लिक्विडिटी प्रदाता कौन हैं: उनके कार्य सिद्धांत?

फ़ोरेक्ष बाजार दुनिया का सबसे तरल व्यापार मंच है, क्योंकि समुदाय पैसे को पूर्ण लिक्विडिटी के साथ एक संपत्ति के रूप में मानता है। फ़ोरेक्ष दैनिक व्यापार की मात्रा $7 बिलियन के करीब है; यही कारण है कि ट्रेडर तुरंत संपत्ति खरीद और बेच सकते हैं। दूसरी ओर, बाजार के खिलाड़ियों की सफलता अत्यधिक लिक्विडिटी प्रदाताओं पर निर्भर करती है। उनकी भूमिकाएं और कार्य सिद्धांत क्या हैं?

लिक्विडिटी प्रदाता कौन हैं? उनकी जिम्मेदारियों में का विश्लेषण

आइए ब्रोकर के दृष्टिकोण से फ़ोरेक्ष लिक्विडिटी प्रदाता की धारणा को स्पष्ट करें। बाजार में 3000 से अधिक ब्रोकरेज कंपनियां शामिल हैं; यही कारण है कि पर्यावरण असाधारण रूप से प्रतिस्पर्धी है। ब्रोकर को ट्रेडर को उनके आदेशों के तत्काल निष्पादन सहित सर्वोत्तम शर्तें प्रदान करने की आवश्यकता है।

जब कोई ब्रोकर लिक्विडिटी प्रदाताओं के साथ सहयोग नहीं करता है, तो ऑर्डर बुक में केवल पंजीकृत व्यापारियों द्वारा रखे गए बिड और आस्क सौदे होते हैं। कभी-कभी, बुक व्यापारियों के ऑर्डर को पूरा नहीं कर पाती है। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी 50 यूनिट को खरीदने के इच्छुक, 1.27153 उद्धरणों के साथ GBP/CHF जोड़ी के लिए एक आस्क ऑर्डर देता है। इस बीच, ऑर्डर बुक में संकेतित उद्धरणों के अनुरूप 25 यूनिट के लिए बिड ऑर्डर होता है। १.२७१५ तक १५ और यूनिट, और १.२७१५९ तक १० और यूनिट जैसे, ट्रेडर को बाजार मूल्य से अधिक मुद्रा खरीदना पड़ता था।

सबसे लिक्विड ट्रेडिंग जोड़ियों की बात करें तो ऐसी स्थिति शायद ही संभव हो, लेकिन ट्रेडर बाजार की पूरी क्षमताओं का फायदा उठाते हैं।

यदि हम लिक्विडिटी प्रदाताओं को ध्यान में रखते हैं, तो ये कंपनियां ब्रोकर को शीर्ष बैंकों, हेज फंड और अन्य प्रमुख प्रतिभागियों से जोड़ती हैं। आखिरकार, ब्रोकर की ऑर्डर की किताब अलग-अलग व्यापारिक जोड़े के लिए कई बिड और आस्क सौदे प्राप्त करती है। व्यापारियों को अपने ऑर्डर को आवश्यक उद्धरणों द्वारा तुरंत निष्पादित करने का अवसर मिलता है।

बाजार निर्माताओं और लिक्विडिटी प्रदाताओं के बीच अंतर?

कभी-कभी, लिक्विडिटी फ़ोरेक्ष प्रदाताओं को बाजार-निर्माताओं के रूप में समझा जाता है। ये दो धारणाएं असाधारण रूप से करीब हैं, लेकिन आपको मतभेदों को समझने की जरूरत है।

बाजार-निर्माता फ़ोरेक्ष बाजार के सबसे "रहस्यमय" पात्रों में से हैं। इस श्रेणी में प्रमुख खिलाड़ी या स्वयं नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर ब्रोकरेज कंपनियां दोनों शामिल हो सकते हैं। जब कोई ब्रोकर कोई लिक्विडिटी प्रदाता की सेवाओं का लाभ नहीं उठाता है, तो एक कंपनी बाजार-निर्माता के रूप में कार्य करती है, जो ट्रेडर को बोली लगाने और ऑर्डर मांगने के लिए जोड़ती है। ऐसे मॉडल को फ़ोरेक्ष बाजार में "बी-बुक ब्रोकर" कहा जाता है। "ए-बुक" मॉडल का तात्पर्य ब्रोकर और बैंकों और हेज-फंड जैसे प्रमुख खिलाड़ियों के बीच मध्यस्थ के रूप में लिक्विडिटी प्रदाताओं से है - वे संस्थान इस मॉडल में बाजार-निर्माता हैं।

इसका मतलब कि एक मार्केट-मेकर एक ऑर्डर बुक के लिए जिम्मेदार है जो आस्क और बिड सौदों को पूरा करता है और एक फ़ोरेक्ष फ़ीड प्रदाता के रूप में कार्य करता है, जबकि लिक्विडिटी प्रदाता ब्रोकर को बाजार-निर्माताओं से जोड़ने वाली कंपनियां हैं।

ऐसे खिलाड़ियों को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: टियर 1 या संस्थागत बाजार निर्माता (सबसे बड़े बैंक और फंड) और छोटे व्यक्तिगत खिलाड़ी जो नवागंतुक ब्रोकर और निजी व्यापारियों के लिए उन्मुख होते हैं।

उच्चतम लिक्विडिटी ब्रोकर के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

फ़ोरेक्ष विशेषज्ञ निम्नलिखित विशेषताओं को उच्च लिक्विडिटी के प्रमुख पेशेवरों के रूप में अलग करते हैं:

स्प्रेड 0 की ओर बढ़ रहा है। जब लिक्विडिटी कम होती है, तो आस्क और बिड की कीमतों के बीच अंतर बढ़ जाता है; इस कारण ट्रेडर को कुछ नुकसान का सामना करना पड़ता है।

मूल्य स्लिपेज। स्थिति तब होती है जब कोई ब्रोकर बाजार मूल्य से ऑर्डर निष्पादित नहीं कर सकता है, और व्यापारियों को अपने ऑर्डर को उच्च या निम्न निष्पादित करने की आवश्यकता होती है।

अंतराल। कम लिक्विडिटी के इस तरह के नकारात्मक प्रभाव का मतलब है कि उद्धरणों की एक पंक्ति में 1 या अधिक पिप्स का अंतर है।

एक भरोसेमंद ब्रोकर लिक्विडिटी प्रदाता इन बाधाओं को दूर कर देता है, लेकिन नवागंतुक सबसे अच्छा समाधान कैसे ढूंढ सकते हैं? B2Broker आपके ब्रोकरेज व्यवसायों को आगे बढ़ाने के लिए एक अभिनव और समय-सम्मानित कंपनी है। सबसे अच्छा बाजार लिक्विडिटी प्रदाता प्राप्त करें जो शून्य-स्प्रेड, 1% मार्जिन आवश्यकताओं और टियर -1 बाजार निर्माताओं तक पहुंच की गारंटी देता है।

भारत में कैसे हुआ Online Share Market का 'जन्म'? यहां पढ़िए पूरी कहानी

History of Online Stock Market in Hindi: अगर आप शेयर बाजार में शुरुआत करने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपको Online Share Market History in Hindi के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जब तक आप शेयर मार्केट का इतिहास नहीं जान लेते तब तक आप शेयर बाजार में निवेश करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं।

History of Online Stock Market in Hindi: भारत में फाइनेंसियल मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और इसके बहुत जल्द इंटरनेशनल एरिया में लीडर के रूप में उभरने की उम्मीद है। फाइनेंसियल मार्केट में यह उछाल भारतीय शेयर मार्केट नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर के ग्रोथ को प्रोत्साहित कर रहा है जिससे निवेशकों को शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

भारत के शेयर बाजार का इतिहास (History of Indian Share Market) 1875 का है। भारत में पहले शेयर ट्रेडिंग एसोसिएशन का नाम 'नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन' (Native Share and Stock Broker's Association) था, जिसे बाद में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के रूप में जाना जाने लगा। इस एसोसिएशन की शुरुआत 318 सदस्यों के साथ हुई थी। आज भारत देश के विभिन्न हिस्सों में 24 शेयर बाजारों और कई वित्तीय मध्यस्थों का दावा कर सकता है जिनमें बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कॉर्पोरेशन, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड आदि शामिल हैं।

भारत के शेयर बाजार के बारे में

भारतीय शेयर बाजार (Capital Market) को दो खंडों में बांटा गया है-

  • प्राइमरी मार्केट
  • सेकेंडरी मार्केट

प्राइमरी मार्केट वह मार्केट है जहां जनता को नई सिक्योरिटीज (जैसे शेयर, डिबेंचर, सरकारी बांड, नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर सीडी, सीपी आदि) जारी की जाती हैं।

निवेशक शेयरों के जारीकर्ता यानी कंपनी से सीधे नए शेयर खरीदने के लिए कंपनियों के IPO की सदस्यता ले सकते हैं। कंपनी इन शेयरों की बिक्री से आय प्राप्त करती है और इसका उपयोग अपने संचालन को फंड देने और अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए करती है। प्राइमरी मार्केट को न्यू इश्यू मार्केट के नाम से भी जाना जाता है।

वहीं, सेकेंडरी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में ट्रेड होता है। एक बार शेयरों की प्रारंभिक बिक्री हो जाने के बाद, कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री उन व्यापारियों और निवेशकों के बीच की जा सकती है जो शेयर खरीदना चाहते नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर हैं और वे शेयरधारक जो अपने शेयर बेचना चाहते हैं। ये ऑपरेशन सेकेंडरी मार्केट में किए जाते हैं। एक नए जारी किए गए IPO को प्राइमरी मार्केट ट्रेड माना जाएगा जब शेयर पहली बार निवेशकों द्वारा सीधे हामीदारी निवेश बैंक से खरीदे जाते हैं, उसके बाद कारोबार किया गया कोई भी शेयर निवेशकों के बीच सेकेंडरी मार्केट में होगा।

प्राइमरी मार्किट में शेयर की कीमतें मर्चेंट बैंकरों द्वारा मूल्यांकन पद्धतियों का उपयोग करके निर्धारित की जाती हैं, जबकि सेकेंडरी मार्केट में शेयर की कीमतें आपूर्ति और मांग की बाजार शक्तियों द्वारा निर्धारित की जाती हैं। भारत के शेयर बाजार को सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। SEBI का प्राथमिक उद्देश्य शेयर बाजार के स्वस्थ और व्यवस्थित विकास को बढ़ावा देना और निवेशक सुरक्षा को सुरक्षित करना है। SEBI विदेशी निवेशकों और व्यापारियों द्वारा किए गए शेयर लेनदेन को भी कंट्रोल करता है और शेयर मार्केट में कदाचार के खिलाफ भी जांच करता है।

भारत में शेयर बाजार का दायरा पिछले कुछ वर्षों में काफी व्यापक हो गया है, इसके लिए कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विस को लॉन्च किया गया नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर है। शेयर मार्किट स्वभाव से अत्यंत अस्थिर होते हैं और इसलिए जोखिम कारक बिचौलियों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। इस जोखिम को कम करने के लिए डेरिवेटिव की अवधारणा सामने आती है। Derivatives ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनकी वैल्यू एक या अधिक अंडरलाइंग एसेट से प्राप्त होती हैं। ये एसेट्स फॉरेन करेंसी, इक्विटी आदि हो सकती हैं। भारत में डेरिवेटिव मार्किट भी डेरिवेटिव का उपयोग करने वाले बाजार सहभागियों की बढ़ती संख्या नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर के साथ अत्यधिक विस्तार कर रहा है।

Mutual Funds: हाइब्रिड फंड क्या है, क्या है इनमें निवेश का फायदा, जानें जरूरी बातें

Mutual Funds: हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है.

By: ABP Live | Updated at : 26 Jan 2022 06:27 PM (IST)

Mutual Funds: अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास एक ऑप्शन हाइब्रिड फंड का भी है. हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है. फंड के प्रकार के आधार पर, यह दो या दो से अधिक एसेट क्लास का कॉम्बिनेशन हो सकता है. इनमें इक्विटी, डेब्ट, सोना और इंटरनेशनल इक्विटी अलग-अलग अनुपात में शामिल हैं. इन एसेट क्लास के बीच बहुत कम या कोई संबंध नहीं होता है.

हाइब्रिड फंड के लाभ
हाइब्रिड फंड की खासियत यह है कि फंड का पैसा इक्विटी के साथ डेट एसेट में भी लगाया जाता है. कई बार फंड का पैसा सोना में भी लगाया जाता है. अलग-अलग क्लास में निवेश के कारण इसमें निवेश से डाइवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है. मान लीजिए अगर इक्विटी में लगा पैसा कम होता है या बाजार के माहौल के मुताबिक बिगड़ता है तो डेट और सोने में लगे पैसे के जरिए फंड बैलेंस हो जाता है. ठीक अगर सोने में कमजोरी से फंड में रिटर्न कम होता है तो डेट और इक्विटी के जरिए बैलेंस हो जाता है. यानी की अलग-अलग एसेट क्लास यानी की डाइवर्सिफिकेशन से में निवेश करने से फंड को फायदा होता है.

हाइब्रिड फंड की छह सब-कैटेगरी हैं. जानते हैं इनके बारे में:-

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड

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  • अगर आप अधिक जोखिम ले सकते हैं तो ही इस पर विचार करें.
  • इसमें 65-80 फीसदी पैसा इक्विटी (लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप की अलग-अलग कैटेगरी) में निवेश किया जाता है.
  • 20%-35% पैसा निश्चित आय उपकरणों में निवेश किया जाता है.
  • पांच साल से अधिक की अवधि के लिए इस कैटेगरी पर विचार करना चाहिए.

कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड

  • 10-25% पैसा इक्विटी में निवेश किया जाता है.
  • बाकी पैसे को डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है.
  • डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में कॉर्पोरेट और सरकारी बॉन्ड और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर शामिल होते हैं.
  • डेब्ट निवेश नियमित और स्थिर आय हासिल के लिए किया जाता है.
  • इक्विटी पोर्टफोलियो में बेहतर रिटर्न जनरेट करने की क्षमता होती है.

डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड

  • यह कुछ पूर्व-निर्धारित वैल्यूएशन मापदंडों के आधार पर इक्विटी और फिक्स्ड इनकम के बीच आवंटन को बढ़ाते / घटाते हैं.
  • बाजार की स्थिति के आधार पर शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में ये फंड इक्विटी और निश्चित इनकम उपकरणों के बीच बैलेंस रखता है.

आर्बिट्रेज फंड

  • यह फंड अलग-अलग एक्सचेंजों पर या दो अलग-अलग बाजारों (कैश और डेरिवेटिव बाजार) के बीच स्टॉक की मूल्य अंतर फायदा उठाते हैं.
  • इक्विटी टैक्सेशन के फायदे के साथ, एक आर्बिट्रेज फंड शॉर्ट टर्म सरप्लस लिक्विडिटी को निवेश करने और अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए एक निवेशक की पसंद हो सकता है.

मल्टी एसेट एलोकेशन फंड

  • यह फंड कम तीन अलग-अलग एसेट्स में निवेश करता है, जिसमें प्रत्येक में न्यूनतम 10% पैसा लगाया जाता है.

इक्विटी सेविंग फंड

  • ये फंड इक्विटी, डेट और आर्बिट्रेज का एक बढ़िया मिश्रण है. इक्विटी और आर्बिट्रेज पोजीशन में न्यूनतम 65% और निश्चित आय के साधनों में शेष राशि आवंटित करके एक इक्विटी सेविंग फंड बढ़िया ऑप्शन पेश करता है.

(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्हीं भी योजनाओं के अंतर्गत नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)

Published at : 26 Jan 2022 06:27 PM (IST) Tags: Mutual Funds Investments Hybrid funds हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट

Zerodha

स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट दोनों ही फाइनेंसियल मार्केट है, एक तरफ स्टॉक मार्केट में पूरी तरह से फाइनेंसियल प्रोडक्ट जैसे – शेयर, और सिक्योरिटी की ट्रेडिंग की जाती है, जबकि कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी जैसे –तेल, सोना, चांदी से जुड़े फाइनेंसियल प्रोडक्ट आदि की ट्रेडिंग की जाती है,

इसलिए ये कहा जा सकता है कि – स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट, दोनों भी, है तो एक जैसे ही, लेकिन इन दोनों मार्केट में नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर ट्रेड किये जाने वाले प्रोडक्ट थोड़े अलग अलग है,

और इस तरह स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट थोड़े से अंतर है, जो आज के इस आर्टिकल में मै आपके साथ स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट के बारे में कुछ बेसिक अंतर के बारे में बताने जा रहा हु,

इस आर्टिकल से आप ये समझ पाएंगे कि – स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में बेसिक अंतर क्या है?

स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में अंतर

1. ट्रेड होने वाले फाइनेंसियल/कमोडिटी प्रोडक्ट के वैधता का समय,

स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में ट्रेड होने वाले प्रोडक्ट के बीच , समय की वैधता का सबसे बड़ा अंतर होता है, जैसे – अगर आप स्टॉक मार्केट से किसी कंपनी का स्टॉक खरीदते है, तो आप उसे अपनी मर्जी से जब तक चाहे तब तक अपने पास Demat account में रख सकते है,

जबकि अगर आप कमोडिटी मार्केट से आप कमोडिटी जैसे – सोना, चांदी, तेल के कॉन्ट्रैक्ट खरीदते है तो उसे आपको एक निश्चित समय पर, उस सौदे को बेचना होता है, कमोडिटी मार्केट में फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स और आप्शन कॉन्ट्रैक्ट में सौदे यानि ट्रेड किये जाते है, और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स और कॉन्ट्रैक्ट्स आम तौर पर एक महीने से लेकर ३ महीने तक के लिए होते है,

यानि, अगर आप कमोडिटी मार्केट में अगर किसी सौदे में एंट्री करते है तो आपको वह सौदा तीन महीने के नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर भीतर पूरा करना होगा,

जबकि, स्टॉक मार्केट में अगर आप फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट और आप्शन कॉन्ट्रैक्ट के सौदों को आपको, कमोडिटी मार्केट की तरह कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी डेट से पहले उन सौदों को पूरा करना होता है, लेकिन साथ ही अगर आप किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदते है, तो उस कंपनी के स्टॉक को आप जितने समय के लिए अपने Demat account में होल्ड कर सकते है,

तो इस तरह स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में, फाइनेंसियल प्रोडक्ट, के सौदे के समय का एक बहुत बड़ा अंतर होता है,

2. स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट से होने वाले इनकम का अंतर,

स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में एक और सबसे बड़ा अंतर ये है कि स्टॉक मार्केट में ख़रीदे गए स्टॉक पर आपको डिविडेंड (लाभांश) का लाभ होता है,

जबकि कमोडिटी मार्केट में आपको डिविडेंड के इनकम का लाभ नहीं होता है, कमोडिटी मार्केट में आपको सिर्फ अपने ट्रेड पर प्रॉफिट या लोस होता है,

3.स्टॉक मार्केट निवेश है जबकि कमोडिटी मार्केट सिर्फ ट्रेडिंग है,

स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में एक और सबसे बड़ा अंतर ये है कि स्टॉक मार्केट में आप स्टॉक खरीद कर निवेश कर सकते है, और उस निवेश से आपको डिविडेंड और कैपिटल गेन का लाभ मिलेगा,

जबकि कमोडिटी मार्केट में आप शुद्ध निवेश नहीं कह सकते है, कमोडिटी मार्केट में आपको पूरी तरह से एक ट्रेडर की तरह से व्यवहार करना पड़ता है, ट्रेडर एक ट्रेड लेता है और उस ट्रेड को पूरा करता है,

इस तरह, कमोडिटी मार्केट में आप लम्बे समय के लिए निवेश नहीं कर सकते है, जबकि स्टॉक मार्केट में लम्बे समय के लिए निवेश किया जा सकता है,

4.स्टॉक मार्केट निवेश और कमोडिटी मार्केट के प्रोडक्ट की अलग अलग विशेषता है,

स्टॉक मार्केट में जहा हर कंपनी के स्टॉक की नकदी और डेरीवेटिव बाजार के बीच अंतर ट्रेडिंग होती है, और स्टॉक चाहे किसी भी कंपनी का हो, भाव कम या ज्यादा जरुर होता है, लेकिन होता स्टॉक है, और स्टॉक की विशेषताए एक जैसी होती है,

जबकि कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी जैसे – सोना चांदी तेल अनाज की ट्रेडिंग होती है, और इस मार्केट में हर प्रोडक्ट की विशेषता अलग अलग होती है, जैसे सोने की विशेषता कुछ और चांदी की विशेषता कुछ और है जबकि तेल की विशेषता कुछ और है,

5.स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में प्रोडक्ट की सप्लाई

स्टॉक मार्केट में शेयर की ट्रेडिंग होती है, और शेयर हमेशा निश्चित मात्रा में ही किसी कंपनी द्वारा जारी किये जाते है, और इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि स्टॉक मार्केट में स्टॉक की सप्लाई लगभग निश्चित है, और इसलिए क्योकि स्टॉक लिमिटेड मात्रा में होते है, इसलिए कुछ लोग जानबूझकर साजिश करके किसी कंपनी के स्टॉक को घटा या बढ़ा सकते है,

जबकि कमोडिटी मार्केट में स्टॉक की मात्रा की कोई निश्चित सीमा नहीं है, और इसलिए इसमें आसानी से किसी तरह की साजिश के बावजूद भी कमोडिटी के भाव को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं है,

आशा है, इस पोस्ट से आप समझ पाए होंगे की स्टोक मार्केट और कमोडिटी मार्केट में मुख्य अंतर क्या है, अगर आपके मन में अभी भी कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है और अपने विचार की प्रतिक्रया भी कमेंट में लिख सकते है,

Mutual Funds: हाइब्रिड फंड क्या है, क्या है इनमें निवेश का फायदा, जानें जरूरी बातें

Mutual Funds: हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है.

By: ABP Live | Updated at : 26 Jan 2022 06:27 PM (IST)

Mutual Funds: अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास एक ऑप्शन हाइब्रिड फंड का भी है. हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है. फंड के प्रकार के आधार पर, यह दो या दो से अधिक एसेट क्लास का कॉम्बिनेशन हो सकता है. इनमें इक्विटी, डेब्ट, सोना और इंटरनेशनल इक्विटी अलग-अलग अनुपात में शामिल हैं. इन एसेट क्लास के बीच बहुत कम या कोई संबंध नहीं होता है.

हाइब्रिड फंड के लाभ
हाइब्रिड फंड की खासियत यह है कि फंड का पैसा इक्विटी के साथ डेट एसेट में भी लगाया जाता है. कई बार फंड का पैसा सोना में भी लगाया जाता है. अलग-अलग क्लास में निवेश के कारण इसमें निवेश से डाइवर्सिफिकेशन का फायदा मिलता है. मान लीजिए अगर इक्विटी में लगा पैसा कम होता है या बाजार के माहौल के मुताबिक बिगड़ता है तो डेट और सोने में लगे पैसे के जरिए फंड बैलेंस हो जाता है. ठीक अगर सोने में कमजोरी से फंड में रिटर्न कम होता है तो डेट और इक्विटी के जरिए बैलेंस हो जाता है. यानी की अलग-अलग एसेट क्लास यानी की डाइवर्सिफिकेशन से में निवेश करने से फंड को फायदा होता है.

हाइब्रिड फंड की छह सब-कैटेगरी हैं. जानते हैं इनके बारे में:-

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड

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  • अगर आप अधिक जोखिम ले सकते हैं तो ही इस पर विचार करें.
  • इसमें 65-80 फीसदी पैसा इक्विटी (लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप की अलग-अलग कैटेगरी) में निवेश किया जाता है.
  • 20%-35% पैसा निश्चित आय उपकरणों में निवेश किया जाता है.
  • पांच साल से अधिक की अवधि के लिए इस कैटेगरी पर विचार करना चाहिए.

कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड

  • 10-25% पैसा इक्विटी में निवेश किया जाता है.
  • बाकी पैसे को डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है.
  • डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में कॉर्पोरेट और सरकारी बॉन्ड और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर शामिल होते हैं.
  • डेब्ट निवेश नियमित और स्थिर आय हासिल के लिए किया जाता है.
  • इक्विटी पोर्टफोलियो में बेहतर रिटर्न जनरेट करने की क्षमता होती है.

डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड

  • यह कुछ पूर्व-निर्धारित वैल्यूएशन मापदंडों के आधार पर इक्विटी और फिक्स्ड इनकम के बीच आवंटन को बढ़ाते / घटाते हैं.
  • बाजार की स्थिति के आधार पर शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में ये फंड इक्विटी और निश्चित इनकम उपकरणों के बीच बैलेंस रखता है.

आर्बिट्रेज फंड

  • यह फंड अलग-अलग एक्सचेंजों पर या दो अलग-अलग बाजारों (कैश और डेरिवेटिव बाजार) के बीच स्टॉक की मूल्य अंतर फायदा उठाते हैं.
  • इक्विटी टैक्सेशन के फायदे के साथ, एक आर्बिट्रेज फंड शॉर्ट टर्म सरप्लस लिक्विडिटी को निवेश करने और अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए एक निवेशक की पसंद हो सकता है.

मल्टी एसेट एलोकेशन फंड

  • यह फंड कम तीन अलग-अलग एसेट्स में निवेश करता है, जिसमें प्रत्येक में न्यूनतम 10% पैसा लगाया जाता है.

इक्विटी सेविंग फंड

  • ये फंड इक्विटी, डेट और आर्बिट्रेज का एक बढ़िया मिश्रण है. इक्विटी और आर्बिट्रेज पोजीशन में न्यूनतम 65% और निश्चित आय के साधनों में शेष राशि आवंटित करके एक इक्विटी सेविंग फंड बढ़िया ऑप्शन पेश करता है.

(यहां ABP News द्वारा किसी भी फंड में निवेश की सलाह नहीं दी जा रही है. यहां दी गई जानकारी का सिर्फ़ सूचित करने का उद्देश्य है. म्यूचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं, योजना संबंधी सभी दस्तावेज़ों को सावधानी से पढ़ें. योजनाओं की NAV, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव सहित सिक्योरिटी बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों व शक्तियों के आधार पर ऊपर-नीचे हो सकती है. किसी म्यूचुअल फंड का पूर्व प्रदर्शन, आवश्यक रूप से योजनाओं के भविष्य के प्रदर्शन का परिचायक नहीं हो सकता है. म्यूचुअल फंड, किन्हीं भी योजनाओं के अंतर्गत किसी लाभांश की गारंटी या आश्वासन नहीं देता है और वह वितरण योग्य अधिशेष की उपलब्धता और पर्याप्तता से विषयित है. निवेशकों से सावधानी के साथ विवरण पत्रिका (प्रॉस्पेक्टस) की समीक्षा करने और विशिष्ट विधिक, कर तथा योजना में निवेश/प्रतिभागिता के वित्तीय निहितार्थ के बारे में विशेषज्ञ पेशेवर सलाह को हासिल करने का अनुरोध है.)

Published at : 26 Jan 2022 06:27 PM (IST) Tags: Mutual Funds Investments Hybrid funds हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

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