। ईरान अमेरिका की तरफ से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से इन दिक्कतों का सामना कर रहा है। अमेरिका 2015 में हुए परमाणु समझौते से 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद बाहर निकल गया था। इसके बाद ईरान पर प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया गया। 2018 में ईरानी रियाल एक डॉलर के मुकाबले 65 हजार पर कारोबार कर रहा था और 2015 में 32,000 पर कारोबार कर रहा था।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने बताया कारण

इस मामले में ईरान के केंद्रीय बैंक के गवर्नर अली सालेहाबादी ने कुछ हद तक सरकार विरोधी प्रदर्शनों को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों और अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से पिछले 2 महीनों में ईरानी मुद्रा काफी गिर गई है। इसकी कीमत उठाने के लिए बाजार में डॉलर लाया जा रहा है।

रियाल में 20 फीसदी की गिरावाट दर्ज की गई

सरकार विरोध प्रदर्शनों के बाद से ईरानी रियाल में 20 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है। यहां ठीक से हिजाब नहीं पहनने के चलते एक कुर्द महिला महसा अमीनी को 13 सितंबर को मोरैलिटी पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद 16 सितंबर को उसकी मौत हो गई। इसके बाद देश भर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इन प्रदर्शनों में अभी तक 495 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से 68 नाबालिग हैं। वहीं 18 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जान गंवाने वालों में 62 सुरक्षा बल भी शामिल हैं।

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