तिजारा में बच्चों के अपहरण और मर्डर के बाद अजमेर से 3 साल का बच्चा हुआ गायब
राजस्थान के तिजारा में तीन बच्चों के अपहरण टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं और फिर दिल्ली के महरोली में दो बच्चे के मर्डर के बाद, अजमेर से एक तीन साल का बच्चा गायब हो गया.
Ajmer News : टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं राजस्थान के तिजारा में तीन बच्चों के अपहरण और फिर दो की दिल्ली के महरोली में हुई हत्या को कोई भूला भी नहीं था कि अब अजमेर से 3 साल का बच्चा गायब हो गया. मामले की गंभीरता को दिखते हुए पुलिस ने दरगाह इलाके को छान मारा.
जिसके बाद अजमेर दरगाह क्षेत्र से पुलिस ने 3 साल के बच्चे को दस्तयाब करा कर उसकी मां को सौंप दिया. 15 दिन बाद मिले बच्चे को दिखकर मां फूट फूट कर रोने लगी. पुलिस के मुताबिक बच्चे को दस्तयाब करने से पहले 600 सीसीटीवी कैमरे खंगाले गये थे.
पुलिस के मुताबिक दरगाह क्षेत्र से अबतक 35 बच्चों को मुक्त कराया जा चुका है और उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है और ये अभियान जारी रहेगा. दरगाह क्षेत्र के उपाधीक्षक रामअवतार चौधरी ने बताया कि 3 अक्टूबर को अगुआ बच्चे की तलाश करते हुए गुरुवार को भरतपुर स्टेशन हाल राजा साइकिल चौराहा इलाके में खानाबदोश महिला मीना उर्फ चांद को पकड़ा गया था.
महिला ने पूछताछ में कबूला की 3 अक्टूबर को उसने जैन पांडाल लखन कोठरी इलाके से बच्चों को अगवा किया था. पुलिस ने यूपी के रहने वाले असलम को भी गिरफ्तार किया और उसके पास से ही 3 साल के एलान को दस्तयाब कर उसकी मां को सौंपा.
15 दिन बाद अपने बालक को देख मां फूट-फूट कर रोने लगी और पुलिस का धन्यवाद भी किया. बालक को मुक्त कराने में सिपाही प्रेमाराम जय नारायण और महावीर का विशेष योगदान रहा पुलिस ने बताया कि इस दौरान 600 सीसी टीवी कैमरे खंगाले गए. वहीं पुलिस ने बताया कि दरगाह क्षेत्र से अब तक 35 बच्चों को पुलिस ने मुक्त करा लिया है और उन्हें अपने परिजनों को सौंपा गया है और यह अभियान इसी तरह से जारी रहेगा.
रिपोर्ट तो डिजिटल ही मिलेगी
एसआरएन की एमआरआई मशीन के लिए नहीं मिल पा रही है फिल्म, डाई इंजेक्शन की भी शॉर्टेज एम्स जैसी कैटेगिरी में खड़ा होने के लिए संघर्ष कर रहे एसआरएन हॉस्पिटल में वर्तमान समय में एमआरआई कराने से पहले लगने वाला न तो इंजेक्शन है और न ही फील्म जिस पर एमआरआई की रिपोर्ट प्रिंट की जा सके. नतीजा डाक्टर फोटो खींचकर रिपोर्ट भेज रहे हैं. मरीज के पास रिपोर्ट पाने का कोई दूसरा जरिया नहीं है. वह भी तब जबकि वह इसके टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं लिए करीब 3500 रुपये खर्च कर रहा है. कई महीने से चली आ रही इस समस्या का टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं फिलहाल कोई समाधान नहीं है.
प्रयागराज (ब्यूरो)। एमआरआई कराने के दौरान डाक्टर मरीजों को डाई टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं इंजेक्शन लगाता है। ताकि पता चल सके कि किस जगह पर क्या बीमारी है। अंदर की चीजें क्लियर दिखाई पड़े। यहां मरीज एमआरआई के लिए दो हजार रुपये फीस भी जमा करता है और मरीज से डाई इंजेक्शन बाहर से खरीद कर लाने के लिए कहा जाता है। ऐसे में मरीजों का एक एमआरआई कराने के लिए साढे तीन हजार रुपए खर्च करना पड़ रहा है। इतना पैसा खर्च करने के बावजूद फिल्म मोबाइल पर फोटो खींचकर दी जाती है। पूछने पर मरीजों को बजट न मिलना बताया जाता है। सबसे बड़ी दिक्कत उनके साथ होती है। जिनके पास मोबाइल फोन टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं नहीं होता है।
डेढ़ महीने बाद का मिलता है नंबर
इस अस्पातल में एमआरआई के लिए मरीज को एक व डेढ माह इंतजार करना होता है।
अभी रजिस्ट्रेशन कराने पर जुलाई अंतिम या फिर अगस्त टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं के शुरुवात तक इंतजार करना पड़ता है।
अगर कोई वीआईपी या किसी डाक्टर का बेहद करीबी है तो नंबर फौरन मिल जाता है।
यह ही नही डाक्टरों को अस्पातल से मिलने वाले अल्ट्रासाउंड की जांच रिपोर्ट पर भी कम भरोसा है।
सही अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर के स्कैनिंग सेंटर से टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं कराने को कहा जाता है।
आम नहीं खास के लिए सब सुविधा
एसआरएन अस्पातल के अंदर मिलने वाली सुविधाएं किसी से छिपा नहीं है। सूत्रों की माने तो फिल्म बची हंै। लेकिन, संख्या बहुत कम है। अगर कोई खास आता है तो उसको फिल्म टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं तक मिल जाता है। एसआइसी तक की सुविधा असानी से मिल जाती है। यहां डाक्टर हो या स्टाफ, सब चेहरा देखकर सुविधा मुहैया कराते है।
फैमली मेंबर के सदस्य का एमआरआई हुआ है। रिपोर्ट मांगने पर मोबाइल साथ लेकर आने को कहा गया। फोटो खींचकर रिपोर्ट मोबाइल पर दी जाएगी। यह सुविधा है इतने बड़े अस्पातल का।
विष्णु जैन
दो हजार रुपए फीस देने के बाद डाई इंजेक्शन बाहर से खरीदने को कहा गया। बाहर खरीदने पर इंजेक्शन पंद्रह सौ रुपए का मिला। इंजेक्शन तक अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। सिर्फ बजट का न होने कहा जाता है।
ज्ञान सिंह यादव
कुछ दिनों से दिक्कत आ रही है। बजट की कमी के चलते फिल्म उपलब्ध नहीं है। जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी। प्रमुख सचिव से प्रिंसिपल सर की बात हुई है। उन्होंने भी कहा है कि डिजिटल टॉप प्रायोरिटी पर निबटाएं व्यापारियों की समस्याएं रिपोर्ट की जाए। सभी मरीजों को फिल्म देना संभव नहीं है।
डा। अजय कुमार सक्सेना
एसआरएन अस्पताल के एसआईसी
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 611